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राजस्थान की स्थिति एव विस्तार नोट्स

स्थिति एवं विस्तार

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राजस्थान का नामकरण :-

ब्रह्मवर्त–

●   वैदिक काल में इसे ब्रह्मवर्त नाम से जाना जाता था।

●   वैदिक काल में यहाँ पर दृषद्वती या सरस्वती नदी का प्रवाह होने का उल्लेख मिलता है।

मरुकांतार–

●   इस शब्द का उल्लेख वाल्मीकिकृत ‘रामायण’ में किया गया है। 

राजस्थानीयादित्य–

●   इस शब्द का उल्लेख ‘बसन्तगढ़ शिलालेख’ (सिरोही) मेंमिलता है।

●   बसंतगढ़ शिलालेख, बसन्तगढ़ (सिरोही) में खेमल माता के मंदिर के बाहर खुदवाया गया था।

राजपूताना–

●   इस शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम जॉर्ज थॉमस ने 19वीं सदी के प्रारम्भ (1800 ई.) में किया था।

●   ‘जॉर्ज थॉमस’ ग्वालियर के शासक ‘दौलतराव सिन्धिया’ का अंग्रेजी कमांडर था।

●   राजपूताना शब्द का लिखित प्रमाण 1805 ई. में प्रकाशित ‘विलियम फ्रेंकलिन’ की पुस्तक मिलिट्री मेमॉयर्स ऑफ जॉर्जथॉमस में मिलता है।

राजस्थान, रजवाड़ा, रायथान–

●   कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक एनाल्स एण्डएंटीक्वीटीज ऑफ राजस्थान का प्रकाशन 1829 ई. में करवाया। इस पुस्तक में इस भू-भाग के लिए उन्होंने राजस्थान व रजवाड़ा शब्द का उल्लेख किया था।

●   इसका दूसरा नाम  सेण्ट्रल एण्ड वेस्टर्न राजपूत स्टेट ऑफइण्डिया है। 

●   1835 ई. में कर्नल जेम्स टॉड की मृत्यु हो गई तथा इनकी पत्नी ने 1839 ई. में दूसरी पुस्तक पश्चिमी भारत की यात्रा को प्रकाशित करवाया था।

●   मुहणोत नैणसी ने अपनी रचना ‘नैणसी री ख्यात तथा वीरभान के ‘राजरूपक’ में राजस्थान शब्द का प्रयोग किया।

    (यह शब्द भौगोलिक प्रदेश राजस्थान के लिए प्रयुक्त नहीं हुआ लगता है अर्थात् सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का प्रयोग करने का श्रेय कर्नल जेम्स टॉड को दिया जाता है।)

●   राजस्थान के एकीकरण के द्वितीय चरण (25 मार्च, 1948) में सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का उल्लेख मिलता है। (पूर्वी राजस्थान संघ के रूप में)

●   एकीकरण के छठे चरण (26 जनवरी1950) में राजस्थानशब्द को वैधानिक मान्यता मिली।

●   एकीकरण के अंतिम चरण (1 नवंबर, 1956) में राजस्थानको राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर राज्य के रूप मेंमान्यता मिली।

राजस्थान का परिचय :-        

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●   भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है। इसका कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है (1,32,139 वर्ग मील) जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41% या 1/10वाँ भाग है। 1 नवम्बर, 2000 को मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य के अलग होने से राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य बना।

●   क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के पाँच बड़े राज्य - राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात हैं।

●   राजस्थान, क्षेत्रफल की दृष्टि से श्रीलंका से पाँच गुना, चेकोस्लोवाकिया से तीन गुना, इजरायल से सत्रह गुना व ब्रिटेन से दुगुना है।

●   राजस्थान का क्षेत्र नॉर्वे व पॉलैण्ड के लगभग बराबर है।

●   राजस्थान का क्षेत्रफल लगभग जापान, कॉन्गो रिपब्लिक, फिनलैंड और जर्मनी के क्षेत्रफल के भी बराबर हैं।  

तथ्य :-

●   राजस्थान, धौलपुर से 112.8 गुना बड़ा है।

●   धौलपुर, राजस्थान का 0.89 प्रतिशत हिस्सा है।

●   विश्व के क्षेत्रफल में राजस्थान का योगदान 0.25 प्रतिशत है।

●   राजस्थान, भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41 प्रतिशत भाग है।

राजस्थान की स्थितिविस्तार एवं आकृति :-

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नोट :- 

●   ग्लोब या विश्व के मानचित्र में राजस्थान की स्थिति उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में है।

●   एशिया के मानचित्र में राजस्थान की स्थिति दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में है।

●   भारत के मानचित्र में राजस्थान की स्थिति उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) में है।

●   राजस्थान की आकृति विषम चतुष्कोणीय, चतुर्भुजाकार या पतंगाकार है।

●   इस आकृति के बारे में सर्वप्रथम टी.एचहेडले ने बताया।

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●   राजस्थान के उत्तर से दक्षिण की लम्बाई 826 किलोमीटर है।

●   राजस्थान की पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 869 किलोमीटर है।

●   राजस्थान के उत्तर-दक्षिण लम्बाई  पूर्व-पश्चिम चौड़ाई मेंअन्तर 43 किमीहै।

●   राजस्थान में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर विकर्णलम्बाई 850 किमीहै।

●   राजस्थान में दक्षिण -पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर विकर्णलम्बाई 784 किमीहै।

●   राजस्थान में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व में विकर्णों की लम्बाई व चौड़ाई में अन्तर 66 किमीहै।

राजस्थान का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार :-

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राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार:-

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●   अक्षांश = यह एक काल्पनिक रेखा है जो ग्लोब में पूर्व से पश्चिम की ओर खींची जाती है।

●   राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 23°3’ उत्तरी अक्षांश से30°12’ उत्तरी अक्षांश तक है।

●   राजस्थान कुल 7°9’ अक्षांशों में विस्तृत है।

●   राजस्थान का मध्यवर्ती अक्षांश 27° उत्तरी अक्षांश (26° 37’) है।

●   राजस्थान के उत्तर से दक्षिण की लम्बाई 826 किलोमीटर है।

●   राजस्थान का उत्तरतम बिन्दु कोणा गाँव (श्रीगंगानगर) व दक्षिणतम बिन्दु बोरकुण्ड (बाँसवाड़ा) है।

राजस्थान का देशांतरीय विस्तार:-

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●   देशान्तर = ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची गई काल्पनिक रेखा जो मुख्य रूप से समय का निर्धारण करती है।

●   राजस्थान का देशान्तरीय विस्तार 69°30’ पूर्वी देशांतर से78°17’ पूर्वी देशांतर तक है। 

●   राजस्थान कुल 8°47’ देशांतरों में विस्तृत है।

●   राजस्थान का मध्यवर्ती देशान्तर 74°17’ (74° देशान्तर) है।

●   सूर्य को एक देशान्तर को पार करने में 4’ (मिनट) का समय लगता है राजस्थान में पूर्व से पश्चिम की ओर जाने पर 8°47’ × 4 = 35 मिनट 8 सेकण्ड का समय लगता है।

●   राजस्थान की पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 869 किलोमीटर है।

●   राजस्थान का पूर्वी बिन्दु सिलान गाँव (धौलपुर) व पश्चिमी बिन्दु कटरा गाँव (जैसलमेर) है।

●    \(23 \frac 1 2 \) उत्तरी अक्षांश:- इसे कर्क रेखा कहते हैं।

●   कर्क रेखा भारत के आठ राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व मिजोरम से होकर गुजरती है।

●   कर्क रेखा राजस्थान के डूँगरपुर जिले के चिकली को छूते हुए बाँसवाड़ा के मध्य से गुजरती है अर्थात् यह राजस्थान के दो जिलों से होकर गुजरती है।

●   कर्क रेखा की राजस्थान में कुल लम्बाई 26 किलोमीटर है।

●   कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है जबकि राजस्थान का 99% क्षेत्रफल कर्क रेखा के उत्तरी भाग में स्थित है।

●   सूर्य की सीधी किरणें कर्क रेखा पर यानी बाँसवाड़ा जिले में पड़ती हैं, तो राजस्थान में सर्वाधिक तिरछी किरणें श्रीगंगानगर में पड़ती है।

●   कुशलगढ़ तहसील (बाँसवाड़ा) में 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं।

●   कर्क रेखा से जैसे-जैसे हम उत्तर की ओर जाते हैं, वैसे-वैसे सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती जाती हैं।

●   माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है इसलिए इसे राजस्थान की ‘स्वर्ण रेखा’ कहा जाता है।

●   राजस्थान में सूर्य की सीधी किरणें बाँसवाड़ा में पड़ती है।

●   राजस्थान में सूर्य की सर्वाधिक तिरछी किरणें श्रीगंगानगर में पड़ती हैं।

●   राजस्थान में सबसे बड़ा दिन 21 जून को होता है।

●   कर्क रेखा पर 21 जून को सूर्य की किरणें लम्बवत् (सीधी) पड़ती है। इसके बाद सूर्य दक्षिणायन होना प्रारंभ हो जाता है।

●   अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून (प्रारंभ वर्ष 2015 से)

●   राजस्थान में सबसे बड़ी रात 22 दिसम्बर को होती है।

●   राज्य में दिन व रात की अवधि बराबर 21 मार्च  23सितम्बर को होती है।

●   जैसलमेर तथा धौलपुर में सूर्योदय का अन्तर लगभग 36मिनट का होता है। 

●   सर्वप्रथम सूर्योदय व सूर्यास्त धौलपुर जिले में होता है तथा राजस्थान में सबसे बाद में सूर्योदय व सूर्यास्त जैसलमेर में होता है।

●   राजस्थान का मध्यवर्ती स्थान लाम्पोलाई (नागौर) है।

●   राजस्थान का मध्यवर्ती गाँव सैटेलाइट के अनुसार गंगराना (नागौर) है। 

राजस्थान का विस्तार :-

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1.  अन्तर्राष्ट्रीय सीमा –

●   राजस्थान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है। इस सीमा का नाम रेडक्लिफ रेखा है।

●   इस अन्तर्राष्ट्रीय रेखा का नामकरण ब्रिटिश वकील सिरिलरेडक्लिफ के नाम पर किया गया था।

रेडक्लिफ रेखा –

●   रेडक्लिफ रेखा एक कृत्रिम रेखा है।

●   रेडक्लिफ रेखा भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गई है।

●   रेडक्लिफ लाइन का निर्धारण अगस्त, 1947 को हुआ।

●   रेडक्लिफ रेखा पर भारत के 3 राज्य और 2 केन्द्र शासित प्रदेश स्थित हैं-

तीनराज्य

दो केन्द्र शासित प्रदेश

1. पंजाब

1. जम्मू-कश्मीर

2. राजस्थान

2. लद्दाख

3. गुजरात

 

●   रेडक्लिफ लाइन की कुल लम्बाई 3,323 किलोमीटर है, जिसमें से राजस्थान के साथ 1,070 किलोमीटर कीसीमा लगती है यानी कि कुल रेडक्लिफ का एक-तिहाई भाग राजस्थान के साथ संलग्न है।

●   रेडक्लिफ रेखा पर क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर है।

●   अन्तर्राष्ट्रीय रेखा की शुरुआत श्रीगंगानगर जिले के हिन्दूमल कोट से शुरू होकर बाड़मेर जिले के बाखासर तक है।

●   रेडक्लिफ पर पाकिस्तान के 9 जिले स्थित हैं- पंजाब प्रान्त के 3 जिले बहावलनगर, बहावलपुर, रहीमयार खान जिले तथा सिंध प्रांत के 6 जिले घोटकी, सुक्कुर, खैरपुर, संघर, उमरकोट व थारपारकर राजस्थान के साथ अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाते हैं।

●   राजस्थान के साथ सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान का बहावलनगर जिला व न्यूनतम अन्तर्राष्ट्रीय सीमा उमरकोट बनाता है।

2.  अन्तर्राज्यीय सीमा–

●   राजस्थान राज्य की स्थलीय सीमा पाँच राज्यों के साथ लगती है–   

राज्य

राजस्थानके संदर्भमें स्थिति

पंजाब

उत्तर

हरियाणा

उत्तर-पूर्व

उत्तर प्रदेश

पूर्व

मध्य प्रदेश

दक्षिण-पूर्व

गुजरात

दक्षिण-पश्चिम

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(i)   पंजाब राज्य-

●   यह राजस्थान के साथ न्यूनतम सीमा 89 किलोमीटरबनाता है।

●   श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ पंजाब राज्य की सीमा पर स्थित राजस्थान के दो जिले हैं।

●   श्रीगंगानगर पंजाब के साथ सर्वाधिक व हनुमानगढ़ न्यूनतमसीमा बनाता है।

●   पंजाब के दो जिलों फाजिल्का एवं मुक्तसर साहिब की सीमा राजस्थान के साथ लगती है।

(ii)  हरियाणा राज्य–

●   हरियाणा राज्य राजस्थान के साथ 1,262 किलोमीटर की सीमा बनाता है।

●   राजस्थान के 8 जिले हरियाणा के साथ सीमा बनाते हैं- हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनूँ, सीकर, कोटपूतली-बहरोड, खैरथल-तिजारा, अलवर, डीग। 

●   हरियाणा के सात जिलों– नूह, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, भिवानी, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा की सीमाएँ राजस्थान के साथ लगती हैं।

(iii) उत्तर प्रदेश राज्य–

●   उत्तर प्रदेश राज्य राजस्थान के साथ 877 किलोमीटर की सीमा बनाता है।

●   उत्तर प्रदेश के साथ राजस्थान के तीन जिले सीमा बनाते हैं- डीग, भरतपुर व धौलपुर।

●   उत्तर प्रदेश के दो जिलों मथुरा व आगरा की सीमाएँ राजस्थान के साथ लगती हैं।

(iv) मध्य प्रदेश राज्य-

●   मध्य प्रदेश राज्य राजस्थान के साथ 1,600 किलोमीटर की सीमा बनाता है।

●   मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान के 10 जिले धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बाराँ, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़ व बाँसवाड़ा सीमा बनाते हैं।

●   मध्य प्रदेश के साथ झालावाड़ सर्वाधिक तथा भीलवाड़ा न्यूनतम सीमा बनाता है। 

●   राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश के 10 जिले झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, आगरमालवा, राजगढ़, गुना, शिवपुरी, श्योपुर व मुरैना सीमा  बनाते हैं।

(v)  गुजरात राज्य–

●   गुजरात राज्य राजस्थान के साथ 1,022 किलोमीटर की सीमा बनाता है।

●   गुजरात के साथ राजस्थान के छह जिले बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर, सिरोही, जालोर व बाड़मेर सीमा बनाते हैं।

●   गुजरात के साथ उदयपुर सर्वाधिक तथा बाड़मेर न्यूनतमसीमा बनाता है।

●   राजस्थान के साथ गुजरात के छह जिलों कच्छ, बनासकांठा, साबरकांठा, अरावली, महीसागर व दाहोद की सीमाएँ लगती हैं।

●   राज्य के सर्वाधिक निकट स्थित बंदरगाह कांडला बंदरगाह(गुजरात) है।

 

अन्त:वर्ती जिले :-

●   राजस्थान के अन्त:वर्ती जिले – जोधपुर,फलोदी, बालोतरा, पाली, राजसमंद, सलूम्बर, ब्यावर, अजमेर, नागौर, डीडवाना-कुचामन, बूँदी, टोंक, जयपुर व दौसा हैं।

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बहि:वर्ती जिले :-

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●   राजस्थान के 27 जिले सीमावर्ती हैं।

●   राजस्थान के 25 जिले अन्तर्राज्यीय सीमावर्ती हैं।

●   राजस्थान के 23 जिले केवल अन्तर्राज्यीय सीमाएँ बनाते हैं।

●   अन्तर्राष्ट्रीय सीमा 4 जिले बनाते हैं।

●   केवल अन्तर्राष्ट्रीय सीमा (बीकानेर, जैसलमेर) दो जिले बनाते हैं।

●   राजस्थान के दो जिले (बाड़मेर, श्रीगंगानगर) जो अन्तर्राष्ट्रीय व अन्तर्राज्यीय दोनों सीमा बनाते हैं।

 ●        राजस्थान के चार ऐसे जिले हैं जो दो-दो राज्यों के साथ सीमा बनाते हैं–

            1. हनुमानगढ़ – पंजाब व हरियाणा।

            2. डीग – हरियाणा व उत्तर प्रदेश।

            3. धौलपुर – उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश।

            4. बाँसवाड़ा – मध्य प्रदेश व गुजरात।

●   राजस्थान के 2 जिले अन्तर्राज्यीय व अन्तर्राष्ट्रीय दोनों सीमाओं पर स्थित हैं–

            1. श्रीगंगानगर – पाकिस्तान व पंजाब।

            2. बाड़मेर – पाकिस्तान व गुजरात।

●   राजस्थान के 4  जिले अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा पर स्थित हैं जो कि निम्नलिखित हैं–

1.

श्रीगंगानगर

 

2.

बीकानेर

 

3.

जैसलमेर

सर्वाधिक सीमा

4.

बाड़मेर

228 किलोमीटर

●   अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित जिलों में से सबसे नजदीक जिला-मुख्यालय श्रीगंगानगर है तथा सबसे दूर जिला मुख्यालय बीकानेर है। 

●   रेडक्लिफ रेखा से सर्वाधिक दूर स्थित जिला मुख्यालय धौलपुर है। 

●   गैर-अन्तर्राष्ट्रीय सीमावर्ती जिलों में पाकिस्तान की सीमा के सबसे नजदीक जिला मुख्यालय हनुमानगढ़ व सबसे दूर जिला मुख्यालय धौलपुर है।

नोट :- फलोदी जिलें के संबंध में कोई बदलाव हुआ तो आपको आगे अवगत कराया जाएगा।

 

राजस्थान के संभाग :- 

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राजस्थान के जिलों व संभागों के संदर्भ में :-

●   रामलुभाया समिति का गठन – 21 मार्च, 2022 को किया गया था।

●   रामलुभाया समिति की सिफारिश पर पूर्व राजस्थान सरकार (गहलोत सरकार) द्वारा तीन (3) संभागों और सत्रह (17) जिले बनाए गए थे। इसके बाद राजस्थान में जिलों की संख्या 33 से बढ़कर 50 तथा संभागों की संख्या 7 से बढ़कर 10 हो गई थी। 

●   ललित के. पंवार समिति का गठन 28 जून, 2024 को किया गया था। इस समिति के अध्यक्ष ललित के. पंवार थे। इस समिति का कार्य राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में बने नवीन जिलों व संभागों की समीक्षा करना था। 

●   ललित के. पंवार समिति ने अपनी रिपोर्ट अध्यक्ष मदन दिलावर (पूर्व में अध्यक्ष प्रेमचंद बैरवा) के नेतृत्व में गठित मंत्रिमण्डलीय उपसमिति को अपनी रिपोर्ट पेश/सौंप दी।

●   मंत्रिमण्डलीय उपसमिति के सदस्य – 

(i)        अध्यक्ष – मदन दिलावर (पूर्व में अध्यक्ष प्रेमचंद बैरवा)

(ii)       राज्यवर्धन सिंह राठौंड 

(iii)      कन्हैयालाल चौधरी 

(iv)     हेमंत मीणा 

(v)      सुरेश सिंह रावत 

●   वर्तमान सरकार (भजनलाल सरकार) ने रामलुभाया समिति की सिफारिश की समीक्षा के लिए एक नवीन समिति ललित के. पंवार की अध्यक्षता में गठित की गई। जिसकी सिफारिश पर 28 दिसम्बर, 2024 को 9 जिलों व 3 संभागों को रद्द कर दिया गया जिसकी अधिसूचना 29 दिसम्बर, 2024 को जारी की गई। 

राजस्थान के संभाग :-

●   राजस्थान में संभागीय व्यवस्था की शुरुआत वर्ष 1949 में हीरालाल शास्त्री सरकार द्वारा की गई। तब राजस्थान में 5 संभाग– जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर थे। 

●   वर्ष 1962 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहनलालसुखाड़िया ने संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया तथा 15जनवरी, 1987 को हरिदेव जोशी ने संभागीय व्यवस्था को पुन: शुरू किया और अजमेर को छठा संभाग बनाया।

●   सातवाँ संभाग भरतपुर है, इसकी घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया ने 04 जून, 2005 को की। 

संभागों के पुनर्गठन के पश्चात् 7 संभागों का क्षेत्राधिकार 

क्र.सं.

संभाग

जिला

1.

अजमेर

अजमेर

भीलवाड़ा

ब्यावर

डीडवाना-कुचामन

नागौर 

टोंक

2.

बीकानेर

बीकानेर

चूरू

हनुमानगढ़

श्रीगंगानगर

3.

भरतपुर

भरतपुर

डीग

धौलपुर

करौली 

सवाई माधोपुर

4.

जयपुर

जयपुर

अलवर

दौसा

कोटपूतली-बहरोड़

खैरथल-तिजारा

झुंझुनूँ

सीकर

5.

जोधपुर

जोधपुर

बाड़मेर

बालोतरा

जैसलमेर

जालौर

पाली 

फलौदी 

सिरोही

6.

कोटा

कोटा 

बाराँ

बून्दी

झालावाड़

7.

उदयपुर

उदयपुर

बाँसवाड़ा

चित्तौड़गढ़

डूँगरपुर

प्रतापगढ़

राजसमन्द

सलूम्बर

●   ललित के. पंवार समिति की सिफारिश पर वर्तमान सरकार ने 3 संभाग रद्द किए गए –

क्र.सं.

जिले

1.

बाँसवाड़ा

2.

पाली 

3.

सीकर

●   राजस्थान में सर्वाधिक जिलों वाले संभाग  जोधपुर (8) जयपुर(7) व उदयपुर (7) हैं।

●   राजस्थान में  न्यूनतम जिलों वाले संभाग – कोटा (4) व बीकानेर (4) हैं।

●   सर्वाधिक तीन राज्यों की सीमा बनाने वाला संभाग – भरतपुर। (हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश)

●   राज्य का मध्यवर्ती संभाग – अजमेर व सर्वाधिक नदियों वाला संभाग कोटा है।

राजस्थान के जिले :-

●   एकीकरण के समय सबसे अन्त में सम्मिलित होने वाला जिला अजमेर था, जिसे 26वें जिले के रूप में मान्यता मिली।

●   33वाँ जिला प्रतापगढ़ है, इसके निर्माण के लिए परमेशचन्द्र कमेटी का गठन किया गया था।

जिलोंकीसंख्या

नाम

अलग

दिनांक

मुख्यमंत्री

26 वाँ

अजमेर

1 नवम्बर, 1956

मोहनलाल सुखाड़िया

27 वाँ

धौलपुर

भरतपुर

15 अप्रैल, 1982

शिवचरण माथुर

28 वाँ

बारां

कोटा

10 अप्रैल, 1991

भैरोंसिंह शेखावत

29 वाँ

दौसा

जयपुर

30 वाँ

राजसमंद

उदयपुर

31 वाँ

हनुमानगढ़

श्रीगंगानगर

12 जुलाई, 1994

भैरोंसिंह शेखावत

32 वाँ

करौली

सवाई माधोपुर

19 जुलाई, 1997

भैरोंसिंह शेखावत

33 वाँ

प्रतापगढ़

चित्तौड़गढ़, उदयपुर व बाँसवाड़ा

26 जनवरी, 2008

वसुन्धरा राजे

●   ललित के. पंवार समिति की सिफारिश पर वर्तमान सरकार ने 8 जिले यथावत् रखे –

जिलोंकीसंख्या

नाम

अलग

दिनांक

मुख्यमंत्री

34 वाँ

बालोतरा

बाड़मेर

7 अगस्त, 2023

अशोक गहलोत

35 वाँ

ब्यावर

अजमेर, पाली, राजसमंद, भीलवाड़ा

7 अगस्त, 2023

अशोक गहलोत

36 वाँ

डीग

भरतपुर

7 अगस्त, 2023

अशोक गहलोत

37 वाँ

डीडवाना-कुचामन

नागौर 

7 अगस्त, 2023

अशोक गहलोत

38 वाँ

खैरथल- तिजारा

अलवर

7 अगस्त, 2023

अशोक गहलोत

39 वाँ

कोटपुतली-बहरोड़ 

जयपुर व अलवर

7 अगस्त, 2023

अशोक गहलोत

40 वाँ

फलौदी

जोधपुर  

7 अगस्त, 2023

अशोक गहलोत

41 वाँ

सलूम्बर

उदयपुर

7 अगस्त, 2023

अशोक गहलोत

नोट :   राजस्थान सरकार के राजस्व विभाग द्वारा 05 अगस्त, 2023 को जारी अधिसूचना के अनुसार जोधपुर जिलें का पुनर्गठन कर फलौदी जिला बनाया गया हैं।

●   ललित के. पंवार समिति की सिफारिश पर वर्तमान सरकार ने 9 जिले रद्द किए गए – 

क्र.सं.

जिले

1.

अनूपगढ़ 

2.

दूदू

3.

गंगापुर सिटी 

4.

जयपुर ग्रामीण

5.

जोधपुर ग्रामीण

6.

केकड़ी

7.

नीम का थाना

8.

सांचौर

9.

शाहपुरा

राजस्थान के भौगोलिक विशेषताओं वाले क्षेत्र एवं उनके उपनाम :-

●   कांठल- माही नदी के क्षेत्र को। 

●   शेखावाटी- झुंझुनूँ, चूरू, सीकर जिलों को शेखावाटी के नाम से जाना जाता है।

●   ढूँढाड़- जयपुर व उसके आस-पास का क्षेत्र (ढूँढ नदी के समीपवर्ती भाग)।

●   वल्ल और दुंगल- जैसलमेर क्षेत्र।

●   थली- चूरू, सरदार शहर का क्षेत्र।

●   छप्पन का मैदान- प्रतापगढ़ एवं बाँसवाड़ा के मध्य भू-भाग को छप्पन का मैदान कहा जाता है क्योंकि इस भू-भाग में छप्पन गाँवों अथवा नदी-नालों का समूह हैं।

●   मेवल  देवलिया- बाँसवाड़ा और डूँगरपुर के मध्य का भू-भाग है। 

●   मत्स्य प्रदेशयह जनपद अलवर एवं जयपुर के मध्य स्थित है।

●   यौद्धेय- श्रीगंगानगर के निकट का प्रदेश।

●   चन्द्रावती- सिरोही-आबू का क्षेत्र।

●   हयाहय- कोटा-बूँदी का क्षेत्र।

●   वागड़- डूँगरपुर, बाँसवाड़ा का क्षेत्र।

●   अहिच्छत्रपुर- नागौर के चारों ओर का क्षेत्र। 

राजस्थान की उत्पत्ति :-

●   महाद्वीपीय - विस्थापन का सिद्धांत वेगनर ने दिया।

●   वेगनर ने बताया कि सर्वप्रथम पृथ्वी पर एक ही भू-भाग था।

●   इस भू-भाग का नाम ‘पेंजिया’ था तथा इसके चारों ओर जलीय आकृति ‘पेंथालासा’ थी।

●   प्री-कैम्ब्रियन काल में इस पेंजिया का विखण्डन हो गया तथा जिस टुकड़े का खिंचाव उत्तर की ओर हुआ उसे ‘अंगारा लैंड’ तथा जिसका खिंचाव दक्षिण की ओर हुआ उसे ‘गौण्डवाना लैंड’ नाम दिया गया।

●   अंगारा लैंड तथा गौंडवाना लैंड के बीच में स्थित जलीय -आकृति को वेगनर ने ‘टेथिस महासागर’ नाम दिया था।

●   राज्य की उत्पत्ति में अंगारा लैंड का कोई योगदान नहीं है।

●   राजस्थान का उत्तर-पश्चिम मरुस्थलीय प्रदेश टेथिस-महासागर के अवशेष हैं।

●   अरावली पर्वतीय प्रदेश व दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग गौंडवाना लैंड के अवशेष हैं।

●   टेथिस सागर के अवशेष के रूप में ‘सांभर’, ‘डीडवाना’, ‘पचपदरा’ खारे पानी की झीलें तथा समुद्री खनिज के रूप में ‘जिप्सम’, ‘लाइमस्टोन’, ‘लिग्नाइट कोयला’, ‘तेल व प्राकृतिक गैस’ भी इसके अवशेष हैं। पूर्वी-मैदानी भाग भी टेथिस-महासागर का अवशेष हैं।

●   राजस्थान में अधिकांशत: स्थलाकृतियों के निर्माण में टेथिस महासागर का योगदान है।

●   राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्रों का निर्माण ‘मरु’, ‘मेरु’ माल’ से हुआ है।

-     मरु – उत्तरी – पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश।

-     मेरु – अरावली पर्वतमाला।

-     माल – हाड़ौती पठार।

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