राजस्थान का साहित्य
विजयदान देथा | बातां री फूलवारी, दुविधा, उलझन, अलेखूं हिटलर, सपनप्रिया, अंतराल |
हरिश भादाणी | बोलै सरणाटौ, बाथां में भूगोल |
मणि मधुकर | सोजती गेट, पगफेरो |
चन्द्र प्रकाश देवल | पागी, कावड़, मारग |
अर्जुन देव चारण | रिन्दरोही |
मेघराज मुकूल | सैनाणी |
सत्य प्रकाश जोशी | राधा |
नथमल जोशी | आभैपटकी, धोरां रौ धोरी, एक बीनणी दो बीन |
यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ | जमारो, समन्द अर थार (उपन्यास - हूँ गोरी किण पीव री, जोग-संजोग, चान्दा सेठाणी ) |
लक्ष्मी कुमारी चूण्डावत | मांझल रात, अमोलक वातां, मूमल, गिर ऊंचा ऊंच गढ़ा, कै रे चकवा बात |
पारस आरोड़ा | जुड़ाव |
गोरधन सिंह शेखावत | गाँव |
मालचंद तिवाड़ी | उतरियो है आभौ |
श्रीधर व्यास | रणमल्ल छंद |
माधोदास दधवाड़िया | रामरासो |
ईसरदास | हरिरस, देवियांण |
सायांजी झूला | नागदमण |
पृथ्वीराज विजय | जयानक – चौहानों के इतिहास एवं अजमेर के विकास पर प्रकाश डालता है। |
हम्मीर महाकाव्य | नयनचंद सूरी – अलाउद्दीन खिलजी की रणथम्भौर विजय पर प्रकाश डालता है। |
अचलदास खींची री वचनिका | शिवदास गाडण (चम्पू काव्य) – गागरोन के शासक अचलदास और मालवा के सुल्तान होशंगशाह गौरी के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है। |
अजितोदय | भट्ट जगजीवन – मारवाड़ के शासक अजीतसिंह के शासन पर प्रकाश डालती है। |
अमरसार | पण्डित जीवधर – महाराणा प्रताप और अमरसिंह के शासनकाल एवं तत्कालीन जनजीवन का सुंदर चित्रण करता है। |
एकलिंग महात्म्य | कान्ह व्यास – मेवाड़ महाराणाओं की वंशावली के लिए उपयोगी है। कुछ विद्वान कुंभा को इस ग्रंथ का रचयिता मानते हैं। |
अमीरनामा | मुंशी भुसावन लाल – टोंक के नवाब अमीर खाँ पिण्डारी के जीवन से संबंधित है। |
कर्मचन्द्र वंशोत्कीर्तनकंकाव्यम् | जयसोम – बीकानेर के शासकों के वैभव एवं विद्यानुरागी की जानकारी देता है। |
कान्हड़दे प्रबंध | कवि पद्मनाभ – जालोर के चौहान शासक कान्हड़देव एवं अलाउद्दीन खिलजी के मध्य हुए युद्ध पर प्रकाश डालता है। |
कुवलयमाला | जैन आचार्य उद्योतन सूरी – प्रतिहार शासक वत्सराज के शासन प्रबंध की जानकारी मिलती है। |
क्यामखाँ रासो | कवि जान – यह ग्रंथ चौहानों को वत्सगौत्रीय बताता है। |
खुमाण रासो | दौलत विजय – हल्दीघाटी के युद्ध के समय प्रताप शक्तिसिंह मिलन व महाराणा अमरसिंह के शासनकाल के दौरान मेवाड़ मुगल संबंधों पर प्रकाश डालता है। |
छत्रपति रासो | कवि काशी छंगाणी – बीकानेर का इतिहास है। 1642 ई. में बीकानेर के शासक कर्णसिंह और नागौर के शासक अमर सिंह के मध्य जाखणिया गाँव की सीमा को लेकर हुए युद्ध (मतीरे की राड़) का वर्णन भी है। |
नैणसी री ख्यात | इस ग्रंथ में मारवाड़ राज्य के साथ-साथ मालवा, बुंदेलखण्ड, मेवाड़, आमेर, बीकानेर, किशनगढ़ आदि राज्यों के इतिहास का विवेचन किया है। इस ग्रंथ की शैली अकबरनामा समान होने के कारण मुंशी देवी प्रसाद ने मुहणोत नैणसी को ‘राजपूताने के अबुल-फजल’ की संज्ञा दी है। |
दयालदास की ख्यात | यह ख्यात बीकानेर के इतिहास पर प्रकाश डालती है। |
पृथ्वीराज रासो | चन्दबरदाई – यह हिन्दी का पहला महाकाव्य माना जाता है। इस ग्रंथ में राजपूतों की उत्पत्ति आबू के अग्निकुण्ड से बताई गई है। पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल एवं तराइन के युद्धों की जानकारी मिलती है। |
पद्मावत | मलिक मोहम्मद जायसी – यह हिंदी का महत्त्वपूर्ण काव्य है। इससे अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण पर प्रकाश पड़ता है। |
पाबू प्रकाश | मोडा आशिया – यह ग्रंथ पाबूजी के जीवन पर प्रकाश डालता है। |
प्रताप रासो | जाचक जीवण – इस ग्रंथ में अलवर की स्थापना करने वाले राव राजा प्रतापसिंह के जीवन की जानकारी मिलती है। |
प्रबंध चिन्तामणि | आचार्य मेरुतुंग – पृथ्वीराज चौहान के शासन प्रबंधन की जानकारी मिलती है। |
बुद्धि विलास | शाह बखतराम – इस ग्रंथ में जयपुर की स्थापना एवं जयपुर नगर निर्माण योजनाओं की आँखों देखी जानकारी देता है। |
मानचरित्र रासो | कवि नरोत्तम – यह ग्रंथ महाराजा मानसिंह प्रथम और हल्दीघाटी के युद्ध की जानकारी देता है। |
मारवाड़ रा परगना री विगत | मुहणोत नैणसी – इस ग्रंथ में जोधपुर राज्य के 6 परगनों का इतिहास एवं प्रशासनिक प्रबंधन का वर्णन है। |
हम्मीर हठ | चन्द्रशेखर - रणथम्भौर के शासक हम्मीर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालता है। |
राजरूपक | कवि वीर भाण रत्नू – कवि द्वारा यह ग्रंथ जोधपुर के नरेश अभयसिंह के आदेश से लिखा गया है। |
हम्मीररायण | भाण्डउ व्यास – रणथम्भौर के शासक हम्मीर के बारे में जानकारी देता है। |
बावजी चतुरसिंह | अलख पचीसी, अनुभव प्रकाश, चतुर प्रकाश, चतुर चिंतामणि, समाज बत्तीसी |
चन्द्रसिंह बिरकाली | बादली, साँझ, कह मुकरणी, बालसाद, लू |
सगत रासो | गिरधर आसिया – यह ग्रंथ मेवाड़ के इतिहास एवं हल्दीघाटी के युद्ध एवं शक्तिसिंह के वंशजों पर प्रकाश डालता है। |
सूरज प्रकाश | करणीदान – इस काव्य में राठौड़ों की 13 शाखाओं को उल्लेख मिलता है। |
हम्मीर रासो | जोधराज – रणथम्भौर के चौहान शासक हम्मीर एवं अलाउद्दीन खिलजी के मध्य हुए युद्ध का वर्णन मिलता है। |
वंश भास्कर | सूर्यमल्ल मीसण – इस काव्य में बूँदी के इतिहास के साथ-साथ राजस्थान एवं भारत के इतिहास का विवेचन मिलता है। यह काव्य राजस्थान में मराठों की गतिविधियों एवं कृष्णाकुमारी के विषपान का उल्लेख करता है। |
वीर विनोद | श्यामलदास – इस ग्रंथ में मेवाड़ का इतिहास है। इसमें मेवाड़ राजवंश की उत्पत्ति राम के पुत्र कुश से बताई गई है। |
बाँकीदास की बातां | कवि बाँकीदास – मारवाड़ राज्य के दरबारी कवि बांकीदास ने डिंगल भाषा में छोटी-छोटी 2000 बातें लिखी, जिससे चौहान, हाड़ा, गहलोत एवं राठौड़ आदि वंशों का इतिहास पता चलता है। |
राजविनोद | सदाशिव भट्ट का यह ग्रंथ बीकानेर नरेश राव कल्याणमल के शासनकाल की जानकारी देता है। |
राव जैतसी रो छन्द | बीठू सूजा – यह ग्रंथ बीकानेर के शासकों-बीका, लूणकरण और जैतसी (1526-1541 ई.) के शासनकाल की जानकारी देता है। |
बीसलदेव रासो | नरपति नाल्ह की यह रचना अजमेर के शासक विग्रहराज चतुर्थ (वीसलदेव) के शासनकाल (1158-1163 ई.) की जानकारी उपलब्ध करवाती है। |
राजप्रकास
| किशोरदास रचित इस ग्रंथ में मेवाड़ राजवंश की उत्पत्ति राम के ज्येष्ठ पुत्र लव से बताई गई है। लेखक हल्दीघाटी युद्ध में राणा प्रताप की विजय बताता है तथा मेवाड़-मुगल संधि (1615 ई.) में अमरसिंह की उदासीनता और कर्णसिंह की सक्रियता का उल्लेख करता है। |
राजरत्नाकर | सदाशिव रचित यह ग्रंथ महाराणा राजसिंह (1652-1680 ई.) के शासनकाल की जानकारी का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। |
राजवल्लभ | शिल्पी मण्डन – महाराणा कुम्भा के दरबारी विरचित यह ग्रंथ पन्द्रहवीं शताब्दी की वास्तुकला, नगर द्वार, दुर्ग, राजप्रासाद, मंदिर, बाजार आदि की निर्माण पद्धति का विवरण देता है। |
समराइच्चकहा | जैन आचार्य हरिभद्र सूरि द्वारा लिखे (987 ई.) इस ग्रंथ से राजस्थान के जन-जीवन के विविध पक्षों की जानकारी मिलती है। |
कवि सूर्यमल्ल मीसण
● इनका जन्म 19 अक्टूबर, 1815 को बूँदी के हिरणा गाँव में हुआ था।
● यह बूँदी के शासक राव राजा रामसिंह के दरबारी कवि थे।
● इन्होंने 10 वर्ष की अल्पायु में रामरंजाट नामक रचना लिखी।
● इन्होंने बूँदी नरेश रामसिंह की इच्छा पर वंश भास्कर लिखना शुरू किया था, मगर उसे पूरा नहीं कर पाए। इस ग्रंथ को मुरारीदान ने पूरा किया था।
● सूर्यमल्ल मीसण ने अपने जीवनकाल में चार ग्रंथों की रचना की। वंश भास्कर, रामरंजाट, बलवंत विलास, वीर सतसई
● 30 जून, 1868 को इनका देहांत हो गया।
विजयदान देथा
● इनको ‘बिज्जी’ उपनाम से जाना जाता है।
● इनका जन्म 1 सितंबर, 1926 को जोधपुर जिले के बोरुंदा गाँव में चारण परिवार में हुआ।
● इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ – बातां री फुलवारी, बापू के तीन हत्यारे, चौधरायन की चतुराई, दुविधा, अलेखूँ हिटलर,
● यह रूपायन संस्थान बोरुंदा के सह-संस्थापक भी है।
● 1947 में इनको केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।
● 1992 ई. में भारतीय भाषा परिषद् पुरस्कार दिया गया।
● 2002 ई. में बिहारी पुरस्कार दिया गया।
● वर्ष 2006 में साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार दिया गया।
● वर्ष 2007 में पद्मश्री एवं 2012 में राजस्थान रत्न से सम्मानित किया गया।
● इनकी एक लोक कथा पर मणि कौल ने पहले दुविधा फिल्म बनाई इसी कथा पर अमोल पालेकर ने पहेली नामक फिल्म बनाई।
कन्हैयालाल सेठिया
● इनका जन्म 11 सितंबर, 1919 को सुजानगढ़, चूरू में हुआ।
● सुजानगढ़ व कलकत्ता में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वर्ष 1934 में वह गाँधी जी के सम्पर्क में आए।
● वर्ष 1941 में इनका पहला काव्य संग्रह वनफूल प्रकाशित हुआ।
● देश प्रेम और राष्ट्रीयता से ओतप्रोत काव्यसंग्रह अग्निवीणा के कारण इन पर राजद्रोह का आरोप लगा।
● वर्ष 1945 में बीकानेर प्रजा परिषद् के प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में सेठिया ने सामंतवाद का विरोध करते हुए कूण जीमन रो धणी कविता के माध्यम से कृषक समुदाय को जागृत किया।
● इनको अपनी साहित्यिक रचनाओं के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
● वर्ष 1976 में इन्हें अपनी कृति लीलटांस के लिए केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा पुरस्कृत किया गया।
● वर्ष 1988 में इन्हें निर्ग्रन्थ के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
● वर्ष 1987 में इन्हें सबद के लिए सूर्यमल्ल मीसण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
● सतवादी के लिए टाटिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
● वर्ष 2004 में उन्हें पद्मश्री एवं 2012 में राजस्थान रत्न सम्मान से नवाजा गया।
● 1 नवम्बर, 2008 को कलकत्ता में इनका देहांत हो गया।
गौरीशंकर हीराचंद ओझा
● इनका जन्म 1863 ई. में रोहिड़ा गाँव, सिरोही में हुआ।
● प्राचीन लिपि का अच्छा ज्ञान होने के कारण इन्होंने भारतीय प्राचीन लिपिमाला नामक ग्रंथ की रचना की।
● अंग्रेजों द्वारा इन्हें महामहोपाध्याय एवं रायबहादुर की उपाधि प्रदान की।
● इन्होंने राजस्थान की कई रियासतों का इतिहास लिखकर उसे समृद्ध बनाया।
कवि राजा श्यामलदास
● इनका जन्म 1836 ई. में धोकलिया गाँव भीलवाड़ा में हुआ।
● यह मेवाड़ महाराणा शम्भूसिंह एवं उनके पुत्र महाराणा सज्जनसिंह के दरबारी कवि थे।
● महाराणा शम्भूसिंह के आदेश पर इन्होंने मेवाड़ राज्य का इतिहास लिखना शुरू किया, जो वीर-विनोद नामक ग्रंथ में संकलित है।
● ब्रिटिश भारत सरकार ने इन्हें केसर-ए-हिन्द की उपाधि दी।
● मेवाड़ महाराणा ने इनको कविराजा की उपाधि से विभूषित किया।
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