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केन्द्रीय बजट 2025-26

केन्द्रीय बजट 2025-26

• 01 फरवरी, 2025 को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2025-26 के लिए 18वीं लोकसभा चुनाव के बाद दूसरा केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया।
• वित्तमंत्री सीतारमण ने 08वीं बार बजट पेश किया।
बजट की विषय-वस्तु 
• हमारे लिए विकसित भारत में शामिल हैं-
क) गरीबी से मुक्ति;
ख) शत प्रतिशत अच्छे स्तर की स्कूली शिक्षा;
ग) बेहतरीन, सस्ती और सर्वसुलभ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच;
घ) शत-प्रतिशत कुशल कामगार के साथ सार्थक रोजगार;
ङ) आर्थिक गतिविधियों में सत्तर प्रतिशत महिलाएँ; और
च) देश को ‘फूड बास्केट ऑफ द वर्ल्ड’ बनाने वाले किसान।
• इस बजट में, प्रस्तावित विकास उपाय गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी को ध्यान में रखकर दस व्यापक क्षेत्रों तक फैला हुआ है।

1) कृषि के विकास और उत्पादकता को गति प्रदान करना;2) ग्रामीण संपन्नता और अनुकूलन निर्माण;
3) समावेशी प्रगति के पथ पर सबको साथ लेकर चलना;4) भारत में विनिर्माण बढ़ाना और मेक इन इंडिया को और आगे ले जाना;
5) MSME को सहायता देना;6) रोजगार द्वारा विकास को समर्थ बनाना;
7) जनता, अर्थव्यवस्था और नवाचार में निवेश करना;8) ऊर्जा आपूर्तियाँ सुनिश्चित करना;
9) निर्यात को बढ़ावा देना; और10) नवाचार को पोषित करना।

बजट का उद्देश्य

• इस बजट का उद्देश्य 6 क्षेत्रों में परिवर्तनकारी सुधार करना है। इनसे अगले 5 वर्ष की अवधि के दौरान हमारी विकास क्षमता और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा  क्षमता बढ़ेगी। ये क्षेत्र हैं:
1) कराधान
2) विद्युत क्षेत्र
3) शहरी विकास
4) खनन 
5) वित्तीय क्षेत्र
6) विनियामक सुधार।

प्रथम इंजन – कृषि

कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान
प्रधानमंत्री  धन-धान्य कृषि योजना – विकासशील कृषि जिला

कार्यक्रम
• आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता से प्रेरणा लेते हुए सरकार राज्यों की भागीदारी से ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ का शुभारंभ करेगी।
इसका उद्देश्य
• 100 जिलों को शामिल कर कृषि उत्पादकता बढ़ाना
• फसल विविधता और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाना
• भंडारण और सिंचाई सुविधाओं में सुधार
• लघु और दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध करवाना
• 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की संभावना
ग्रामीण संपन्नता और अनुकूलन निर्माण
• ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कौशल, निवेश और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा
• प्रवासी मजदूरों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन
• ग्रामीण महिलाओं, युवा किसानों, ग्रामीण युवाओं, उपेक्षित और छोटे किसानों, और भूमिहीन परिवारों पर विशेष ध्यान
• पहले चरण में 100 कृषि जिलों में प्राथमिकता
दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन (6 वर्षीय योजना)
• तूर, उड़द और मसूर उत्पादन पर विशेष ध्यान
• कृषकों को सरकारी एजेंसियों (नेफेड व एनसीसीएफ) द्वारा खरीद की गारंटी
• केंद्रीय एजेंसियों (नेफेड और एनसीसीएफ) में पंजीकरण करने वाले किसानों से अगले 4 वर्षों में किसानों को दीर्घकालिक सुरक्षा (खरीद के रूप में) प्रदान की जाएगी।
सब्जियों और फलों के लिए व्यापक योजना
उद्देश्य-
• पोषण आवश्यकताओं के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहन  करना।
• उत्पादन, आपूर्ति शृंखला   और प्रसंस्करण का विस्तार किया जाएगा।
• इस योजना में किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और सहकारी समितियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना
• मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन में सुधार हेतु बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा।
• एफपीओ के माध्यम से किसानों को सहयोग
• लक्ष्य: सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुँचाना
राष्ट्रीय उच्च पैदावार बीज मिशन
उद्देश्य-
• अनुसंधान परिवेश को बढ़ावा देना
• जलवायु अनुकूलन और कीट प्रतिरोधी बीजों का विकास
• 2024 से 100 नई बीज किस्में वाणिज्यिक स्तर पर उपलब्ध करवाना
मत्स्य उद्योग 
• भारत मत्स्य उत्पादन और जलीय कृषि के क्षेत्र में विश्व भर में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
• समुद्री खाद्य निर्यात का मूल्य 60 हजार करोड़ रुपये है।
• अंडमान, लक्षद्वीप में गहरे समुद्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।
कपास उत्पादकता मिशन ( पंच-वर्षीय अवधि)
• कपास उत्पादकता मिशन’ से किसानों की आय और गुणवत्ता सुधार
• वस्त्र उद्योग के लिए 5F दृष्टिकोण (फार्म, फाइबर, फैक्ट्री, फैशन, फॉरेन)
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत् अधिक ऋण सुविधा
• 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को अल्पकालिक ऋणों का लाभ
• संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना के अंतर्गत - ऋण सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की जाएगी।
असम में यूरिया संयंत्र की स्थापना
• यह संयंत्र असम के नामरूप में स्थापित होगा।
• देश में उर्वरक उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाना
• पूर्वोत्तर में 12.7 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाला संयंत्र।
• इससे पहले देश में सरकार ने पूर्वी क्षेत्र में निष्क्रिय पड़े तीन यूरिया संयंत्रों में उत्पादन पुनः प्रारंभ किया है।
भारतीय डाक को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का उत्प्रेरक बनाना
• 1.5 लाख ग्रामीण डाकघरों वाले भारतीय डाक को भारतीय डाक पेमेंट बैंक और 2.4 लाख डाक सेवकों के विशाल नेटवर्क से ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाएँ हेतु तैयार किया जाएगा।
• भारतीय डाक पेमेंट बैंक और ई-कॉमर्स से जुड़ाव
• भारतीय डाक को विशाल सार्वजनिक लॉजिस्टिक संगठन के रूप में बदला जाएगा जिससे इससे विश्वकर्माओं, नए उद्यमियों, महिलाओं, स्व-सहायता समूहों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों तथा बड़े कारोबारी संगठनों की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।    
सहकारी क्षेत्र के लिए एनसीडीसी को सहायता
• सहकारी समितियों को वित्तीय मदद
• कृषि और ग्रामीण उद्योगों को मजबूती

दूसरा इंजन : सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME)

MSME का महत्त्व/ योगदान:
• 5.7 करोड़ MSME भारत के विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण अंग हैं।
• 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।
• भारतीय विनिर्माण में 36% और निर्यात में 45% योगदान।
MSME के विकास हेतु प्रमुख उपाय:
• वर्गीकरण मानदंड में संशोधन – निवेश और कारोबार की सीमाओं को क्रमशः 2.5 और 2 गुना तक बढ़ाया जाएगा ताकि वे अधिक व्यापक पैमाने पर दक्षता, प्रौद्योगिकीय उन्नयन और पूँजी तक बेहतर पहुँच की सुविधा पा सके।  
रुपये करोड़ में

 निवेशकारोबार
 पुरानी नई पुरानी नई 
सूक्ष्‍म उद्यम12.5510
लघु उद्यम102550100
मध्‍यम उद्यम50125250500

ऋण गारंटी कवर में वृद्धि:
• सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण सीमा 5 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक बढ़ाई गई।
• स्टार्ट-अप्स के लिए 10 करोड़ से 20 करोड़ रुपये तक की गारंटी बढ़ाई गई, जिसमें आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्त्वपूर्ण  27 प्रमुख क्षेत्रों में ऋणों के लिए गारंटी शुल्क कम करके 1 प्रतिशत किया जाएगा;
• उत्तम निर्यातक MSME के लिए 20 करोड़ रुपये तक का सावधि ऋण।
सूक्ष्म उद्यमों के लिए विशेष क्रेडिट कार्ड:
• 5 लाख रुपये तक की सीमा, पहले वर्ष में 10 लाख कार्ड जारी होंगे।
स्टार्ट-अप एवं उद्यमशीलता को बढ़ावा:
• स्टार्ट-अप निधि कोष में विस्तार – 10,000 करोड़ रुपये का नया अंशदान।
• पहली बार के उद्यमियों के लिए योजना – महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए 2 करोड़ रुपये तक का ऋण।
• इस योजना में सफल स्टैंड-अप इंडिया स्कीम से प्राप्त अनुभवों को शामिल किया जाएगा। उद्यमशीलता और प्रबंधकीय कौशलों के लिए ऑनलाइन क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
श्रम-सघन क्षेत्रों को सहायता –
• रोजगार सृजन के लिए नीतिगत पहल।
विशिष्ट क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन:
• फुटवियर और लेदर उद्योग– उत्पादन, डिजाइन, घटक निर्माण और मशीनों हेतु सहायता।
• इस स्कीम से 22 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलने, 4 लाख करोड़ रुपये का कारोबार और 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात होने की उम्मीद है।
• खिलौना उद्योग – भारत को 'वैश्विक खिलौना केंद्र' बनाने की योजना।
• खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र – बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना।
विनिर्माण मिशन 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा:
• राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन की स्थापना – लघु, मध्यम और बड़े उद्योगों के लिए सहायता।
• स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण – सौर ऊर्जा, ईवी बैटरियों, इलेक्ट्रोलाइजर, विंड टर्बाइन आदि के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा।

तीसरा इंजन: निवेश

1. लोगों में निवेश
•  सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण-2.0: 8 करोड़ बच्चों और 1 करोड़ गर्भवती व स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को पोषण सहायता।
•  अटल टिंकरिंग लैब्स: 5 वर्षों में 50,000 सरकारी स्कूलों में प्रयोगशालाओं की स्थापना।
•  ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी: सभी सरकारी माध्यमिक स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक ब्रॉडबैंड।
•  भारतीय भाषा पुस्तक योजना: डिजिटल भारतीय भाषा पुस्तकों की उपलब्धता।
•  राष्ट्रीय कौशल उत्कृष्टता केंद्र: वैश्विक विशेषज्ञता के साथ 5 उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना।
•  इस भागीदारी में पाठ्यक्रम डिजाइन, प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, कौशल प्रमाणन फ्रेमवर्क और आवधिक समीक्षा को शामिल किया जाएगा।
•  आईआईटी क्षमता विस्तार: 5 नए आईआईटी में अवसंरचना वृद्धि, 6,500 छात्रों के लिए अतिरिक्त सीटें।
• AI में उत्कृष्टता केंद्र: 500 करोड़ रुपये के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता केंद्र।
• चिकित्सा शिक्षा का विस्तार: अगले 5 वर्षों में 75,000 नई सीटों का लक्ष्य।
• डे-केयर कैंसर केंद्र: 3 वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में केंद्रों की स्थापना।
• शहरी आजीविका सुधार: गरीबों और कमजोर वर्ग के लिए आय और जीवन स्तर सुधार योजनाएँ।
• पीएम स्वनिधि योजना: स्ट्रीट वेंडर्स को सस्ते ऋण और यूपीआई लिंक्ड क्रेडिट कार्ड।
• ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा: 1 करोड़ गिग वर्कर्स को पीएम जन आरोग्य योजना के तहत् स्वास्थ्य सेवा।
2. अर्थव्यवस्था में निवेश
• अवसंरचना में पीपीपी: प्रत्येक मंत्रालय 3 वर्षीय परियोजनाओं को पीपीपी मोड में लाएगा।
• राज्यों को वित्तीय सहायता: 50 वर्ष की अवधि वाले ब्याज मुक्त ऋणों हेतु 1.5 लाख करोड़ रुपये का परिव्यय।
• परिसंपत्ति मौद्रीकरण योजना:2025-30: 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश की नई योजना।
• जल जीवन मिशन: 2028 तक 100% कवरेज का लक्ष्य, ग्रामीण जल सेवा को सुधार हेतु बढ़ाया गया।
• शहरी क्षेत्र सुधार1 लाख करोड़ रुपये की शहरी चुनौती निधि।
वर्ष 2025-26 के लिए 10,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव है।
• विद्युत क्षेत्र सुधार: बिजली वितरण और अंतर-राज्य ट्रांसमिशन क्षमता में वृद्धि।
• परमाणु ऊर्जा मिशन: 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा का लक्ष्य, 20,000 करोड़ रुपये का निवेश।
• पोत निर्माण- लागत संबंधी हानियों के समाधान के लिए पोत निर्माण वित्तीय सहायता नीति को नवीकृत किया जाएगा।
• सामुद्रिक विकास निधि: 25,000 करोड़ रुपये की निधि, सामुद्रिक विकास निधि स्थापित की जाएगी।
• इसमें सरकार द्वारा 49 प्रतिशत तक अंशदान किया जाएगा और शेष राशि पत्तनों और निजी क्षेत्र से जुटाई जाएगी।
• उड़ान योजना: के अंतर्गत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को 10 वर्षों में 120 नए गंतव्यों तक बढ़ाना।
• बिहार ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट: बिहार में नए एयरपोर्ट और ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट के विस्तार की योजना।
• पश्चिमी कोशी नहर परियोजना: बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में 50,000 हैक्टेयर भूमि की सिंचाई सुविधा।
• खनन क्षेत्र सुधार: खनन सुधार नीति और अवशिष्ट पदार्थों से खनिज प्राप्त करने की योजना।
• स्वामिह निधि 2: मिश्रित वित्तपोषण के द्वारा 15,000 करोड़ रुपये की निधि से 1 लाख नए आवासीय इकाइयों के निर्माण करवाया जाएगा।
• पीएम गति शक्ति पोर्टल: निजी क्षेत्र को अवसंरचना डेटा उपलब्ध कराने की योजना।
• पर्यटन क्षेत्र में सुधार: 50 पर्यटन स्थलों का विकास, होमस्टे के लिए मुद्रा लोन, ई-वीजा सुधार।
• भारत में चिकित्सा पर्यटन: स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी भागीदारी और मेडिकल टूरिज्म का विस्तार।
3. नवाचार में निवेश
• अनुसंधानविकास और नवाचार: 20,000 करोड़ रुपये का निवेश।
• डीप टेक निधियों का कोष: अगली पीढ़ी के स्टार्टअप के लिए वित्तीय सहायता।
• पीएम अनुसंधान अध्येतावृत्ति: IIT/IISc के लिए 10,000 नई स्कॉलरशिप।
• फसल जर्मप्लाज्म जीन बैंक: 10 लाख जर्मप्लाज्म लाइनों के साथ दूसरा जीन बैंक।
• राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन: बुनियादी भू-स्थानिक डेटा और अवसंरचना का आधुनिकीकरण।
• ज्ञान भारतम मिशन: 1 करोड़ पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण व  भारतीय ज्ञान प्रणाली का संग्रह स्थापित किया जाएगा।

चौथा इंजन : निर्यात

निर्यात संवर्द्धन मिशन
• उद्देश्य: क्षेत्रीय और मंत्रालयी लक्ष्यों के अनुरूप निर्यात को बढ़ावा देना।
• संबंधित मंत्रालय: वाणिज्य मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, वित्त मंत्रालय।
मुख्य लाभ:
• निर्यात ऋण तक आसान पहुँच।
• क्रॉस-बॉर्डर फैक्टरिंग सहायता।
• एमएसएमई को विदेशी बाजारों में गैर-टैरिफ बाधाओं से बचाव।
भारत ट्रेडनेट (BTN) - डिजिटल व्यापार अवसंरचना
• यह एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना है, जो व्यापार प्रलेखीकरण और वित्तपोषण को एकीकृत करेगी।
प्रभाव
• अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सरल और सुव्यवस्थित करेगा।
• एकीकृत लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफार्म में सहयोग।
• अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप व्यापार प्रक्रिया।
वैश्विक आपूर्ति 'शृंखला’ से एकीकरण
लक्ष्य: भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक आपूर्ति शृंखला   के साथ जोड़ना।
मुख्य पहल:
• घरेलू विनिर्माण क्षमताओं का विकास।
• वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर प्रमुख क्षेत्रों की पहचान।
• वरिष्ठ अधिकारियों व उद्योग प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ सुविधा समूहों का गठन।
प्रभाव:
 इंडस्ट्री 4.0 के अवसरों का लाभ।
• भारतीय युवाओं के लिए उच्च-कौशल वाले रोजगार।
• घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उद्योग को सहायता।
जीसीसी (Global Capability Centers) के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क
• उद्देश्य: टियर-2 शहरों में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCCs) को बढ़ावा देना।
प्रमुख तत्त्व:
• राज्यों को मार्गदर्शन प्रदान करना।
• प्रतिभा और अवसंरचना की उपलब्धता को बढ़ाना।
• भवन-उपनियम सुधारों और उद्योग सहयोग के लिए तंत्र विकसित करना।
एयर कार्गो भंडारण सुविधा
• लक्ष्य: उच्च-मूल्य के शीघ्र खराब होने वाले बागवानी उत्पादों के लिए एयर कार्गो सुविधाओं को उन्नत करना।
प्रमुख कदम:
• एयर कार्गो अवसंरचना और भंडारण में सुधार।
• कार्गो जाँच और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
• प्रयोक्ता अनुकूल प्रक्रियाएँ अपनाना।

ईंधन के रूप में सुधार
कर सुधार
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
• अप्रत्यक्ष कर निर्धारण में सुधार।
• करदाता चार्टर की स्थापना।
• त्वरित विवरणी (रिटर्न) प्रणाली।
• 99% स्व-कर निर्धारण।
• विवाद से विश्वास योजना।
आगामी सुधार:
• "पहले विश्वास, बाद में जाँच" सिद्धांत की पुनः पुष्टि।
• नया आयकर विधेयक प्रस्तुत करने की योजना।
 वित्तीय क्षेत्र में सुधार और विकास
 बीमा क्षेत्र में एफडीआई
• विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% की जाएगी।
• यह उन कंपनियों के लिए होगा जो भारत में संपूर्ण प्रीमियम का निवेश करेगी।
• मौजूदा प्रतिबंधों और सीमाओं की समीक्षा कर उन्हें सरल बनाया जाएगा।
डाक भुगतान बैंक सेवाओं का विस्तार
 ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ पहुँचाने के लिए भारतीय डाक भुगतान बैंक (IPPB) का विस्तार किया जाएगा।
NABFID (एनएबीएफआईडी) द्वारा ऋण संवर्द्धन सुविधा
• इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए कार्पोरेट बॉण्ड हेतु आंशिक ऋण संवर्द्धन   सुविधा स्थापित की जाएगी।
ग्रामीण क्रेडिट स्कोर
• सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एसएचजी (Self Help Groups) और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए क्रेडिट स्कोर फ्रेमवर्क विकसित करेंगे।
पेंशन सुधार
• पेंशन उत्पादों के समन्वय और विकास हेतु एक फोरम की स्थापना होगी।
केवाईसी (KYC) का सरलीकरण
• 2025 में केंद्रीय केवाईसी रजिस्ट्री का पुनरुद्धार किया जाएगा।
• आवधिक अपडेट की सुव्यवस्थित प्रणाली लागू की जाएगी।
कंपनियों का विलय
• विलय की प्रक्रियाओं को सरल और तेज़ बनाया जाएगा।
• शीघ्र विलय के दायरे को विस्तारित किया जाएगा।
द्विपक्षीय निवेश संधियाँ (BITs)
• 2024 में दो देशों के साथ नए द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs) पर हस्ताक्षर किए गए।
• "First Develop India" की भावना को अपनाते हुए मौजूदा BIT मॉडल का पुनरुद्धार किया जाएगा।
• इसे अधिक निवेशक-अनुकूल बनाया जाएगा।
विनियामक सुधार
व्यवसाय करने की सुगमता
• वित्तीय और गैर-वित्तीय क्षेत्रों में पुराने नियमों को अद्यतन किया जाएगा।
• नवाचार और वैश्विक नीतिगत विकास के साथ विनियमों को सामंजस्य में लाया जाएगा।
उच्च स्तरीय विनियामक सुधार समिति
• गैर-वित्तीय क्षेत्र से संबंधित सभी विनियमों की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय समिति बनाई जाएगी।
• निरीक्षण और अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाने पर ध्यान दिया जाएगा।
• राज्यों को भी इस प्रयास में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
राज्यों का निवेश अनुकूल सूचकांक
• 2025 में राज्यों के लिए निवेश अनुकूलता सूचकांक लॉन्च किया जाएगा।
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) तंत्र
• वर्तमान वित्तीय विनियमों और सहायक अनुदेशों के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक नया तंत्र विकसित किया जाएगा।
जन विश्वास विधेयक 2.0
• 100 से अधिक कानूनी प्रावधानों को गैर-आपराधिक घोषित किया जाएगा।
• 2023 के जन विश्वास अधिनियम में पहले ही 180 प्रावधान गैर-आपराधिक बनाए जा चुके हैं।
राजकोषीय नीति-राजकोषीय सुदृढ़ीकरण
• राजकोषीय घाटे को धीरे-धीरे कम करने की प्रतिबद्धता।
• FRBM दस्तावेज़ में अगले 6 वर्षों के लिए विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया जाएगा।
• केंद्र सरकार का ऋण जीडीपी के अनुपात में धीरे-धीरे कम किया जाएगा।
संशोधित अनुमान 2024-25 
उधारियों के अलावा कुल प्राप्‍तियों का संशोधित अनुमान 31.47 लाख करोड़ है, जिसमें से निवल कर प्राप्तियां 25.57 लाख करोड़ है।
• कुल व्‍यय का संशोधित अनुमान 47.16 लाख करोड़ है, जिसमें से पूंजीगत व्‍यय लगभग 10.18 लाख करोड़ है।
• राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान जीडीपी का 4.8 प्रतिशत है।
बजट अनुमान 2025-26 
• उधार के अतिरिक्‍त कुल प्राप्तियां - 34.96 लाख करोड़
• कुल व्‍यय - 50.65 लाख करोड़ (बजट अनुमान) अनुमानित है।
● शुद्ध कर प्राप्तियाँ 28.37 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है।
• राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
• सकल बाजार उधारियां - 14.82 लाख करोड़ रहने का अनुमान है।
● वित्त वर्ष 2025-26 में ₹11.21 लाख करोड़ (जीडीपी का 3.1%) का पूँजीगत व्यय निर्धारित किया गया है।

घाटे संबंधी आँकड़े (₹ करोड़)

क्र. सं

घाटे काप्रकार

2023–24वास्तविक

2024–25बजट अनुमान

2024–25 संशोधितअनुमान

2025-26 बजट अनुमान

1.

राजकोषीयघाटा

1654643

(5.6)

1613312

(4.9)

1569527

(4.8)

1568936

(4.4)

2.

राजस्वघाटा

765216 

(2.6)

580201 

(1.8)

610098 

(1.9)

523846 (1.5)

3.

प्रभावीराजस्व घाटा

461300 

(1.6)

189423 

(0.6)

310207 

(1.0)

96654 (0.3)

4.

प्राथमिकघाटा

590771 

(2.0)

450372 

(1.4)

431587 

(1.3)

292598 (0.8)

भाग ख

अप्रत्यक्ष कर

• यह प्रस्ताव घरेलू विनिर्माण, निर्यात, व्यापार की सुविधा और आम नागरिकों को राहत देने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। इसमें सीमा-शुल्क दरों को सरल बनाने, उद्योगों को प्रोत्साहन देने और व्यापार सुगमता बढ़ाने के लिए कई उपाय प्रस्तावित किए गए हैं।
• अप्रत्यक्ष करों में लगभग 2600 करोड़ रुपये का राजस्व माफ किया जाएगा ।
1. सीमा-शुल्क संरचना को सरल बनाना
• सात टैरिफ दरों को हटाने का प्रस्ताव।
• समाज कल्याण अधिभार से 82 टैरिफ लाइनों पर छूट।
• शुल्क संरचना को औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा।
2. स्वास्थ्य क्षेत्र में राहत
• कैंसर और गंभीर बीमारियों के लिए 36 जीवनरक्षक दवाओं को पूरी तरह से सीमा-शुल्क मुक्त किया गया।
• 6 अन्य दवाओं को 5% रियायती दर में शामिल किया गया।
• 13 नए रोगी सहायता कार्यक्रमों और 37 अन्य दवाओं को जोड़ते हुए कर (बी.सी.डी. से पूर्ण छूट) छूट दी गई।
3. घरेलू विनिर्माण और मूल्यवर्धन को बढ़ावा
महत्त्वपूर्ण  खनिज-
• पूर्व में 25 महत्त्वपूर्ण  खनिजों पर पूरी तरह से सीमा-शुल्क छूट दी गई थी, अब इसमें कोबाल्ट पाउडर, लीथियम-आयन बैटरी, पारा और जिंक भी शामिल करते हुए 12 अन्य महत्त्वपूर्ण  खनिजों के अपशिष्ट एवं अवशिष्‍ट पर पूरी तरह से छूट का प्रस्ताव किया गया है।
वस्त्र 
• वस्त्र उद्योग के लिए शटल-रहित करघों को कर छूट प्राप्त सूची में जोड़ा गया।
• बुने हुए कपड़ों पर बीसीडी दर को “10% या 20%” से संशोधित कर “20% या 115 रुपये प्रति किलोग्राम, जो भी अधिक हो” कर दिया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक सामान 
• इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले (IFPD) पर सीमा-शुल्क 10% से बढ़ाकर 20% किया गया।
• ओपन सेल और अन्य घटकों पर बीसीडी घटाकर 5% कर दिया गया।
• ओपन सेल के भागों पर बी.सी.डी. से छूट दी गई।
लीथियम आयन बैटरी 
• लीथियम-आयन बैटरी निर्माण हेतु 35 और मोबाइल बैटरी निर्माण के लिए 28 पूँजीगत वस्तुओं को कर छूट प्राप्त सूची में जोड़ा गया।
4. पोत (शिपिंग)-निर्माण और दूरसंचार क्षेत्र में छूट
• पोत-निर्माण में उपयोग होने वाले कच्चे माल और पुर्जों पर अगले 10 वर्षों तक कर छूट।
• पुराने पोतों को तोड़ने के लिए कर छूट।
• कैरियर ग्रेड इथरनेट स्विच पर सीमा-शुल्क 20% से घटाकर 10% किया गया।
5. निर्यात संवर्द्धन  
हस्तशिल्प सामान 
• हस्तशिल्प वस्तुओं के निर्यात की समयावधि 6 महीने से बढ़ाकर 1 वर्ष की गई।
• आवश्यकता पड़ने पर इसे तीन महीने के लिए और बढ़ाया जा सकेगा।
• नौ वस्तुओं को शुल्क मुक्त इनपुट की सूची में जोड़ा गया।
चमड़ा क्षेत्र:   
• वेट ब्लू लेदर (गीले नीले चमड़े) पर सीमा-शुल्क छूट (BCD) और क्रस्ट लेदर पर 20% निर्यात शुल्क में छूट।
समुद्री उत्पादों पर कर राहत
• फ्रोजन फिश पेस्ट पर 30% से घटाकर 5% और मछली और झींगा आहार के विनिर्माण के लिए फिश हाइड्रोलीसेट पर 15% से घटाकर 5%।
रेलवे 
• एमआरओ को मरम्मत सामग्री के आयात के मामले में विमान और जहाज एमआरओ के समान लाभ मिलेगा।
• ऐसी वस्तुओं के निर्यात के लिए समय-सीमा 6 महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी गई है तथा इसे आगे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
6. व्यापार सुविधा बढ़ाने के उपाय
• प्रोविजनल कर निर्धारण को अंतिम रूप देने की समय-सीमा दो वर्ष निर्धारित (एक वर्ष के विस्तार की संभावना)।
• स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहन, जिससे व्यापारी बिना जुर्माने के कर का भुगतान कर सके।
• आयातित इनपुट के अंतिम उपयोग की समय-सीमा छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष की गई। ऐसे आयातकों को मासिक विवरण के बजाय केवल त्रैमासिक विवरण दाखिल करना होगा।

प्रत्यक्ष कर

 प्रत्यक्ष कर
• नई व्यवस्था के अंतर्गत 12 लाख रुपये तक की आय (अर्थात् पूँजीगत लाभ जैसी विशेष दर वाली आय को छोड़कर प्रति माह 1 लाख रुपये की औसत आय) तक कोई व्यक्तिगत आयकर देय नहीं होगा।
• 75,000 रुपये की मानक कटौती के कारण वेतनभोगी करदाताओं के लिए यह सीमा 12.75 लाख रुपये होगी।
• नये ढाँचे से मध्यम वर्ग के करों में काफी कमी आएगी और उनके हाथों में अधिक धन बचेगा, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
• नया आयकर विधेयक स्पष्ट और सीधा होगा ताकि करदाताओं और कर प्रशासन के लिए इसे समझना सरल हो, जिससे कर निश्चितता आएगी और मुकदमेबाजी कम होगी।
• प्रत्यक्ष करों से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व छूट जाएगा।
संशोधित कर दर संरचना

कुल आयकर की दर

4 लाख 8 रुपये

5 प्रतिशत

8 लाख 12 रुपये

10 प्रतिशत

12 लाख 16 रुपये 

15 प्रतिशत

16 लाख 20 रुपये 

20 प्रतिशत

20 लाख 24 रुपये 

25 प्रतिशत

24 लाख रुपये से अधिक 

30 प्रतिशत

उदाहरण

आयस्लैब और दर पर करलाभछूट के लाभकुल लाभछूट लाभ के पश्चात कर
वर्तमानप्रस्तावितदर/स्लैब12 लाख तक पूर्ण  
लाख30,00020,00010,00020,00030,0000
लाख40,00030,00010,00030,00040,0000
10 लाख50,00040,00010,00040,00050,0000
11 लाख65,00050,00015,00050,00065,0000
12 लाख80,00060,00020,00060,00080,0000
16 लाख1,70,0001,20,00050,000050,0001,20,000
20 लाख2,90,0002,00,00090,000090,0002,00,000
24 लाख4,10,0003,00,0001,10,00001,10,0003,00,000
50 लाख11,90,00010,80,0001,10,00001,10,00010,80,000

कठिनाइयों को कम करने के लिए टीडीएस/टीसीएस को युक्तिसंगत बनाना
• स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को युक्तिसंगत बनाना, दरों की संख्या और सीमा को कम करना, जिसके ऊपर टीडीएस काटा जाता है।
• वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज पर कर कटौती की सीमा वर्तमान 50,000 रुपये से दुगुनी होकर 1 लाख रुपये हो गई।
• किराये पर टीडीएस की वार्षिक सीमा 2.40 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई।
• आरबीआई की उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत् विप्रेषण स्रोत पर कर (टीसीएस) एकत्र करने की सीमा 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई।
• `उच्च टीडीएस कटौती के प्रावधान केवल गैर-पैन मामलों में लागू होंगे।
• विवरण दाखिल करने की नियत तिथि तक टीसीएस के भुगतान में देरी के मामलों को अपराध से मुक्त किया जाएगा।
अनुपालन बोझ को कम करना
• छोटे धर्मार्थ ट्रस्टों/संस्थाओं के पंजीकरण की अवधि को 5 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करके उनके अनुपालन बोझ को कम किया जाएगा।
• स्व-अधिभोग वाली संपत्तियों का वार्षिक मूल्य शून्य मानने का लाभ, बिना किसी शर्त के, दो ऐसी स्व-अधिभोग वाली संपत्तियों के लिए बढ़ाया जाएगा।
व्यापार करने में आसानी
• तीन वर्ष की ब्लॉक अवधि के लिए अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए आर्म्स लेंथ मूल्य निर्धारित करने हेतु एक योजना की शुरुआत।
• मुकदमेबाजी को कम करने और अंतर्राष्ट्रीय कराधान में निश्चितता प्रदान करने के लिए सुरक्षित बंदरगाह नियमों के दायरे का विस्तार।
• 29 अगस्त, 2024 को या उसके बाद व्यक्तियों द्वारा राष्ट्रीय बचत योजना (एनएसएस) से की गई निकासी पर छूट।
• एनपीएस वात्सल्य खातों के लिए भी सामान्य एनपीएस खातों के समान ही सुविधा उपलब्ध है, जो समग्र सीमा के अधीन है।
रोजगार और निवेश
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण योजनाओं के लिए कर निश्चितता
• उन गैर-निवासियों के लिए प्रकल्पित कराधान व्यवस्था जो किसी निवासी कंपनी को सेवाएँ प्रदान करते हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सुविधा स्थापित या संचालित कर रही है।
• निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकाइयों को आपूर्ति के लिए घटकों का भंडारण करने वाले गैर-निवासियों के लिए कर निश्चितता हेतु एक सुरक्षित बंदरगाह की शुरुआत।
अंतर्देशीय जहाजों के लिए टन भार कर योजना
• देश में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पोत अधिनियम, 2021 के तहत् पंजीकृत अंतर्देशीय जहाजों को मौजूदा टन भार कर योजना का लाभ दिया जाएगा।
स्टार्ट-अप्स के निगमन के लिए विस्तार
• 1.4.2030 से पहले निगमित स्टार्ट-अप्स को लाभ उपलब्ध कराने के लिए निगमन की अवधि को 5 वर्ष तक बढ़ाया गया।
वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ)
• श्रेणी I और श्रेणी II के एआईएफ को प्रतिभूतियों से प्राप्त लाभ पर कराधान की निश्चितता, जो बुनियादी ढाँचे और अन्य ऐसे क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं।
सॉवरेन और पेंशन फंड के लिए निवेश की तिथि का विस्तार
• बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए सॉवरेन वेल्थ फंड्स और पेंशन फंड्स में निवेश करने की तिथि को पाँच वर्ष बढ़ाकर 31 मार्च, 2030 कर दिया गया है।
• बजट 2025-26 के अनुसार वर्ष 2025-26 हेतु

भारत सरकार की आय के स्रोत-

क्र. सं.मद का नामहिस्सेदारी  %
1.उधार और अन्य देयताएँ 24
2.आय कर 22
3.वस्तु एवं सेवाकर और अन्य कर 18
4.निगम कर 17 
5.कर ऋण भिन्न प्राप्तियाँ 9
6.केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 5
7.सीमा शुल्क 
8.ऋण भिन्न पूँजीगत प्राप्तियाँ1
योग 100

• बजट 2025-26 के अनुसार वर्ष 2025-26 हेतु भारत सरकार का व्यय -

क्र.सं.मद का नाम व्यय में
हिस्सेदारी %
1.करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा 22
2.ब्याज भुगतान 20
3.केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाएँ 16
4.वित्त आयोग और अन्य अंतरण 8
5.केन्द्र प्रायोजित योजनाएँ 8
6.रक्षा 8
7.सब्सिडी 6
8.पेंशन 4
9.अन्य व्यय 8
योग 100

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