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सामान्य विज्ञान: ऊतक नोट्स

ऊतक

- जीवों में एक समान कार्य करने वाली तथा समान संरचना दर्शाने वालीकोशिकाओं का समूह ऊतक (Tissue) कहलाता है।

- कोशिकाओं के बीच पाया जाने वाला तरल पदार्थ ऊतक द्रव्य (Tissue Fluid) कहलाता हैइस ऊतक द्रव्य से कोशिकाएँ पोषक पदार्थ(Nutrients) ग्रहण करती हैं तथा उत्सर्जी पदार्थों को इस ऊतक द्रव्य में त्यागदेती हैं।

ऊतकों का अध्ययन (Study of Tissues) – 'औतिकी' (Histology), औतिकी को ‘सूक्ष्म शरीर रचना विज्ञान’ (Microscopic Anatomy) भीकहते हैं। 

- ‘ऊतक’ शब्द बिशैट ने तथा हिस्टोलॉजी शब्द मेयर ने दिया।

- हिस्टोलॉजी की स्थापना मार्सेलो मैल्पीघी ने की।

- ऊतक दो प्रकार के होते हैं – (i) पादप ऊतक(ii) जन्तु ऊतक

जन्तु ऊतक :-

- जन्तु औतिकी (Animal Histology) के जनक बिचेट हैं।

- कोशिका की संरचना उसके कार्य के अनुसार बदलती रहती है। अतऊतकभी भिन्न-भिन्न होते हैं। जंतुओं में ऊतक चार प्रकार के होते हैंजिनका निर्माणविभिन्न जनन-स्तरों (Germinal Layers) एक्टोडर्म (बाहर)मीसोडर्म (मध्य)तथा एण्डोडर्म (अंदर) से होता है।

ऊतक (Tissue)

निर्माण

कार्य (Functions)

A. उपकला ऊतक (Epithelium Tissue)

एक्टोडर्म एण्डोडर्म मीसोडर्म

सुरक्षा, आवरण निर्माण, उत्सर्जन, पोषण

B. पेशी ऊतक (Muscular Tissue)

मीसोडर्म

गति (Movements)

C. संयोजी ऊतक (Connective Tissue)

मीसोडर्म

विभिन्न संरचनाओं को जोड़ना, परिवहन, आलंबन (Support)

D.  तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue)

एक्टोडर्म

संवेदना ग्रहण कर प्रतिक्रिया देना।

[a]  उपकला ऊतक (Epithelial Tissue) :-

- उपकला ऊतक में एक मुक्त स्तर होता है जो एक ओर तो देह-तरल (Body fluid) और दूसरी ओर बाह्य वातावरण के सम्पर्क में रहता है।

- कोशिकाएँ अंतराकोशिकीय आधात्री (Intercellular Matrix) द्वारादृढ़तापूर्वक जुड़ी रहती हैं।

- ये ऐसा ऊतक है जो किसी अन्य ऊतक पर पाया जाता है।

 जैसे – त्वचाउपकला ऊतक  से निर्मित तथा ये संयोजी ऊतक  (Connective Tissue) पर पाई जाती है।

- इस ऊतक की कोशिकाओं के बीच रक्त नलिकाएँ नहीं पाई जाती हैंव आधारी झिल्ली से होकर विसरण (Diffusion) द्वारा विभिन्न पोषक पदार्थतथा ऑक्सीजन इन कोशिकाओं तक पहुँचते हैं।

- उपकला ऊतक मुख्य रूप से आवरण (Covering) के रूप में पाया जाताहै। उपकला ऊतक दो प्रकार के होते हैं–

1. सरल उपकला ऊतक 2. संयुक्त उपकला ऊतक

1. सरल उपकला ऊतक – 

- सरल उपकला एक ही स्तर का बना होता है तथा यह देहगुहाओं, वाहिनियों और नलिका का आस्तर है। कोशिका के संरचनात्मक रूपांतरण के आधार पर सरल उपकला ऊतक तीन प्रकार के हैं–

(i)  शल्की (Squamous) उपकला – यह ऊतक रक्त वाहिकाओं की भित्ति में तथा फेफड़े के वायुकोश (Air sac) में पाया जाता है। यह विसरण सीमा का कार्य करती है।

(ii) घनाकार (Cuboid) उपकला – यह वृक्कों के वृक्क कों (Nephrons) के नलिकाकार भागों तथा ग्रंथियों की वाहिनियों में पाया जाता है। इसका मुख्य कार्य स्रवण और अवशोषण है।

(iii) स्तंभाकार (Columnar) उपकला – यह लंबी एवं पतली कोशिकाओं के एक स्तर का बना होता है। इसके मुक्त सतह पर प्राय: सूक्ष्मांकुर पाए जाते हैं।

- यदि इन स्तंभाकार या घनाकार कोशिकाओं की मुक्त सतह पर पक्ष्माभ होते हैं तो इसे पक्ष्माभी (Ciliated) उपकला कहते हैं।

- इसका कार्य कणों अथवा श्लेष्मा को उपकला की सतह पर एक निश्चित दिशा में ले जाना है।

2. संयुक्त उपकला ऊतक – 

- संयुक्त उपकला एक से ज्यादा कोशिका स्तरों की बनी होती है और इसकीस्रवण और अवशोषण में इसकी भूमिका सीमित है। इसका मुख्य कार्यरासायनिक  यांत्रिक प्रतिबलों (Stresses) से रक्षा करना है।

- यह त्वचा की शुष्क सतहमुखगुहा की नम सतह परग्रसनी लार ग्रंथियोंऔर अग्न्याशयी की वाहिनियों के भीतरी आस्तर को ढँकता है।

उपकला के कार्य –

- सुरक्षाअवशोषण (Absorption)

- पोषण (Nutrition)

- उत्सर्जन (Excretion) – पसीने के साथ लवण का उत्सर्जन

- श्वसन (Respiration)

- स्रवण (Secretion) – ग्रंथियों से विभिन्न स्रवण

- पुनरुद्भवन (Regeneration)

- संवेदना ग्रहण में सहायक

- वर्णक (Pigment) 

[b]  पेशी ऊतक (Muscular Tissue) :-

- पेशी ऊतक अनेक लंबेबेलनाकार तंतुओं (रेशोंसे बना होता है जोसमानांतर पंक्ति में सजे रहते हैं। यह तंतु कई सूक्ष्म तंतु कों से बना होता हैजिसे पेशी तंतुक कहते हैं। पेशीय ऊतक की क्रिया से शरीर वातावरण में होनेवाले परिवर्तनों के अनुसार गति करता है तथा शरीर के विभिन्न अंगों कीस्थिति संभाले रखता है।

- पेशीय ऊतक तीन प्रकार के होते हैं–

 (i) कंकाल पेशी  (ii) चिकनी पेशी (iii) हृदय पेशी

(i) कंकाल पेशी/ऐच्छिक पेशी/रेखित पेशी –

- कंकाल पेशी मुख्य रूप से कंकाली अस्थि से जुड़ी रहती है।

- पेशी ऊतक के समूह के चारों ओर कठोर संयोजी ऊतक का आवरण होताहैजैसे – हाथ-पैर  गर्दन की पेशियाँ

(ii) चिकनी पेशी/अरेखित पेशी –

- चिकनी पेशीय ऊतक की संकुचनशील कोशिका के दोनों किनारे पतले होतेहैं तथा इनमें रेखा या धारियाँ नहीं होती है।

- आंतरिक अंगोंजैसे – रक्तनालिकाअग्न्याशय तथा आँत की भित्ति में इसप्रकार का पेशी ऊतक पाया जाता है।

- चिकनी पेशी का संकुचन अनैच्छिक होता हैक्योंकि इनका क्रियाविधि परसीधा नियंत्रण नहीं होता है।

(iii) हृदय पेशी –

- हृदय की पेशियाँ जीवनभर लयबद्ध होकर प्रसार एवं संकुचन करती हैं।

- इन अनैच्छिक पेशियों को कार्डिक (हृदयपेशी कहा जाता है।

- हृदय की पेशी कोशिकाएँ बेलनाकारशाखाओं वाली और एक-केन्द्रकीयहोती है। इनकी संरचना रेखित पेशियों जैसी होती है जबकि ये अनैच्छिकप्रवृत्ति की होती हैं।

महत्त्वपूर्ण बिन्दु –

- मानव शरीर में कुल 639 पेशियाँ होती हैं।

- सबसे बड़ी पेशी – ग्लूटियस मैक्सिमस

- सबसे लंबी पेशी – सार्टोरियस

- सबसे छोटी पेशी – स्टेपीडियस

- सबसे मजबूत पेशी – मेस्सेटर

- मानव शरीर की सबसे मजबूत पेशी मेस्सेटर है, जो जबड़े में उपस्थित होतीहै।

- ऐच्छिक पेशियों में लगातार संकुचन-प्रसारण/गतियाँ होने से इनमें लैक्टिकअम्ल का निर्माण होने लगता हैजिससे हमें थकान का अनुभव होता है।

[c]  संयोजी ऊतक (Connective Tissue) :-

- ये शरीर में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला ऊतक जो शरीर परिवहन(Transportation), आलंबन (Support), पोषण (Nutrition) तथा भोजनसंग्रहण (Food Storage) में सहायक होता है।

- इसकी उत्पत्ति मीसोडर्म से हुई है।

- संयोजी ऊतक में कोमल ऊतक से लेकर विशेष प्रकार के ऊतक जैसे – उपास्थिअस्थिवसीय ऊतक तथा रक्त सम्मिलित हैं।

- रक्त को छोड़कर सभी संयोजी ऊतकों में कोशिका संरचनात्मक प्रोटीन कातंतु स्रावित करती हैंजिसे कोलेजन या इलास्टिन कहते हैंयह ऊतक कोशक्तिप्रत्यास्थता एवं लचीलापन प्रदान करते हैं।

- संयोजी ऊतक को तीन प्रकार से बाँटा गया है–

(1) लचीले संयोजी ऊतक – प्लाज्मा कोशिकाएँतंतुकोरकमास्ट कोशिकाएँ

(2) संघन संयोजी ऊतक – कण्डरा, स्नायु

(3) विशिष्टकृत संयोजी ऊतक – उपास्थिअस्थि, रक्त

- संयोजी ऊतक में तीन प्रमुख संरचनाएँ हैं–

[a] अधात्री (Matrix) – ये सामान्यतया प्रोटीन  कार्बोहाइड्रेट से बनी होती हैइसमें जल भी होता है।

[b]  कोशिकाएँ (Cells) – संयोजी ऊतक में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँइस प्रकार हैं–

फाइब्रोब्लास्ट ये संयोजी ऊतक में रेशे (Fibers) का निर्माण करती है।

मास्ट कोशिकाएँ – ये हिपेरिनहिस्टामिन एवं सिरेटॉमिन का स्रवण करती है।

एडीपोज़ कोशिकाएँ यह वसा संग्रहण (Fat Storage) का कार्य करतीहै।

प्लाज़्मा कोशिकाएँ – एंटीबॉडीज का निर्माण करती है।

[c]  रेशे (Fibers) –

कॉलेजन तंतु – श्वेत तंतु (White Fibers) 

- टेण्डन/कण्डरा का निर्माण, अस्थि (Bone)  पेशी (Muscle) को आपसमें जोड़ते हैं।

इलास्टिन तंतु – पीले तंतु (Yellow Fibers)

- लिगामेण्ट (Ligament)/स्नायु अस्थि को अस्थि से जोड़ते हैं।

- रक्त एक तरल संयोजी ऊतक (Liquid Connective Tissue) है।

- अस्थियाँ (Bones) एवं उपास्थियाँ (Cartilages) ठोस संयोजी ऊतक हैं।

- त्वचा के नीचे वसा का जमाव (Storage) एडीपोज़ ऊतक में होता है।

कार्य –

- विभिन्न संरचनाओं को जोड़ना।

- परिवहन (Transportation)

- पोषण (Nutrition)

- भोजन संग्रहण (Food Storage)

- सुरक्षा (एंटीबॉडी उत्पादन)

- अंगों को निश्चित आकृति प्रदान करना।

[d]  तंत्रिका ऊतक :-

- तंत्रिका ऊतक मुख्य रूप से परिवर्तित अवस्थाओं के प्रति शरीर कीअनुक्रियाशीलता के नियंत्रण के लिए उत्तरदायी होता है। तंत्रिका कोशिकाएँउत्तेजनशील कोशिकाएँ हैंजो तंत्रिका तंत्र की संचार इकाई है। इन अंगों कोप्रतिक्रिया करने के लिए तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएँ उत्तेजित करती हैं। तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएँ स्वयं उत्तेजित होकर अपने द्वारा उत्तेजना कोशरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाती है। तंत्रिका तंत्रतंत्रिका ऊतक से बना होताहै।

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