-->

मौद्रिक और वित्तीय क्षेत्र विकास : अन्योन्याश्रसी संबंध

मौद्रिक और वित्तीय क्षेत्र विकास : अन्योन्याश्रसी संबंध

1भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र की वर्तमान स्थिति

आर्थिक और वित्तीय सुधार:
• वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 9 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता और वृद्धि देखी गई।
• सरकारी बैंकिंग सुधारों और निजी निवेश में बढ़ो तरी के कारण वित्तीय स्थिरता मजबूत हुई।
• मार्च, 2021 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का वित्तीय समेकन सूचकांक (FSI) 53.9 था, जो मार्च, 2024 में 64.2 तक पहुँच गया।
• इसमें सुधार का मुख्य कारण ग्रामीण वित्तीय संस्थानों (RRBs, DFI, NABARD) की बढ़ती भूमिका है।

मुद्रा विकास 
• वित्तीय वर्ष 2024-25 (अप्रैल, 2024-दिसंबर, 2024) के पहले नौ महीनों के दौरान, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अपनी विभिन्न बैठकों में नीतिगत रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। 
• दिसंबर 2024 की अपनी बैठक में, समिति ने CRR में निवल माँग और समय देयताओं (एनडीटीएल) के 4.5 प्रतिशत से 4 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की। 
• इस निर्णय से बैंकिंग प्रणाली में लगभग 1.16 लाख करोड़ की तरलता आने की उम्मीद है।
• बैंक ऋण में स्थिर गति से वृद्धि हुई है और यह जमा राशि के लगभग बराबर हो गई है। 

बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में विकास
• अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों के लाभ में वृद्धि हुई है, जो सकल गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियों (जीएनपीए) में कमी तथा पूँजी का भारित परिसम्पत्ति अनुपात जोखिम अनुपात (सीआरएआर) में वृद्धि को रेखांकित करती है। 
• ऋण वृद्धि ने नॉमिनल जीडीपी विकास को लगातार दो वर्षों से पीछे छोड़ दिया है, ऋण-जीडीपी अंतर (credit GDP Gap) वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कम होकर (-) 0.3 फीसदी रहा, जो वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में (-) 10.3 फीसदी था। 
• बैंकिंग क्षेत्र परिसम्पत्ति गुणवत्ता में सुधार, अतिरिक्त पूँजी तथा मजबूत परिचालन प्रदर्शन को दिखाता है। 
• अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियाँ (GNPAs) घटकर, सिंतबर, 2024 के अंत में सकल ऋण और अग्रिम के 2.6 फीसदी पर आ गई है, जो 12 वर्षों का निम्न स्तर है। 

बैंकिंग प्रणाली और क्रेडिट ग्रोथ:
• चालू वित्त वर्ष में 27 दिसंबर, 2024 तक समग्र बैंक ऋण में वृद्धि 7.7 प्रतिशत रह गई है। 

ग्रामीण वित्तीय संस्थाएँ 
• 31 मार्च, 2024 तक की स्थिति के अनुसार, 43 RRB (12 SCB द्वारा प्रायोजित) थे जिनकी शाखाओं की संख्या 22,069 थी, जिनका परिचालन 26 राज्यों और 3 संघ राज्य क्षेत्रों में 31.3 करोड़ जमा खातों और 3 करोड़ ऋण खातों तक विस्तारित था। 
• वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सरकार द्वारा RRB को पुनर्पूंजीकरण सहायता के रूप में ₹10,890 करोड़ की राशि का अनुमोदन दिया गया।

विकास वित्तीय संस्थानों (DFI) का योगदान
• विकास वित्तीय संस्थानों (DFI) ने भारत के बुनियादी ढाँचे के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

• सितंबर, 2024 तक, ₹13.9 लाख करोड़ की परियोजनाएँ India Infrastructure Finance Company Ltd (IIFCL) द्वारा वित्तपोषित की गई, जिनमें 780 से अधिक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शामिल हैं।
• सड़क, रेलवे, अक्षय ऊर्जा और बंदरगाहों के विकास में निवेश किया गया। 

दिवालियापन कानून की सार्थकता 
• दिवाला और दिवालियापन संहिता के अंतर्गत सितंबर, 2024 तक 1068 योजनाओं के समाधान से 3.6 लाख करोड़ रुपये प्राप्त किए गए। यह संबंधित परिसम्पत्तियों के लिक्वीडेसन के 161 फीसदी के तथा उचित मूल्य के 86.1 फीसदी के बराबर है। 

पूँजीगत बाजारों में विकास 
• आम चुनाव की वजह से बाजार की अस्थिरता से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद भारतीय स्टोक मार्केट ने अन्य उभरते बाजारों को पीछे छोड़ दिया है। 
• प्राथमिक बाजारों (इक्विटी और ऋण) से प्राप्त पूँजी संग्रह अप्रैल से दिंसबर, 2024 के दौरान 11.1 लाख करोड़ रहा, जो वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान जुटाई गई धनराशि से 5 फीसदी अधिक है। 
• जीडीपी तथा बीएसई बाजार पूँजी संग्रह का अनुपात दिसंबर, 2024 के अंत में 136 प्रतिशत रहा। 
• वैश्विक IPO लिस्टिंग में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2023 में 17 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2024 में 30 प्रतिशत हो गई, जिससे यह वैश्विक स्तर पर अग्रणी योगदानकर्ता बन गया।

जीआईएफटी (गिफ्ट)
• आईएफएससी में वृद्धि तेजी से देखी जा रही है, जिसमें विभिन्न श्रेणियों में 720 से ज्यादा संस्थाएँ शामिल हैं। 
• जीआईएफटी-आईएफएससी ने अग्रणी आईएफएससी के रूप में अपनी प्रगति जारी रखी है, 'वैश्विक वित्तीय केंद्र सूचकांक 36' (जीएफसीआई 36) में अपनी रैंक में पाँच स्थानों का सुधार करते हुए 52वें स्थान पर पहुँच गया है। 
• इसने फिनटेक रैंकिंग में भी उल्लेखनीय उछाल प्राप्त किया है, जो चार स्थानों की छलांग लगाकर 45वें स्थान पर पहुँच गया है। 
• भारत के बीमा बाजार में वृद्धि जारी है, कुल बीमा प्रीमियम में वित्त वर्ष 2024 में 7.7 फीसदी की दर से वृद्धि हुई और यह 11.2 लाख करोड़ तक पहुँच गई। 
• भारत के पेंशन क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई, सितंबर, 2024 तक पेंशन ग्राहकों की कुल संख्या में 16 फीसदी (वर्ष दर वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें