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कीमतें और मुद्रा स्फीति : उतार चढ़ाव को समझना

कीमतें और मुद्रा स्फीति : उतार चढ़ाव को समझना

• आईएमएफ के अनुसार वैश्विक मुद्रा स्फीति दर 2024 में 5.7 फीसदी रही, जो 2022 में 8.7 फीसदी के शीर्ष पर थी। 
• भारत में खुदरा मुद्रा स्फीति वित्त वर्ष 2024 के 5.4 फीसदी के मुकाबले वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-दिसंबर, 2024) में घटकर 4.9 फीसदी रह गई। 
• आरबीआई और आईएमएफ का अनुमान है कि भारत की उपभोक्ता मूल्य स्फीति वित्त वर्ष 2025-26 में 4 फीसदी लक्ष्य के अनुरूप रहेगी। 
• जलवायु-सहनीय फसल किस्मों और कृषि तौर-तरीकों में सुधार, तीव्र जलवायु घटनाओं के प्रभावों को कम करने और दीर्घावधि में मूल्य स्थिरता हासिल करने के लिए आवश्यक है।

सब्जी उत्पादन और कीमत 
• खाद्यान्नों की तुलना में सब्जियों पर चरम मौसम की घटनाओं का प्रभाव अधिक पड़ता है।
• चक्रवात, भारी वर्षा, बाढ़, आँधी, हीटवेव, ओलावृष्टि और सूखे से सब्जी उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है।
• 2023-24 में मानसून पूर्व बेमौसम बारिश से बागवानी फसलों को नुकसान पहुँचा, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ी।
• बड़े पैमाने पर बुआई के बावजूद कीमतों में अस्थिरता बनी रही, जो आपूर्ति शृंखला पर मौसम के प्रभाव को दर्शाती है।
• भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, 2022-24 में हीटवेव की आवृत्ति बढ़कर 18% दिनों तक पहुँच गई, जो 2020-21 में केवल 5% थी।
• बढ़ती हीटवेव और अन्य चरम मौसम की घटनाओं से सब्जियों की उपज और खुदरा कीमतें प्रभावित हो रही हैं।

भविष्य की दिशा 
• भारतीय रिजर्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान लगाया है कि भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2025-26 में मुद्रास्फीति लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे बढ़ेगी। 
• दिसंबर, 2024 की भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया गया है।
• सामान्य मानसून और आगे कोई बाहरी या नीतिगत झटके न आने के अनुमान से भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 में हेडलाइन मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत होगी। 
• अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में 4.4 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 4.1 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर का अनुमान लगाया है।

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