ब्रह्माण्ड
- अस्तित्वमान द्रव्य एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्माण्ड कहते हैं।
- दूसरे शब्दों में सूक्ष्मतम अणुओं से लेकर महाकाय आकाशगंगाओं (Galaxies) तक के सम्मिलित स्वरूप को ब्रह्माण्ड कहा जाता है।
- ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से संबंधित प्रमुख सिद्धान्त निम्न हैं
1. महाविस्फोट सिद्धान्त (Big-Bang Theory):1930 वर्ष में बेल्जियम के ऐब जॉर्ज लैमेन्तेयर के द्वारा यह सिद्धान्त दिया गया था तथा बाद में जार्ज गैमो के द्वारा कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य प्राप्त हुए थे। जिनके द्वारा बिग बैंग सिद्धान्त को समझाया जा सकता है। इस सिद्धान्त के अनुसार विश्व के आरम्भ में लगभग 15 बिलियन साल पहले एक बहुत बड़े विखण्डन से प्रारम्भिक परमाणु प्राप्त हुआ था। उसके बाद आज तक विश्व का प्रसार चल रहा है, जो कि बाद में भी चलता रहेगा।
2. साम्यावस्था या सतत सृष्टि सिद्धान्त या स्थिर अवस्था संकल्पना (Steady State Theory): थॉमस गोल्ड एवं हर्मन बॉडी
3. दोलन सिद्धान्त (PulsatingUniverse Theory): डॉ. एलन संडेजा, विश्व के विकास का यह नवीनतम सिद्धान्त है। इसके अनुसार, यह विश्व करोड़ों वर्षों के अन्तराल में क्रमश: फैलता और सिकुड़ता रहा है।
4. स्फीति सिद्धान्त (Inflationary Theory): अलेन गुथ
महाविस्फोट सिद्धान्त के अनुसार :
1. आरंभ में वे सभी पदार्थ, जिनसे ब्रह्माण्ड बना है, अति छोटे गोलक (एकाकी परमाणु) के रूप में एक ही स्थान पर स्थित था, जिनका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था।
2. अत्यधिक संकेन्द्रण के कारण बिन्दु का आकस्मिक विस्फोट हुआ, जिसे महाविस्फोट ब्रह्मांडीय विस्फोट (Big-Bang) कहा गया। इस अचानक विस्फोट से पदार्थों का बिखराव हुआ, जिससे सामान्य पदार्थ निर्मित हुए। इसके अलगाव के कारण काले पदार्थ बने, जिनके समूहन से अनेक ब्रह्मांडीय पिंडों का सृजन हुआ। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि महाविस्फोट (Big-Bang)की घटना आज से लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले हुई थी।
- ब्रह्मांड के निरंतर विस्तारण के साक्ष्य के रूप में अंतरिक्ष में सूक्ष्म तरंगों की उपस्थिति का पता चलना, अंतरिक्ष में रेडशिफ्ट परिघटना का अवलोकन तथा आधुनिक अध्ययनों में सुपरनोवा का अंतरिक्ष में विस्फोट होना भी ब्रह्मांड के विस्तार के साक्ष्य रूप में माना जा रहा है।
- नासा NASA) द्वारा 30 जून, 2001 को डेविड वलकिंसन के नेतृत्व में बिग-बैंग की पुष्टि हेतु ‘मैप परियोजना’ (Microwave Anisotropy Probe-MAP) का शुभारंभ किया गया। मैप एक खोजी उपग्रह है। इससे प्राप्त चित्रों से बिग बैंग की पुष्टि होती है। 11 फरवरी, 2013 ई. को इस आधार पर नासा ने ब्रह्माण्ड की आयु 13.7 अरब वर्ष निर्धारित करने की घोषणा की।
- ब्रह्माण्ड का व्यास 108 प्रकाशवर्ष है। ब्रह्माण्ड में अनुमानतः 100 अरब मंदाकिनी (Galaxy)है। प्रत्येक मंदाकिनी में अनुमानतः 100 अरब तारे होते हैं।
- आकाशगंगा (Galaxy)
तारों के विशाल समूह को आकाशगंगा कहते है। गुरुत्वाकर्षण के कारण आकाशगंगाओं का एक-दूसरे से बँधे होने को प्रायद्वीपीय ब्रह्माण्ड कहते हैं। प्रत्येक आकाशगंगा के अन्दर असीमित तारें होते है।
- तारे (Stars)
तारे चमकने वाले पिण्ड हैं, जिनका अपना प्रकाश और ऊष्मीय ऊर्जा होती है। सूर्य हमारी पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है। यह पृथ्वी से 150 मिलियन दूर है तथा प्रकाश की चाल 3x108 मी/से होती है। इसलिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में 8.3 मिनट (500 सेकण्ड) का समय लेता है। सौर तन्त्र का सबसे निकटतम तारा प्रॉक्सिमा सेन्चुरी है। जिसकी पृथ्वी से दूरी 4.3 प्रकाश वर्ष है।
- तारे का जीवन चक्र
जब तारे में हाइड्रोजन कम हो जाती है, तो इसकी बाहरी सतह फुलने लगती है और तारा लाल हो जाता है। यह तारे के अन्तिम समय की पहली निशानी है। ऐसे तारे को लाल दानव (red giant) कहते हैं। हमारा सूर्य आगामी 5 अरब वर्षों में ऐसा लाल दानव बन जाएगा ऐसी सम्भावना है।
(तारे<सूर्य)-लाल दानव-श्वेत वामन तारे-काला वामन
तथा यदि (तारे > सूर्य) - बड़ा लाल दानव-अधिनव तारें – न्यूट्रॉन तारे या कृष्ण छिद्र (Black Hole)।
- श्वेत वामन तारे (White dwarf Stars)
यह बहुत छोटा, गर्म तारा होता है तथा इसके जीवन चक्र की अन्तिम अवस्था सूर्य के समान होता है। परन्तु इसके व्यास का 1% लगभग पृथ्वी के व्यास के जितना होता हैं।
- अधिनव तारा (Supernova)
वह तारे की विस्फोस्टक मृत्यु का परिणाम है। जिससे बहुत कम समय के लिए 100 मिलियन सूर्य की चमक प्राप्त होती है।
- न्यूट्रॉन तारा (Neutron Stars)
जब अधिनव तारा विस्फोटित होता है। तब न्यूट्रॉन संघटित होकर न्यूट्रॉन तारे बन जाते है। इलेक्ट्रान और प्रोटोन बलपूर्वक जुड़कर न्यूट्रॉन तारे बनाते हैं। इन तारों का द्रव्यमान तीन गुना अधिक परन्तु इनका व्यास केवल 20 किमी होता है।
- कृष्ण छिद्र (Black Holes)
अत्यधिक द्रव्यमान वाले वे तारे जिनका जीवन समय खत्म हो जाता है कृष्ण छिद्र बनाते हैं कृष्ण छिद्र में द्रव्यों का घनत्व नहीं मापा जा सकता हैं।
चन्देशेखर सीमा- किसी अघूर्णशील श्वेत वामन तारे का सीमाकारी द्रव्यमान (1.44) ही चन्द्रशेखर सीमा कहलाता है।
- मंदाकिनी: तारों का ऐसा समूह, जो धुंधला-सा दिखाई पड़ता है तथा जो तारा-निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत का गैसपुंज है, मंदाकिनी (galaxy) कहलाता है। हमारी पृथ्वी की अपनी एक मंदाकिनी है, जिसे दुग्धमेखला या आकाशगंगा (Milky Way) कहते हैं। अब तक ज्ञात इस मंदाकिनी का 80% भाग सर्पिला (spiral) है। इस मंदाकिनी को सबसे पहले गैलीलियो ने देखा था।
- आकाशगंगा की सबसे नजदीकी मंदाकिनी को देवयानी (Andromeda) नाम दिया गया है।
- नवीनतम ज्ञात मंदाकिनी (Galaxy) ड्वार्फ मंदाकिनी है
- निहारिका (Nebula) : यह एक ब्रह्मांडीय नर्सरी है जहाँ तारों का जन्म होता है। निहारिका में धूल और गैसों का बादल होता है। सभी तारों का जन्म निहारिका में होता है सिर्फ कुछ दुर्लभ अवसरों को छोड़कर जिसमें दो न्यूट्रान तारे एक श्याम विवर बनाते हैं। वैसे भी न्यूट्रान तारे और श्याम विवर मृत तारे माने जाते हैं। यहाँ पाए जाने वाले गैसों में हाइड्रोजन गैस, हीलियम गैस एवं अन्य आयनीकृत प्लाज्मा गैसें होती हैं।
- निहारिका दो अलग-अलग कारणों से बनती है, पहला ब्रह्मांड की उत्पति और दूसरा किसी विस्फोटक तारे से बने सुपरनोवा से ।
- ब्रह्मांड के जन्म के बाद परमाणुओं का जन्म हुआ और इन परमाणुओं से धूल और गैस के बादलों का निर्माण हुआ।
- सुपरनोवा से जो पदार्थ उत्सर्जित होता है इससे भी निहारिका का जन्म होता है। इसके उदाहरण हैं वेल और कर्क।
- निहारिका की उत्पत्ति ब्रह्मांड के जन्म और सुपरनोवा के मिश्रण से भी हो सकता है।
- निहारिका के कुछ प्रकार
1. उत्सर्जन निहारिकाएँ: यह सबसे सुंदर और रंग-बिरंगी होती है । ये बन रहे तारों से प्रकाशित होती है। उदाहरण-चील एवं झील निहारिका।
2. परावर्तन निहारिकाएँ: यह तारों के प्रकाश को परावर्तित करती है। ये तारे या तो निहारिका के अंदर होते हैं या पास में होते हैं। उदाहरण-प्लेइडेस निहारिका।
3. श्याम निहारिकाएँ: ये अपने पीछे से आने वाली प्रकाश को एक दीवार की तरह रोक देती है। यही कारण है कि हम अपनी आकाशगंगा में बहुत दूर तक नहीं देख सकते हैं।
4. ग्रहीय निहारिकाएँ: इसका निर्माण उस वक्त होता है जब एक सामान्य तारा एक लाल दानव तारे में बदलकर अपने बाहरी तहों को उत्सर्जित कर देता है। इसी वजह से इनका आकार गोल होता है ।
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