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सशक्त और समृद्ध कृषि नोट्स

सशक्त और समृद्ध कृषि

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का आर्थिक योगदान

● वर्ष 2024-25 में राज्य के सकल राज्य मूल्य वर्धन (जी.एस.वी.ए.) में 26.92% योगदान।

● राष्ट्रीय औसत (17.77%) से अधिक योगदान।

● कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का जी.वी.ए. वर्ष 2011-12 में ₹1.19 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹2.18 लाख करोड़।

● स्थिर (2011-12) कीमतों पर 4.76% वार्षिक चक्रवृद्धि वृद्धि दर (CAGR)।

कृषि उत्पादन एवं विविधता

● राजस्थान के 10 कृषि जलवायु क्षेत्र, विभिन्न खाद्यान्न, नकदी फसलें और बागवानी फसलों के उत्पादन में सक्षम।

● किसान मिश्रित खेती अपनाते हैं, जिससे आय के स्रोतों में विविधता और जलवायु जोखिमों से सुरक्षा मिलती है।

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की वृद्धि

● 2020-21 से 2024-25 के बीच स्थिर कीमतों पर 3.94% (CAGR) वृद्धि।

● प्रचलित कीमतों पर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का जी.वी.ए. 2020-21 में ₹2.93 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹4.23 लाख करोड़ (CAGR 9.64%)। 

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का प्रचलित व स्थिर मूल्यों पर योगदान GSVA व वृद्धि दर                                     करोड़ रुपये

योगदान

2023-24

2024-25

GSVA  प्रचलित 

              वृद्धि  

3379460

422854

7.97%

11.44%

GSVA   स्थिर 

             वृद्धि 

207628

218112

3.06%

5.05%

● वर्ष 2024-25 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर स्थिर कीमतों पर 5.05% व प्रचलित कीमतों पर 11.44 % रही।  

कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के उप-क्षेत्रों का प्रचलित मूल्यों पर

वर्ष 2024-25 में योगदान

कृषि एवं सम्बद्धक्षेत्र के उप-क्षेत्र

अंश (प्रतिशत)

फसल क्षेत्र

46.17

पशुधन क्षेत्र

46.77

वानिकी क्षेत्र

6.56

मत्स्य क्षेत्र

0.51

कुल योगदान  

100

● उप-क्षेत्रों की वृद्धि दर वर्ष 2023-24 की तुलना में वर्ष 2024-25 में स्थिर कीमतों पर फसल क्षेत्र: 4.73% पशुधन: 5.43% वानिकी: 3.76% मत्स्य: 25.89% रही। 

प्रमुख फसलें एवं उत्पादकता

● खरीफ फसलें: बाजरा, मूँगफली, मूँग।

● रबी फसलें: गेहूँ, सरसों, चना।

● वर्ष 2024-25 में फसल क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन ₹1.95 लाख करोड़।

पशुधन क्षेत्र का योगदान

● वर्ष 2024-25 में पशुधन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन ₹1.98 लाख करोड़।

● दूध प्रमुख योगदानकर्ता।

● पोल्ट्री/अंडा उत्पादन में वृद्धि की संभावना।

भू-उपयोग सांख्यिकी 2023-24

● वर्ष 2023-24 में राज्य की कुल रिपोर्ट की गई भूमि 342.74 लाख हैक्टेयर रही, जिसमें से 53.10 प्रतिशत शुद्ध बुवाई क्षेत्र है,

भू-उपयोग

प्रतिशत (क्षेत्रफल)

वानिकी

8.13

कृषि के अतिरिक्त अन्य उपयोग भूमि

5.93

ऊसर तथा कृषि अयोग्य भूमि

6.89

स्थायी चारागाह तथा अन्य गोचर भूमि

4.81

 वृक्षों के झुण्ड तथा बाग

0.11

बंजर भूमि

10.26

अन्य चालू पड़त भूमि

5.72

चालू पड़त

5.05

शुद्ध बोए गए क्षेत्रफल

53.10

कुल

100

प्रचालित जोत धारक

● वर्ष 2015-16 में कुल प्रचालित भूमि जोतें: 76.55 लाख (2010-11 में 68.88 लाख) → 11.14% वृद्धि

जोतों का वितरण:

सीमान्त: 40.12%

लघु: 21.90%

अर्द्ध मध्यम: 18.50%

मध्यम: 14.79%

बड़े: 4.69% (गिरावट दर्ज)

भूमि जोतों का कुल क्षेत्रफल:

● 2010-11: 211.36 लाख हैक्टेयर

● 2015-16: 208.73 लाख हैक्टेयर (1.24% कमी)

भूमि जोतों का औसत आकार:

● 2010-11: 3.07 हैक्टेयर

● 2015-16: 2.73 हैक्टेयर (11.07% कमी)

महिला प्रचालित जोत धारक

● महिला जोतों की संख्या:

● 2010-11: 5.46 लाख

● 2015-16: 7.75 लाख (41.94% वृद्धि)

महिला भूमि जोतों का क्षेत्रफल:

● 2010-11: 13.30 लाख हैक्टेयर

● 2015-16: 16.55 लाख हैक्टेयर (24.44% वृद्धि)

राज्य में कृषि जलवायु क्षेत्र

● राजस्थान 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित

● उत्तर-पश्चिम (61%): शुष्क/अर्ध-शुष्क, वर्षा पर निर्भर

● दक्षिण-पूर्व (39%): अधिक उपजाऊ

क्र.सं.

जलवायु क्षेत्र

सम्मिलित जिले 

मुख्य फसलें 

1.

शुष्क पश्चिमी मैदानी क्षेत्र (I-A)

जोधपुर,फलोदी, बाड़मेर एवं बालोतरा

बाजरा, मोठ एवं तिल

गेहूँ, सरसों एवं जीरा 

2.

उत्तरी पश्चिमी सिंचित मैदानी क्षेत्र (I-B)

श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़

कपास एवं ग्वार

गेहूँ, सरसों एवं चना

3.

अति शुष्क आंशिक सिंचित पश्चिमी मैदानी क्षेत्र (I-C)

बीकानेर, जैसलमेर एवं चूरू आंशिक (रतनगढ़, सरदारशहर, बीदासर एवं सुजानगढ़ तहसील)

बाजरा, मोठ एवं ग्वार

गेहूँ, सरसों एवं चना

4.

अन्तःस्थलीय जलोत्सरण के 

अन्तःवर्ती मैदानी क्षेत्र (II-A)

सीकर, चूरू (रतनगढ़, सरदारशहर, बीदासर एवं सुजानगढ़ तहसील छोड़कर), झुन्झुनूँ, नागौर एवं डीडवाना-कुचामन

बाजरा, ग्वार एवं दलहन 

सरसों एवं चना 

5.

लूनी नदी का अन्तःवर्ती मैदानी क्षेत्र (II-B)

जालोर, सिरोही (पिण्डवाड़ा, आबूरोड़ तहसील छोड़कर) एवं ब्यावर आंशिक (जैतारण एवं रायपुर तहसील)

बाजरा, ग्वार एवं तिल 

गेहूँ एवं सरसों 

6.

अर्द्ध शुष्क पूर्वी मैदानी क्षेत्र (III-A)

जयपुर, अजमेर, दौसा, टोंक, खैरथल-तिजारा, कोटपुतली बहरोड़ एवं ब्यावर (जैतारण, रायपुर तहसील छोड़कर)

बाजरा, ग्वार एवं ज्वार 

गेहूँ, सरसों एवं चना

7.

बाढ सम्भाव्य पूर्वी मैदानी क्षेत्र (III-B)

अलवर, डीग, भरतपुर, धौलपुर, करौली एवं सवाईमाधोपुर

बाजरा, ग्वार एवं मूँगफली 

गेहूँ, जौ, सरसों एवं चना

8.

अर्द्ध आर्द्र दक्षिणी मैदानी क्षेत्र (IV-A)

उदयपुर, चित्तौड़गढ़ (बडी सादड़ी तहसील छोड़कर) राजसमंद, भीलवाड़ा एवं सिरोही आंशिक (पिण्डवाडा एवं आबूरोड़ तहसील)

मक्का, दलहन एवं ज्वार 

गेहूँ एवं चना 

9.

आर्द्र दक्षिणी मैदानी क्षेत्र (IV-B)

बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, प्रतापगढ़, सलूम्बर (बड़ी सादड़ी तहसील) एवं चित्तौड़गढ़

मक्का, चावल, ज्वार एवं उड़द

गेहूँ एवं चना 

10.

आर्द्र दक्षिणी पूर्वी मैदानी क्षेत्र (V)

कोटा, बाराँ, बूँदी एवं झालावाड़

ज्वार एवं सोयाबीन 

गेहूँ एवं चना 

प्रमुख फसलों का उत्पादन (2024-25 अनुमान)

● कुल खाद्यान्न उत्पादन: 267.67 लाख टन (10.67% वृद्धि)

● खरीफ खाद्यान्न: 103.71 लाख टन (13.47% वृद्धि)

● रबी खाद्यान्न: 163.96 लाख टन (8.97% वृद्धि)

● दलहन उत्पादन:

● खरीफ: 21.73 लाख टन (61.56% वृद्धि)

● रबी: 26.11 लाख टन (31.27% वृद्धि)

● तिलहन उत्पादन: 96.17 लाख टन (4.99% कमी)

● गन्ना उत्पादन: 4.40 लाख टन (21.21% वृद्धि)

● कपास उत्पादन: 18.45 लाख गाँठें (29.61% कमी)

राजस्थान की राष्ट्रीय कृषि में स्थिति (2022-23)

● प्रथम स्थान: राई-सरसों, बाजरा, कुल तिलहन, पोषक अनाज, ग्वार

● द्वितीय स्थान: मूँगफली

● तृतीय स्थान: ज्वार, चना, कुल दलहन, सोयाबीन

प्रमुख फसलों के उत्पादन में तुलनात्मक विवरण

क्र.सं.

फसल

प्रथम स्थान

द्वितीय स्थान

तृतीय स्थान

राजस्थान का देश के कुलउत्पादन में योगदान (प्रतिशत में)

1.

राई व सरसों 

राजस्थान

उत्तरप्रदेश

मध्यप्रदेश

46.13

2.

बाजरा

राजस्थान

उत्तरप्रदेश

गुजरात

44.66

3.

कुल तिलहन

राजस्थान

मध्यप्रदेश

गुजरात

22.78

4.

पोषक अनाज

राजस्थान

कर्नाटक

मध्यप्रदेश

15.66

5.

ग्वार 

राजस्थान

हरियाणा

गुजरात

90.36

6.

मूँगफली

गुजरात

राजस्थान

तमिलनाडु

18.76

7.

ज्वार

महाराष्ट्र

कर्नाटक

राजस्थान

14.87

8.

चना

महाराष्ट्र

मध्यप्रदेश

राजस्थान

14.75

9.

कुल 

दलहन

मध्यप्रदेश

महाराष्ट्र

राजस्थान

13.88

10.

सोयाबीन

महाराष्ट्र

मध्यप्रदेश

राजस्थान

8.05

स्रोत: कृषि सांख्यिकी एक झलक 2023, कृषि व किसान मंत्रालय, भारत सरकार

कृषि वृद्धि के प्रेरक तत्त्व

बीज

● उच्च गुणवत्ता वाले बीज फसल उत्पादन और बीमारियों से सुरक्षा में सहायक।

● राजस्थान राज्य बीज निगम लिमिटेड (RSSCL): बीज उत्पादन और आपूर्ति की नोडल एजेंसी।

● मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना: किसानों को उन्नत बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया।

● वर्ष 2024-25 में खरीफ और रबी सीजन के दौरान 31.59 लाख बीज मिनी-किट महिला किसानों को निःशुल्क वितरित।

उर्वरक और मृदा स्वास्थ्य

● संतुलित उर्वरक उपयोग से मृदा स्वास्थ्य में सुधार।

2024-25 में:

● 3.40 लाख मृदा नमूने एकत्र, 3.14 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी।

● किसानों को 20.42 लाख मी. टन यूरिया, 6.42 लाख मी. टन डीएपी की आपूर्ति।

● 'गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना': जैविक खाद उत्पादन हेतु वित्तीय सहायता।

● कृषि क्लीनिक: मृदा परीक्षण और फसल सुरक्षा सेवाओं के लिए 2024-25 में 20 नए क्लीनिक प्रस्तावित।

नमो ड्रोन दीदी योजना

● 1,000 महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को ड्रोन तकनीक अपनाने हेतु वित्तीय सहायता।

● ड्रोन से नैनो यूरिया और कीटनाशकों का सटीक छिड़काव।

● योजना हेतु ₹18.02 करोड़ स्वीकृत।

कृषि ऋण

● सहकारी ऋण प्रणाली द्वारा किसानों को वित्तीय सहायता।

● 2024-25 में:

● ₹16,781.27 करोड़ का अल्पकालीन फसली ऋण वितरित।

● 947 महिला सहकारी समितियाँ बनीं, 8.70 लाख महिलाओं को लाभ।

● शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण योजना से 30.12 लाख किसानों को लाभ।

● राजस्थान ग्रामीण आजीविका ऋण योजना से ₹12,809.31 लाख का वितरण।

● कृषि अवसंरचना निधि (AIF) के तहत् ₹1,804.10 करोड़ की राशि वितरित।

फसल बीमा

● प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) से किसानों को सुरक्षा।

● खरीफ, रबी और बागवानी फसलों पर क्रमशः 2%, 1.5%, 5% प्रीमियम।

● 2024-25 में ₹2,777 करोड़ क्लेम राशि वितरित।

राजस्थान में जल संसाधनों की स्थिति

● राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य (10.41% क्षेत्रफल) है, लेकिन जल संसाधनों का केवल 1.16% ही प्राप्त होता है।

● अनियमित वर्षा और उच्च जल वाष्पीकरण से जल संकट गंभीर बना हुआ है।

● वर्ष 2024 में मानसून अच्छी रही (662.44 मिमी वर्षा, सामान्य से 58.68% अधिक)।

सिंचाई व्यवस्था

● सिंचाई स्रोत: नहरें, ट्यूबवेल, कुएं, तालाब आदि।

● कुल सिंचित क्षेत्र: 95.47 लाख हैक्टेयर।

प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ:

● इंदिरा गाँधी नहर, माही, नर्मदा नहर, बीसलपुर, चंबल कमांड क्षेत्र।

● वर्ष 2024-25 में 7 प्रमुख, 6 मध्यम और 40 लघु सिंचाई  योजनाएँ प्रगति पर।

● विभिन्न योजनाओं के तहत् अब तक 39.36 लाख हैक्टेयर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई।

● सिंचाई बजट: ₹5,803.75 करोड़ (दिसंबर, 2024 तक ₹2,816.09 करोड़ व्यय)।

संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना (ई.आर.सी.पी.)

● मानसून जल को विभिन्न नदियों में स्थानांतरित कर जल आपूर्ति सुनिश्चित करना।

● 17 जिलों में पेयजल आपूर्ति, 32.5 मिलियन लोग लाभान्वित।

● 2.51 लाख हैक्टेयर नई कृषि भूमि की सिंचाई।

● चरण-1ए के तहत् नवनेरा बैराज पूरा, ईसरदा बाँध 80% पूर्ण।

● पेयजल हेतु नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना डीपीआर तैयार (₹14,200 करोड़)।

इंदिरा गाँधी नहर परियोजना (आई.जी.एन.पी.)

● पश्चिमी राजस्थान के लिए जीवनरेखा।

● 16.17 लाख हैक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई सुविधा।

● जीर्ण-शीर्ण नहरों के नवीनीकरण हेतु विभिन्न परियोजनाएँ।

● वर्ष 2024-25 में ₹837.52 करोड़ का बजट आवंटित, दिसंबर, 2024 तक ₹466.27 करोड़ व्यय।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)

● हर खेत को पानी एवं जल उपयोग दक्षता में सुधार।

● 30 जिलों में 7.50 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को कवर करने वाली 149 परियोजनाएँ मंजूर (₹1,858.85 करोड़)।

● दिसंबर , 2024 तक ₹814.05 करोड़ व्यय, 23,098 कार्य पूरे।

राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना (RWSSRP) - 

● उद्देश्य: इंदिरा गाँधी नहर प्रणाली का पुनर्वास

● जल रिसाव को रोकना और जल उपयोग दक्षता बढ़ाना

● सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देना

● परियोजना अवधि: 7 वर्ष (दो चरणों में)

● कुल लागत: ₹3,291.63 करोड़

● 70% न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) से ऋण

● 30% राज्य सरकार के राजस्व स्रोतों से

प्रमुख कार्य:

● इंदिरा गाँधी नहर एवं फीडर की रीलाइनिंग (179.53 किमी)

● वितरण प्रणाली का विकास (2,498.69 किमी)

● जलभराव सुधार (33,312 हैक्टेयर)

● जल उपयोगकर्ता संघ (WUA) को सशक्त बनाना

लाभान्वित जिले:

● श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर, बीकानेर, झुंझुनूँ, सीकर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर आदि

चरण 1:

● लागत: ₹1,037.25 करोड़

● ऋण: 100 मिलियन USD (₹726.60 करोड़)

● कार्य: इंदिरा गाँधी नहर और वितरण प्रणाली का नवीनीकरण पूर्ण

चरण 2:

● लागत: ₹2,254.38 करोड़

● इंदिरा गाँधी फीडर और मुख्य नहर का नवीनीकरण

● दिसंबर, 2024 तक ₹1,587.90 करोड़ व्यय

● कुल 286 कार्यों में से 275 पूर्ण

अन्य महत्त्वपूर्ण जल परियोजनाएँ:

● राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (₹134 करोड़) – जल संसाधनों की निगरानी

● अटल भू-जल योजना (₹1,189.65 करोड़) – भू-जल प्रबंधन

● परवन वृहद् परियोजना (₹7,355.23 करोड़) – सिंचाई और पेयजल आपूर्ति

● नवनेरा बैराज (₹1,316.32 करोड़) – ईआरसीपी का हिस्सा

● धौलपुर लिफ्ट परियोजना (₹695.80 करोड़) – माइक्रो इरिगेशन

● कालीतीर लिफ्ट परियोजना (₹130.60 करोड़) – पेयजल आपूर्ति

● नर्मदा नहर परियोजना (₹3,268.67 करोड़) – स्प्रिंकलर सिंचाई

● ऊपरी उच्च स्तर नहर (₹2,500 करोड़) – बाँसवाड़ा क्षेत्र की सिंचाई

● पीपलखूंट उच्च स्तर नहर (₹2,000 करोड़) – जाखम बाँध से जल आपूर्ति

● सरहिन्द फीडर एवं राजस्थान फीडर री-लाइनिंग – जल प्रबंधन सुधार

राजस्थान में सतत् उद्यानिकी प्रथाओं को बढ़ावा देने का

उद्यानिकी विकास की संभावनाएं

● ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और कृषि विविधीकरण को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका।

● 2024-25 के लिए ₹1,348.09 करोड़ का बजट, जिसमें से दिसम्बर 2024 तक ₹515.83 करोड़ खर्च।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)

● 31 जिलों में लागू, ₹114.76 करोड़ का बजट।

● दिसम्बर 2024 तक ₹20.42 करोड़ खर्च।

● फलों के बाग 1,287 हैक्टेयर में, 3.23 लाख वर्ग मीटर ग्रीनहाउस, 524 प्याज भंडारण संरचनाएँ स्थापित।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)

● ताड़ की खेती, शहरी सब्जी क्लस्टर, संरक्षित कृषि और नर्सरी विकास को प्रोत्साहन।

● 2024-25 में ₹7.04 करोड़ के आवंटन में से ₹6.75 करोड़ खर्च।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)

● वर्ष 2007-08  में शुरू : वित्त पोषण: 60:40 (केंद्र व राज्य)

● गेहूँ, दालें, मोटा अनाज और पोषक अनाज की उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहन।

● राजस्थान के विभिन्न जिलों में अलग-अलग फसलों पर मिशन लागू।

● 2024-25 में ₹86.12 करोड़ खर्च।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन - तिलहन व टीबीओ

● वित्त पोषण: 60:40 (केंद्र व राज्य)

● जैविक उर्वरकों, सिंचाई, बीज वितरण और बाड़बंदी पर ध्यान।

● ओलिव, जोजोबा जैसे टीबीओ पौधों को प्रोत्साहन।

● 2024-25 में ₹4.60 करोड़ खर्च।

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA)

● जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, सूक्ष्म सिंचाई, जैविक खेती, मृदा स्वास्थ्य पर कार्य।

● 3.40 लाख मृदा नमूने एकत्र, 3.14 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी।

एडैप्टिव ट्रायल सेंटर (ATC) व जैविक खेती

● अनुसंधान केंद्रों से नई कृषि तकनीकों की जाँच और जैविक खेती को सहायता।

● जैविक किसानों को ₹1 लाख की वार्षिक सहायता।

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)

● क्लस्टर आधारित जैविक खेती और PGS प्रमाणन।

● किसानों को गुणवत्ता आश्वासन और जैविक खेती की सुविधाएं।

कटाई के बाद प्रबंधन

कटाई के बाद प्रबंधन का महत्त्व

● कृषि उत्पादन और वितरण को सुचारू बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका।

● खाद्य सुरक्षा, पोषण और किसानों की आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा।

● तकनीकी प्रगति और सुविधाओं का विकास आवश्यक।

भंडारण

● फसल की गुणवत्ता बनाए रखना, अपशिष्ट और कीट नुकसान को कम करना।

● राजस्थान स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (RSWC) भंडारण सुविधा प्रदान करता है।

● राज्य में 96 गोदाम, कुल भंडारण क्षमता 18.12 लाख मैट्रिक टन (दिसंबर 2024)।

● किसानों और सहकारी समितियों को भंडारण शुल्क में 70%, 60% और 10% छूट।

● 0.60 लाख मैट्रिक टन नई क्षमता का निर्माण, 0.37 लाख मैट्रिक टन निर्माणाधीन।

प्रसंस्करण

● खाद्य सुरक्षा में सुधार, फसल नुकसान में कमी, बाजार मूल्य वृद्धि।

● फूड पार्क विकास और भूमि आवंटन नीति 2024 लागू।

● राइजिंग राजस्थान समिट 2024 – ₹51,135.50 करोड़ के 2,531 समझौते (MoU)।

● राजस्थान निवेश संवर्धन नीति 2024 के तहत् पूँजी निवेश पर 50% प्रोत्साहन।

● PM-FME योजना – ₹10 लाख तक की 35% अनुदान सब्सिडी।

● 1,502 व्यक्तिगत आवेदन, 3,078 स्वयं सहायता समूहों को ₹14.10 करोड़ अनुदान।

● 8 जिलों में 8 इनक्यूबेशन सेंटर, ₹23.11 करोड़ स्वीकृत।

विपणन

● कृषि उत्पादों के कुशल वितरण और मूल्य स्थिरीकरण में सहायक।

● नए मंडी यार्ड – 5 वर्षों में 145 से 173 मंडियों में वृद्धि।

● 335 अधिसूचित उप मंडी यार्ड, निजी मंडियों और ई-उप मंडियों की स्थापना।

● APMC अधिनियम में सुधार – निजी बाजार, ई-ट्रेडिंग, एकीकृत लाइसेंस।

● कृषक उपहार योजना – ई-नाम पोर्टल के माध्यम से पुरस्कार योजना।

● सहकारी विपणन समितियाँ – ₹1,968.15 करोड़ की कृषि उपज का विपणन (2024-25)।

● राष्ट्रीय सहकारी मसाला मेला 2024 – 19-28 मई, जयपुर में आयोजन।

● पशु मेलों में विस्तार – पहले 7 जिलों में, अब 11 नए मेले।

● ₹624.20 करोड़ का व्यय, 230.41 किमी सड़क निर्माण।

● सहकारी उपभोक्ता संरचना – 33 जिला स्तरीय भंडार, ₹1,008.95 करोड़ का व्यापार (2024-25)।

समृद्ध खेती के लिए पशुधन - 

पशुपालन का महत्त्व

● कृषि के सहायक क्षेत्र के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि।

● विशेष रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में किसानों के लिए आजीविका का स्रोत।

● सूखे और अकाल के समय आजीविका का स्थिर साधन।

पशुधन आँकड़े  (2019 एवं 2022-23)

● कुल पशुधन: 568.01 लाख, कुक्कुट पक्षी: 146.23 लाख।

● देश के कुल पशुधन का 10.60% राज्य में।

देश के पशुधन में राज्य का श्रेणीवार हिस्सा

प्रतिशत (%)

गौवंश

7.24

भैंस

12.47

बकरियाँ

14.00

भेड़

10.64

ऊँट

84.43

देश के कुल पशुधन में राज्य का हिस्सा

10.60

● 14.44% दूध उत्पादन और 47.98% ऊन उत्पादन में योगदान।

पशुधन उत्पाद उत्पादन

वर्ष

दुग्ध उत्पादन

(हजार टन)

मांस उत्पादन

(हजार टन)

अण्डा उत्पादन

(दस लाख)

ऊन उत्पादन

(लाख किग्रा.)

2019-20

26572

200

2698

144

2020-21

30723

201

2488

157

2021-22

33265

221

2688

156

2022-23

33307

240

2761

161

पशुधन स्वास्थ्य एवं नस्ल सुधार प्रयास

● 534.75 लाख टीकाकरण (2024-25)।

● 2.26 लाख बड़े पशुओं और 4.63 लाख छोटे पशुओं का बंध्याकरण।

● 15.33 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए।

पशु चिकित्सा सुधार एवं योजनाएँ

● 500 नए पशु चिकित्सा उप-केंद्र स्वीकृत, 101 अपग्रेड, 2 नए अस्पताल स्थापित।

● 1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स (एमवीयू) शुरू, जो टोल-फ्री नंबर 1962 से सेवाएँ प्रदान कर रही हैं।

● खुरपका-मुँहपका रोग नियंत्रण - 200.13 लाख गाय-भैंसों का टीकाकरण।

● लिंग क्रमित वीर्य योजना - दुग्ध पशु नस्ल सुधार हेतु सब्सिडी 50% से 75% बढ़ी।

पशुपालन कल्याण योजनाएँ

● ऊँट संरक्षण अनुदान - ₹20,000 प्रति ऊँट।

● पशुधन निःशुल्क आरोग्य योजना - 138 प्रकार की दवाएँ, 25 सर्जिकल सामग्री निःशुल्क।

● राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) - 550 आवेदकों को ऋण प्रस्ताव भेजे गए।

● सरस सुरक्षा कवच बीमा योजना - दुर्घटना मृत्यु पर ₹5 लाख और आंशिक विकलांगता पर ₹2.5 लाख।

● मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना - ₹5 प्रति लीटर की सहायता राशि।

गौशाला एवं गोपालन विकास योजनाएँ

● गोशाला विकास - 90:10 अनुदान पर ₹10 लाख तक वित्तीय सहायता।

● पंजीकृत गौशालाओं हेतु अनुदान - ₹44/दिन (बड़े गौवंश), ₹22/दिन (छोटे गौवंश)।

● गौकाष्ठ मशीन योजना - 100 गौशालाओं में 80:20 (सरकार : जनता) अनुदान पर मशीनें।

आवारा पशुओं के लिए पहल

● पंचायत समिति स्तरीय नंदीशाला योजना - 90:10 योगदान, ₹1.57 करोड़ प्रति इकाई।

● ग्राम गौशाला योजना - ₹1 करोड़ लागत, 90:10 वित्तीय सहायता।

अन्य प्रमुख पहल

● वध/तस्करी से बचाए गए मवेशियों हेतु अनुदान - ₹2.01 करोड़ वितरित।

● गौ उत्पाद प्रसंस्करण प्रशिक्षण - ₹9.79 लाख का आवंटन।

● ई-न्यूजलेटर "गोपालक वाणी" - पशुपालन से संबंधित जानकारी साझा करने हेतु।

डेयरी विकास

● राजस्थान में डेयरी विकास सहकारी समितियों के माध्यम से संचालित।

● दिसम्बर, 2024 तक कुल 19,054 डेयरी सहकारी समितियाँ  24 जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों और एक राज्य स्तरीय शीर्ष निकाय, 'राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) लिमिटेड, जयपुर से संबद्ध हैं।  

● दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता 51.40 लाख लीटर/दिन।

● औसत दैनिक दूध खरीद 30.04 लाख किलोग्राम।

● दुग्ध उत्पादकों को ₹3,902 करोड़ का भुगतान।

● पशु आहार उत्पादन 3.77 लाख मीट्रिक टन।

● डेयरी उत्पादों में घी, छाछ, लस्सी, पनीर आदि का उत्पादन।

● दिसम्बर, 2024 तक, फेडरेशन द्वारा 18,742 मैट्रिक टन घी का विपणन किया जा चुका है।

जलीय कृषि और मत्स्य पालन विकास

● राज्य में 4.30 लाख हैक्टेयर जल क्षेत्र उपलब्ध।

● जिनमें से 3.36 लाख हैक्टेयर बड़े और मध्यम जलाशयों के रूप में तथा 0.94 लाख हैक्टेयर छोटे तालाबों और टैंकों के रूप में मौजूद हैं।

● राजस्थान जल संसाधनों की उपलब्धता के मामले में देश में 10वें स्थान पर है, जो मत्स्य उत्पादन में आगे बढ़ने की व्यापक संभावनाओं को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना

● प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत् ₹698.46 लाख का प्रावधान।

● 22 किसानों को 21.41 हैक्टेयर खारे पानी में झींगा पालन की स्वीकृति।

● चूरू में खारे पानी की जलीय कृषि प्रयोगशाला स्थापित।

किसानों और कृषि श्रमिकों का कल्याण

महत्त्व और उद्देश्य

● किसानों और कृषि श्रमिकों की आर्थिक स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।

● जलवायु परिवर्तन और बाजार उतार-चढ़ाव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सहायता प्रदान करना।

● छोटे और सीमांत किसानों, भूमिहीन श्रमिकों को वित्तीय, शैक्षिक और स्वास्थ्य संबंधी सहायता देना।

● टिकाऊ कृषि और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।

मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

● किसानों को वार्षिक ₹2,000 की अतिरिक्त वित्तीय सहायता।

● कुल ₹1,400 करोड़ का वार्षिक प्रावधान।

सम्मान पेंशन योजना

● महिला किसानों (55 वर्ष से अधिक) को ₹1,150 प्रति माह।

● पुरुष किसानों (58 वर्ष से अधिक) को ₹1,150 प्रति माह।

● अब तक 2.09 लाख से अधिक लाभार्थी।

राजस्थान कृषक समर्थन योजना

● न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर प्रति क्विंटल ₹125 का बोनस भुगतान।

● कुल ₹150.66 करोड़ का वितरण।

गेहूँ की MSP पर खरीद

● 2024-25 में 12.05 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद।

● 94,694 किसानों को लाभ।

राजस्थान कृषक ऋण माफी योजना 

● राज्य सरकार ने 30 नवंबर, 2018 तक के सभी अल्पकालिक फसल ऋणों को पात्र ऋणी किसानों के लिए माफ कर दिया है।

● 20.84 लाख किसानों का ₹7,888.20 करोड़ का ऋण माफ।

● 30,326 किसानों को ₹298.33 करोड़ की अतिरिक्त राहत।

समेकित बाल विकास योजना

● 61,893 आँगनवाड़ी केंद्रों को पोषण सामग्री की आपूर्ति।

● अब तक ₹653.64 करोड़ का खर्च।

किसान कलेवा योजना

● मंडियों में अनुदानित दरों पर भोजन उपलब्ध।

● 19.76 लाख किसानों को ₹5.51 करोड़ की सहायता।

महिलाओं के लिए कृषि प्रशिक्षण

● ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण सत्र।

● 3.12 लाख महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया।

कृषि शिक्षा में बालिकाओं को प्रोत्साहन

● उच्च शिक्षा के लिए ₹15,000 से ₹40,000 वार्षिक सहायता।

● `अब तक 28,559 बालिकाओं को ₹4,971 करोड़ का लाभ।

मुख्यमंत्री कृषक साथी सहायता योजना

● कृषि कार्य के दौरान मृत्यु/दुर्घटना पर वित्तीय सहायता।

● 1,690 लाभार्थियों को ₹26.65 करोड़ की राशि वितरित।

महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना

● श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने हेतु विभिन्न सहायता योजनाएँ।

● अब तक 666 श्रमिकों को ₹2.40 करोड़ का लाभ।

● गर्भावस्था, विवाह, छात्रवृत्ति, और चिकित्सा सहायता शामिल।

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