सर्वनाम
● सर्वनाम– सर्व (सभी) + नाम (संज्ञा)
● ‘सर्व’ का अर्थ है– ‘सबका’ तथा ‘नाम’ का अर्थ है–’संज्ञा’
● इस प्रकार सर्वनाम शब्द का अर्थ है– सब का नाम।
● वाक्य में संज्ञा की पुनरुक्ति को दूर करने के लिए संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।
● संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं अर्थात् किसी वाक्य में एक ही शब्द की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, वे सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे– हरीश शिमला में रहता है तथा वह वहाँ व्यापार करता है।
● प्रस्तुत उदाहरण में ‘वह’ शब्द सर्वनाम के रूप में प्रयुक्त हुआ है। ‘वह’ ‘हरीश’ संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है।
सर्वनाम विकारी पद है तथा इसके विकारक वचन व कारक होते हैं। लिंग के अनुसार सर्वनाम शब्द में रूपान्तरण नहीं होता है। अत: लिंग सर्वनाम शब्दों का विकारक नहीं होता है।
सर्वनाम शब्दों के लिंग की पहचान क्रिया के द्वारा होती है; जैसे–
वह जा रहा है। (पुल्लिंग)
वह जा रही है। (स्त्रीलिंग)
सर्वनाम के भेद
● सर्वनाम के 6 भेद होते हैं–
विशेष– हिन्दी में मूल सर्वनामों की संख्या ग्यारह (11) है, जो इस प्रकार है– मैं, तू, आप, यह, वह, कोई, कुछ, जो, सो, कौन, क्या। (इनमें से तीन सर्वनाम ‘कुछ, क्या, सो’ अविकारी है, शेष आठ सर्वनाम विकारी है और उनकें विकारी रूपांतर भी हैं।)
पुरुषवाचक सर्वनाम
● वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाले वक्ता, सुनने वाले श्रोता या किसी अन्य के लिए प्रयोग किए जाते हैं, पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे–
- मैं आगरा रहता हूँ।
- तुम कहाँ रहते हो?
- वह विदेश रहता है।
- आप कब आ रहे हों?
पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद
● पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं–
(i) उत्तम पुरुष
(ii) मध्यम पुरुष
(iii) अन्य पुरुष
(i) उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम– वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाला वक्ता/व्यक्ति अपने लिए करता है, उत्तम पुरुष वाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे– मैं, मेरा, हम, हमारा।
● इसका मूल सर्वनाम 'मैं' है तथा इसके (मैं) अन्य रूपांतरण वचन एवं कारक के अनुसार होते हैं; जैसे–
'मैं' सर्वनाम के रूपांतरण
कारक | विभक्ति चिह्न | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | ने | मैं, मैंने | हम, हमने, हमलोग |
कर्म | को | मुझे | हमें, हम लोगों को |
करण | से, के द्वारा | मुझसे, मेरे द्वारा | हमसे, हमारे द्वारा, हम लोगों के द्वारा |
संप्रदान | को, के लिए | मुझे, मेरे लिए | हमें, हमारे लिए |
अपादान | से (अलग होकर) | मुझसे | हमसे |
संबंध | रा, रे, री | मेरा, मेरी, मेरे | हमारा, हमारी, हमारे |
अधिकरण | में, पर | मुझमें, मुझ पर | हममें, हम पर |
- मैं आज बरसात में भीग गया।
- मुझे अपना कार्य करना है।
- मेरा इंतजार मत करना।
- मुझे यहाँ क्यों बुलाया?
- हम कल तक पहुँच जाएँगे।
- हमें अपने काम में ध्यान देना चाहिए।
- हमें दुनिया से क्या लेना-देना?
- इस विषय में हमारा बोलना ठीक नहीं है।
(ii) मध्यम पुरुष वाचक सर्वनाम– वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाला वक्ता/व्यक्ति, सुनने वाले श्रोता/व्यक्ति के लिए करता है, मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे– तू, तुम, आप।
● इसका मूल सर्वनाम 'तू' है तथा इसके (तू) अन्य रूपांतरण कारक एवं वचन के अनुसार होते है; जैसे–
'तू' सर्वनाम के रूपांतरण
कारक | विभक्ति चिह्न | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | ने | तू, तूने | तुम, तुमने |
कर्म | को | तुझे | तुम्हें |
करण | से, के द्वारा | तुझसे, तेरे द्वारा | तुमसे, तुम्हारे द्वारा |
संप्रदान | को, के लिए | तुझे, तेरे लिए | तुम्हें, तुम्हारे लिए |
अपादान | से (अलग होकर) | तुझसे (पृथक्) | तुमसे (पृथक्) |
संबंध | रा, रे, री | तेरा, तेरी, तेरे | तुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे |
अधिकरण | में, पर | तुझमें, तुझ पर | तुममें, तुम पर |
- तुम बहुत सुंदर लिखते हो।
- आप कहाँ रहते हो।
- तुझे कल कार्यालय जाना है।
- तेरा पुराना मित्र आया है।
- तुझे किसी से झगड़ना नहीं चाहिए।
- तुम अपने काम से काम रखो।
- तुम्हें वहाँ जाने की क्या ज़रूरत थी?
- तुम्हारा आपस का मामला है।
- आप कब तक आ जाओगे?
(iii) अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम– वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाला वक्ता और सुनने वाला श्रोता किसी अन्य व्यक्ति के लिए करते हैं, अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे– यह, वह
- इसका मूल सर्वनाम 'वह' है तथा इसके (वह) अन्य रूपांतरण वचन एवं कारक के अनुसार होते है; जैसे–
'वह' सर्वनाम के रूपांतरण
कारक | विभक्ति चिह्न | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | ने | उसने | वे, उन्होंने, वे लोग, उन लोगों ने |
कर्म | को | उसे, उसको | उन्हें, उनको, उन लोगों को |
करण | से, के द्वारा | उससे, उसके द्वारा | उनसे, उनके द्वारा, उन लोगों से, उन लोगों के द्वारा |
संप्रदान | को, के लिए | उसे,उसको, उसके लिए | उन्हें, उनको, उनके लिए, उन लोगों के लिए |
अपादान | से (अलग होकर) | उससे | उनसे, उन लोगों से |
संबंध | का, के, की | उसका, उसकी, उसके | उनका, उनकी, उनके, उन लोगों का, उन लोगों की, उन लोगों के |
अधिकरण | में, पर | उसमें, उस पर | उन लोगों में, उन लोगों पर |
- वह पढ़ते-पढ़ते सो गया।
- उसको कुछ मत कहना।
- वह कल गाँव जाएगा।
- ये बच्चे बहुत शैतान हैं।
विशेष बातें
● ‘मैं’, ‘हम’, ‘तुम’ और ‘आप’ सर्वनाम शब्दों के साथ स्वयं के लिए अपना, अपनी, अपने आदि का प्रयोग करना चाहिए; जैसे–
- मैं अपने गाँव जा रहा हूँ।
- तुम अपना काम करो।
● ‘तू’ शब्द का प्रयोग आत्मीयता, निकटता, स्नेह, ममता, तिरस्कार तथा बराबरी का भाव दिखाने के लिए किया जाता है; जैसे–
- तू तो मेरा प्यारा बेटा है। (ममता)
- हे ईश्वर! तू ही मेरा उद्धार कर। (आत्मीयता)
- तू इतना उदास क्यों है। (निकटता)
- तू यहाँ से चला जा। (तिरस्कार)
● यदि ‘आप’ शब्द कोई क्रिया करे या फिर ‘आप’ शब्द की विशेषता बताई जाए, तो यहाँ ‘आप’ पुरुषवाचक सर्वनाम माना जाता है; जैसे–
- आप पढ़ रहे हैं।
- आप अत्यंत सुन्दर लग रहे हैं।
● ‘आप’ शब्द जब निजता का बोध कराए, तो ‘आप’ निजवाचक सर्वनाम बन जाता है; जैसे–
- मैं आप ही आ जाऊँगा।
- लड़के आप ही चले जाएँगे।
● ‘आप’ सर्वनाम यदि किसी व्यक्ति विशेष के परिचय के रूप में प्रयुक्त होता है तो वहाँ अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम हो जाता है; जैसे–
- हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य का नाम श्री अजय हंस है। आपयहाँ तीन वर्षों से कार्यरत है।
● ‘आप’ शब्द का प्रयोग तीन सर्वनामों (मध्यम पुरुषवाचक, अन्य पुरुषवाचक और निजवाचक) में किया जाता है।
- आप क्रोध न करे। (आप– मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम)
- चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता सेनानी थे। आप आजीवन अंग्रेजों से लड़ते रहें। (आप– अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम)
- मैं आप आ जाऊँगा। (आप– निजवाचक सर्वनाम)
● एकवचन शब्द के साथ ‘वह’ तथा बहुवचन शब्द के साथ ‘वे’ सर्वनाम
का प्रयोग किया जाता है। परन्तु किसी व्यक्ति विशेष को आदर देने के लिए वह (एकवचन) के स्थान पर वे (बहुवचन) का प्रयोग किया जाता है; जैसे–
- जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे बच्चों में चाचा नेहरू के नाम से प्रसिद्ध थे।
निश्चयवाचक सर्वनाम
● वे सर्वनाम शब्द जो किसी निश्चित वस्तु का बोध कराते हैं, निश्चय वाचक सर्वनाम कहलाते हैं। (यह निश्चयात्मकता समीप की वस्तुओं के लिए भी हो सकती है और दूर की वस्तुओं के लिए भी) समीप की वस्तुओं के लिए 'यह' तथा दूर की वस्तुओं के लिए 'वह' सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है।
निश्चयवाचक सर्वनाम किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करने का काम करते हैं; इसलिए इसे संकेतवाचक सर्वनाम भी कहा जाता है।
'यह' सर्वनाम के रूपांतरण
कारक | विभक्ति चिह्न | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | ने | यह, इसने | ये, इन्होंने, इन लोगों ने |
कर्म | को | इसे, इसको | इन्हें, इनको, इन लोगों को |
करण | से, के द्वारा | इससे, इसके द्वारा | इनसे, इन लोगों से, इनके द्वारा, इन लोगों के द्वारा |
संप्रदान | को, के लिए | इसको, इसे, इसके लिए | इन्हें, इनको, इनके लिए, इन लोगों के लिए |
अपादान | से (अलग होकर) | इससे (पृथक्) | इनसे, इन लोगों को |
संबंध | का, के, की | इसका,इसकी, इसके | इनको, इनकी, इनके, इन लोगों का, इन लोगों को, इन लोगों के |
अधिकरण | में, पर | इसमें, इन पर | इन लोगों में, इन लोगों पर, इनमें, इन पर |
- यह मेरी पुस्तक है।
- वह तुम्हारा पेन है।
- ये हमारी कुर्सियाँ हैं।
- वे तुम्हारी घड़ियाँ हैं।
अन्य पुरुषवाचक तथा निश्चयवाचक सर्वनाम में अंतर
1. अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग किसी अन्य अर्थात् जिसके बारे में बात की जा रही है, उसके लिए किया जाता है; परन्तु निश्चयवाचक सर्वनाम का प्रयोग किसी व्यक्ति या वस्तु की निश्चितता को प्रकट करने के लिए किया जाता है।
2. अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम (यह, ये, वह, वे) का प्रयोग वाक्य में कर्ता के रूप में होता है, जबकि निश्चयवाचक सर्वनाम का प्रयोग वाक्य में कर्ता के रूप में नहीं होता है।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
● वे सर्वनाम शब्द जो किसी अनिश्चित व्यक्ति या वस्तु के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं, अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे– कोई, कुछ।
- 'कोई' सर्वनाम का प्रयोग पुरुष (सजीव) संज्ञाओं के लिए तथा 'कुछ' सर्वनाम का प्रयोग पदार्थ (निर्जीव) संज्ञाओं के लिए किया जाता है।
'कोई' सर्वनाम के रूपांतरण
कारक | विभक्ति चिह्न | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | ने | कोई, किसी ने | कोई, किन्हीं ने |
कर्म | को | किसी को | किन्हीं को |
करण | से, के द्वारा | किसी से, किसी के द्वारा | किन्हीं से, किन्हीं के द्वारा |
संप्रदान | को, के लिए | किसी को, किसी के लिए | किन्हीं को, किन्हीं के लिए |
अपादान | से (अलग होकर) | किसी से (पृथक्) | किन्हीं से (पृथक्) |
संबंध | का, के, की | किसी का,किसी के, किसी की, किसी को | किन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के, किन्हीं को, किनके |
अधिकरण | में, पर | किसी में, किसी पर | किन्हीं में, किन में, किन्हीं पर |
- बाहर कोई खड़ा है।
- भीतर कुछ पड़ा है।
- यह किसी का पेन है।
- यहाँ कोई आ रहा है।
- वह किसकी की गाय है।
- आज कुछ खिला दो।
- चाय में कुछ गिरा है।
सम्बन्ध वाचक सर्वनाम
● वे सर्वनाम शब्द जो किसी मुख्य उपवाक्य में आए संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से आश्रित उपवाक्यों का संबंध जोड़ने का कार्य करते है, इसमें सर्वनाम शब्द जोड़े के रूप में दो क्रियाओं से जुड़े होते हैं; जैसे– जो-सो/वह, जिसकी-उसकी, जैसी-वैसी, जितना-उतना, जिसने-उसने, जिसे-वही।
- जो – मुख्य संबंधवाचक सर्वनाम
- सो – सह संबंधवाचक सर्वनाम
- वो – यह हिंदी का मानक सर्वनाम नहीं है इसका प्रयोग केवल क्षेत्र विशेष में ही होता है।
विशेष
● ‘जो’ सर्वनाम का प्रयोग स्वतंत्र रूप में हो सकता है; परंतु ‘सो’ सर्वनाम का प्रयोग किसी भी परिस्थिति में स्वतंत्र रूप में नहीं हो सकता इसका प्रयोग हमेशा ‘जो’ के साथ सह संबंध के रूप में होता है। (वर्तमान में प्रचलन में ‘सो’ की जगह विकल्प में एकवचन के लिए ‘वह’ तथा बहुवचन के लिए ‘वे’ का प्रयोग अधिक होता है।)
● कभी-कभी परीक्षार्थी की बुद्धिमता की जाँच के लिए परीक्षक परीक्षा में ‘जो’ सर्वनाम का वाक्य में अध्याहार करके केवल सह-संबंध का ही प्रयोग कर प्रश्न कर लेता ह; जैसे–
बाहर बैठे है वह हमारे पिताजी है। (इस वाक्य में ‘जो’ सर्वनाम का अध्याहार हो रखा है।)
'जो' सर्वनाम के रूपांतरण
कारक | विभक्ति चिह्न | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | ने | जो, जिसने, किसने | जो, जिन्होंने, जिन लोगों ने |
कर्म | को | जिसे, जिसको | जिन्हें, जिनको, जिन लोगों को |
करण | से, के द्वारा | जिससे, जिसके द्वारा | जिनसे, जिनके द्वारा, जिन लोगों के द्वारा |
संप्रदान | को, के लिए | जिसे, जिसको, जिसके लिए | जिन्हें, जिनको, जिनके लिए, जिन लोगों के लिए |
अपादान | से (अलग होकर) | जिससे (पृथक्) | जिनसे (पृथक्), जिन लोगों से |
संबंध | का, के, की | जिसका, जिसकी, जिसके | जिनका, जिनकी, जिनके, जिन लोगों का, जिन लोगों की, जिन लोगों के |
अधिकरण | में, पर | जिसमें, जिस पर | जिनमें, जिन पर, जिन लोगों पर |
- जो विद्वान होता है, वह सदा सुखी रहता है।
- जिसकी लाठी, उसकी भैंस।
- जितना गुड़ डालोगे, उतना मीठा होगा।
- तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर।
- जो बोओगे, सो काटोगे।
- जैसे गए थे, वैसे आ जाओ।
- जैसी करनी, वैसी भरनी।
- जो पढ़ेगा, वह पास होगा।
- जो प्रथम स्थान आएगा, वह इनाम पाएगा।
विशेष
● पहले प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम को ‘मुख्य संबंधवाचक सर्वनाम’ तथा बाद में प्रयुक्त होने वाले को ‘सह संबंधवाचक सर्वनाम’ कहते हैं;( सम्बन्धवाचक सर्वनाम से सम्बन्ध का बोध कराने वाले सर्वनाम सह-सम्बन्ध वाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे– सो, वैसा, उसे इत्यादि।) जैसे–
मुख्य संबंधवाचक सर्वनाम– जो, जैसा, जिसे, जिसकी आदि।
सह संबंधवाचक सर्वनाम– सो, वैसा, उसे, उसकी आदि।
● संबंधवाचक सर्वनाम के योग से बनने वाला वाक्य रचना की दृष्टि से मिश्र वाक्य होता है।
● संबंधवाचक सर्वनाम वाक्य में सदैव युग्म (जोड़े) के रूप में प्रयुक्त होते हैं; जैसे– जैसी करनी, वैसी भरनी।
प्रश्नवाचक सर्वनाम
● जिन सर्वनाम शब्दों के द्वारा किसी प्रश्न के करने या होने का बोध होता है, प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे– कौन, क्या।
- 'कौन' सर्वनाम का प्रयोग पुरुष (सजीव) संज्ञाओं के लिए तथा 'क्या' सर्वनाम का प्रयोग पदार्थ (निर्जीव) संज्ञाओं के लिए किया जाता है।
'कौन' सर्वनाम के रूपांतरण
कारक | विभक्ति चिह्न | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | ने | कौन, किसने | कौन, किन्होंने, किन लोगों ने |
कर्म | को | किसे, किसको | किन्हें, किनको, किन लोगों को |
करण | से, के द्वारा | किससे, किसके द्वारा | किनसे, किनके द्वारा, किन लोगों के द्वारा |
संप्रदान | को, के लिए | किसे, किसको, किसके लिए | किन्हें, किसको, किनको, किनके लिए, किन लोगों के, किन लोगों के लिए |
अपादान | से (अलग होकर) | किसके (पृथक्) | किनसे (पृथक्), किन लोगों से |
संबंध | का, के, की | किसका, किसकी, किसके | किनका, किनकी, किनके, किन लोगों का, किन लोगों की, किन लोगों के |
अधिकरण | में, पर | किसमें, किस पर | किन में, किन पर, किन लोगों में, किन लोगों पर |
- आप यहाँ क्या कर रहे थे?
- आप क्या कर रहे है?
- आप कौन हो?
- यह किसकी पुस्तक है?
- उसे किसने बुलाया?
- आप किसके पास गए थे?
निजवाचक सर्वनाम
● 'निज' का अर्थ है– 'अपना'।
- वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग व्यक्ति स्वयं के लिए करता है, निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
- निजवाचक सर्वनाम का मूल रूप 'आप' है तथा इसके पर्यायवाची शब्द भी इसी सर्वनाम में आते है; जैसे– आप, आप से ही, अपने आप, स्वयं, ख़ुद, निज, स्वत:, ख़ुदोख़ुद इत्यादि।
- ‘आप’(यह मूलत: निजवाचक है; परंतु आदर का भाव प्रकट करने के लिए मध्यम पुरुष एवं अन्य पुरुष के अर्थ में भी इसका प्रयोग किया जाता हैं।) सर्वनाम को आदरार्थ सर्वनाम भी कहते है। आदर सदैव बहुवचन के भाव में प्रकट होता है इसलिए इसे आदरार्थ बहुवचन भी कहते है अर्थ चाहे इसका एकवचन ही क्यों न निकले।
- ‘आप’ मूलत: निजवाचक है; परंतु कभी-कभी अपना काम निकालने के लिए पुरुषवाचक सर्वनाम (मध्यम पुरुष एवं अन्य पुरुष) में इसका प्रयोग किया जाता हैं।
'आप' सर्वनाम के रूपांतरण
कारक | विभक्ति चिह्न | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | ने | आप, आपने | आप, आपने |
कर्म | को | आपको | आपको |
करण | से, के द्वारा | आपसे, आपके द्वारा | आपसे, आपके द्वारा |
संप्रदान | को, के लिए | आपको, आपके लिए | आपको, आपके लिए |
अपादान | से (अलग होकर) | आपने | आपने |
संबंध | का, के, की
| आपका, आपकी, आपके | आपका, आपकी, आपके |
अधिकरण | में, पर | आपमें, आप पर | आपमें, आप पर |
- मैं अपना गृहकार्य स्वयं करता हूँ।
- वह अपना खाना खुद पकाता है।
- मैं घर आप चला जाऊँगा।
- वह अपने घर स्वत: चला गया।
- मुकेश अपने कपड़े अपने आप धोता है।
- रानी अपने कार्य अपने आप करती है।
- वह आप ही चला जाएगा।
- यह समस्या में आप ही हल कर लूँगा।
'आप' सर्वनाम का प्रयोग
1. मध्यमपुरुष– यदि 'आप' शब्द का प्रयोग श्रोता के लिए (आदरसूचक) किया जाए तो – (‘आप’ सर्वनाम की जगह ’खुद’ शब्द रखने से वाक्य का भाव या अर्थ बदल जाए तो वहाँ मध्यम पुरुष होता है।)
- आप जोधपुर से कब लौटे?
2. अन्यपुरुष– यदि 'आप' शब्द का प्रयोग आदरसूचक रूप में अन्य के लिए किया जाए तो– (जब पहले से कोई संज्ञा दी गई हो और उस संज्ञा की पुनरावृत्ति रोककर उसी के गुणगान इत्यादि में अगर ‘आप’ सर्वनाम को प्रयोग हुआ है तो वहाँ अन्य पुरुष होगा।)
- महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता कहलाते है; आप स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रदूत रहे हैं।
- मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदु विश्व विद्यालय की स्थापना करवाई; आप एक प्रखर सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजनेता थे।
3. निजवाचक– यदि 'आप' का प्रयोग कर्ता के लिए हो तो– (‘आप’ सर्वनाम के जगह पर ‘खुद’ शब्द रखने से वाक्य का भाव या अर्थ ना बदले तो वहाँ निजवाचक होता है।)
- वह आप आ जाएगा।
संज्ञा और सर्वनाम में अंतर
● संज्ञा से हमें उसी वस्तु या पदार्थ का बोध होता है, जिस पदार्थ का वह नाम (संज्ञा) है, जबकि सर्वनाम के अन्तर्गत सर्वनाम शब्द से पूर्वापर संबंध से किसी भी संज्ञा का बोध हो सकता है; जैसे– नदी संज्ञा शब्द से नदी; हाथी संज्ञा शब्द से हाथी; मानव संज्ञा शब्द से मानव का बोध होता है; परन्तु नदी या हाथी संज्ञा शब्द से मानव संज्ञा का बोध कभी नहीं हो सकता। वही सर्वनाम के अन्तर्गत ‘वह’ शब्द नदी, हाथी या मानव किसी के लिए भी प्रयुक्त हो सकता है। इसलिए इसे सर्वनाम (सबका नाम) कहा गया है।
संज्ञा | सर्वनाम |
संज्ञा का लिंग भेद होता है। | सर्वनाम का लिंग भेद नहीं होता है। |
संज्ञा सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार की होती हैं। | सर्वनाम हमेशा सकारात्मक होता होते हैं। |
संज्ञा के 8 कारक होते हैं। | सर्वनाम के 7 ही कारक होते हैं।(सर्वनाम का कभी भी संबोधन कारक नहीं होता हैं।) |
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