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राजस्थान इतिहास: प्रजामण्डल आंदोलन

प्रजामण्डल आंदोलन 

जोधपुर प्रजामण्डल

वर्ष 1918 में मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना चाँदमल सुराणा ने की। 

वर्ष 1920 में मारवाड़ सेवा संघ की स्थापना की गई। 

वर्ष 1931 में जयनारायण व्यास द्वारा मारवाड़ यूथ लीग स्थापित की गई।

वर्ष 1934 में भँवरलाल सर्राफ, अभयमल, छगनराज चौपासनीवाला आदि ने मारवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना की।

वर्ष 1938 में रणछोड़दास गट्टानी की अध्यक्षता में मारवाड़ लोक परिषद् की स्थापना की गई।

बीकानेर प्रजामण्डल

स्वामी गोपालदास ने चूरू में सर्वहितकारिणी सभा की स्थापना की। 

26 जनवरी, 1930 को गणपतिदास, भालचंद शर्मा व चन्दनमल बहड़ ने चूरू में तिरंगा फहराकर स्वतंत्रता दिवस मनाया।

बीकानेर षड्यंत्र केस में गोपालदास, चंदनमल बहड़, सत्यनारायण, खूबचन्द सर्राफ आदि को गिरफ्तार किया गया।

4 अक्टूबर, 1936 को मघाराम वैद्य, रघुवरदयाल गोयल व मुक्ताप्रसाद ने बीकानेर में  प्रजामण्डल की स्थापना की। मघाराम को प्रजामण्डल का अध्यक्ष बनाया गया।

वर्ष 1937 में मघाराम वैद्य, लक्ष्मी देवी आचार्य आदि ने कलकत्ता में बीकानेर राज्य प्रजामण्डल की स्थापना की। 

22 जुलाई, 1942 को रघुवरदयाल द्वारा बीकानेर राज्य प्रजा परिषद् की स्थापना की गई।

1 जुलाई, 1946 को रायसिंह नगर में बीकानेर राज्य प्रजा परिषद् द्वारा पुलिस दमन के विरोध में तिरंगा जुलूस निकाला।

जुलूस को रोकने के लिए पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में बीरबल सिंह वीरगति को प्राप्त हुए। 

बीरबल दिवस - 17 जुलाई, 1946

जैसलमेर प्रजामण्डल

शासन सुधारों की माँग करने पर रघुनाथसिंह मेहता, आईदानसिंह व सागरमल गोपा को जेल जाना पड़ा।

वर्ष 1940 में गोपा द्वारा ‘जैसलमेर का गुण्डाराज’ नामक पुस्तक लिखने पर राज्य द्वारा उन्हें निर्वासित कर दिया गया। 

15 दिसम्बर, 1945 को मीठालाल व्यास द्वारा जोधपुर में प्रजामण्डल की स्थापना की गई।

सागरमल गोपा हत्याकाण्ड - 3 अप्रैल, 1946 को जेल में केरोसिन डालकर सागरमल गोपा को जिन्दा जला दिया गया। 4 अप्रैल को गोपा का निधन हो गया।

मेवाड़ प्रजामण्डल

24 अप्रैल, 1938 को बलवंतसिंह मेहता के घर पर मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना की गई। बलवंतसिंह को अध्यक्ष, भूरेलाल बयाँ को उपाध्यक्ष व माणिक्यलाल को महामंत्री बनाया।

प्रजामण्डल को 11 मई, 1938 को गैर कानूनी घोषित कर माणिक्यलाल वर्मा को मेवाड़ छोड़कर जाने का आदेश दिया। 

फरवरी, 1939 में वर्मा के उदयपुर आने पर बंदी बनाकर पिटाई की गई। इस घटना की गाँधीजी ने कड़ी भर्त्सना की। 

25-26 नवम्बर, 1941 को प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन माणिक्यलाल वर्मा की अध्यक्षता में हुआ, जिसका उद्घाटन आचार्य जे. बी. कृपलानी ने किया।

31 दिसम्बर, 1945 से 2 जनवरी, 1946 को मेवाड़ प्रजामण्डल के निमंत्रण पर अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् का सातवाँ अधिवेशन उदयपुर में आयोजित किया गया, इसकी अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की।

कोटा प्रजामण्डल

वर्ष 1934 में नयनूराम शर्मा ने हाड़ौती प्रजामंडल की स्थापना की।

वर्ष 1939 में पं. नयनूराम शर्मा और पं. अभिन्न हरि ने कोटा प्रजामण्डल की स्थापना की।

वर्ष 1939 में नयनूराम शर्मा की अध्यक्षता में प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन हुआ।

वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय अभिन्न हरि ने आंदोलन छेड़ दिया, जिसमें इनके साथ शंभुदयाल सक्सेना, नाथूलाल जैन, श्यामनारायण, मोतीलाल, वेणीमाधव इत्यादि थे।

बूँदी प्रजामण्डल

वर्ष 1931 में कांतिलाल की अध्यक्षता में बूँदी प्रजामण्डल की स्थापना हुई।

वर्ष 1944 में ऋषिदत्त मेहता ने बूँदी राज्य लोक परिषद् की स्थापना की।

जयपुर प्रजामण्डल

सर्वप्रथम जयपुर प्रजामण्डल की स्थापना की गई। 

वर्ष 1927 में जमनालाल बजाज ने चरखा संघ की स्थापना की।

वर्ष 1931 में कर्पूरचन्द पाटनी ने जयपुर प्रजामंडल की स्थापना की। 

वर्ष 1937 में जमनालाल बजाज व हीरालाल शास्त्री द्वारा प्रजामण्डल का पुनर्गठन किया गया।

8-9 मई, 1938 को प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन जयपुर में जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में हुआ।

चिरंजीलाल ने प्रजामण्डल प्रगतिशील दल की स्थापना की।

सितम्बर, 1942 में हीरालाल शास्त्री तथा जयपुर राज्य के प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल के मध्य जेन्टलमेन एग्रीमेन्ट हुआ।

जेन्टलमेन एग्रीमेन्ट के विरोध में बाबा हरिश्चन्द्र ने आजाद मोर्चा का गठन किया। 

अलवर प्रजामण्डल

पं. हरिनारायण शर्मा द्वारा स्थापित संस्थाएँ – अस्पृश्यता निवारण संघ, वाल्मीकि संघ, आदिवासी संघ आदि।

वर्ष 1938 में हरिनारायण शर्मा व कुंजबिहारीलाल मोदी ने अलवर प्रजामण्डल की स्थापना की।

भरतपुर प्रजामण्डल

वर्ष 1928 में भरतपुर राज्य प्रजा संघ की स्थापना हुई।

वर्ष 1930-31 में भरतपुर में छात्रों ने ‘स्वतंत्रता दिवस’ मनाया।

भरतपुर शासक किशनसिंह द्वारा उत्तरदायी शासन की माँग को समर्थन देने के कारण उन्हें राजगद्दी से हाथ धोना पड़ा।

मार्च, 1938 में रेवाड़ी में प्रजामण्डल की स्थापना हुई, गोपीलाल यादव को अध्यक्ष बनाया गया।

30 दिसम्बर, 1940 को प्रजा परिषद् का पहला सम्मेलन जयनारायण व्यास की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। 

सरकार ने 22 अक्टूबर, 1942 को ब्रज जया प्रतिनिधि सभा का गठन किया।

धौलपुर प्रजामण्डल

वर्ष 1936 में कृष्णदत्त पालीवाल, ज्वालाप्रसाद जिज्ञासु व जौहरीलाल ने प्रजामंडल की स्थापना की।

तासीमो काण्ड – 12 नवम्बर, 1946 को तासीमो गाँव के अधिवेशन में पुलिस ने अमानवीय अत्याचार किए। 

करौली प्रजामण्डल   

वर्ष 1938 में त्रिलोकचंद माथुर, चिरंजीलाल शर्मा व कुँवर मदनसिंह ने करौली प्रजामंडल की स्थापना की।

बाँसवाड़ा प्रजामण्डल

वर्ष 1943 में भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने धूलजी भाई व मणिशंकर के सहयोग से प्रजामंडल की स्थापना की।

डूँगरपुर प्रजामण्डल

अगस्त, 1944 में भोगीलाल पण्ड्या, हरिदेव जोशी, गौरीशंकर उपाध्याय एवं शिवलाल कोटड़िया ने प्रजामंडल की स्थापना की। 

भोगीलाल पण्ड्या को अध्यक्ष बनाया गया।

रास्तापाल कांड - जून, 1947 में रियासती सैनिकों ने रास्तापाल गाँव की पाठशाला के संरक्षक नानाभाई खाँट को मौत के घाट उतारा व अध्यापक सेंगाभाई को ट्रक से बाँधकर घसीटने लगे।

13 वर्षीय भील बालिका कालीबाई ने अपने अध्यापक को रस्सी काटकर बचाने का प्रयास किया लेकिन सैनिकों ने कालीबाई को गोली मारकर हत्या कर दी।

प्रतापगढ़ प्रजामंडल   

वर्ष 1945 में अमृतलाल पायक व चुन्नीलाल ने प्रतापगढ़ प्रजामंडल की स्थापना की।

सिरोही प्रजामण्डल   

वर्ष 1934 में बम्बई में वृद्धिशंकर त्रिवेदी ने सिरोही प्रजामंडल की स्थापना की। 

वर्ष 1939 में सिरोही में गोकुलभाई भट्ट ने प्रजामंडल की स्थापना की। 

झालावाड़ प्रजामण्डल

नवम्बर 1946 में माँगीलाल भव्य ने मदन गोपाल, कन्हैयालाल व मकबूल आलम के साथ मिलकर झालावाड़ प्रजामंडल की स्थापना की। यह नवीनतम प्रजामंडल था।

किशनगढ़ प्रजामंडल  

वर्ष 1939 में कांतिलाल ने किशनगढ़ प्रजामंडल की स्थापना की।

शाहपुरा प्रजामण्डल

वर्ष 1938 में रमेशचन्द्र ओझा ने प्रजामंडल की स्थापना की।

कुशलगढ़ प्रजामण्डल  

वर्ष 1942 में भँवरलाल निगम ने प्रजामंडल की स्थापना की।

वर्ष 1919 में वर्धा में विजयसिंह पथिक ने राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की

वर्ष 1918 में दिल्ली में जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना की गई।

 

क्र.सं.

प्रजामण्डल

स्थापना वर्ष

अध्यक्ष/संस्थापक

I.

1.

जयपुर

1931

कर्पूरचन्द पाटनी

1937 (पुनर्गठन)

(हिन्दी ग्रंथ अकादमी, पृष्ठ संख्या-252)

जमनालाल बजाज, हीरालाल शास्त्री

2.

बूँदी

1931

कांतिलाल चौथानी

II.

3.

मारवाड़/जोधपुर

1934

भँवरलाल सर्राफ, जयनारायण व्यास

4.

हाड़ौती

1934

पं. नयनूराम शर्मा

III.

5.

धौलपुर

1936

कृष्णदत्त पालीवाल, ज्वालाप्रसाद जिज्ञासु

6.

बीकानेर

1936

मघाराम वैद्य, रघुवरदयाल गोयल

IV.

7.

मेवाड़

24 अप्रैल, 1938

माणिक्यलाल वर्मा, बलवंतसिंह मेहता

8.

अलवर

1938

पं. हरिनारायण शर्मा, कुंजबिहारी लाल मोदी

9.

भरतपुर

1938

स्थान - रेवाड़ी

गोपीलाल यादव, किशनलाल जोशी

10.

शाहपुरा

1938

रमेशचंद्र ओझा

11.

करौली

1938

त्रिलोकचंद माथुर व चिरंजीलाल शर्मा

V.

12.

सिरोही

1934, बंबई

वृद्धिशंकर त्रिवेदी

1939, सिरोही

गोकुलभाई भट्‌ट

13.

किशनगढ़

1939

कांतिलाल चौथानी

14.

कोटा

1939

पंडित नयनूराम शर्मा, पं. अभिन्न हरि

VI.

15.

कुशलगढ़

1942

भँवरलाल निगम

VII.

16.

बाँसवाड़ा

1943 (हिन्दी ग्रंथ अकादमी)

1945 (RBSE Class 10th)

भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी

VIII.

17.

डूँगरपुर

अगस्त, 1944

भोगीलाल पण्ड्या, हरिदेव जोशी

IX.

18.

प्रतापगढ़

1945

चुन्नीलाल, अमृतलाल

19.

जैसलमेर

15 दिसम्बर, 1945

स्थान – जोधपुर

मीठालाल व्यास

X.

20.

झालावाड़

25 नवम्बर, 1946

माँगीलाल भव्य

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