अपशिष्ट प्रबन्धन
कचरा (अपशिष्ट पदार्थ) :-
- प्लास्टिक की थैली, कंकड़ पत्थर, डिस्पोजेबल, बोतल व पेड़-पौधों की पत्तियाँ, सड़े-गले भोज्य पदार्थों के कारण कचरा फैलता है।
- कचरा मानव की प्राकृतिक एवं सामाजिक क्रिया-कलापों का परिणाम है।
- सब्जी के छिलके, कागज आदि घरेलू कचरे के उदाहरण हैं जबकि प्लास्टिक की थैली तथा कागज की थैली सामुदायिक कचरे का उदाहरण है।
- अत: हमारे दैनिक कार्यों के फलस्वरूप जो पदार्थ अनावश्यक तथा अनुपयोगी होते हैं हम उन्हें फेंक देते हैं, यह अनुपयोगी पदार्थ ही कचरा कहलाता है।
कचरा (अपशिष्ट पदार्थ) के प्रकार :-
1. जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ
(Biodegradable Waste Materials) :-
- वे अपशिष्ट पदार्थ जो जीवाणुओं द्वारा अपघटित होकर खाद में परिवर्तित हो जाते हैं अथवा जल्दी अपघटित होकर एवं सड़ कर मृदा में मिल जाते हैं, जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ कहलाते हैं; उदाहरण- पेड़-पौधों की पत्तियाँ, फल व सब्जी के छिलके, मल, गोबर आदि।
2. अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ :-
- वे अपशिष्ट पदार्थ जो जीवाणुओं द्वारा अपघटित नहीं होकर मृदा में नहीं मिलते हैं एवं चारों ओर प्रदूषण फैलाते हैं, उन्हें अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ कहते हैं; उदाहरण- धातु के टुकड़े, काँच, प्लास्टिक की वस्तुएँ आदि।
अपशिष्ट पदार्थों को अवस्था के आधार पर निम्नलिखित भागों मेंविभक्त किया जाता है :-
(i) ठोस अपशिष्ट पदार्थ:-
- यह कचरा ठोस अवस्था में पाया जाता है जैसे- काँच के टुकड़े, फल व सब्जी के छिलके, प्लास्टिक आदि।
(ii) द्रव अपशिष्ट पदार्थ:-
- यह अपशिष्ट पदार्थ द्रव अवस्था में पाया जाता है; जैसे- गंदा पानी, तेल, पेन्ट, वाहित मल आदि।
(iii) गैस अपशिष्ट पदार्थ:-
- इसके अंतर्गत वाहनों से निकला धुआँ, औद्योगिक फैक्ट्रियों तथा कारखानों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ सम्मिलित है।
कचरा (अपशिष्ट पदार्थ) प्रबन्धन की विधियाँ :-
1. वर्मी कम्पोस्ट:-
- इसके अंतर्गत अपशिष्ट पदार्थों में लाल केंचुएँ (Red Earthworm) मिला दिए जाते हैं।
- इन केंचुओं के द्वारा कार्बनिक पदार्थ खाया जाता है तथा इनसे निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ उच्च गुणवत्ता युक्त खाद होता है जिसे वर्मी कम्पोस्ट खाद कहते हैं तथा इस प्रक्रिया को वर्मी कम्पोस्टिंग कहा जाता है।
2. कम्पोस्ट:-
- इसके अंतर्गत जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों के द्वारा खाद बनाई जाती है।
- इस विधि में सामग्री को एक गड्ढे में डालकर मिट्टी से अच्छी तरह ढक दिया जाता है, यह गड्ढा किसी छायादार कोने में बनाया जाता है ताकि उसमें नमी बनी रहे एवं हवा मिलती रहे।
- कुछ महीनों बाद यह सामग्री जीवाणुओं द्वारा अपघटित होकर खाद में बदल जाती है जिसे कम्पोस्ट कहते हैं।
- इसका उपयोग किसानों द्वारा खेतों में किया जाता है।
- गोबर गैस प्लाण्ट में प्रयुक्त गाय और भैंस का गोबर कुछ समय बाद खाद में बदल जाता है। इसके द्वारा ईंधन गैसें प्राप्त की जाती हैं।
3. ठोस अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण:-
- ठोस अपशिष्ट पदार्थों को गड्ढे में एकत्र किया जाता है। इसके बाद उसे मिट्टी से ढक दिया जाता है।
- कुछ समय बाद यह ठोस अपशिष्ट पदार्थ अपघटित हो जाता है इस प्रक्रिया को लैंडफिलिंग कहते हैं।
अजैव कचरे का निपटान :-
- प्लास्टिक, काँच, लोहे, ताँबे एवं एल्युमिनियम आदि से निर्मित वस्तुएँ अजैव-निम्नीकृत पदार्थों में सम्मिलित की जाती हैं।
- इन पदार्थों का अपघटन धीरे-धीरे होता है।
- अजैव-निम्नीकृत पदार्थों का निस्तारण 3R (Reduce, Reuse, Recycle) विधियों द्वारा किया जाता है।
1. Reduce (पदार्थों का उपयोग कम करना):-
- इस विधि में अजैव-निम्नीकृत पदार्थों का उपयोग कम किया जा सकता है जिससे इनकी मात्रा में कमी आएगी।
2. Reuse (पदार्थों को पुन: उपयोग में लेना):-
- इस विधि में घरों में प्रयुक्त अनुपयोगी सामग्री को पृथक् करके उन्हें पुन: उपयोग में लाया जाता है; जैसे- बैटरी, धातु के बर्तन, लौहे का भंगार, काँच की बोतलें आदि का उपयोग अन्य घरेलू कार्यों में किया जा सकता है।
3. Recycle (पदार्थों का पुन: चक्रण):-
- प्लास्टिक एवं काँच की अपशिष्ट सामग्री को अनुपयोगी सामग्री से अलग कर इनको फैक्ट्रियों में पुन: चक्रण हेतु भेज दिया जाता है इनसे उपयोगी वस्तुएँ बनाई जाती हैं।
- पुन: चक्रण के समय इनमें कुछ रंग प्रदान करने वाले अभिकर्मक मिला दिए जाते हैं।
- विशेष रूप से ऐसी सामग्री का उपयोग खाद्य सामग्री के संरक्षण करने हेतु बैग, पैकिंग बोरी, डिब्बा आदि बनाने में किया जाता है।
रासायनिक विधि :-
- कूड़ा-करकट को अधिक दाब देकर ठोस ईंटों में बदल सकते हैं।
- हड्डी, रक्त, पंख, वसा आदि को पकाकर चर्बी प्राप्त कर सकते हैं जिसका उपयोग साबुन में कर सकते हैं इससे प्राप्त प्रोटीन पशु आहार में काम आ सकता है।
भस्मीकरण विधि :-
- इस विधि में कचरा निष्पादन, कचरे को जलाकर करते हैं। इससे कचरा ताप, गैस, धुआँ आदि में बदल जाता है।
- कचरे का दहन होने पर विषैली तथा हानिकारक गैसे उत्सर्जित होती हैं।
- अत: यह विश्व स्तर पर विवादास्पद पद्धति है।
- अत: भस्मीकरण की प्रक्रिया, आबादी से दूर क्षेत्रों में की जाती है।
- इस विधि के लिए कम स्थान की आवश्यकता होती है, अत: यह छोटे देशों जैसे- जापान में अति प्रचलित विधि है।
घरेलू कचरा प्रबन्धन :-
- कचरे का व्यवस्थित रूप से निपटान करने की प्रक्रिया को कचरा प्रबन्धन कहते हैं।
- घरेलू कचरा प्रबन्धन के लिए घर में तीन प्रकार के डिब्बे रखे जाने चाहिए-
1. हरा डिब्बा:-
- इसमें फल एव सब्जी के छिलके, पेड़-पौधों की पत्तियाँ एवं खराब भोजन सामग्री आदि अपशिष्ट को एकत्र किया जाता है।
2. नीला डिब्बा:-
- इसमें अजैविक अपशिष्ट सामग्री जैसे- प्लास्टिक की सामग्री, काँच एवं चीनी मिट्टी के बर्तन एवं अन्य धातुओं का कचरा एकत्र किया जाता है।
3. काला डिब्बा:-
- इसमें विषैले पदार्थ, दवाइयों के अपशिष्ट, बैटरी, सेल, अनुपयोगी दवाइयाँ, पेन्ट आदि वस्तुओं को एकत्र किया जाता है।
- अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण यदि व्यवस्थित रूप से किया जाए तो सभी स्थलों को साफ-सुथरा रखा जा सकता है जिससे की रोगों को फैलने से रोका जा सकता है।
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