प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ
● राजस्थान राज्य के लोक निर्माण विभाग से अलग होने के बाद 14 सितम्बर, 1949 को सिंचाई विभाग अस्तित्व में आया।
● राजस्थान जहाँ वर्षा की मात्रा अनिश्चित है। राज्य में मरुस्थलीय एवं अर्द्ध- मरुस्थलीय शुष्क दशाएँ प्रभावी होने के कारण सूखे और अकाल का प्रकोप होने से यहाँ सिंचाई की सर्वाधिक आवश्यकता है।
● स्वतंत्रता के पश्चात् राज्य में सिंचाई के क्षेत्र में विकास करने हेतु वर्ष 1950-51 में प्रथम पंचवर्षीय योजना के तहत तीन प्रकार की सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया गया –
1. वृहद् श्रेणी
2. मध्यम श्रेणी
3. लघु श्रेणी
● वर्तमान में राजस्थान में चार प्रकार की सिंचाई परियोजनाएँ हैं–
1. बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना
2. वृहद् श्रेणी
3. मध्यम श्रेणी
4. लघु श्रेणी
राजस्थान में सिंचाई के प्रमुख साधन :-
● राजस्थान में देश के कुल सतही जल का मात्र 1.16 प्रतिशत जल उपलब्ध है।
● वर्षा की अनियमितता तथा अनिश्चितता के कारण राजस्थान में कृषि सिंचाई पर निर्भर है।
● राजस्थान में सिंचाई के प्रमुख साधन कुएँ, नलकूप, नहरें व तालाब हैं।
(i) कुएँ एवं नलकूप– राजस्थान में सिंचाई का प्रधान साधन है। कुओं एवं नलकूपों से सर्वाधिक सिंचाई भरतपुर, अलवर, उदयपुर व अजमेर जिलों में होती हैं।
(ii) नहरें- राजस्थान में नहरों द्वारा सिंचाई होती है। राज्य में नहरों द्वारा सिंचाई सर्वाधिक श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, कोटा, बूँदी, डूँगरपुर तथा बाँसवाड़ा जिलों में होती हैं।
(iii) तालाब- राजस्थान में तालाबों से सिंचाई का प्रचलन प्राचीन है। तालाबों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई भीलवाड़ा जिले में होती है। राजस्थान में तालाबों द्वारा सिंचाई भीलवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बाँसवाड़ा, बूँदी, टोंक, अजमेर, जयपुर, कोटा, डूँगरपुर व सवाई माधोपुर में होती हैं।
राजस्थान की बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजनाएँ :-
● ऐसी परियोजनाएँ, जिनका निर्माण एक से अधिक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु किया जाता है; जैसे – पेयजल एवं सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, जैव विविधता संरक्षण तथा कृषि एवं पशुपालन विकास प्रमुख बहुउद्देशीय योजनाएँ है।
● पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहुउद्देश्यीय परियोजना को “आधुनिक भारत का मंदिर” कहा था।
● भाखड़ा-नांगल परियोजना, चम्बल परियोजना, माही बजाज सागर योजना आदि।
(1) भाखड़ा – नांगल परियोजना :-
● यह भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है।
● पंजाब के होशियारपुर जिले में सतलज नदी पर स्थित यह राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है, जिसमें राजस्थान की हिस्सेदारी 15.2 प्रतिशत है।
● भाखड़ा बाँध के निर्माण का सर्वप्रथम विचार वर्ष 1908 में पंजाब के गवर्नर लुइस डेन ने दिया था। मार्च, 1948 में परियोजना शुरू हुई तथा 17 नवम्बर, 1955 को तात्कालिक प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में कंक्रीट के द्वारा भाखड़ा बाँध का निर्माण प्रारंभ हुआ (अमेरिकी बाँध निर्माता हॉर्वे स्लोकेम के निर्देशन में)। वर्ष 1963 में जवाहर लाल नेहरू ने यह बाँध राष्ट्र को समर्पित किया।
● भाखड़ा बाँध भूकम्पीय क्षेत्र में स्थित एशिया का सबसे ऊँचा कंक्रीट का गुरुत्वीय बाँध है, जिसकी ऊँचाई 741 फीट (226 मीटर) है।
● पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भाखड़ा बाँध को ‘चमत्कारिक विराट ‘वस्तु’ का था।
● इस परियोजना से राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले को सिंचाई का लाभ प्राप्त हो रहा है।
● इस बाँध की कुल जल विद्युत उत्पादन क्षमता 1516 MW है।
(i) भाखड़ा बाँध –
● यह बाँध सतलज नदी पर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) में बना हुआ है।
● इस बाँध के पीछे गोविंद सागर झील स्थित है।
● भाखड़ा-नांगल परियोजना राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध करवाती है।
(ii) नांगल बाँध –
● इसका निर्माण वर्ष 1952 में पूर्ण हुआ।
● यह भाखड़ा बाँध से 13 किलोमीटर नीचे की ओर रोपड़ (पंजाब) में स्थित है।
● इससे सिंचाई हेतु दो नहरें निकाली गई है –
(a) बिस्त दोआब नहर (दायीं ओर)
(b) भाखड़ा नहर (बायीं ओर)
- राजस्थान में भाखड़ा नहर से हनुमानगढ़ में सिंचाई होती है।
(2) इंदिरा गाँधी नहर परियोजना :-
● इंदिरा गाँधी नहर राजस्थान की एक प्रमुख नहर है। पहले इसका नाम ‘राजस्थान नहर’ था किंतु 2 नवम्बर, 1984 को इसका नाम इंदिरा गाँधी नहर परियोजना कर दिया गया।
● इंदिरा गाँधी नहर परियोजना से राजस्थान के शुष्क मरुस्थलीय क्षेत्र में सिंचाई हेतु जल के साथ ही पेयजल और औद्योगिक कार्यों के लिए भी पानी मिलने लगा। इस कारण इंदिरा गाँधी नहर को राजस्थान की जीवन रेखा या ‘मरु गंगा’ भी कहा जाता है।
● इंदिरा गाँधी नहर निर्माण के सूत्रपात के पीछे वर्ष 1927 में गंग नहर का निर्माण भी है किंतु इंदिरा गाँधी नहर योजना के प्रारंभिक विचारक इंजीनियर श्री कँवर सेन ने वर्ष 1948 में ‘बीकानेर राज्य को पानी की आवश्यकता’ हेतु एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
● वर्ष 1952 में फिरोजपुर (पंजाब) में सतलज और व्यास नदी के संगम पर हरिके बैराज का निर्माण भारत सरकार द्वारा किया गया। तत्पश्चात् राजस्थान के मरुस्थलीय प्रदेश को पानी प्रदान करने हेतु इस नहर का पानी राजस्थान के बीकानेर व जैसलमेर तक पहुँचाने की योजना को योजना आयोग द्वारा स्वीकार करने पर 31 मार्च, 1958 को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत ने इस योजना का शिलान्यास किया।
● नहर का उद्घाटन 11 अक्टूबर, 1961 को तत्कालीन उप-राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने किया था और राजस्थान नहर के नाम से नहर निकाली गई, जिसे वर्तमान में इंदिरा गाँधी नहर कहते हैं।
● इंदिरा गाँधी नहर परियोजना का मुख्यालय जयपुर में स्थित है।
परियोजना का प्रारूप–
● इस परियोजना के अंतर्गत नहर के दो भाग हैं–
1. प्रथम भाग राजस्थान फीडर जिसकी लम्बाई 204 किलोमीटर है, जिसमें से 170 किलोमीटर पंजाब और हरियाणा में तथा 34 किलोमीटर राजस्थान में हैं। इस फीडर का निर्माण जलापूर्ति हेतु किया गया, जिसका विस्तार हरिके बैराज (फिरोजपुर, पंजाब) से लेकर मसीतावाली हैड (हनुमानगढ़) तक है। राजस्थान फीडर के तहत सूरतगढ़, अनूपगढ़ तथा पूगल शाखा का निर्माण हुआ।
2. द्वितीय भाग के अन्तर्गत मुख्य नहर ‘राजस्थान नहर’ है जिसकी लम्बाई 445 किलोमीटर है।
● यह ‘राजस्थान नहर’ मसीतावाली हैड (हनुमानगढ़) से राजस्थान में प्रवेश करती है, जिसका विस्तार जैसलमेर के मोहनगढ़ तक था, किंतु अब मुख्य नहर का विस्तार गडरा रोड (बाड़मेर) तक होने के कारण IGNP का जीरो प्वॉइंट गडरा रोड (बाड़मेर) है।
● राजस्थान फीडर और राजस्थान नहर दोनों को मिलाकर इस नहर की कुल लम्बाई 649 किलोमीटर है।
● इंदिरा गाँधी नहर से 7 लिप्ट नहरें तथा 9 शाखाएँ निकाली गई हैं।
इंदिरा गाँधी नहर पर निर्मित 7 लिफ्ट नहरें निम्नलिखित हैं –
i. चौधरी कुंभाराम लिफ्ट नहर–
- हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर एवं झुंझुनूँ लाभान्वित जिले हैं और इन जिलों के गाँवों में जलापूर्ति हेतु जर्मनी के सहयोग से आपणी योजना बनाई गई है। पूर्व में इसका नाम ‘गंधेली साहेबा’ लिफ्ट नहर था।
ii. श्री कँवर सेन लिफ्ट नहर–
- यह सबसे लम्बी लिफ्ट नहर है तथा इसे बीकानेर की जीवन रेखा भी कहते हैं इससे लाभान्वित जिले – बीकानेर, श्रीगंगानगर आदि हैं तथा पूर्व में इसका नाम लूणकरणसर लिफ्ट नहर था।
iii. पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर-
- इससे लाभान्वित जिले बीकानेर तथा नागौर हैं तथा पूर्व में इसका नाम गजनेर लिफ्ट नहर था।
iv. वीर तेजाजी लिफ्ट नहर-
- यह सबसे छोटी लिफ्ट नहर है। लाभान्वित जिला बीकानेर तथा पूर्व में इसका नाम ‘बांगड़सर लिफ्ट नहर’ था।
v. डॉ. कर्ण सिंह लिफ्ट नहर–
- लाभान्वित जिले बीकानेर व जोधपुर हैं।
- पूर्व में इसका नाम ‘कोलायत लिफ्ट नहर’ था।
vi.गुरु जम्भेश्वर लिफ्ट नहर–
- लाभान्वित जिले – बीकानेर, जैसलमेर तथा जोधपुर हैं।
- पूर्व में इसका नाम – ‘फलोदी लिफ्ट नहर’ था।
vii. जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर–
- लाभान्वित जिले – जैसलमेर तथा जोधपुर।
- पूर्व में इसका नाम – ‘पोकरण लिफ्ट नहर’ था।
● इस प्रकार इन लिफ्ट नहरों से लाभान्वित जिले 8 हैं, जिनमें सर्वाधिक लाभान्वित जिला बीकानेर है।
● कृषि योग्य कमाण्ड क्षेत्र वर्तमान में 16.17 लाख हैक्टेयर है।
● कुल कमाण्ड क्षेत्र (प्रस्तावित) – 19.63 लाख हैक्टेयर (लगभग 20 लाख हैक्टेयर)
नोट:- इन्दिरा गाँधी नहर का सर्वाधिक कमाण्ड क्षेत्र बीकानेर व जैसलमेर।
इंदिरा गाँधी नहर की 9 शाखाएँ हैं–
इंदिरा गाँधी नहर की उपशाखाएँ –
इंदिरा गाँधी नहर परियोजना के लाभ–
i. सिंचित क्षेत्र में विस्तार
ii. कृषि उत्पादन में वृद्धि
iii. पेयजल एवं उद्योगों हेतु जल की सुलभता
iv. पशुपालन तथा चारागाह विकास
v. वृक्षारोपण द्वारा हरित पटि्टका का विकास
vi. मरुस्थल विस्तार पर रोक
vii. अकाल पर रोक
viii. जनसंख्या की बनावट
ix. रोजगारों के अवसरों में वृद्धि
x. परिवहन व पर्यटन का विकास
नोट :
● इंदिरा गाँधी नहर में स्कॉडा सिस्टम (अल्ट्रासोनिक/सैटेलाइट उपकरणों से पानी के प्रवाह का आकलन) स्थापित किया गया है।
● अत्यधिक जल प्लावन के कारण इंदिरा गाँधी नहरी क्षेत्र में सेम की समस्या उग्र रूप ले रही है जिसका उपचार पर्याप्त मात्रा में भूमि में जिप्सम का प्रयोग करना है।
● वर्ष1998 से इंदिरा गाँधी नहर परियोजना के द्वितीय चरण के अंतर्गत वनारोपण व चारागाह विकास कार्यक्रम जापान के आर्थिक सहयोग से चलाया जा रहा है।
● इंदिरा गाँधी नहर परियोजना क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए वन सेना का गठन किया गया है।
(3) चम्बल परियोजना :-
● यह भारत की एक बहुद्देशीय परियोजना है, जिसमें सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन प्राथमिक उद्देश्य है।
● चम्बल परियोजना राजस्थान और मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना है, जिसमें दोनों की 50 : 50 प्रतिशत की साझेदारी है।
● चम्बल परियोजना को वर्ष 1950 में केन्द्रीय जल शक्ति बोर्ड ने स्वीकृत किया, जिसके अन्तर्गत चम्बल नदी पर बाँधों का निर्माण कर इसके जल को सिंचाई और विद्युत उत्पादन में उपयोग करना था।
● चम्बल परियोजना के तहत तीन चरणों में चम्बल नदी पर चार बाँध बनाए गए तथा तीन विद्युत गृह जिनमें विद्युत उत्पादन का कुल लक्ष्य 386 MW रखा गया है, जिसमें 193+193 MW दोनों राज्यों की साझेदारी होगी।
(i) प्रथम चरण-
● चम्बल परियोजना के प्रथम चरण में दो बाँध, गाँधी सागर और कोटा बैराज का निर्माण किया गया।
● गाँधी सागर बाँध का निर्माण मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित चौरासीगढ़ दुर्ग से 8 किलोमीटर नीचे किया गया तथा विद्युत गृह भी स्थापित किया, जिसकी उत्पादन क्षमता (115 MW) है। इस बाँध का निर्माण वर्ष 1959 में पूर्ण हुआ।
● गाँधी सागर बाँध की लम्बाई 513 मीटर तथा ऊँचाई 62 मीटर है।
● कोटा बैराज का निर्माण चम्बल नदी पर वर्ष 1954 में राजस्थान में किया गया। इस बाँध के दोनों ओर नहरों का निर्माण किया गया है। इस बाँध से पेयजल तथा सिंचाई हेतु चम्बल नहर निकाली गई है। इस बाँध पर विद्युत गृह स्थापित नहीं है।
(ii) द्वितीय चरण-
● इस चरण में चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा स्थान पर राणा प्रताप सागर बाँध तथा विद्युत गृह का निर्माण किया गया, जिसकी विद्युत उत्पादन क्षमता (172 मेगावॉट) है।
(iii)तृतीय चरण-
● इस चरण में चम्बल नदी पर बोरावास (कोटा) में जवाहर सागर बाँध तथा विद्युत गृह का निर्माण किया गया, जिसकी विद्युत उत्पादन क्षमता (99 मेगावॉट) है।
नोट :
● चम्बल नदी पर स्थित बाँधों का क्रम दक्षिण से उत्तर की ओर-
(i) गाँधी सागर
(ii) राणा प्रताप सागर
(iii) जवाहर सागर
(iv) कोटा बैराज
● चम्बल नदी पर बना राजस्थान का प्रथम बाँध कोटा बैराज है।
(4) माही बजाज सागर परियोजना :-
● माही बजाज सागर परियोजना को वर्ष 1959-60 में आरंभ किया गया था।
● माही बजाज सागर परियोजना एक बहुद्देशीय परियोजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में माही नदी के जल का उपयोग पेयजल, सिंचाई व विद्युत उत्पादन करना है।
● माही परियोजना राजस्थान व गुजरात की संयुक्त परियोजना हैं, इस परियोजना में माही बजाज सागर बाँध पर 140 मेगावॉट उत्पादन क्षमता की विद्युत इकाई का निर्माण किया गया है।
● वर्तमान में इसकी सम्पूर्ण विद्युत उत्पादित क्षमता राजस्थान को मिलती है।
● इस योजना का नामकरण स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के नाम पर किया गया है।
● वर्तमान में इस परियोजना से 80 हजार हैक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई हो रही है।
● माही बजाज सागर बाँध का निर्माण माही नदी पर बाँसवाड़ा के बोरखेड़ा स्थान पर किया गया है।
● यह राजस्थान का सबसे लंबा बाँध (3109 मीटर) है, जिसे वर्ष 1992-93 में बनाया गया था।
● माही परियोजना के द्वितीय चरण में बाँसवाड़ा में कागदी पिकअप बाँध का निर्माण किया गया।
● गुजरात में माही नदी पर कडाना बाँध बनाया गया है।
(5) व्यास परियोजना :-
● सतलज, रावी तथा व्यास नदियों के जल का उपयोग करने हेतु यह व्यास नदी पर बनी पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
● इस परियोजना के तहत व्यास नदी पर हिमाचल प्रदेश में दो बाँध बनाए गए हैं तथा दोनों बाँध पर विद्युत गृह भी स्थापित किए गए हैं।
(i) पंडोह बाँध/देहर बाँध– (हिमाचल प्रदेश)
● इस बाँध से व्यास, सतलज लिंक परियोजना हेतु लिंक नहर निकाली गई है तथा 990 मेगावॉट का विद्युत गृह स्थापित किया गया है, जिसका 20 प्रतिशत राजस्थान को मिलेगा।
(ii) पोंग बाँध- (हिमाचल प्रदेश)
● राजस्थान को रावी, व्यास नदियों के पानी में सर्वाधिक हिस्सा इसी बाँध से प्राप्त होता है तथा इस बाँध पर स्थापित 396 मेगावॉट के विद्युत गृह से उत्पादित विद्युत का 58.50 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान को मिलता है।
● पोंग बाँध का मुख्य उद्देश्य शीत ऋतु में इंदिरा गाँधी नहर परियोजना में पानी की आवक बनाए रखना है।
राजस्थान की वृहत् श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ :-
● ऐसी सिंचाई परियोजनाएँ, जिनका कृषि योग्य कमाण्ड क्षेत्र 10 हजार हैक्टेयर से अधिक तथा जिनकी लागत 5 करोड़ से अधिक (पंचवर्षीय योजना, 1951) हो, वे वृहत् श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ कहलाती हैं। जैसे – गंगनहर परियोजना, नर्मदा नहर परियोजना, राजीव गाँधी सिद्धमुख नोहर परियोजना, जाखम परियोजना आदि।
1. गंगनहर परियोजना–
● यह राजस्थान/भारत की पहली नहर सिंचाई परियोजना है।
● बीकानेर के महाराजा गंगासिंह के प्रयासों से सतलज नदी का पानी राजस्थान में लाने हेतु बीकानेर तथा पंजाब राज्य के बीच सतलज नदी घाटी समझौता हुआ।
● गंगनहर का शिलान्यास महाराजा गंगासिंह ने वर्ष 1925 में किया था।
● गंगनहर का उद्घाटन लॉर्ड इरविन ने अक्टूबर, 1927 में किया था।
● गंगनहर सतलज नदी से पंजाब के फिरोजपुर के हुसैनीवाला से निकाली गई है।
● गंगनहर पंजाब में बहती हुई शिवपुरी हैड (श्रीगंगानगर) के निकट (खक्का गाँव) से राजस्थान में प्रवेश करती है।
● पंजाब (फिरोजपुर) से लेकर शिवपुरी हैड (श्रीगंगानगर) तक इस नहर की लंबाई 137 किलोमीटर है व उपशाखाओं की कुल लम्बाई 1280 किमी. है।
● गंगनहर शिवपुर, गंगानगर, पदमपुर, रायसिंह नगर व सरूपसर होते हुए अंत में अनूपगढ़ तक जाती है।
● इस नहर से सर्वाधिक सिंचाई श्रीगंगानगर में होती है।
● लक्ष्मीनारायण, लालगढ़, करणी जी, समीजा गंग नहर की मुख्य शाखाएँ हैं।
● गंग नहर में रिसाव की समस्या के निराकरण हेतु गंगनहर लिंक चैनल (प्रारंभ निर्माण कार्य-1984) को हरियाणा के लौहगढ़ से निकाला है तथा श्रीगंगानगर के साधुवाली के निकट गंग नहर से जोड़ा गया है।
2. राजीव गाँधी सिद्धमुख नोहर परियोजना-
● रावी - व्यास समझौते के तहत इराडी कमीशन की सिफारिश पर यूरोपियन आर्थिक समुदाय के वित्तीय सहयोग से वर्ष 1989 को स्व. श्री राजीव गाँधी के द्वारा सिद्धमुख परियोजना का शिलान्यास किया गया।
● इस नहर का लोकार्पण 12 जुलाई, 2002 को श्रीमती सोनिया गाँधी के द्वारा किया गया।
● सिद्धमुख परियोजना को ही वर्तमान में राजीव गाँधी नहर परियोजना के नाम से जाना जाता है।
● सिद्धमुख परियोजना से लाभान्वित जिले हैं-
हनुमानगढ़ (नोहर-भादरा तहसील) तथा चूरू (राजगढ़ तहसील)।
3. नर्मदा नहर परियोजना-
● नर्मदा नहर परियोजना गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
● गुजरात के सरदार सरोवर बाँध से निकाली गई है।
● राजस्थान में यह नहर जालोर जिले की सांचौर तहसील के सीलू गाँव से प्रवेश करती है।
● नर्मदा नहर की कुल लम्बाई 532 किमी. है, जिसमें 458 किमी. गुजरात में व 74 किमी. राजस्थान में हैं।
● इस नहर परियोजना में तीन लिफ्ट नहरों का निर्माण किया जा रहा है–
i. सांचौर लिफ्ट नहर
ii. भादरिया लिफ्ट नहर
iii. पानरिया लिफ्ट नहर
● राजस्थान सरकार में सिंचाई का लक्ष्य संशोधित कर अब 2.86 लाख हैक्टेयर के कुल कमाण्ड क्षेत्र के 2.46 लाख हैक्टेयर के कृषि योग्य कमाण्ड क्षेत्र (1.26 लाख हैक्टेयर गुरुत्व प्रवाह एवं 1.20 लाख हैक्टेयर उद्वहन सिंचाई द्वारा) में सिंचाई होगी।
● इस नहर से लाभांवित जिले जालोर व बाड़मेर हैं।
● इस परियोजना के पूरे कमांड क्षेत्र में स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली अनिवार्य की गई है।
4. बीसलपुर परियोजना–
● इस परियोजना का निर्माण कार्य 1986-87 में प्रारंभ किया गया था, जो वर्ष 1999 में पूर्ण हुआ।
● बीसलपुर बाँध की लम्बाई 580 मीटर तथा ऊँचाई 21 मीटर है।
● राजस्थान के टोंक जिले के टोडारायसिंह कस्बे में बनास नदी पर बनाया गया बीसलपुर बाँध का कमांड क्षेत्र 81,800 हैक्टेयर है।
● बीसलपुर बाँध का निर्माण कंक्रीट से हुआ है यह राजस्थान का कंक्रीट से बना सबसे बड़ा बाँध है।
● बीसलपुर परियोजना से टोंक, अजमेर, किशनगढ़, नसीराबाद, केकड़ी, सरवाड़ को पेयजल आपूर्ति करना है, अब इस परियोजना से मार्च, 2009 से जयपुर को जलापूर्ति (पेयजल) की जा रही है।
● बीसलपुर परियोजना से लाभान्वित जिले टोंक, अजमेर व जयपुर हैं।
5. ईसरदा परियोजना-
● ईसरदा बाँध बनास नदी पर सवाई माधोपुर के ईसरदा गाँव में बना हुआ है।
● यह परियोजना बनास नदी के अतिरिक्त जल को जयपुर तथा टोंक के सीमावर्ती क्षेत्रों को पेयजल उपलब्ध करवाएगी।
6. भीखाभाई सागवाड़ परियोजना–
● इस नहर का नाम वागड़ के स्वतंत्रता सेनानी स्व. भीखाभाई के नाम पर है।
● यह परियोजना माही नदी पर डूँगरपुर जिले में हैं।
7. जाखम परियोजना-
● यह परियोजना राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में जाखम नदी पर बनी (पूर्णत: राजस्थान) है।
● जाखम नदी पर जाखम बाँध बना है।
● इस बाँध की लम्बाई 253 मीटर व ऊँचाई 81 मीटर है।
● जाखम परियोजना से चित्तौड़गढ़, उदयपुर व प्रतापगढ़ को सिंचाई सुविधा के लिए बनाया गया है।
8. गुरुग्राम नहर परियोजना-
● यह नहर हरियाणा तथा राजस्थान की संयुक्त नहर है।
● गुरुग्राम नहर परियोजना का नाम यमुना लिंक नहर परियोजना कर दिया गया है।
● इस नहर परियोजना से लाभांवित भरतपुर की कामां तथा डीग तहसीलें होगी।
9. परवन वृहद बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना
● यह परियोजना परवन नदी पर अकावद कलां, खानपुर (झालावाड़) में प्रगतिरत हैं।
● इसका कार्य पूरा होने पर कोटा, बाराँ व झालावाड़ जिलों के निवासियों को सिंचाई, पेयजल, विद्युत एवं वन्यजीवों की आवश्यकताओं के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाएगा।
● इस परियोजना में सम्पूर्ण सिंचित क्षेत्र को स्कॉडा नियंत्रित प्रेशराइज्ड पाइप द्वारा फव्वारा सिंचाई पद्धति के माध्यम से सिंचित किया जाना प्रस्तावित है।
10. धौलपुर लिफ्ट सिंचाई एवं पेयजल परियोजना
● यह परियोजना चम्बल नदी पर सागरवाड़ा (धौलपुर) में प्रगतिरत हैं।
11. पूर्वी राजस्थान नहर
● इस परियोजना के तहत् राज्य के 13 जिलों (झालावाड़, कोटा, बाराँ, बूँदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर, धौलपुर) में वर्ष 2051 तक पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना।
● इस परियेाजना में चम्बल नदी में उपलब्ध अधिशेष जल को बनास, मोरेल, बाणगंगा, पार्वती, कालीसिल, गंभीर नदी बेसिनों में जल अपवर्तन किया जाना प्रस्तावित हैं।
राजस्थान की मध्यम श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ–
● ऐसी सिंचाई परियोजनाएँ जिनका कमांड क्षेत्र 2000 हैक्टेयर से 10,000 हैक्टेयर के मध्य हो और लागत 18 लाख रुपये से 5 करोड़ रुपये तक हो।
● राजस्थान की मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को निम्नलिखित प्रकार के तंत्र के रूप में समझ सकते हैं –
1. आंतरिक प्रवाह तंत्र–
(i) मोती झील बाँध-
● भरतपुर में स्थित मोती झील को भरतपुर की जीवन रेखा कहते हैं।
● मोती झील बाँध रूपारेल नदी पर बना है, जिसका पानी सिंचाई में उपयोग में आता है।
2. लूनी नदी तंत्र–
(i) बांकली बाँध- यह बाँध सूकड़ी नदी पर जालोर में स्थित है।
(ii) हेमावास बाँध- पाली जिले में बांडी नदी पर स्थित बाँध।
3. पश्चिमी बनास नदी तंत्र–
(i) पश्चिमी बनास परियोजना- सिरोही जिले में पश्चिमी बनास नदी पर स्थित सिंचाई परियोजना है।
4. साबरमती नदी तंत्र–
(i) सेई परियोजना–
● उदयपुर की कोटड़ा तहसील में सेई बाँध द्वारा जवाई बाँध में पानी की आवक बढ़ाने हेतु सेई परियोजना बनाई गई है।
(ii) मानसी-वाकल परियोजना–
● मानसी-वाकल परियोजना राजस्थान सरकार व हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की संयुक्त परियोजना है।
5. माही नदी तंत्र–
(i) सोम कागदर परियोजना- (उदयपुर) – सोम नदी
(ii) सोम-कमला-अम्बा – (डूँगरपुर) – सोम नदी।
6. बाण गंगा नदी क्षेत्र–
(i) अजान बाँध–
● भरतपुर में बाणगंगा व गंभीर नदी पर बना है।
● इससे केवलादेव घना पक्षी विहार को जलापूर्ति होती है।
7. बनास नदी तंत्र–
(i) नंदसमंद परियोजना- (राजसमंद) – बनास नदी
(ii) मेजा बाँध- (भीलवाड़ा) – कोठारी नदी
(iii)नारायण सागर बाँध- (अजमेर) – खारी नदी
(iv)अड़वान बाँध- (भीलवाड़ा) – मानसी नदी
(v) मोरेल बाँध- (सवाई माधोपुर) – मोरेल नदी
8. चम्बल नदी तंत्र–
(i) हरिश्चन्द्र सागर परियोजना- (झालावाड़) – कालीसिंध नदी।
(ii) गागरोण परियोजना- (झालावाड़) – कालीसिंध व आहू नदी।
(iii) भीमसागर परियोजना- (झालावाड़) – उजाड नदी।
(iv) गरदड़ा परियोजना- (बूँदी) – मांगली डूँगरी / गणेशी नदी।
(v) तकली परियोजना- (कोटा) – तकली नदी।
(vi) हाथियादेह परियोजना (बाराँ) – कूल नदी।
(vii) पिपलाद – (झालावाड़) - पिपलाद नदी।
(viii) ल्हासी परियोजना- (बाराँ) – ल्हासी नदी।
(ix) बैथली परियोजना- (बाराँ) – बैथली नदी।
(x) बिलास परियोजना- (बाराँ) – बिलास नदी।
(xi)ओरई परियोजना- (चित्तौड़गढ़) – ओरई नदी।
(xii) राजगढ़ परियोजना (झालावाड़) – कण्ठाली एवं आहू नदी।
राजस्थान की लघु श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ-
● ऐसी सिंचाई परियोजनाएँ, जिनका कमांड क्षेत्र 2,000 हैक्टेयर तक हो तथा लागत 10 लाख रुपये से कम हो।
1. आकोली बाँध – जालोर
2. बांदी सेंदड़ा – जालोर
3. बावरिया बाँध – अलवर
4. समर सरोवर – अलवर
5. खोह बाँध – करौली
6. रेवा बाँध – झालावाड़
7. भिमती बाँध – झालावाड़
8. हड़मतिया बाँध – सिरोही
9. बत्तीसा नाला – सिरोही
10. वासा बाँध- सिरोही
11. संतूर माताजी – बूँदी
12. भँवर सेमला – प्रतापगढ़
13. सरदार समंद – पाली
14. धारिया बाँध – पाली
15. जसवंत सागर बाँध – जोधपुर
16. चाकण परियोजना – बूँदी
17. कनवाडा – झालावाड़
18. अहमदी – बाराँ
19. खिरिया – बाराँ
20. गुराडिया – झालावाड़
21. बड़ा नया गाँव - बूँदी
राजस्थान की अन्य परियोजनाएँ-
1. माधोसागर बाँध – (दौसा) – भद्रावती नदी
2. टोरडी सागर बाँध – टोंक
3. डिब्रू सागर बाँध – टोंक
4. अनास परियोजना – बाँसवाड़ा – अनास नदी
5. परवन परियोजना – झालावाड़ – परवन नदी
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