सीपीयू व कम्प्यूटर ऑर्गेनाइजेशन (CPU and Computer Organization)
Central Processing Unit (CPU) :-
● CPU कम्प्यूटर का मस्तिष्क होता है। जिसका पूरा नाम केन्द्रीय प्रक्रिया इकाई होता है। इसका मुख्य कार्य प्रोग्रामों (Programs) को क्रियान्वित (Execute) करना है। इसके अलावा CPU कम्प्यूटर के सभी भागों, जैसे - मेमोरी, इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज के कार्यों को भी नियंत्रित करता है। Program और Data इसके नियंत्रण में मेमोरी में संगृहीत होते हैं। कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड को MIPS (Million Instructions Per Second) के द्वारा मापा जाती है।
● कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड को हर्ट्ज (Hz) या गीगाहर्ट्ज (GHz) से मापा जाता है।
● CPU को ‘कम्प्यूटर का मस्तिष्क’ एवं ’ ब्रेन’ भी कहा जाता है।
● CPU को माइक्रोप्रोसेसर, माइक्रोचिप कहा जाता है।
● सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के मुख्य तीन भाग होते हैं। ये निम्नलिखित हैं-
- ALU (Arithmetic & Logic Unit)
- MU (Memory Unit)
- CU (Control Unit)
CU (Control Unit) :-
● यह आन्तरिक भाग की क्रियाओं का संचालन करता है। यह Input/Output क्रियाओं को नियंत्रित करता है, साथ ही Memory और ALU के मध्य Data के आदान-प्रदान को निर्देशित करता है। यह प्रोग्राम को क्रियान्वित करने के लिए प्रोग्राम के निर्देशों को मेमोरी में से प्राप्त करता है। निर्देशों को विद्युत-संकेतों (Electric Signals) में परिवर्तित करके यह उचित डिवाइसेज तक पहुँचाता है, जिससे डाटा प्रक्रिया हेतु डाटा, मेमोरी में कहाँ उपस्थित है, क्यों क्रिया करनी है तथा प्रक्रिया के पश्चात् परिणाम मेमोरी में कहाँ स्टोर होना है, इन सभी निर्देशों के विद्युत-संकेत, सिस्टम बस (System Bus) की नियंत्रक बस (Control Bus) के माध्यम से कम्प्यूटर भागों (Components) तक संचारित होते हैं।
ALU (Arithmetic and Logic Unit) :-
● Arithmetic and Logic Unit को संक्षेप में ALU यूनिट कहते हैं। यह यूनिट डाटा पर अंकगणितीय क्रियाएँ। (जोड़, बाकी, गुणा, भाग) और तार्किक क्रियाएँ (Logical Operations) करती हैं। इसमें ऐसा इलेक्ट्रॉनिक परिपथ होता है। जो बाइनरी अंकगणित (Binary Arithmetic) की गणनाएँ करने में सक्षम होता है।
● तार्किक क्रियाओं (Logical Operations) में ALU दो संख्याओं या डाटा की तुलना करता है और प्रक्रिया (Processing) में निर्णय लेने का कार्य करता है।
● ALU, Control Unit से निर्देश (Instruction) लेता है। यह मेमोरी से डाटा प्राप्त करता है और मेमोरी में ही सूचना (Information) को लौटा देता है। ALU के कार्य करने की गति अति तीव्र होती हैं। यह लगभग 1000000 गणनाएँ प्रति सेकण्ड की गति से करता है। इसमें कई Register और Accumulators होते हैं जो गणनाओं के दौरान क्षणिक संग्रह हेतु क्षणिक मेमोरी का कार्य करते हैं।
Instruction Set :-
● CPU के निर्देश जो Commands को Execute करने के लिए Control Unit में तैयार किये जाते हैं। Instruction Set वैसे सभी क्रियाओं की सूची तैयार करता है जो CPU कर सकता है। Instruction Set का प्रत्येक Instruction माइक्रो कोड में व्यक्त किया जाता है जो CPU को यह बताता हैं कि जटिल क्रियाओं को कैसे क्रियान्वित करें।
CPU :-
● सीपीयू के कई हार्डवेयर डिवाइस कैबिनेट में लगे होते हैं जिनके माध्यम से सीपीयू को बनाया जाता है तथा कम्प्यूटर पर प्रोसेसिंग की जाती है। इसके मुख्य हार्डवेयर निम्नलिखित हो सकते हैं-
प्रोसेसर :-
● कम्प्यूटर के CPU के रूप में उपस्थित हार्डवेयर डिवाइस होता है जो कम्प्यूटर पर सभी गणनाएँ एवं प्रक्रिया का कार्य करती है यह प्रोसेसर एक IC से बनी हुई चिप होती है। वर्तमान में कम्प्यूटर पर माइक्रो प्रोसेसर या ULSI का प्रयोग किया जा रहा है; जैसे :- P1,P2, Dual Core, i3,i5,i7,i9
● प्रोसेसर स्पीड (Processor Speed) या प्रोसेसर गति से तात्पर्य प्रोसेसर द्वारा सूचनाओं को क्रियान्वित करने की गति से होता है। प्रोसेसर की गति हर्ट्ज (hertz) और वर्तमान में गीगा हर्ट्ज(GHz) में मापी जाती है। किसी प्रोसेसर की गति प्रोसेसर के द्वारा प्रयोग की जा रही डाटा बस (Data Bus) पर निर्भर करती है। डाटा बस (Data Bus) प्रोसेसर में डाटा के आवागमन के लिए प्रयोग की जाती है। ये डाटा बस 8-बिट्स, 16-बिट्स, 32-बिट्स, 64-बिट्स 128-बिट्स की होती है। 8 बिट्स से तात्पर्य एक समय में 8-बिट्स डाटा ट्रांसफर होने से है। इसी प्रकार 128 बिट्स डाटा बस (Bits Data Bus) से तात्पर्य एक समय में 128-बिट्स डाटा से ट्रांसफर होने से हैं। डाटा बस (Data Bus) का आकार अधिक होगा, प्रोसेसर की गति उतनी ही अधिक होगी।
Micro-processor :-
● माइक्रो प्रोसेसर कम्प्यूटर का सबसे मुख्य भाग है। जिसके द्वारा प्रोसेसिंग की जाती है। वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले प्रोसेसर को यूएलएसआई कहा जाता है।
● पहला माइक्रो प्रोसेसर INTEL 4004 था इसे 1971 में वैज्ञानिक टेड हॉफ के द्वारा विकसित किया गया जिसका प्रयोग माइक्रो कम्प्यूटर्स में किया गया।
● माइक्रो-प्रोसेसर की गति :- मिलियन्स ऑफ साइकिल प्रति सेकण्ड या MHZ में मापी जाती है। वर्तमान में GHZ का प्रयोग किया जाता है।
● माइक्रो प्रोसेसर मदरबोर्ड पर लगा होता है।
● भारत का पहला माइक्रो प्रोसेसर ‘शक्ति’ है।
Motherboard :-
● सीपीयू का यह मुख्य बोर्ड होता है जिसे सिस्टम बोर्ड, मैन बोर्ड, लॉजिक बोर्ड आदि नामों से जाना जाता है।
● मदरबोर्ड पर कई सर्किट प्रिंट होते हैं इसलिए इसे प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) भी कहा जाता है।
● मदरबोर्ड को कम्प्यूटर का बैकबोन या रीड की हड्डी भी कहा जाता है।
● सीपीयू के सभी हार्डवेयर मदरबोर्ड से जुड़े होते हैं अर्थात् सभी हार्डवेयर के मध्य मदरबोर्ड के द्वारा संप्रेषण किया जा सकता है।
● मदरबोर्ड एक प्लास्टिक का बोर्ड होता है जिस पर कई सारे परिपथ व डिवाइसेज जुड़े होते हैं। इससे कम्प्यूटर से जुड़े सभी डिवाइसेज आपस में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं जिसके द्वारा सभी के मध्य सम्प्रेषण कार्य होता है।
Memory :-
● कम्प्यूटर पर मुख्य रूप से जो भी मेमोरी प्रयोग में ली जाती है वह CPU से जुड़ी होती है; जैसे- मेमोरी के रूप में RAM और ROM एक चिप के रूप में मदरबोर्ड पर जुड़ी होती है।
● मेमोरी स्लॉट–
(i) SIMM – Single Inline Memory Module
(ii) DIMM – Dual Inline Memory Module
● कम्प्यूटर पर डाटा को स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए सेकण्डरी मेमोरी का प्रयोग किया जाता है। जिसमें हार्डडिस्क मैग्नेटिक डिस्क के रूप में मुख्य प्रकार से जुड़ी होती है।
● प्राइमरी मेमोरी – कम्प्यूटर के प्रोग्राम तथा डाटा को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए प्राथमिक/प्राइमरी मेमोरी का उपयोग किया जाता है; जैसे – RAM व ROM
CMOS (Complimentary metal oxide semiconductor) :-
● CMOS बैटरी का उपयोग कम्प्यूटर के समय व दिनांक को अपडेट करने के लिए किया जाता है।
SMPS (Switched Mode Power Supply) :-
● CPU पर Power Supply करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
Booting (बूटिंग) :-
● बूटिंग कम्प्यूटर में यह पता लगाता है कि सारे उपकरण सही प्रकार से जुड़े या नहीं, सभी उपकरणों को सही प्रकार से ऑपरेट करना। बूटिंग दो प्रकार की होती है–
(i) कोल्ड बूटिंग (Cold Booting)– कम्प्यूटर चालू करना।
(ii) वार्म बूटिंग (Warm Booting)– कम्प्यूटर को Restart करना।
PORT (पोर्ट) :-
● Port कम्प्यूटर से अन्य डिवाइस को जोड़ने के लिए या बाहरी डिवाइस को जोड़ने के लिए जिस स्थान का उपयोग किया जाता है। उसे Port कहा जाता है।
1. सीरियल पोर्ट (Serial Port)– एक प्रकार का कंप्यूटर पोर्ट है जिसका उपयोग डाटा को एक-एक बाइट करके एक दिशा में एक समय में भेजने के लिए किया जाता है। यह एक पुराने प्रकार का 9 पिनों का पोर्ट है, जो कंप्यूटरों में बाहरी उपकरणों माउस, कीबोर्ड, मॉडेम, और प्रिंटर से कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता था।
2. पैरेलल पोर्ट (Parrallel Port)- पैरेलल पोर्ट एक 25-पिन कनेक्टर है जिसका प्रयोग प्रिंटर व स्कैनर को जोड़ने के लिएकिया जाता है।
3. USB Port (Universal Serial Bus)- इस Port का प्रयोग USB डिवाइस Mouse, Key-board, Scanner, Printer, Biomatrix Machine आदि को जोड़ने के लिए किया जाता है।
4. PS/2 Port (Personal System)- इस Port का प्रयोग की-बोर्ड व माउस जोड़ने के लिए किया जाता है लेकिन अब इसकी जगह USB काम में ली जाती है।
5. VGA Port (Video Graphics Array/Adapter)- VGA पोर्ट 15 पिनों का कनेक्टर है। जिसका प्रयोग मॉनिटर एवं प्रोजेक्टर को कम्प्यूटर सिस्टम से जोड़ने के लिए किया जाता है।
6. Ethernet/RJ-45 Port- इस पोर्ट का प्रयोग LAN (Local Area Network) Cable को जोड़ने में किया जाता है। यह 8 पिन का पोर्ट है।
7. HDMI (High Definition Multimedia Interface)– यह एक Display Port है, जिसके द्वारा सिस्टम यूनिट के आउटपुट को Display डिवाइस तक भेजा जाता है, अर्थात् यह पोर्ट मॉनिटर, प्रोजेक्टर के लिए प्रयुक्त होती है। HDMI उच्च गुणवत्ता वाले संकेत के साथ-साथ Audio और Video दोनों संकेतों को एक साथ ले जाने की क्षमता रखता है। HDMI Port कनेक्शन के लिए 19 पिनों का प्रयोग करता है।
Register (रजिस्टर) :-
● यह एक विशेष प्रकार की प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) की मेमोरी है।
● रजिस्टर कम्प्यूटर की सबसे तेज एवं अस्थायी मेमोरी होती है।
● कम्प्यूटर निर्देश CPU के द्वारा क्रियान्वित किए जाते हैं। निर्देशों को क्रियान्वित करने के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। सूचनाओं को तेजी से आदान-प्रदान के लिए कम्प्यूटर का CPU मेमोरी यूनिट का प्रयोग करता है। इन मेमोरी यूनिट को रजिस्टर (Register) कहते हैं। रजिस्टर मुख्य मेमोरी के भाग नहीं होते हैं। इनमें सूचनाएँ अस्थायी रूप में संगृहीत रहती हैं। किसी भी रजिस्टर का आकार यदि 8 बिट संगृहीत कर सकता है तो इसे 8 बिट रजिस्टर कहते हैं। वर्तमान में 32 बिट तथा 64 बिट के प्रोसेसर उपलब्ध हैं। रजिस्टर जितने अधिक बिट की होगी उतनी ही अधिक तेजी से कम्प्यूटर में डाटा प्रोसेसिंग का कार्य सम्पन्न होगा।
● Register के प्रकार –
1. Memory Address Register (MAR)- यह Register memory से read किए डाटा के address को store करता है। यह register data या instructor के address को रखता है। निर्देशों के execution के दौरान memory से data या instruction को access करने का कार्य यह register करता है। उदाहरण के लिए यदि CPU को memory से पढ़ने या उसमें लिखने के लिए किसी data की आवश्यकता है तो वह MAR के आवश्यक memory location पर address को रखता है। इस register का उपयोग memory की addressing के लिए किया जाता है। यह register information के उस address को रखता है जहाँ से वह आ रहा है और जहाँ उसे store होना है। यह memory register addressing के साथ conjunction में उपयोग होता है। MAR basically किसी data के memory address को तब store करके रखता है जब वह या तो memory से load होता है या memory में store होता है, जबकि AR storage जब तक किसी data की आवश्यकता होती रहती है तब तक उसके location के address को hold करके रखता है।
2. Memory Buffer Register (MBR)- यह Register memory से read किए गए डाटा को store करता है।यह register MAR के द्वारा निर्धारित memory location की एक copy रखता है। जिसे किसी data को 'Read' या 'Write' करते समय उपयोग किया जाता है अर्थात् यह register memory में आ रहे या memory से जा रहे data एवं instruction को संगृहीत करके रखता है।
3. Program Counter Register (PCR)- यह Register execute होने वाले निर्देश के address को count कर स्टोर करता है। Program counter को ही Intel x86 processor के लिए इसे Instruction Pointer (IP) कहा जाता था। कुछ स्थितियों में इसे Instruction address register या processor register भी कहा जाता है। यह hardware memory device है जो execution के दौरान current instruction के location को दर्शाता है। यह 8085 processor के लिए एक 16 bit का विशेष कार्य के लिए register के रूप में उपयोग होता है। जब microprocessor के द्वारा किसी निर्देश को execute किया जा रहा होता है तो यह निर्देश के अगले memory address के track को रखता है।
4. Instruction Register (IR)- यह Register execute होने वाले निर्देश को store करता है। Processor के द्वारा किसी दिए गए समय में केवल एक ही Instruction को execute किया जाता है। Instruction को control unit पहले संगृहीत करके रखता है। यह इसमे जाने से पहले होता है।
5. Accumulator Register (AR)- यह Register process हो रहे data व उसके परिणामों को store करता है। यह ALU के अंतिम processing के दौरान के result को store करके रखने के लिए होता है।
6. Input/output Register (I/O R)- यह register विभिन्न input output device से data प्राप्त करने व उनमें data भेजने के लिए प्रयोग किया जाता है।
Instruction Cycle (इन्स्ट्रक्शन साइकिल) :-
● इसमें चार चरणों का प्रयोग किया जाता है-
Fetch → Decode → Execute → Store
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