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राजस्थान इतिहास: महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व

महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व

मुहणोत नैणसी

- जन्म -  1610 ई. 

- नैणसी जोधपुर महाराजा गजसिंह एवं महाराजा जसवंतसिंह की सेवा में रहे। 

- नैणसी ने चारणों, बड़वा-भाटों आदि से विभिन्न राजवंशों एवं राज्यों के इतिहास संगृहीत किया। 

- इन्होंने ‘मुहणोत नैणसी री ख्यात’ की रचना की, जिसकी तुलना अबुल-फजल के ‘अकबरनामा’ से की जाती है।

- नैणसी की दूसरी रचना ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ है, जिसमें मारवाड़ राज्य के परगनों की राजस्व व्यवस्था एवं राज्य की आय के विभिन्न स्रोतों का उल्लेख है। 

- मुंशी देवीप्रसाद ने मुहणोत नैणसी को राजपूताने का ‘अबुल फजल’ कहा है। 

- महाराजा जसवंतसिंह ने नाराज होकर नैणसी को कैद कर लिया और एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। 

- अत: नैणसी ने 3 अगस्त, 1670 को जेल में आत्महत्या कर ली।

सूर्यमल्ल मीसण

- मीसण का जन्म 19 अक्टूबर, 1815 को बूँदी के हिरणा गाँव में हुआ था। 

- इनके पिता चण्डीदान बूँदी के रावराजा रामसिंह के आश्रित विद्वान थे। 

- दस वर्ष की अल्पायु में ही नैणसी ने ‘रामरंजाट’ की रचना की। 

- नैणसी ने बूँदी नरेश रामसिंह के आदेश पर ‘वंश भास्कर’ लिखना शुरू किया, मगर उसे पूरा नहीं कर पाए। मुरारीदान ने इस ग्रंथ को पूरा किया। 

अर्जुनलाल सेठी 

- स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी।

- जन्म – 9 सितम्बर, 1880 को जयपुर के जैन परिवार में 

- सेठी ने राजस्थान में सशस्त्र क्रांति और जनजागृति की अलखजगाई।

- जैन शिक्षा प्रचारक समिति 

   स्थापना - वर्ष 1905, जयपुर में 

वर्धमान पाठशाला

 स्थापना – वर्ष 1907, जयपुर में

- ‘वर्धमान छात्रावास’ और ‘वर्धमान पुस्तकालय’ चलाए जो क्रान्तिकारियों के प्रशिक्षण केन्द्र थे। 

- जोरावरसिंह, प्रतापसिंह, माणिकचन्द्र, मोतीचन्द, विष्णुदत्त आदि क्रान्तिकारी इन्हीं के विद्यालय से जुडे़ थे। 

- जयपुर महाराजा माधोसिंह द्वितीय ने प्रधानमंत्री बनाने की पेशकश की किन्तु उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ‘‘अर्जुनलाल अगर नौकरी करेगा, तो अंग्रेजों को भारत से कौन निकालेगा।’’

- वर्ष 1915 में रासबिहारी बोस ने सेठी को सशस्त्र क्रांति में धन इकट्ठा करने का जिम्मा सौंपा।

- निमेज हत्याकांड में सेठी को बेलूर जेल में बंदी बनाया गया।

- सेठी हॉर्डिंग बम काण्ड, आरा हत्याकाण्ड, काकोरी काण्ड से सम्बद्ध थे।

  केसरीसिंह बारहठ

- जन्म – वर्ष 1872

- जन्मभूमि - शाहपुरा रियासत के ‘देवपुरा’ नामक गाँव में 

- क्रांतिकारी व डिंगल के उच्चकोटि के कवि।   

- चेतावनी रा चूंगट्या - वर्ष 1903 में लॉर्ड कर्जन के दिल्ली दरबार में शामिल होने से रोकने के लिए उन्होंने उदयपुर महाराणा फतेहसिंह को 13 सोरठे लिखे।

- वीर भारत सभा

स्थापना - वर्ष 1910 

-  साधु प्यारेलाल हत्याकांड में इन्हें 20 वर्ष की कैद हुई।

-  इन्हें बिहार की हजारी बाग जेल में रखा गया।

इन्होंने राजस्थान में सशस्त्र क्रान्ति का संचालन किया।

- स्वतंत्रता की आग में अपने सम्पूर्ण परिवार को झोंक दिया।

अपने पुत्र प्रतापसिंह की शहादत पर इन्होंने कहा कि – “भारतमाता का पुत्र उसकी मुक्ति के लिए शहीद हो गया। इसकी मुझेबहुत प्रसन्नता है।

बारहठ ने अपने सहोदर जोरावरसिंह, पुत्र प्रतापसिंह एवं जामाता ईश्वरदान आसिया को मास्टर अमीरचन्द की सेवा में क्रांति का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भेज दिया।    

  जोरावरसिंह बारहठ 

- केसरीसिंह बारहठ के छोटे भाई।

- ये दिल्ली के प्रसिद्ध क्रांतिकारी मास्टर अमीरचन्द के सहयोगी थे। 

- 2 दिसम्बर, 1912 में दिल्ली के चाँदनी चौक में वायसराय लॉर्ड हॉर्डिंग की सवारी पर बम फेंककर वह फरार हो गए और वेश बदलकर अमरदास बैरागी के रूप में घूमते रहे। 

प्रतापसिंह बारहठ 

- जन्म – 24 मई, 1893, उदयपुर

- पिता – केसरीसिंह बारहठ

- क्रान्तिकारी रासबिहारी बोस के विख्यात सहायक।

 - हॉर्डिंग बम काण्ड में अपने चाचा जोरावर सिंह बारहठ के साथ शामिल थे।

 - प्रतापसिंह बारहठ का प्रसिद्ध कथन है कि - “मेरी माँ रोती है तो उसे रोने दो, जिससे सैकड़ों माताओं को न रोना पड़े। यदि मैंने दिल का भेद खोल दिया तो यह मेरी वास्तविक मृत्यु होगी और मेरी माता पर अमिट कलंक”।

- प्रतापसिंह बारहठ की मृत्यु पर अंग्रेज अधिकारी क्लीवलैंड ने कहा था कि “मैंने अपने जीवन में इतना मजबूत युवक पहली बार देखा है।”

ठाकुर गोपालसिंह खरवा

- राजस्थान के क्रांतिकारी आंदोलन में उल्लेखनीय योगदान दिया।

- अजमेर कमिश्नर ने समझौता कर इन्हें टॉडगढ़ में नजरबंद किया।

- टॉडगढ़ से फरार होने पर सलेमाबाद में पकड़े गए और बंदी बनाकर अजमेर जेल में रखा गया।

 विजयसिंह पथिक 

जन्म – 24 मार्च, 1882 

जन्म स्थान - ग्राम गुठावली, जिला बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) 

मूल नाम - भूपसिंह

राजस्थान में किसान आंदोलन के जनक।

वर्ष 1915 में सशस्त्र क्रांति के लिए खरवा ठाकुर गोपालसिंहकी सहायतार्थ इन्हें राजस्थान भेजा गया।

- पथिक को टॉडगढ़ में नजरबंद कर दिया।

- साधु सीतारामदास के आग्रह पर बिजौलिया किसान आंदोलनका नेतृत्व किया।

- पथिक ने बेगूं किसान आंदोलन का भी निर्देशन किया।

- ‘वीर भारत समाज’ एवं ‘राजस्थान सेवा संघ’ के संस्थापक।

प्रकाशित समाचार पत्र - राजस्थान केसरीनवीन राजस्थान तरुण राजस्थान

  सेठ दामोदरदास राठी 

- मूलतः पोकरण (जैसलमेर) के निवासी।

- क्रान्तिकारियों को आर्थिक सहायता देने में अग्रणी।

- ब्यावर में राजस्थान की प्रथम सूती वस्त्र मिल ‘दी कृष्णा मिल' की स्थापना की।

 -   सनातन धर्म स्कूल (ब्यावर) एवं नवभारत विद्यालय (वर्धा) की स्थापना की।

 -   राजस्थान के स्वाधीनता आन्दोलन के भामाशाह के रूप में प्रसिद्ध।

  सागरमल गोपा 

- जन्म – 3 नवम्बर, 1900, जैसलमेर

- उपनाम – ‘थार केसरी’

- राज्य में रोक के बावजूद सागरमल गोपा ने जैसलमेर में ‘सर्वहितकारिणी वाचनालय’ की स्थापना की। 

- इन्होंने जैसलमेर शासक जवाहरसिंह के अत्याचारों का वर्णन ‘जैसलमेर का गुण्डा राज’ पुस्तक में किया।

- वर्ष 1921 में गोपा, गाँधीजी के साथ असहयोग आंदोलन की रूपरेखा में शामिल थे।

- 25 मई , 1941 को गोपा को गिरफ्तार कर जेल में कैद कर दिया। जेल में रहते हुए इन्होंने ‘आजादी के दीवाने’ नामक पुस्तक लिखी।

 -   3 अप्रैल, 1946 को इन्हें जेलर गुमानसिंह ने जैसलमेर जेल में जिन्दा जला दिया।

- गोपा हत्याकाण्ड की जाँच हेतु ‘गोपाल स्वरूप पाठक‘ समिति का गठन किया गया। इस आयोग ने  इसे आत्महत्या करार दिया। 

- सागरमल गोपा द्वारा रचित पुस्तकें जैसलमेर का गुण्डाराज,आजादी के दीवाने व रघुनाथ सिंह का मुकदमा।

-   वर्ष 1986 में गोपा के सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया।

-   गोपा के सम्मान में इंदिरा गाँधी नहर की एक कैनाल का नाम रखा गया है।

  जयनारायण व्यास 

- जन्म - वर्ष 1899, जोधपुर

- वर्ष 1923 में मारवाड़ हितकारिणी सभा का गठन।

- राजस्थान के मनोनीत व निर्वाचित एकमात्र मुख्यमंत्री।

- उपनाम – 

1. मारवाड़ के लोकनायक

2. धुन के धणी

3. शेर-ए-राजस्थान

4. लक्कड़ एवं फक्कड़

प्रकाशित समाचार पत्र व पुस्तकें

1. तरुण राजस्थान – वर्ष 1927 में ब्यावर से प्रकाशित।

2. अखंड भारत – वर्ष 1936 में मुम्बई से प्रकाशित।

3. आगीबाण/अग्निबाण – राजस्थानी भाषा में।

4. पीप – अंग्रेजी भाषा में।

  गोकुल भाई भट्ट 

- जन्म - 25 फरवरी, 1899  

- जन्म स्थान - हाथल गाँव (सिरोही)

- प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानी व सर्वोदयी नेता।

- उपनाम - राजस्थान के गाँधी 

  भोगीलाल पंड्या 

- जन्म - 13 नवम्बर, 1904 को डूँगरपुर में

- डूँगरपुर राज्य में आदिवासियों के कल्याणार्थ कार्य किया।

- उपनाम - वागड़ के गाँधी

इनके द्वारा स्थापित प्रमुख संस्थाएँ

  1. वागड़ सेवा संघ              2. वागड़ सेवा मंदिर

  3. सेवा संघ                       4. हरिजन सेवा समिति

  हीरालाल शास्त्री 

- जन्म - 24 नवम्बर, 1899 

- जन्म स्थान - जोबनेर (जयपुर)

- रचित पुस्तक - प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र

- संस्थापक - वनस्थली जीवन कुटीर व विद्यापीठ

- राजस्थान के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री

- इनकी पत्नी रतन शास्त्री वनस्थली विद्यापीठ की संचालिका थी।

- रचित प्रसिद्ध लोकगीत - प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः

  जमनालाल बजाज 

- जन्म - 4 नवम्बर, 1889 को सीकर में 

- वर्ष 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में अंग्रेजों से प्राप्त राय बहादुर की उपाधि लौटाई।

- वर्ष 1921 को वर्धा में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।

- राजस्थान में उत्तरदायी शासन की माँग करने वाले प्रथम नेता थे।

-  उपनाम – 1. गाँधीजी के 5वें पुत्र

  रामनारायण चौधरी 

- जन्म - वर्ष 1896, सीकर

- प्रमुख किसान नेता एवं राजनीतिक कार्यकर्ता।

- बेगूं किसान आन्दोलन के  नेतृत्वकर्ता।

- वर्ष 1932 में ‘हरिजन सेवक संघ‘ की राजपूताना शाखा का कार्यभार संभाला।

  माणिक्यलाल वर्मा 

- जन्म- 4 दिसम्बर, 1897 को भीलवाड़ा में 

- उदयपुर के किसान नेता एवं प्रजामण्डल आंदोलन के अग्रणी नेता।

- ‘पंछीड़ा’ लोकगीत के रचयिता।

- वर्ष 1934 में ‘खांडलाई आश्रम’ की स्थापना की। 

  हरिभाऊ उपाध्याय 

- जन्म - वर्ष 1892

- वर्ष 1925 में हटुंडी (अजमेर) में गाँधी आरण्य (आश्रम) की स्थापना की।

इनके द्वारा रचित प्रमुख पुस्तकें –

  1. युग धर्म  

   2. सर्वोदय के आश्रम

  3. बापू के आश्रम

  4. विश्व की प्रमुख विभूतियाँ

  मोतीलाल तेजावत

- जन्म स्थान - कोल्यारी गाँव (उदयपुर) 

- उपनाम – 

1. बावजी

2. आदिवासियों के मसीहा

- एकी/भोमट आंदोलन का नेतृत्व किया।

  अमरचन्द बाँठिया

- 1857 की क्रांति में राजस्थान के प्रथम शहीद। 

- इन्हें 22 जून, 1858 को ग्वालियर में फाँसी दी गई।

- झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई व तात्या टोपे को इन्होंने आर्थिक सहायता प्रदान की।

- उपनाम – 

  1. क्रांतिकारियों का भामाशाह 

  2. राजस्थान का मंगल पाण्डे 

सुजा राजपुरोहित 

- उपनाम – राजस्थान की लक्ष्मी बाई

- 1857 के स्वाधीनता संग्राम में मर्दाने वेश में हाथ में तलवार और बंदूक लिए लाडनूं में अंग्रेजों की सेना को परास्त कर दिया था।

  रतना शास्त्री

- जन्म – 15 अक्टूबर, 1912 को खाचरोद (मध्यप्रदेश) 

- पति – हीरालाल शास्त्री

- 1939 में जयपुर प्रजामण्डल के सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।

- इन्होंने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भूमिगत कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की सेवा की। 

  दुर्गादेवी शर्मा

- नमक सत्याग्रह के दिनों में इन्होंने अपने विवाह तक के महँगे वस्त्रों की चौमू में होली जला दी।

- बाद में अजमेर, ब्यावर की महिलाओं के साथ प्रभातफेरी आदि काम में लग गई। 

- ये वर्ष 1931-32 में दो बार जेल गई।

  रमा देवी

- जन्म – जयपुर

- इनका 7 वर्ष की आयु में विवाह हो गया व 11 वर्ष की आयु मेंये विधवा हो गई।

- गाँधीवादी नेता लादूराम जोशी से इनका पुनर्विवाह हुआ।

- ये वर्ष 1931 में बिजौलिया गई, जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

- इन्हें वहाँ से निकल जाने को कहा किन्तु इनका जवाब था, “जब तक किसानों पर अत्याचार बन्द नहीं होंगे, मैं यहाँ आती रहूँगी“

- इन्हें वहाँ के कोतवाल ने अपमानित किया, पिटाई की किन्तु वे दृढ़ रहीं।

- वर्ष 1930 व वर्ष 1932 में सत्याग्रह एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन में इन्होंने भाग लिया और जेल भी गई।

  दुर्गावती देवी

- शेखावाटी किसान आंदोलन में इन्होंने अपने पति पंडित ताड़केश्वर का साथ दिया था।

- वर्ष 1939 में वे जयपुर प्रजामण्डल आंदोलन में झुन्झुनूँ से महिलाओं का जत्था लेकर सत्याग्रह करने गई थी।

- इन्हें चार माह का कारावास हुआ था।

  किशोरी देवी

- पति – सरदार हरलालसिंह खर्रा

- जागीर प्रथा के विरोध में इन्होंने अपने पति के साथ मिलकर राष्ट्रीय आंदोलन को आगे बढ़ाया।

- वर्ष 1934 में कटराथल में आयोजित विशाल महिला सम्मेलन की इन्होंने अध्यक्षता की थी।  

  जानकी देवी बजाज

- जन्म - 1893 ई. में जावरा (म.प्र.) में 

- विवाह – वर्ष 1902 में जमनालाल बजाज के साथ 

- नमक सत्याग्रह के दौरान इन्हें छह माह के लिए जेल भेज दिया गया।

- जेल से बाहर आते ही इन्होंने महिलाओं को कुरीतियों के खिलाफ संगठित किया। 

- वर्ष 1933 में कलकत्ता में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की इन्होंने अध्यक्षता की। 

- जमनालाल बजाज के निधन के बाद इन्हें गौ सेवा संघ की अध्यक्षा बनाया गया। 

- भू-दान आन्दोलन के दौरान इन्होंने 108 कुओं का निर्माणकरवाया। 

- ये जयपुर प्रजामण्डल के 1944 के अधिवेशन की अध्यक्ष चुनी गई।

- वर्ष 1956 में जानकीदेवी को 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। 

- देहान्त - 21 मई, 1979 को वर्धा में 

  अंजना देवी चौधरी 

- जन्म – वर्ष 1897 को श्रीमाधोपुर (सीकर) में

- विवाह – वर्ष 1911 में रामनारायण चौधरी के साथ

- अपने पति की इच्छानुसार ये 20 वर्ष की आयु में पर्दाप्रथा त्याग कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद गई।

- ये समस्त रियासती जनता में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला थी।

- इन्होंने वर्ष 1921 से 1924 तक मेवाड़ व बूँदी राज्यों की स्त्रियों में राष्ट्रीयता, समाज सुधार और सत्याग्रह की ज्योति जलाई। 

- इन्हें बूँदी राज्य से निर्वासित भी होना पड़ा।

  कोकिला देवी

- नमक सत्याग्रह में कोकिला देवी ने अजमेर में सत्याग्रह किया और गिरफ्तार हुई।

  सुशीला त्रिपाठी

- ये अलवर के लक्ष्मणस्वरूप त्रिपाठी की पत्नी थी।

- अपने पति के साथ मद्रास में हिन्दी प्रचार का कार्य किया।

- इन्होंने हिन्दुस्तानी सेवा दल की शाखा को सहयोग दिया।

- वर्ष 1933 में दिल्ली के चाँदनी चौक में सत्याग्रह किया तथा 6 महीने का कारावास हुआ।

- सुशीला त्रिपाठी को भरतपुर राज्य द्वाराभरतपुर प्रजामंडल केपंजीयन की माँग करने के कारण जेल में डाल दिया गया था।

  रामदुलारी शर्मा

- कोटा के रामपुरा क्षेत्र में 13 अगस्त, 1942 को महिलाओं ने रामप्यारी के नेतृत्व में कोतवाली को घेर लिया था।

  शकुन्तला देवी

- मेड़ता निवासी शकुन्तला देवी ने रतलाम, बम्बई, मारवाड़ में राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान दिया।

- जोधपुर में गिरफ्तार हुई व इन्हें जेल हुई।

- बाँसवाड़ा में प्रजामण्डल आंदोलन में हिस्सा लिया। 

  लक्ष्मी देवी आचार्य

- बीकानेर के श्रीराम आचार्य की पत्नी थी। 

- वर्ष 1930-31 में इन्होंने कलकत्ता में विदेशी कपड़ों के बहिष्कार आंदोलन में भाग लिया।

- वर्ष 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में दोनों बार इन्हें 6-6 माह की सजा हुई।

- जेल से मुक्ति के बाद वे बंगाली संस्था की अध्यक्षा निर्वाचित हुई।

- बीकानेर प्रजामण्डल की संस्थापकों में से एक थी।

- बीकानेर के जन आंदोलन के पक्ष में मारवाड़ी समाज में लोकमत जाग्रत किया।

- वर्ष 1940 के बाद वे व्यक्तिगत सत्याग्रह में गिरफ्तार हुई तथा जेल में ही गोलोकवासी हो गई।

  भगवती देवी विश्नोई

- वर्ष 1933-34 में अजमेर के नारेली आश्रम में रहकर हरिजनजाति हेतु समाज सुधार और शिक्षा प्रसार का कार्य किया था।

- वर्ष 1938 में प्रजामण्डल आन्दोलनों में भीलवाड़ा में गिरफ्तार हुई।

- वर्ष 1942 में ये 6 महीने उदयपुर सेंट्रल जेल में नजरबंद रही।

  कालीबाई

- डूँगरपुर राज्य की पुलिस ने सेवा संघ द्वारा संचालित पाठशाला के शिक्षक नानाभाई खाँट की पिटाई की। पुलिस की चोटों से नानाभाई की मृत्यु हो गई।

- पुलिस ने शिक्षक सेंगा भाई को ट्रक के पीछे बाँधकर घसीटा।

- ट्रक से बंधे अध्यापक सेंगा भाई को मुक्त करवाने पर काली बाई को पुलिस ने गोलियों से भून दिया। 19 जून, 1947 को हुई उसकी शहादत ने इस नन्हीं वीरबाला को अमर कर दिया।

- वर्तमान में रास्तापाल में 13 वर्षीय भील बालिका कालीबाई की प्रतिमा स्थापित है।

  जानकी देवी

- विजयसिंह पथिक की पत्नी। अपने पति से प्रेरणा पाकर जानकी देवी ने भी स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया।

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