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ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system)

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system)

● ऑपरेटिंग सिस्टम जिसे कि Short Form में OS और हिंदी में प्रचालन तंत्र भी कहते हैं। यह कम्प्यूटर में एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो कम्प्यूटर के हार्डवेयर और अन्य दूसरे सॉफ्टवेयर को संचालित करता है।  

Software :-

● Software, निर्देशों का एक समूह अथवा Program है, जिसका उपयोग Computer को संचालित करने और कुछ विशिष्ट कार्यों को निष्पादित करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर इस शब्द का इस्तेमाल कम्प्यूटर में चलने वाले Applications के लिए करते हैं। Software कम्प्यूटर का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, इसके बिना अधिकांश कम्प्यूटर बेकार है। 

● एक कम्प्यूटर सिस्टम के फिजिकल पार्ट्स – कीबोर्ड, मॉनीटर, माउस और प्रिंटर इत्यादि सभी हार्डवेयर कहलाते हैं। दूसरी तरफ इनको निर्देश देने वाले एप्लीकेशन प्रोग्राम – Internet Browser, MS Office, Excel, Word, और PowerPoint इत्यादि सभी Software कहलाते हैं। इसे कम्प्यूटर का परिवर्तनशील हिस्सा (Variable Part) और हार्डवेयर को अपरिवर्तनीय हिस्सा (Invariable Part) कहा जाता है। 

● Software को विभिन्न Programming Languages में लिखा जाता है। हालाँकि कम्प्यूटर सिर्फ मशीन लैंग्वेज को समझते है, इसलिए कम्पाइलर या इंटरप्रेटर का उपयोग करके प्रोग्रामिंग भाषा को मशीन भाषा मे बदला जाता है।

● Ada Lovelace ने उन्नीसवीं शताब्दी में दुनिया का पहला प्रोग्राम लिखा था, जिसे Charles Babbage के Analytical Engine के लिए प्रकाशित किया गया था। 

● एडा को पहली कम्प्यूटर प्रोग्रामर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने यह साबित किया था, कि यह इंजन Bernoulli Numbers की गणना कैसे करेगा। 

● Software का सिद्धांत सर्वप्रथम Alan Turing ने अपने निबंध: “Computable Numbers with an Application to the Entscheidungsproblem” में लिखा था।  

● हालाँकि Software शब्द का निर्माण John Tukey ने किया था, जो एक गणितज्ञ और सांख्यिकीविद् थे।

● एक Software क्या कर सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है, कि उसे किस उद्देश्य के लिए बनाया गया है। उदाहरण के लिए कम्प्यूटर में स्टोर फाइलों को मैनेज करने के लिए Operating System (OS) का उपयोग किया जाता हैं, जो एक प्रकार का System Software हैं; संख्याओं की गणना के लिए Calculator का उपयोग किया जाता है, यह भी एक application Software है।  

● इसके अलावा Android, iOS, Windows और Linux इत्यादि सभी OS एक प्रकार के Software है, जो हमारे कम्प्यूटर का संचालन करते हैं। जो भी कार्य आप अपने कम्प्यूटर या मोबाइल द्वारा कर पा रहे है, वो सब Software की मदद से ही संभव है। मनोरंजन और स्वास्थ्य सेवा से लेकर शिक्षा और बिक्री तक, दुनिया के किसी भी उद्योग का काम इनकी मदद से किया जाता है।  

सॉफ्टवेयर के प्रकार :-

● Software के कार्यों के आधार पर इन्हें मुख्य दो भागों में बाँटा गया है :- 

1. System Software                2. Application Software

1. System Software :-

● इस श्रेणी के Software का उपयोग हार्डवेयर के संचालन और अन्य कम्प्यूटर प्रोग्राम को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर System Software अग्रभूमि प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए बैकग्राउंड पर चलते हैं। यह हार्डवेयर पार्ट्स के साथ संचार करने से लेकर CPU और Memory को कंट्रोल और मॉनीटर करता है, इसके साथ ही अन्य Application Software के निष्पादन और विकास का समर्थन करता है। System Software को मुख्य रूप से चार भागों में वर्गीकृत किया गया है :-

i) Operating System :- Operating System, उपयोगकर्ता को एक डिवाइस पर अन्य एप्लीकेशन चलाने की अनुमति देता है। यह एप्लीकेशन और हार्डवेयर के बीच एक इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करता है। OS कम्प्यूटर को ऑपरेट करने से संबंधित कई तकनीकी कार्यों को संभालता है। सभी कम्प्यूटिंग  डिवाइस को ऑपरेट करने के लिए इन Softwares की आवश्यकता होती है। उदाहरण : Android, iOS, macOS, Windows, Linux and Unix, etc.

iiUtilities :- Utilities, एक प्रकार के सर्विस प्रोग्राम है, इनका उपयोग आपके कम्प्यूटर की कार्यक्षमता और परफोर्मेंस को बनाये रखने में किया जाता है। इन्हें हम सहायक प्रोग्राम भी कह सकते है, जो एक सिस्टम की क्षमता बनाये रखने और बढ़ाने के लिए विशिष्ट उपयोगी कार्य करता है। यह OS के साथ एक टूलकिट के रूप में आते हैं। उदाहरण : Antivirus, Data Backup, Data Recovery, Firewall, Disk Defragmentation and System Diagnosis, etc.

iii) Device Driver :- एक हार्डवेयर डिवाइस को कम्प्यूटर से कम्यूनिकेट करने के लिए एक खास प्रकार के Software की जरूरत होती है, जिसे हम Device Driver कहते है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ मिलकर काम करता है। उदाहरण के लिए जब कीबोर्ड को कम्प्यूटर से कनेक्ट करते हैं, तो वह सही से कार्य कर पाए इसके लिए कम्प्यूटर में पहले से ही एक कीबोर्ड ड्राइवर मौजूद होता है। उदाहरण : USB Drivers, Printer Drivers, Motherboard Driver, Network Adapter Drivers, ROM Drivers and VGA Drivers, etc.

ivLanguage Translator :- Language Translator, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखे कोड या इंटरैक्शन्स को मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट करते हैं, ताकि कम्प्यूटर इसे समझ कर प्रोसेस कर सकें। सभी प्रकार के Software को अलग-अलग प्रकार की प्रोग्रामिंग भाषाओं में लिखा जाता है, परन्तु कम्प्यूटर सिर्फ मशीनी भाषा ही समझ पाता है इसलिए इसका अनुवाद करने के लिए इन Software का उपयोग होता है। उदाहरण : Compiler, Interpreter, and Assemblers, etc.

2. Application Software :-

● Application Software, को एण्ड-यूजर (End-user) प्रोग्राम भी कहा जाता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल अंतिम उपयोगकर्ता किसी विशेष टास्क करने के लिए करते है। इस तरह के एप्लीकेशन किसी खास मकसद के लिए बनाये जाते हैं। अपने दैनिक जीवन मे हम इस श्रेणी के कई Software का उपयोग करते है, फिर चाहे वो ई-मेल भेजना या गाने सुनना हो। यह यूजर के इनपुट को समझने में सक्षम होते हैं। एक बार इन्स्टॉल कर लेने के बाद इन्हें आसानी से उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार के एप्लीकेशन को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है :-

i) Basic Application Software :- इन्हें सामान्य उद्देशीय एप्लीकेशन भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए वर्ड प्रोसेसर, स्प्रेडशीट और डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) इत्यादि बुनियादी Application Software के सामान्य प्रकार हैं। इनका उपयोग लगभग हर व्यवसाय में बड़ी मात्रा में किया जाता है।

ii) Specialized Application Software :- खास मकसद के लिए बनाए गए Application Software इस श्रेणी में आते है। आप जिस वेब ब्राउज़र में इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं, वह भी इसी श्रेणी में आता है। इसके अलावा म्यूजिक प्लेयर, वीडियो एडिटर और सोशल मीडिया एप इत्यादि सभी जिन्हें एक खास मकसद के लिए बनाया गया है, विशिष्ट अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर कहलाते हैं।

सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में अंतर :-

● Hardware, एक डिवाइस है जो कम्प्यूटर के साथ भौतिक रूप में जुड़ा हुआ होता है; जिसे हमारे द्वारा देखा व छुआ जा सकता हो। उदाहरण के लिए माउस,यह कम्प्यूटर से सीधे तौर पर जुड़ा होता है। इसके अलावा कम्प्यूटर के वह सभी पार्ट जो भौतिक रूप से जुड़े हैं, जैसे — मॉनीटर, सीपीयू, कीबोर्ड, प्रिंटर, रैम, हार्ड ड्राइव और मदरबोर्ड इत्यादि सभी हार्डवेयर कहलाते हैं। इसे हम कम्प्यूटर का शरीर भी कह सकते हैं, जिसके बिना कम्प्यूटर कुछ नहीं है।

● Software, शब्द का उपयोग एक कम्प्यूटर प्रोग्राम को परिभाषित करने के लिए होता है। उदाहरण के लिए आप जिस ब्राउज़र पर इस पेज को देख रहे है, वो एक Software Application है, जो अपने प्रोग्राम की वजह से कार्य कर पा रहा है।

● Software और Hardware दोनों ही एक-दूसरे के लिए कार्य करते हैं, और इनके बिना कम्प्यूटर या अन्य कम्प्यूटिंग डिवाइस का कोई अस्तित्व नहीं है। जिस तरह मनुष्यों के पास कार्य करने के लिए शरीर और सोचने के लिए दिमाग है, उसी तरह कम्प्यूटर के पास उसके यह दो पार्ट्स हैं।

ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Operating Systems) :-

● यह एक सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) है इसको कार्य करने के आधार पर, उपयोग के आधार पर और विकास क्रम के आधार पर कई प्रकार से बाँटा गया है। 

Types of Operating System (ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार) :-

● उपयोगकर्ता के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Operating Systems) को दो भागों में बाँटा गया है- 

1. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Single User Operating System) - सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर पर एक बार में एक ही user को कार्य करने की अनुमति देता है। यानी यहाँ पर एक साथ एक से अधिक यूजर अकाउंट नहीं बनाए जा सकते हैं। केवल एक ही व्यक्ति काम कर सकता है। उदाहरण के लिए एम.एस. डॉस, विंडोज 95, 98  

2. मल्‍टीयूजर ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Multi User Operating System) - ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम जिसमें आप एक से अधिक यूजर अकाउंट बना सकते हैं और उन पर काम कर सकते हैं।मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कहलाते हैं। इसमें प्रत्येक यूजर को कम्प्यूटर से जुड़ा एक टर्मिनल दे दिया जाता है। उदाहरण के लिए लाइनेक्स यूनिक, विंडोज के आधुनिक version काम करने के मोड के आधार पर भी इसे दो भागों में विभाजित किया गया है- 

a) कैरेक्टर यूजर इंटरफेस (Character User Interface)- कैरेक्टर यूजर इंटरफेस को कमांड लाइन इंटरफ़ेस (Command Line Interface) के रूप में भी जाना जाता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में टाइपिंग के द्वारा कार्य किया जाता है। इसमें विशेष प्रकार की कमांड दी जाती है। कम्प्यूटर को ऑपरेट करने के लिए और केवल टेक्स्ट का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का एक अच्छा उदाहरण है- एम. एस. डॉस।

b) ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस (Graphical user interface) -  जैसा कि इसके नाम में ही प्रदर्शित होता है, यह ऑपरेटिंग सिस्टम ग्राफिक्स पर आधारित होता है। यानी आप माउस और कीबोर्ड के माध्यम से कम्प्यूटर को इनपुट दे सकते हैं और वहाँ पर जो आपको इंटरफ़ेस दिया जाता है वह ग्राफिकल होता है। यहां पर सभी प्रकार के बटन होते हैं, मेन्‍यू होते हैं। यह बहुत आसान इंटरफ़ेस होता है।

● कम्‍प्‍यूटर के विकास के और कम्प्यूटर की पीढियों के आधार पर उसमें चलाए जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्‍टम का विकास भी होता रहा है, इस प्रकार ऑपरेटिंग सिस्‍टम निम्‍नलिखित प्रकार के हैं - 

1.   बैच प्रोसेसिंग सिस्‍टम  (Batch Processing System)

2.   टाइम शेयरिंग या मल्‍टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Time Sharing Or Multi User Operating System)

3.   मल्‍टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Multi Tasking Operating System)

4.   रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Real Time Operating System)

5.   मल्‍टी प्रोसेसर ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Multi Processing Operating System)

6.   एम्‍बेडेड ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Embedded Operating System)

7.   डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Distributed Operating System)

1. बैच प्रोसेसिंग सिस्‍टम (Batch Processing System) -  बैच प्रोसेसिंग सिस्‍टम कम्‍प्‍यूटर मे सबसे पहले उपयोग हुए ऑपरेटिंग सिस्‍टम में से एक है। बैंच ऑपरेटिंग सिस्‍टम के यूजर इसको स्‍वयं उपयोग करने के बजाए अपने जॉब (कार्य को ) पंच कार्ड या इसी प्रकार की अन्‍य डिवाइस मे ऑपरेटर को दे देते हैं तथा ऑपरेटर सभी जॉब का समूह बनाकर उसे चला देता है। यानी एक जैसी processes एक साथ पूरी होने के लिए जाती है। इस तरह के group को batch कहा जाता है। सामान्‍यत: बैच ऑपरेटिंग सिस्‍टम एक बार में एक प्रोग्राम चलाता है इसका उपयोग अब न के बराबर होता है, परन्‍तु कुछ मैनफ्रेम कम्‍प्‍यूटर मे अभी भी इसका उपयोग हो रहा है।

2. टाइम शेयरिंग या मल्‍टी यूजर सिस्‍टम (Time Sharing Or Multi User Operating System)- टाइम शेयरिंग या मल्‍टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्‍टम का प्रयोग नेटवर्क में किया जाता है। इसके माध्‍यम से विभिन्‍न यूजर एक ही समय मे एक ही प्रोग्राम का प्रयोग कर सकते हैं । इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्‍टम मे यूजर के account बना दिए जाते हैं जिससे यूजर को software उपयोग करने हेतु कितनी permission है, यह ज्ञात होता है।

3. मल्‍टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Multi Tasking Operating System)- मल्‍टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्‍टम मे एक ही समय मे एक से अधिक टास्‍क (कार्य) करवाए जाते हैं। वास्‍तविकता में प्रोसेसर बहुत कम समय में प्रोसेस प्रदान करता है, जिसे सीपीयू scheduling कहते हैं। यह कार्य इतनी अधिक तेजी से होता है कि यूजर को सभी कार्य एक साथ होते हुए प्रतीत होते हैं। इसका लाभ यह है कि सीपीयू के खाली समय का सर्वोत्‍तम उपयोग हो जाता है।

4. रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Real Time Operating System)- रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्‍टम डाटा प्रोसेसिंग सिस्‍टम के रूप मे भी जाने जाते हैं। इनमें किसी इवेंट को क्रियान्वित करने के लिए एक पूर्व निर्धारित समय होता है, जिसे रेस्‍पॉन्स टाइम कहा जाता है। ये प्राथमिक रूप से प्रोसेस कंट्रोल एवं टेलीकम्‍यूनिकेशन में अधिक प्रयोग किए जाते हैं इसका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों, मेडिकल इमेजिंग सिस्‍टम, औद्योगिक नियंत्रण सिस्‍टम, रॉबोट्स में, हवाई यातायात नियंत्रण (एयर ट्राफिक कंट्रोल) इत्‍यादि में होता है। ये दो प्रकार के होते है-

a) हार्ड रियल टाइम सिस्‍टम (Hard real time system) -  ये किसी संवेदनशील कार्यों को निश्चित समय में पूरा करने की गारण्‍टी देते है, इनमें द्वितीयक मेमोरी नहीं होती है या बहुत कम मात्रा मे उपलब्‍ध होती है। 

b) सॉफ्ट रियल टाइम सिस्‍टम (Soft Real Time System) - ये हार्ड रियल टाइम सिस्‍टम की तुलना मे थोड़ा कम पाबंद होते हैं। पर ये संवेदनशील कार्यों को अन्‍य सभी कार्यों से अधिक वरीयता देते हैं। मल्‍टीमीडिया, वर्चुअल रिएलिटी आदि कार्यों मे इसका अधिक उपयोग होता है। 

5. मल्‍टी प्रोसेसर ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Multi Processing Operating System) -  इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्‍टम उन जगहों पर उपयोग किए जाते हैं जहाँ पर एक से अधिक प्रोसेसर सिस्‍टम मे लगे हुए होते हैं। एक से अधिक प्रोसेसर इस्‍तेमाल करने की तकनीक को Parallel Processing (समानांतर प्रोसेसिंग) कहा जाता है। 

6. एम्‍बेडेड ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Embedded Operating System) - एम्‍बेडेड सिस्‍टम ऐसे ऑपरेटिंग सिस्‍टम हैं जो कि किसी electronic या अन्‍य प्रकार की हार्डवेयर डिवाइस मे ही उपस्थित रहते हैं। ये रोम में ही उपस्थित रहते हैं। इनका उपयोग घरेलू उपयोग वाले उपकरण; जैसे- माइक्रोवैव ओवन, वॉशिंग मशीन, कार मैनेजमेंट सिस्‍टम, ट्राफिक कंट्रोल सिस्‍टम इत्‍यादि मे किया जाता है ।

7. डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Distributed Operating System) -  ये कई सारे प्रोसेसर्स का उपयोग कर विभिन्‍न एप्‍लीकेशंस को चलाते हैं तथा इन एप्‍लीकेशंस या सॉफ्टवेयर्स का उपयोग भी कई सारे यूजर करते हैं। इन्‍हें Loosely Coupled (लूजली कपल्‍ड) ऑपरेटिंग सिस्‍टम भी कहा जाता है । इसका लाभ यह है कि यूजर को बहुत सारे रिसोर्स उपयोग करने हेतु मिल जाते हैं एवं अगर एक सिस्‍टम बिगड़ जाता है तो अन्‍य सिस्‍टम का उपयोग किया जा सकता है।

Firmware :- 

● फर्मवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर (प्रोग्राम) ही है जो किसी खास हार्डवेयर को कंट्रोल करने तथा एक-दूसरे हार्डवेयर के साथ कम्यूनिकेट करने के लिए एक छोटे-से चिप जिसे ROM (Read Only Memory) कहा जाता है, में Store रहता है। बिना फर्मवेयर के किसी भी हार्डवेयर डिवाइस को डिजिटल तौर पर कंट्रोल कर पाना संभव नहीं है, इसलिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस को यूजर फ्रेंडली एवं डिजिटल बनाने के लिए जो प्राइमरी सॉफ्टवेयर डाले जाते है, उन्हें Firmware कहा जाता है।  

● आजकल लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस में डिजिटल कण्ट्रोल दिया गया होता है जिसके लिए Firmware की जरूरत होती है। जैसे- TV, Music System, DTH, Remote Control, Washing Machine, AC, Induction Cooktop, Computer, Mobile इत्यादि इन सभी डिवाइसेज में फर्मवेयर embed किया गया (डाला गया) होता है। इसके अलावा वे डिवाइसेस जो Main डिवाइस में Add Ons के रूप में किसी खास जरूरत को पूरा करने के लिए लगाये जाते है, उनमें भी फर्मवेयर होता हैं; जैसे- कम्प्यूटर के केस में Keyboard, Mouse, Graphic Card, Hard Disk, Printer, Monitor Etc.

● Firmware के इंस्ट्रक्शन में सिस्टम के बारे में पूरी Information and working sequence (कार्यप्रणाली का तरीका) कंपनी के द्वारा ही डाला गया होता है जिसे हम अपनी इच्छानुसार आसानी से बदल नहीं सकते हैं, परंतु कुछ डिवाइस में हम इसे अपडेट जरूर कर सकते हैं। 

● फर्मवेयर कम्प्यूटर सिस्टम का सबसे प्राइमरी सॉफ्टवेयर होता है जो पूरी कम्प्यूटर मशीन की सभी हार्डवेयर की जानकारी रखता है तथा यह एक-दूसरे हार्डवेयर पार्ट के बीच कम्यूनिकेट करवाने का कार्य करता है साथ ही कम्प्यूटर सिस्टम की Power Logic इंस्ट्रक्शन भी इसी के अंदर होता है। जब कभी किसी पार्ट में कोई प्रॉब्लम आ जाती है तो Error Code या Beep Sound Generate करके यूजर को इनफॉर्मेशन देना इसी का काम होता है। इसके अलावा यह Operating System तथा Hardware के बीच सम्बन्ध स्थापित करवाने का काम करता है।  

● जिस प्रकार सभी सॉफ्टवेयर में Bug को सुधारने के लिए या नया फीचर ऐड करने के लिए समय-समय पर Update आते रहते हैं। ठीक उसी प्रकार Computerized Device में Firmware के लिए भी Company के द्वारा बीच-बीच में Update दिए जाते हैं जिसकी मदद से हम पुराने फर्मवेयर को नये Version में अपडेट कर देते है ताकि उस डिवाइस का नये तकनीक के साथ बेहतर कम्पेटिबिलिटी बनी रहे तथा हमें अच्छी परफॉर्मेंस मिल सकें।

Open Source Software (ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर) :-

● ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर या open source software या (OSS) (जिसे फ्री सॉफ्टवेयर भी कहा जाता है) एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जिसे सोर्स कोड के साथ वितरित किया जाता है। जिसके जरिये उपयोगकर्ता इन्हे पढ़ या संशोधित कर सकते है और इसका सोर्स कोड (प्रोग्रामर ने जिस मीडियम में सॉफ्टवेयर का निर्माण तथा परिवर्तन किया है) इंटरनेट पर फ्री रूप से उपलब्ध रहता है। ये पूरी तरह से फ्री होता है और इसके लिए कोई भुगतान नहीं करना पड़ता है।

● ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के उदाहरण :

- GNU/Linux

- GIMP

- Mozilla Firefox

- VNC

- VLC media player

- Apache web server

- SugarCRM

- LibreOffice

Freeware :-

● फ्रीवेयर सॉफ्टवेयर एक प्रोग्रामिंग है जो बिना किसी लागत के वितरित की जाती है और अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम में डाउनलोड करने और उपयोग करने के लिए उपलब्ध छोटे अनुप्रयोगों का एक सामान्य वर्ग होता है। 

● आप जिस किसी भी प्रोग्रामिंग का निर्माण कर रहे हैं, उसमें इसका उपयोग पुनः हो भी सकता है और नहीं भी क्योंकि ये कभी कभी कॉपीराइटेड भी होता है। 

● ये कम प्रतिबंधात्मक “नो-कॉस्ट” कार्यक्रम बिना कॉपीराइट वाले प्रोग्राम हैं जो सार्वजनिक डोमेन में हैं।

● जब हम अपने प्रोग्राम्स में public domain software को reuse करते हैं, तब हमारे लिए बेहतर रहेगा कि हमें प्रोग्राम की हिस्ट्री का पता हो, जिससे हम सुनिश्चित कर सकें कि यह वास्तव में पब्लिक डोमेन में है या नहीं।

Proprietary Software :-

● Proprietary सॉफ्टवेयर, जिसे Closed Source सॉफ्टवेयर के नाम से भी जाना जाता है, यह एक प्रकार का कॉपीराइटेड सॉफ्टवेयर है, इसका प्रयोग सीमित रूप से ही किया जा सकता है।

● प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर का सोर्स कोड बहुत सुरक्षित रखा जाता है। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर को इसके मालिक और निर्माता की प्रॉपर्टी माना जाता है। 

● इसे कोई भी यूजर या संस्थाओं द्वारा एक्सेस करने से पहले इसकी पूर्व परिभाषित कंडीशंस को फॉलो करना आवश्यक होता है और यूजर, प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को एक्सेस नहीं कर सकते हैं।

● इसमें यूजर द्वारा पुनर्वितरित या सुधार नहीं किया जा सकता है। 

● Proprietary सॉफ्टवेयर एक विशिष्ट हार्डवेयर प्लेटफॉर्म या ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ्टवेयर है।

● Proprietary Software के उदाहरण 

- Microsoft Windows

- Adobe Photoshop

- Microsoft Office                           

- Google Earth

- Adobe Flash Player                     

- Skype

- PS3 OS

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