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राजस्थान polity: राज्यपाल

राज्यपाल

● राज्यपाल का पद राज्य की शासन व्यवस्था का अत्यंत महत्त्वपूर्ण पद है। यह राज्य विधान मण्डल का अभिन्न अंग है, राज्य की कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान है तथा केन्द्र सरकार का प्रतिनिधि भी है।

● राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख/कार्यकारी प्रमुख/हैड ऑफ स्टेट होता है। 

● मूल संविधान (26 जनवरी, 1950) में व्यवस्था की गई थी कि प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा (अनुच्छेद-153) 

● संविधान के 7वें संशोधन, 1956 के माध्यम से अनुच्छेद-153 में परंतुक जोड़कर स्पष्ट किया गया कि एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल बनाया जा सकेगा। 

● अनुच्छेद-154 के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी लेकिन अनुच्छेद-163 के तहत राज्यपाल अपनी स्व-विवेक शक्तियों के अलावा सभी कृत्य राज्य मंत्रिपरिषद् की सलाह पर करेगा।

राज्यपाल की नियुक्ति (अनुच्छेद-155) :-

● अनुच्छेद-155 के अनुसार राज्यपाल को राष्ट्रपति नियुक्त करेगा। इस प्रकार वह केन्द्र सरकार द्वारा मनोनीत होता है। 

● अनुच्छेद-155 में यह भी उल्लिखित है कि राज्यपाल की नियुक्ति के सन्दर्भ में राष्ट्रपति अधिपत्र (वारण्ट) जारी करते हैं। यह अधिपत्र राज्य का मुख्य सचिव पढ़कर सुनाता है।

 संविधान लागू होने से लगाकर वर्तमान तक राज्यपाल कीनियुक्ति के संबंध में कुछ परम्पराएँ बन गई जो निम्न हैं– 

I. संबंधित राज्य का निवासी नहीं होना चाहिए ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त रहे। 

II. राज्यपाल की नियुक्ति के समय राष्ट्रपति संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श ले ताकि संवैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित हो।

नोट :   केन्द्र-राज्य संबंधों की गहन समीक्षा के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा 1983 में सरकारिया आयोग का गठन किया गया। इसके तीन सदस्यों में आर. एस. सरकारिया (अध्यक्ष), एस. आर. सैन तथा वी. शिवरामन शामिल थे। जनवरी, 1988 में इसने अपना प्रतिवेदन दिया।

राज्यपाल की पदावधि/कार्यकाल (अनुच्छेद-156) :-

● अनुच्छेद-156 के अनुसार राज्यपाल अपने पदग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष तक पद पर बना रहेगा। 

● राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है। 

● राज्यपाल राष्ट्रपति को संबोधित करके त्याग-पत्र देता है। 

● राज्यपाल को हटाने के आधार का उल्लेख संविधान में नहीं है। 

● 2007 में केन्द्र-राज्यों संबंधों की जाँच हेतु गठित पुंछी आयोग ने राज्यपाल को हटाने के लिए विधानमंडल में महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया अपनाने का सुझाव दिया है।  

राज्यपाल की योग्यता (अनुच्छेद-157) :-

● वह भारत का नागरिक होना चाहिए। 

● 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो। 

राज्यपाल के पद की शर्तें (अनुच्छेद-158) :-

● संसद या राज्य विधान मण्डल का सदस्य नहीं होना चाहिए। यदि वह किसी भी सदन का सदस्य है तो राज्यपाल के पद की शपथ लेने के बाद उस सदन से उसका स्थान रिक्त माना जाएगा। 

● राज्यपाल अपने कार्यकाल के दौरान अन्य किसी भी प्रकार का पद धारण नहीं कर सकता। 

● कार्यकाल के दौरान उनकी आर्थिक उपलब्धियों व भत्तों को कम नहीं किया जा सकता। 

राज्यपाल की शपथ (अनुच्छेद-159) :-

● राज्यपाल को शपथ संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश दिलवाता है। उनकी अनुपस्थिति में उपलब्ध वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलवाते हैं। 

● राज्यपाल संविधान की रक्षा और राज्य के लोगों के कल्याण की शपथ लेते हैं। 

नोट : अनुच्छेद-159 में राज्यपाल की शपथ का प्रारूप दिया गया है जो इस प्रकार है कि “मैं, ………. (राज्यपाल का नाम), ईश्वर की शपथ लेता हूँ और सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं श्रद्धापूर्वक …………….. (राज्य का नाम) के राज्यपाल के पद का कार्यपालन (राज्यपाल के कार्यों का निर्वहन) करूँगा तथा अपनी पूरी योग्यता से संविधान और विधि का परिरक्षण (Preserve), संरक्षण (Protect) और प्रतिरक्षण (Defend) करूँगा और मैं …………… (राज्य का नाम) की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूँगा।”

नोट : यदि किसी राज्यपाल को किसी अन्य राज्य का अतिरिक्त प्रभार दिया जाए तो भी उन्हें पुन: शपथ लेनी होती है।

वेतन :-

● राज्यपाल का वेतन 3,50,000/- रुपये प्रतिमाह है जो संबंधित राज्य की संचित निधि या राज्य के राजकोष पर भारित होता है। 

● यदि एक व्यक्ति दो या अधिक राज्यों के बतौर राज्यपाल नियुक्त होता है तो उसे वेतन एवं भत्ते राष्ट्रपति द्वारा तय मानकों के हिसाब से राज्य मिलकर प्रदान करते हैं। 

राज्यपाल की शक्तियाँ एवं कार्य :-

1. कार्यपालिका शक्तियाँ 

● विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री तथा उसकी सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल करता है। 

● महाधिवक्ता की नियुक्ति करता है। 

● राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करता है। 

● राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति करता है, जबकि स्वयं राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है। 

● राज्य के निर्वाचन आयुक्त एवं राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है। 

● वह राष्ट्रपति से राज्य में संवैधानिक आपातकाल (अनुच्छेद-356) के लिए सिफारिश कर सकता है। 

● राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह से मंत्रियों के विभागों का वितरण करता है। 

2. विधायी शक्तियाँ 

● राज्यपाल विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करते हैं। विधानसभा के वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने की परम्परा है। 

● वह राज्य विधानसभा के सत्र को आहूत, सत्रावसान या विघटित कर सकता है। (अनुच्छेद-174)

● अनुच्छेद-207 के अनुसार वित्त विधेयक राज्यपाल की अनुमति से ही विधानसभा में प्रस्तुत होता है। 

● जिन राज्यों में द्विसदनात्मक विधान मण्डल है वहाँ पर उच्च सदन (विधान परिषद्) में राज्यपाल सदन के 1/6 सदस्यों को मनोनीत करता है। (अनुच्छेद-171)

3. वित्तीय शक्तियाँ –

● राज्य विधानसभा में सभी धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व स्वीकृति से ही प्रस्तुत किए जाते हैं। (धन विधेयक को अनुच्छेद-199 में परिभाषित किया गया है।) 

● राज्यपाल द्वारा ही विधानसभा के समक्ष बजट प्रस्तुत किया जाता है। 

● अनुच्छेद-243 (I) व अनुच्छेद-243 (Y) के तहत राज्यपाल प्रत्येक 5 वर्ष में राज्य वित्त आयोग का गठन करते हैं। 

4. न्यायिक शक्तियाँ 

● अनुच्छेद-161 के अनुसार राज्यपाल किसी सिद्धदोष व्यक्ति के दण्ड को कम कर सकता है, स्थगित कर सकता है, उसकी प्रकृति को बदल सकता है या क्षमा कर सकता है। राज्यपाल मृत्युदंड के मामलों में क्षमा नहीं कर सकता है।

● वह उच्च न्यायालय के साथ विचार कर जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति, स्थानांतरण और प्रोन्नति कर सकता है। (अनुच्छेद-233)

● अनुच्छेद-219 के तहत उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को राज्यपाल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति द्वारा शपथ दिलाई जाती है। 

● राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति में अंतर –

A. मृत्युदण्ड के सभी मामलों में राष्ट्रपति को क्षमादान करने का पूर्ण अधिकार है जबकि राज्यपाल को मृत्युदण्ड के निर्णय के विरुद्ध क्षमादान की शक्ति प्राप्त तो है लेकिन वह मृत्युदण्ड को पूर्णतया माफ नहीं कर सकते हैं। राज्यपाल उसे स्थगित कर सकते हैं या उसकी प्रकृति बदल सकते हैं। 

B. राष्ट्रपति को सेना के न्यायालयों के द्वारा दिए गए दण्ड या दण्डादेश के मामले में क्षमादान की शक्ति प्राप्त है जबकि राज्यपाल को इस तरह की कोई भी शक्ति प्राप्त नहीं है।

5. अन्य 

● अनुच्छेद-239 के तहत राष्ट्रपति किसी राज्यपाल को संघशासित प्रदेश का प्रशासक भी नियुक्त कर सकते हैं। 

● राजस्थान मानवाधिकार आयोग, राजस्थान महिला आयोग तथा राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों और राजस्थान के लोकायुक्त की नियुक्ति ‘राज्यपाल’ ही करता है। 

● राजस्थान सैनिक कल्याण बोर्ड तथा रेडक्रॉस सोसायटी की राजस्थान शाखा का संरक्षक राज्यपाल ही होता है। 

अन्य तथ्य :-

● विधि विश्वविद्यालय का कुलाधिपति उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश होता है। 

● 42वें संविधान संशोधन, (1976) के बाद राष्ट्रपति के लिए मंत्रियों की सलाह की बाध्यता तय कर दी गई जबकि राज्यपाल पर यह उपबंध लागू नहीं होता है। 

● सरोजिनी नायडू के अनुसार “राज्यपाल सोने के पिंजरे में बंद पक्षी के समान है।”

● भारत के संविधान के भाग-6 में राज्यपाल का उल्लेख किया गया है जिसमें राज्यपाल से संबंधित अनुच्छेद निम्नलिखित हैं- 

अनुच्छेद-153

राज्यों के राज्यपाल।

अनुच्छेद-154

राज्य की कार्यपालिका शक्ति

अनुच्छेद-155

राज्यपाल की नियुक्ति

अनुच्छेद-156

राज्य की पदावधि/कार्यकाल।

अनुच्छेद-157

राज्यपाल के पद के लिए योग्यता।

अनुच्छेद-158

राज्यपाल के पद के लिए शर्तें।

अनुच्छेद-159

राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान।

अनुच्छेद-161

सभा आदि और कुछ मामलों में दण्डादेश के निलम्बन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति।  

अनुच्छेद-162

राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार।

अनुच्छेद-163

मंत्रिपरिषद् का राज्यपाल को सहयोग तथा सलाह देना।

अनुच्छेद-164

मंत्रियों से संबंधित अन्य प्रावधान, जैसे- नियुक्ति, कार्यकाल व वेतन आदि।

अनुच्छेद-165

राज्य महाधिवक्ता

अनुच्छेद-167

राज्यपाल को सूचना देने इत्यादि का मुख्यमंत्री का दायित्व।

अनुच्छेद-174

राज्य विधायिका का सत्र, सत्रावसान तथा उसका भंग होना। 

अनुच्छेद-175

राज्यपाल का राज्य विधायिका के सभी अथवा दोनों सदनों को संबोधित करने अथवा संदेश देने का अधिकार।

अनुच्छेद-176

राज्यपाल द्वारा विशेष संबोधन।

अनुच्छेद-200

विधेयक पर सहमति (राज्यपाल द्वारा राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयकों पर स्वीकृति प्रदान करना)।

अनुच्छेद-201

राज्यपाल द्वारा विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखना।

अनुच्छेद-213

राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति।

अनुच्छेद-233

राज्यपाल द्वारा जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति।

अनुच्छेद-234

राज्यपाल द्वारा न्यायिक सेवा के लिए नियुक्ति (जिला न्यायाधीशों के अलावा)

राजस्थान के संदर्भ में राज्यपाल :-

● 30 मार्च, 1949 से 31 अक्टूबर, 1956 तक राज्य में राजप्रमुख का पद था। इस पद पर जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय नियुक्त थे। सवाई मानसिंह द्वितीय राजस्थान के पहले व एकमात्र राजप्रमुख थे। 

● राजस्थान में 1 नवम्बर, 1956 को राज्य के पुनर्गठन के बाद राजप्रमुख का पद समाप्त करके राज्यपाल का पद सृजित किया गया। 

● राज्य के प्रथम राज्यपाल सरदार गुरुमुख निहालसिंह बने। 

● राज्य की पहली महिला राज्यपाल - श्रीमती प्रतिभा पाटिल।

    (2004-07)

● मारग्रेट अल्वा, प्रतिभा पाटिल व प्रभाराव के बाद राज्य की तीसरी महिला राज्यपाल बनी। 

● सबसे कम कार्यकाल:- सरदार दरबारा सिंह (23 दिन)

 पद पर रहते हुए मृत्यु – 

1.  दरबारा सिंह (1998)

2.  निर्मल चन्द जैन (2003)

3.  एस. के. सिंह (2009)

4.  श्रीमती प्रभा राव (2010)

● वर्तमान राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े 42वें राज्यपाल जिन्होंने 31 जुलाई, 2024 को पद ग्रहण किया।

 राज्य के 5 साल का कार्यकाल पूर्ण करने वाले राज्यपाल –  

1.   सवाई मानसिंह (राजप्रमुख) 

2.   गुरुमुख निहालसिंह 

3.   डॉ. सम्पूर्णानन्द (1962-1967)    

4.   कल्याण सिंह (2014-19)

 राष्ट्रपति शासन राज्य में (4 बार) –

कब

राज्यपाल

13 मार्च, 1967 से

26 अप्रैल,1967 तक

डॉ. सम्पूर्णानंद,

सरदार हुकुम सिंह

30 अप्रैल, 1977 से

21 जून, 1977 तक

वेदपाल त्यागी,

श्री रघुकुल तिलक

17 फरवरी,1980 से 5

जून, 1980 तक

श्री रघुकुल तिलक

15 दिसम्बर, 1992 से

03 दिसम्बर, 1993 तक

डॉ. एम. चेन्ना रेड्‌डी,

बलिराम भग

राजस्थान में अब तक के राज्यपालों की सूची

क्र.सं.

नाम

अवधि

विवरण

 

1.

महाराजा सवाई मानसिंह 

(राज प्रमुख)

30 मार्च, 1949 से

31 अक्टूबर, 1956 तक

जयपुर के पूर्व महाराजा, इस पद को सातवें संविधान संशोधन द्वारा 1956 में समाप्त कर दिया गया तथा इस संशोधन के बाद राज्यपाल पद का सृजन किया गया।

 

2.

सरदार गुरुमुख निहाल सिंह 

(सर्वाधिक समय तक)

01 नवम्बर, 1956 से

15 अप्रैल, 1962 तक

सरदार गुरुमुख निहाल सिंह राजस्थान के प्रथम राज्यपाल थे। पूर्व में दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, राज्यपाल के रूप में सर्वाधिक कार्यकाल।

 

3.

डॉ. सम्पूर्णानन्द 

16 अप्रैल, 1962 से

15 अप्रैल, 1967 तक

उत्तर प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री रहे। असहयोग आन्दोलन में भाग लिया।

जयपुर के सांगानेर की खुली जेल इन्हीं की देन है।

 

4.

सरदार हुकुम सिंह

16 अप्रैल, 1967 से

19 नवम्बर 1970 तक

लोकसभा अध्यक्ष रहे।

 

5.

जगत नारायण 

20 नवम्बर, 1970 से

23 दिसम्बर, 1970 तक

कार्यवाहक

 

6.

सरदार हुकुम सिंह (दूसरी बार)

24 दिसम्बर, 1970 से

30 जून, 1972  तक

 

7.

सरदार जोगिन्द्र सिंह

1 जुलाई, 1972 से

14 फरवरी, 1977 तक

 संविधान सभा, लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य रहे।

 

8.

वेद पाल त्यागी (न्यायाधीश)

15 फरवरी, 1977 से

11 मई, 1977 तक

कार्यवाहक

 

9.

श्री रघुकुल तिलक

12 मई, 1977 से 8 अगस्त, 1981 तक

राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य रहे। अप्रैल 1977 से जून 1977 राजस्थान में राष्ट्रपति शासन रहा। 

 

10.

के.डी. शर्मा (कार्यवाहक) न्यायाधीश

8 अगस्त, 1981 से

5 मार्च, 1982 तक

पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत रहे। 

भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे।

 

11.

श्री ओमप्रकाश मेहरा

6 मार्च, 1982 से

04 जनवरी, 1985 तक

भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल ओम प्रकाश मेहरा वायुसेनाध्यक्ष रहे।

 

12.

पी.के. बनर्जी

5 जनवरी, 1985 से

31 जनवरी, 1985 तक

कार्यवाहक

 

13.

श्री ओमप्रकाश मेहरा

01 फरवरी, 1985 से

03 नवम्बर, 1985 तक

हिंदुस्तान ऐयरोनोटिक्स के अध्यक्ष रहे।

पद्मविभूषण से सम्मानित।

 

14.

डी.पी. गुप्ता (न्यायाधीश)

04-11-1985 से

19-11-1985 तक

कार्यवाहक

 

15.

श्री वसंत राव पाटिल

20-11-1985 से

14-10-1987 तक

लोकसभा सदस्य रहे,  महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे।

 

16.

जे.एस. वर्मा (कार्यवाहक) न्यायाधीश

15-11-1987 से

19-02-1988 तक

राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश जिन्होंने कार्यवाहक राज्यपाल रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को शपथ दिलाई।

 

17.

श्री सुखदेव प्रसाद

20-02-1988 से

02-02-1989 तक

राज्यसभा सदस्य

भारत सरकार में उप-मंत्री, इस्पात एवं खनन मंत्रालय

 

18.

जे.एस. वर्मा (कार्यवाहक) न्यायाधीश (सुखदेव प्रसाद की विदेश में चिकित्सा के कारण)

03-02-1989 से

19-02-1989 तक

 

19.

सुखदेव प्रसाद

20-02-1989 से

02-02-1990 तक

 

20.

मिलापचन्द जैन (कार्यवाहक) न्यायाधीश

03-02-1990 से

13-02-1990 तक

राजीव गाँधी की हत्या की जाँच हेतु बनाए गए जैन आयोग के अध्यक्ष रहे। 

राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहे।

 

21.

प्रो. देवीप्रसाद  चट्‌टोपाध्याय

14-02-1990 से

25-08-1991 तक

 

 

22.

स्वरूप सिंह (अतिरिक्त प्रभार), 

(गुजरात राज्यपाल)

26-08-1991 से

04-02-1992 तक

संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य रहे।

 

23.

डॉ. एम. चेन्ना रेड्‌डी

05-02-1992 से

30-05-1993 तक

राजस्थान में राष्ट्रपति शासन। 

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं।

वे उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु के पूर्व राज्यपाल रहे हैं।

 

24.

धनिक लाल मंडल (अतिरिक्त प्रभार), (हरियाणा मुख्यमंत्री)

31-05-1993 से

29-06-1993 तक

राजस्थान में राष्ट्रपति शासन।

 

25.

श्री बलिराम भगत (जनवरी, 1976-मार्च, 1977 लोकसभा अध्यक्ष)

30-06-1993 से

30-04-1998 तक

इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री रहे। लोकसभा अध्यक्ष भी रहे।

 

26.

श्री सरदार दरबारा सिंह 

(कार्यकाल के दौरान निधन)

01-05-1998 से

24-05-1998 तक

पंजाब विधानसभा अध्यक्ष रहे।

राजस्थान में राज्यपाल के पद पर रहते हुए मृत्यु हुई। मृत्यु का कारण-पोकरण में भारत के परमाणु परीक्षण के समय लू लगने से मृत्यु हुई।

 

27.

एन.एल. टिबरेवाल (कार्यवाहक) न्यायाधीश

25-05-1998 से

15-01-1999 तक

राजस्थान के झुंझुनूँ जिले से संबंध व राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक न्यायाधीश रहे।

 

28.

श्री अंशुमान सिंह

16-01-1999 से

13-05-2003 तक

इलाहाबाद व राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश रहे।

4 बार कार्यवाहक राज्यपाल रहे।

हाल ही में कोविड-19 के कारण मृत्यु।

 

29.

श्री निर्मल चन्द जैन 

(कार्यकाल के दौरान निधन)

14-05-2003 से

22-09-2003 तक

भारतीय वित्त आयोग के सदस्य रहे।

पद पर रहते हुए मृत्यु हुई।

 

30.

कैलाशपति मिश्रा (अतिरिक्त प्रभार) 

(गुजरात राज्यपाल)

22-09-2003 से

13-01-2004 तक

भारत सरकार द्वारा डाक टिकट जारी किया गया।

 

31.

श्री मदनलाल खुराना (त्याग-पत्र)

14-01-2004 से

01-11-2004 तक

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री रहे। इन्हें दिल्ली का शेर भी कहा जाता था।

राज्यपाल रहते राजस्थान में जनता दरबार लगाने के कारण सुर्खियों में रहे।

 

32.

टी.वी. राजेश्वर (अतिरिक्त प्रभार) 

(उत्तर प्रदेश राज्यपाल)

01-11-2004 से

08-11-2004 तक

इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व प्रमुख रहे।

सिक्किम, पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रहे।

 

33.

श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 

(पहली महिला राज्यपाल) (त्याग-पत्र)

08-11-2004 से

23-06-2007 तक

विधायक व लोकसभा सदस्य रही।

राजस्थान की प्रथम महिला राज्यपाल रही।

राज्यसभा के उपसभापति।

 

34.

डॉ. ए. आर. किदवई (अतिरिक्त प्रभार) (हरियाणा राज्यपाल)

23-06-2007 से

06-09-2007 तक

हरियाणा, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।

 

 

35.

श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह 

(कार्यकाल के दौरान निधन) (कार्यवाहक)

06-09-2007 से

01-12-2009 तक

पद पर रहते हुए मृत्यु हुई।

संयुक्त राष्ट्र के ग्रुप 77 के अध्यक्ष रहे।

 

36.

श्रीमती प्रभा राव 

03-12-2009 से 

24-01-2010 तक 

पद पर रहते हुए मृत्यु हुई।

 

37.

श्री शिवराज पाटिल (अतिरिक्त प्रभार) (पंजाब के राज्यपाल)

28.04.2010 से 12.05.2012 तक

लोकसभा अध्यक्ष रहते हुए इनके द्वारा सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार प्रारंभ किया गया। 

भारत के विदेश मंत्री रहे।

भारत के गृहमंत्री रहते हुए मुंबई में आतंकवादी द्वारा हमला।

 

38.

श्रीमती मारग्रेट अल्वा 

(उत्तराखण्ड की पूर्व राज्यपाल) (कार्यवाहक)

12.05.2012 से 07.08.2014 तक

उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

 

39.

श्री राम नाईक (अतिरिक्त प्रभार)

(राज्यपाल उत्तरप्रदेश)

08.08.2014 से 03.09.2014 तक

 

40.

श्री कल्याण सिंह 

 

04.09.2014 से

02.09.2019 तक

दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। 

विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस होने के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

 

41.

श्री कलराज मिश्र (वर्तमान)

09.09.2019 से 30.07.2024

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे, तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे।

भारत सरकार में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्री रहे।

 

42.

श्री हरीभाऊ किसनराव वागड़े

31.07.2024 से लगातार

महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष

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