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सामान्य हिंदी: प्रत्यय नोट्स

प्रत्यय

परिभाषा– वे शब्दांश जो किसी शब्द के अन्त में लगकर उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, अर्थात् नए अर्थ का बोध कराते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं; जैसे–

समाज + इक = सामाजिक

सुगन्ध + इत = सुगन्धित

भूल + अक्कड़ = भुलक्कड़

मीठा + आस = मिठास

प्रत्यय की विशेषताएँ 

1. प्रत्यय शब्दांश होते हैं।

2. इनका कोई स्वतंत्र अर्थ नहीं होता।

3. ये जिस शब्द के साथ लगते हैं, उसके अर्थ को प्रभावित करते हैं।

4. इनमें संधि नियम लागू नहीं होता है।

●  हिन्दी में प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं–

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1. कृत् प्रत्यय

जब किसी क्रिया या मूल धातु के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया जाए, तो उससे बनने वाला यौगिक शब्द कृदन्त कहलाता है तथा यह प्रत्यय कृत् प्रत्यय कहलाता है।

●  कृत प्रत्यय सामान्यत: 5 प्रकार के होते हैं–  

(i) कर्तृवाचक– जब किसी क्रिया या मूलधातु के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया जाए और वह कर्ता के अर्थ का बोध कराए, 'कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय' कहलाता है; जैसे—

प्रत्यय

धातु/क्रिया

कृदंत

 

 

अक्कड़

बूझ

बुझक्कड़

कूद

कुदक्कड़

भूल

भुलक्कड़

पी

पियक्कड़

रो

रुअक्कड़

घूम

घुमक्कड़

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अक

छिद

छेदक

वच

वाचक

धाव

धावक

पाल

पालक

छाद

छादक

मुद

मोदक

लिख

लेखक

विधै

विधायक

यज

याजक

भिद

भेदक

नश

नाशक

शाव

शावक

पठ

पाठक

प्र

प्रेरक

हृ

हारक

मृ

मारक

नी/नै

नायक

धृ

धारक

जन

जनक

वृ

वारक

 

आक

लड़

लड़ाक

उड़

उड़ाक

चाल

चालाक

तैर

तैराक

 

आकू

लड़

लड़ाकू

पढ़

पढ़ाकू

उड़

उड़ाकू

अंकू

लड़

लड़ंकू

उड़

उड़ंकू

आंकू

उड़

उड़ांकू

आका

लड़

लड़ाका

 

आऊ

चल

चलाऊ

बुझाना 

बुझाऊ

उड़

उड़ाऊ

काम

कमाऊ

 

 

 

 

खाना

खाऊ

उतारना

उतारू

बिगड़ना

बिगाडू

काटना

काटू

रटना

रटू

चलना

चालू

मारना

मारू

लगना

लागू

 

एरा

काम

कमेरा

लूट

लुटेरा

 

ऐत

लड़

लड़ैत

चढ़

चढ़ैत

फेंक

फिकैत

डाक

डकैत

 

 

इया

जड़

जड़िया

धुन

धुनिया

नियारना

नियारिया

लख

लखिया

गढ़

गढ़िया

 

 

 

 

 

ऐया

काटना

कटैया

परोसना

परोसैया

बचाना

बचैया

भरना 

भरैया

खे

खिवैया

विशेष–इस प्रत्यय का प्रचार प्राचीन हिन्दी में अधिक है, आधुनिक हिन्दी में इसके बदले 'वैया' प्रत्यय आता है, जो यथास्थान लिखा जाएगा।

 

वैया

गा

गवैया

दे

दिवैया

रख

रखवैया

बज

बजवैया/बजैया

 

ओड़ा

भाग

भगोड़ा

हँस

हँसोड़ा

 

वाला

हँस

हँसनेवाला

दिख

दिखनेवाला

जा

जानेवाला

लिख

लिखनेवाला

 

 

हार

होना

होनहार

मर

मरणहार

जान

जाननहार

रख

राखनहार

चख

चाखनहार

 

इयल

अड़

अड़ियल

मर

मरियल

सड़

सड़ियल

बढ़

बढ़ियल

हा

काटना

कटहा

चराना

चरवाहा

 

(ii) करणवाचक कृत प्रत्यय– जब किसी क्रिया या मूलधातु के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया जाए और वह साधन के अर्थ का बोध कराए अर्थात् करण कारक (से) के अर्थ में प्रयुक्त हो, 'करणवाचक कृत् प्रत्यय' कहलाता है; जैसे–

प्रत्यय

धातु/क्रिया

कृदंत

झाड़

झाड़ू

 

 

 

 

 

नी

धौंक

धौंकनी

कतर

कतरनी

छन

छननी

ढक

ढकनी

मुगर

मुगरनी

सूँघ

सूँघनी

औढ़

औढ़नी

कुरेद

कुरेदनी

लिख

लेखनी

ओट

ओटनी

फूँक

फूँकनी

 

 

झूल

झूला

ठेल

ठेला

फँसा

फाँसा

पोत

पोता

झार

झारा

घेर

घेरा

 

 

 

अन

जमा

जामन

बेल

बेलन

खुरच

खुरचन

झाड़

झाड़न

ढक

ढक्कन

वद

वदन

चर 

चरण

भूष

भूषण

नी

नयन

 

रेत

रेती

फाँस

फाँसी

चिमट

चिमटी

टाँक

टाँकी

 

(iii) कर्मवाचक कृत प्रत्यय– जब किसी क्रिया या मूलधातु के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया जाए और वह कर्म (को) के अर्थ का बोध कराए, 'कर्मवाचक कृत् प्रत्यय' कहलाता है; जैसे–

प्रत्यय

धातु/क्रिया

कृदंत

 

 

ना

बेल

बेलना

कस

कसना

घोट

घोटना

खा

खाना

गा

गाना

ओढ़

ओढ़ना

 

औना

बिछा

बिछौना

खेल

खिलौना

 

(iv) भाववाचक कृत प्रत्यय– जब किसी क्रिया या मूलधातु के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया जाए और वह भाव के अर्थ का बोध कराए, 'भाववाचक कृत् प्रत्यय' कहलाता है; जैसे–

प्रत्यय

धातु/क्रिया

कृदंत

 

 

 

 

 

झगड़/झगड़ना

झगड़ा

छाप/छापना

छापा

तोड़/तोड़ना

तोड़ा

रगड़/रगड़ना

रगड़ा

भटक/भटकना

भटका

खट/खटकना

खटका

घेर/घेरना

घेरा

जोड़/जोड़ना

 जोड़ा

उतर/उतरना

उतारा

पूज/पूजना

पूजा

फेर/फेरना

फेरा

 

अड़

आड़

चल

चाल

भर

भार

मर

मार

 

अंत

रट

रटंत

गढ़

गढ़ंत

लड़

लड़ंत

भिड़

भिड़ंत

 

 

 

 

 

 

आई

लड़

लड़ाई

दिख

दिखाई

काम

कमाई

चढ़

चढ़ाई

बढ़

बढ़ाई

चर

चराई

पढ़

पढ़ाई

सुन

सुनाई

पिस

पिसाई

इसी प्रकार अन्य– खिलाई, धुलाई, खुदाई, जुताई, सिलाई, समाई इत्यादि। (‘चटाई’ तथा ’सुनवाई’ में ’आई’ प्रत्यय नहीं हैं।)

 

 

आन

उठ

उठान

चल

चलान

उड़

उड़ान

मिल

मिलान

थक

थकान

 

आप

मिलना

मिलाप

जल

जलाप

विल

विलाप

 

 

 

 

 

आव

चढ़

चढ़ाव

बच

बचाव

खिंच

खिंचाव

तन

तनाव

ठहर

ठहराव

झुक

झुकाव

रख

रखाव

पड़ 

पड़ाव

घुम

घुमाव

जम

जमाव

इसी प्रकार अन्य–लगाव, बहाव, छिड़काव इत्यादि।

 

 

आवा

छल

छलावा

भूल

भुलावा

चल

चलावा

दिख

दिखावा

इसी प्रकार अन्य– बुलावा, पहिरावा,  इत्यादि।

 

आस

पीना

प्यास

ऊँघ

ऊँघास

रोना

रोआँस

 

 

 

आवट

थकना

थकावट

गिरना

गिरावट

बुनना

बुनावट

सजाना

सजावट

मिलना

मिलावट

बनाना

बनावट

इसी प्रकार अन्य– लगावट, अमावट, दिखावट, रुकावटइत्यादि।(‘महावट तथा ठगावट’ में ‘आवट’ प्रत्यय का प्रयोग नहीं हुआ हैं।)

 

 

 

आहट

चिल्लाना

चिल्लाहट

भनभनाना

भनभनाहट

गड़गड़ाना

गड़गड़ाहट

जगमगाना

जगमगाहट

सरसराना

सरसराहट

गुर्राना

गुर्राहट

घबराना

घबराहट

औता

समझाना

समझौता

 

 

 

औती

चुकाना

चुकौती

काटना

कटौती

कसना

कसौटी

छुड़ाना

छुड़ौती

मनाना

मनौती

फिरना

फिरौती

चुनना

चुनौती

औनी

मींचना

मिचौनी

 

औवल

बूझना

बुझौवल

बनाना

बनौवल

मींचना

मिचौवल

 

 

हँस

हँसी

कहना

कही

घुड़

घुड़की

बोल

बोली

मर

मरी

 

अत/त

बच

बचत

रँगना

रँगत

पड़

पड़त

खप

खपत

 

 

 

ती

घट

घटती

भर

भरती

गिन

गिनती

झड़

झड़ती

बढ़

बढ़ती

इसी प्रकार अन्य–चढ़ती, फबती, पावती, चुकती इत्यादि।

 

 

       अन

शी

शयन

मृ

मरण

कृ

करण

वृ

वरण

हु

हवन

एरा

निबटाना

निबटेरा

बसना

बसेरा

गी

देना

देनगी

 

 

चलना

चलन

सीना

सियान/सीवन

कहना

कहन

ब्याना

ब्यान

विशेष– 'न' प्रत्यय संस्कृत के 'अन' कृदंत प्रत्यय से निकला है।

 

नी

करना

करनी

कटना

कटनी

भरना

भरनी

बोना

बोनी

 

(v) क्रियाबोधक कृत प्रत्यय– जब किसी क्रिया या मूल धातु के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया जाए और वह प्रत्यय भी क्रिया का बोधक हो, क्रियाबोधक कृत् प्रत्यय कहलाता है; जैसे–

प्रत्यय

धातु/क्रिया

कृदंत

ता

चल

चलता

डूब

डूबता

ता हुवा

खा

खाता हुआ

पढ़

पढ़ता हुआ

ते हुए

चल

चलते हुए

पढ़

पढ़ते हुए

ते–ते

सुन

सुनते–सुनते

कर

करते–करते

कर

जाग

जागकर

लिख

लिखकर

ते ही

खा

खाते ही

उठ

उठते ही

अन्य कृदंत प्रत्यय

 

आवना

सुहाना

सुहावना

लुभाना

लुभावना

डरना

डरावना

2. तद्धित प्रत्यय

●  जब किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया जाए तो उससे बनने वाला यौगिक शब्द तद्धितान्त तथा यह प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाता है; जैसे— 

छात्र (संज्ञा) + आ = छात्रा

देव (संज्ञा) + ई = देवी

मीठा (विशेषण) + आस = मिठास

अपना (सर्वनाम) + पन = अपनापन

· तद्धित प्रत्यय सामान्यत: 6 प्रकार के होते हैं–

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(i) अपत्यवाचक/सन्तानबोधक तद्धित प्रत्यय– वे प्रत्यय जो           किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर उत्पन्न होने अर्थात् सन्तान के अर्थ का बोध कराते हैं, 'अपत्यवाचक /सन्तानबोधक तद्धित प्रत्यय' कहलाते हैं; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

तद्धितान्त

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

दनु

दानव

गुरु

गौरव

दुहितृ

दौहित्र

शुचि

शौच

विष्णु

वैष्णव

कुशल

कौशल

निशा

नैश

भृगु

भार्गव

रघु

राघव

कश्यप

काश्यप

वसुदेव

वासुदेव

मुनि

मौन

लघु

लाघव

सुष्ठु

सौष्ठव

चंद्र

चांद्र

मधु

माधव

कुरु

कौरव

सुमित्र

सौमित्र

पृथा

पार्थ

सिंधु

सैंधव

जिन

जैन

पुत्र 

पौत्र

सुहृद

सौहार्द

भेरु

भैरव

पंडु

पांडव

पुरुष

पौरुष

मृदु

मार्दव

शिव

शैव

सूर

सौर

पृथिवी

पार्थिव

मगध

मागध

विभु

वैभव

मरुत्

मारुत

व्याकरण

वैयाकरण

यदु

यादव

मनु

मानव

 

 

 

 

 

 

 

एय

पंडु

पांडेय

गंगा

गांगेय

मद्रि

माद्रेय

वृष्णि

वार्ष्णेय

राधा

राधेय

अंजनी

आंजनेय

मृकंड

मार्कंडेय

अत्रि

आत्रेय

भगिनी

भागिनेय

कुंती

कौंतेय

अग्नि

आग्नेय

अतिथि

आतिथेय

कुश

कौशेय

पथिन्

पाथेय

पुरुष

पौरुषेय

 

 

 

आयन

 

 

वत्स

वात्स्यायन

दांड्‌य

दांड्‌यायन

बदरी

बादरायण

कात्य

कात्यायन

संस्कृति

सांस्कृत्यायन

 

 

शंडिल

शांडिल्य

पुलस्ति

पौलस्त्य

अदिति

आदित्य

जमदग्नि

जामदग्न्य

दिति

दैत्य

चणक

चाणक्य

 

 

 

दशरथ

दाशरथि

वल्मीक

वाल्मीकि

सुमित्र

सौमित्रि

सरथ

सारथि

मरुत्

मारुति

 

 

जनक

जानकी

पर्वत

पार्वती

गंधार

 गांधारी

द्रुपद

द्रौपदी

मिथिला

मैथिली

 

(ii) भाववाचक तद्धित प्रत्यय– वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर भाव के अर्थ का बोध कराते हैं, भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

तद्धितान्त

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मधुर

माधुर्य

सुजन

सौजन्य

चतुर

चातुर्य

कुमार 

कौमार्य

वणिज/वणिक्

वाणिज्य

दीन

दैन्य

वीर

वीर्य

ग्राम

ग्राम्य

स्वस्थ

स्वास्थ्य

निपुण

नैपुण्य

अधिपति

आधिपत्य

पृथक्

पार्थक्य

धीर

धैर्य

वर्धक

वार्धक्य

कवि

काव्य

चेतन

चैतन्य

ब्राह्मण

ब्राह्मण्य

दरिद्र

दारिद्रय

शूर

शौर्य

विचित्र

वैचित्र्य

वत्सल

वात्सल्य

विभिन्न

वैभिन्य

गृहस्थ

गार्हस्थ्य

निवेद

नैवेद्‌य

मलिन

मालिन्य

तालु

तालव्य

निराश

नैराश्य

लवण

लावण्य

ईश्वर

ऐश्वर्य

दंपती

दाम्पत्य

सदृश 

सादृश्य

तरुण

तारुण्य

मिलन

मालिन्य

धन

धान्य

मूल

मूल्य

समरस

सामरस्य

मुख

मुख्य

प्राची

प्राच्य

अंत

अन्त्य

सहचर

साहचर्य

महात्मा

माहात्म्य

स्वतंत्र

स्वातंत्र्य

चतुर्मास

चातुर्मास्य

सन्निधि

सान्निध्य

ललित

लालित्य

सेना

सैन्य

अभिजात

आभिजात्य

विराग

वैराग्य

विधुर

वैधुर्य

पश्चात्

पाश्चात्य

विशिष्ट

वैशिष्ट्‌य

निकट

नैकट्‌य

विधवा

वैधव्य

 

 

 

 

 

 

आई

पण्डित

पण्डिताई

चतुर

चतुराई

ठाकुर

ठकुराई

कठिन

कठिनाई

ढिठ

ढिठाई

भला

भलाई

बुरा

बुराई

चिकना

चिकनाई

बनिया

बनियाई

लंबा

लंबाई

बड़ा

बड़ाई

जुदा

जुदाई

ऊँचा

ऊँचाई

अच्छा

अच्छाई

 

आस

खट्‌टा

खट्‌टास

मीठा

मिठास

नींद

निंदास

 

आहट

कडुवा

कडुवाहट

गरम

गरमाहट

चिकना

चिकनाहट

 

 

 

आयत

अपना

अपनायत

तीसरा

तिसरायत/तिहायत

बहुत

बहुतायत

टीका

टीकायत

लोक

लोकायत

पंच

पंचायत

 

 

आन

नीचा

निचान

चौड़ा

चौड़ान

लंबा

लंबान

ऊँच

ऊँचान

 

 

आका

सन

सनाका

भड़ 

भड़ाका

धम

धमाका

धड़

धड़ाका

सड़

सड़ाका

विशेष–अनुकरण वाचक शब्दों से 'आका' प्रत्यय के द्वारा भाववाचक संज्ञाएँ बनती है।

एरा

अँध

अँधेरा

 

औती

बाप

बपौती

काठ

कठौती

बूढ़ा

बुढ़ौती

 

चाह

चाहत

रंग

रंगत

मेल

मिल्लत

 

 

 

पन

काला

कालापन

बाल

बालपन

छोटा

छुटपन

भोला

भोलापन

गँवार

गँवारपन

पागल

पागलपन

लड़का

लड़कपन

पा

बूढ़ा

बुढ़ापा

बहिन

बहिनापा

राँड़

रँड़ापा

मोटा

मोटापा

 

ता

सुंदर

सुंदरता

मधुर

मधुरता

लघु

लघुता

 

 

 

 

 

 

चोर

चोरी

किसान

किसानी

दलाल

दलाली

सवार

सवारी

महाजन

महाजनी

डॉक्टर

डॉक्टरी

खेत

खेती

बुद्धिमान

बुद्धिमानी

सावधान 

सावधानी

चतुर

चातुरी

गृहस्थ

गृहस्थी

 

 

 

 

 

इमा

नील

नीलिमा

अरुण

अरुणिमा

रक्त

रक्तिमा

गुरु

गरिमा

लघु

लघिमा

महत्

महिमा

हरित

हरीतिमा

लाल

लालिमा

मधुर

मधुरिमा

पूर्ण

पुर्णिमा

अणु

अणिमा

आइँद

कपड़ाइँद, सड़ाइँद, घिनाइँद इत्यादि। 

 

(iii) संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय– वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर संबंध के अर्थ का बोध कराते हैं, 'संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय' कहलाते हैं; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

तद्धितान्त

 

 

एरा

काका

ककेरा

मामा

ममेरा

फुफा

फुफेरा

चाचा

चचेरा

मौसा

मौसेरा

आल/हाल

सुसर

ससुराल

नाना/नानी

ननिहाल

 

 

 

चीन

चीनी

जोधपुर

जोधपुरी

नेपाल

नेपाली

बिहार

बिहारी

राजस्थान

राजस्थानी

 

 

 

 

 

 

ईय

भारत

 भारतीय

नारद

नारदीय

नगर

नगरीय

प्रांत

प्रांतीय

मानव

मानवीय

क्षेत्र

क्षेत्रीय

जाति

जातीय

देश

देशीय

पाणिनि

पाणिनीय 

राष्ट्र

राष्ट्रीय

शरद्

शारदीय

स्थान

स्थानीय

 

जा/जी

भान

भानजा/भानजी

भती

भतीजा/भतीजी

 

ओई

ननद

ननदोई

बहन

बहनोई

 

इया

जयपुर

जयपुरिया

मथुरा

मथुरिया

 

व्य

पितृ

पितृव्य

भ्रातृ

भ्रातृव्य

 

(iv) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय– वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर कर्ता के अर्थ का बोध कराते हैं, कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

तद्धितान्त

 

 

 

आर

लोहा

लुहार

सोना

सुनार

गाँव

गँवार

कुंभ

कुम्हार

चाम

चमार

सूथ

सुथार

आरी

पूजा

पुजारी

भीख

भिखारी

 

आरा

हत्या

हत्यारा

भाठा

भठियारा

बनिज

बनिजारा

 

तेल

तेली

भेद

भेदी

तमोल

तमोली

 

 

 

इया

छल

छलिया

रस

रसिया

मक्खन

मक्खनिया

गाड़र

गड़रिया

मुख

मुखिया

रसोई

रसोइया

आढ़त

आढ़तिया

 

 

एरा

घास

घसेरा

साँप

सपेरा

ठाठ

ठठेरा

घन

घनेरा

लाख

लखेरा

 

 

 

पेट

पेटू

गरज

गरजू

बाजार

बाजारू

गँवार

गँवारू

झबरा

झबरू

ढाल

ढालू

मोटा

मोटू

ची

तोप

तोपची

नकल

नकलची

दान

खान

खानदान

पीक

पीकदान

दानी

गोंद

गोंददानी

पीक

पीकदानी

 

 

 

 

बान/वान

बाग

बागवान

मेज

मेजबान

कोच

कोचवान

गाड़ी

गाड़ीवान

गुण

गुणवान

धन

धनवान

भाग्य

भाग्यवान

रूप

रूपवान

 

कार

पेश

पेशकार

चर्म

चर्मकार

संगीत

संगीतकार

 

 

 

वाला

गाड़ी

गाड़ीवाला

टोपी

टोपीवाला

धन

धनवाला

काम

कामवाला

घर

घरवाला

दूध

दूधवाला

फल

फलवाला

 

एड़ी

गांजा

गंजेड़ी

नशा

नशेड़ी

भाँग

भँगेड़ी

हारा

लकड़ी

लकड़हारा

पानी

पनिहारा

 

 

 

 

मान्/वान्

बुद्धि

बुद्धिमान्

मूर्ति

मूर्तिमान्

मति

मतिमान्

चरित्र

चरित्रवान्

भाग्य

भाग्यवान्

गुण

गुणवान्

श्री

श्रीमान्

शक्ति

शक्तिमान्

विद्या

विद्यावान्

पुत्र

पुत्रवान्

 

(v) स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय– वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर स्त्री जाति का बोध कराते हैं, अर्थात् पुल्लिंग से स्त्रीलिंग शब्दों का निर्माण करते हैं, 'स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय' कहलाते हैं; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

तद्धितान्त

 

 

 

देव

देवी

घोड़ा

घोड़ी

टोकरा

टोकरी

बेटा

बेटी

लड़का

लड़की

साधु

साध्वी

गुरु

गुर्वी

 

 

 

 

इन

नाग

नागिन

साँप

साँपिन

पड़ोसी

पड़ोसिन

मालिक

मालकिन

बाघ

बाघिन

तेली

तेलिन

लुहार

लुहारिन

सुनार

सुनारिन

जमादार

जमादारिन

 

 

सुत

सुता

छात्र

छात्रा

प्रिय

प्रिया

अनुज

अनुजा

 

 

नी

मोर

मोरनी

ऊँट

ऊँटनी

नट

नटनी

शेर

शेरनी

 

 

 

आनी

देवर

देवरानी

सेठ

सेठानी

मेहतर

मेहतरानी

पंडित

पंडितानी

नौकर

नौकरानी

इंद्र

इंद्राणी

जेठ

जिठानी

 

इया

बंदर

बंदरिया

कुत्ता

कुतिया

चिड़ा

चिड़िया

दु:ख

दुखिया

 

आइन

ठाकुर

ठकुराइन

पंडित

पंडिताइन

मुंशी

मुंशियाइन

(vi) ऊनता/हीनता/लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय– वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर उनके छोटे रूप का बोध कराते हैं, 'ऊनता/हीनता/लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय' कहलाते हैं; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

तद्धितान्त

 

उआ

कालू

कलुआ

बाबू

बबुआ

लालू

ललुआ

 

 

ढोलक

ढोलकी

रस्सा

रस्सी

प्याला

प्याली

हथौड़ा

हथौड़ी

नाला

नाली

इसी प्रकार अन्य शब्द – कटारी, खुरपी, थाली, नाली, कटोरी, टोकरी इत्यादि।

 

 

 

 

 

 

इया

खाट

खटिया

आम

अँबिया

लोटा

लुटिया

गठरी

गठरिया

बिंदी

बिंदिया

बेटी

बिटिया

फोड़ा

फोड़िया

कुटी

कुटिया

चोटी

चुटिया

डिब्बा

डिबिया

आँख

अँखिया

दाल

दलिया

लाठी

लठिया

 

इका

कली

कलिका

तुली

तुलिका

पत्र 

पत्रिका

लता

लतिका

 

 

ओला

साँप

सँपोला

माँझ

मँझोला

बात

बतोला

घड़ा

घड़ोला

खाट

खटोला

गढ़

गढ़ोला

 

की

कन

कनकी

टिम

टिमकी

 

टी

गोरी

गोरटी

बहु

बहूटी

छोरी

छोरटी

 

टा

काला

कलूटा

चोर

चोरटा

रोआँ

रोंगटा

 

 

ड़ी

टांग

टंगड़ी

पलँग

पलँगड़ी

आँत

अँतड़ी

पंख

पँखड़ी

 

 

ड़ा

चाम

चमड़ा

मुख

मुखड़ा

बच्छ

बछड़ा

दु:ख

दुखड़ा

टूक

टुकड़ा

लंग

लंगड़ा

 

री

कोठा

कोठरी

छत्ता

छतरी

बाँस

बाँसुरी

 

 

 

ली

टीका

टीकली

खाज

खुजली

डफ

डफली

सूप

सुपली

घंटा

घंटाली

ढप

ढपली

 

 

सा

लाल

लाल-सा

उड़ता

उड़ता-सा

एक

एक-सा

ऊँचा

ऊँचा-सा

अच्छा

अच्छा-सा

भरा

भरा-सा

छोटा

छोटा-सा

 

वा

बच्चा

बचवा

बच्छा

बछवा

पुर

पुरवा

 

अन्य तद्धित प्रत्यय

प्रत्यय

मूल शब्द

तद्धितान्त

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इक

सेना

सैनिक

तर्क

तार्किक

शरीर

शारीरिक

समाज

सामाजिक

वेद

वैदिक

मास

मासिक

परिवार

पारिवारिक

अंश

आंशिक

पशु

पाशविक

परंपरा

पारंपरिक

परस्पर

पारस्परिक

प्रथम

प्राथमिक

अंतर

आंतरिक

राजनीति

राजनीतिक

देह

दैहिक

आरंभ

आरंभिक

न्याय

न्यायिक

इच्छा

ऐच्छिक

एक

ऐकिक

प्रदेश

प्रादेशिक

प्रमाण

प्रामाणिक

अँचल

आँचलिक

अनुपात

आनुपातिक

अनुवंश

आनुवंशिक

अर्थ

आर्थिक

भाषा

भाषिक

उपन्यास

औपन्यासिक

वर्ष

वार्षिक

दिन

दैनिक

 

 

 

जोड़

जोड़ा

छत

छाता

बोझ

बोझा

प्यास

प्यासा

घड़ी

घड़ा

लकड़

लकड़ा

 

 

 

ऐला

बन

बनैला

मूँछ

मूँछैला

कस

कसैला

वन

वनैला

धूम

धूमैला

विष

विषैला

माटी

मटैला

 

एला

सौत

सौतेला

बाघ

बघेला

आधा

अधेला

मोर

मुरेला

एक

अकेला

दो

दुनेला

 

 

ऐल

दूध

दूधैल

खपरा

खपरैल

तौंद

तोंदैल

दाँत

दँतैल

गुस्सा

गुस्सैल

मूँछ

मूँछैल

एली

हाथ

हथेली

 

 

 

वत्स

वत्सल

मंजु

मंजुल

श्याम

श्यामल

घाव

घायल

पेम

पेमल

माँस

माँसल

मृदु

मृदुल

गर

गरल

शीत

शीतल

विशेष– अमल, कमल, विमल, चपल, आँचल, अतल, वितल, धरातल, तलातल इत्यादि शब्दों में 'ल' प्रत्यय नहीं हैं।

 

लु

दया

दयालु

कृपा

कृपालु

शंका

शंकालु

निंद्रा

निंद्रालु

 

 

ला

पीछे

पिछला

आगे

अगला

बाव

बावला

धुँध

धुँधला

लाड़

लाड़ला

माँझ

मँझला

 

हरा

सोना

सुनहरा

रूप

रूपहरा

एक

इकहरा

 

इन

कठ

कठिन

मल

मलिन

 

 

ईन

नव

नवीन

प्राची

प्राचीन

शोक

शौकिन

कुल

कुलीन

ग्राम

ग्रामीण

कठ

कठीन्

रंग

रंगीन

‘समीचीन’ में ’ईन’ प्रत्यय प्रयोग हुआ है;

लेकिन ‘विलीन’ में ’ईन’ प्रत्यय का प्रयोग नहीं हुआ हैं।

 

इम

अंत

अंतिम

पश्च

पश्चिम

अग्र

अग्रिम

रक्त

रक्तिम

 

मधु

मधुर

कुंज

कुंजर

मुख

मुखर

 

मय

अन्न

अन्नमय

जल

जलमय

विज्ञान

विज्ञानमय

ज्ञान

ज्ञानमय

 

कीय

पर

परकीय

स्व

स्वकीय

राजन्

राजकीय

 

तन

पुरा

पुरातन

प्राक्

प्राक्तन

नव

नूतन

 

 

 

तम

अधिक 

अधिकतम

उच्च

उच्चतम

सुन्दर

सुन्दरतम

निम्न

निम्नतम

कठिन

कठिनतम

वृहत

वृहत्तम

लघु

लघुतम

विशेष– कनिष्ठ, गरिष्ठ, वरिष्ठ, स्वादिष्ठ, बलिष्ठ, घनिष्ठ इत्यादि शब्दों के साथ ‘तम’ प्रत्यय का प्रयोग अव्याकरणीय हैं।

 

तर

लघु

लघुतर

अधिक

अधिकतर

उच्च

उच्चतर

 

 

 

 

गँवार

गँवारू

बाज़ार

बाज़ारू

झाँसा

झाँसू

घर

घरू

गरज

गरजू

नाक

नक्कू (बदनाम)

पेट

पेटू

मोटा

मोटू

ढाल 

ढालू

 

उक

भिक्षा

भिक्षुक

इच्छा

इच्छुक

काम

कामुक

भाव

भावुक

 

 

इल

कूट

कुटिल

पंक

पंकिल

रोम

रोमिल

जटा

जटिल

फेन

फेनिल

बोझ

बोझिल

 

 

 

 

 

ईला

हठ

 हठीला

रस

रसीला

रंग

रंगीला

लाज

लजीला

जहर

जहरीला

छवि

छबीला

पानी

पनीला

पत्थर

पत्थरीला

लचक

लचकीला

रेत

रेतीला

भड़क

भड़कीला

चमक

चमकीला

गाँठ

गँठीला

काँटा

कँटीला

 

 

 

 

ऐत

लट्‌ठ

लठैत

बरद (विरद)

बरदैत (गवैया)

कड़खा

कड़खैत

दंगा

दंगैत

बरछा

बछैत

भाला

भालैत

नाता

नतैत

डाका

डकैत

टीका

टिकैत

ओट/ओटा

लंग

लंगोटा

चाम

चमोटा

 

औटी

हाथ 

हथौटी

सच

सचौटी

अक्षर

अक्षरौटी

चूना

चुनौटी

औड़ा/औड़ी

हाथ

हथौड़ा

बरस

बरसौड़ी

औता

काठ

कठौता

 

औटा

हिरन

हिरनौटा

बिल्ली

बिलौटा

काजर 

कजरौटा

पहिला

पहिलौटा

 

 

का

छोटा

छुटका

छाप

छपका

बड़ा

बड़का

चुप

चुपका

बूँद

बुँदका

 

चंद

गीदड़

गीदड़चंद

मूसल

मूसलचंद

वामन

वामनचंद

 

नी

चाँद

चाँदनी

पाँव

पैजनी

नथ

नथनी

 

 

 

वंत

दया

दयावंत

गुण

गुणवंत

धन

धनवंत

शील

शीलवंत

कुल

कुलवंत

भगवान

भगवंत

बल

बलवंत

 

 

वती

गुण

गुणवती

रूप

रूपवती

प्रभा

प्रभावती

भाग्य

भाग्यवती

 

 

वी

तपस्

तपस्वी

ओज

ओजस्वी

माया

मायावी

तेजस्

तेजस्वी

मेधा

मेधावी

केश

केशव

राजी

राजीव

वल

शिखा

शिखावल

दंता

दंतावल

 

हा

हल

हलवाहा

पानी

पनिहा

कबीर

कबिराहा

 

 

वारि

वारिज

नीर

नीरज

अग्र

अग्रज

आत्म

आत्मज

अनु

अनुज

 

जा

गिरि

गिरिजा

अर्क

अर्कजा

शैल

शैलजा

आत्म

आत्मजा

 

 

ज्ञ

विशेष

विशेषज्ञ

बहु

बहुज्ञ

नीति

नीतिज्ञ

सर्व

सर्वज्ञ

मर्म

मर्मज्ञ

 

 

अंबु

अंबुद

नीर

नीरद

प्राण

प्राणद

वारि

वारिद

सुख

सुखद

जल

जलद

 

चित्

किम्

किंचित्

कदा

कदाचित्

क:

कश्चित्

 

अंतर

मत

मतांतर

मध्य

मध्यांतर

समान

समानांतर

रूप

रूपांतर

 

 

 

अक

लट

लटक

ठंड

ठंडक

चिकित्सा

चिकित्सक

अरण्य

आरण्यक

भन

भनक

भोज

भोजक

विषय

विषयक

 

अत

रंग

रंगत

जुग

जुगत

संग

संगत

आऊ

पंडित

पंडिताऊ

बट

बटाऊ

 

 

 

इनी

सर्प

सर्पिणी

वाहन

वाहिनी

भुजंग

भुजंगिनी

कमल

कमलिनी

प्रणय

प्रणयिनी

यक्ष

यक्षिणी

विहंग

विहंगिनी

सरोज

सरोजिनी

इयल

दाढ़ी

दढ़ियल

चोटी

चुटियल

 

ईय

नाभिक

नाभिकीय

राज

राजकीय

स्व

स्वकीय

पर

परकीय

 

 

चर

थल

थलचर

गो

गोचर

जल

जलचर

उभय

उभयचर

निशा

निशाचर

 

 

त्व

व्यक्ति

व्यक्तित्व

नेता

नेतृत्व

गुरु

गुरुत्व

बंधु

बंधुत्व

महत्

महत्त्व

पुरुष

पुरुषत्व

 

इन्दा

पर

परिन्दा

शर्म

शर्मिंदा

कार

कारिन्दा

लेकिन ‘गोविन्दा’ शब्द में ‘इन्दा’ प्रत्यय नहीं है।

हर

खंडहर, पीहर, नैहर इत्यादि।

हरा

इकहरा, दुहरा, तीहरा, चौहरा, रूपहरा, 

सुनहरा इत्यादि।

हारा

लकड़हारा, चुडिहारा, मनिहारा, पनिहारा, 

पालनहारा इत्यादि। (लेकिन ‘किस्मतहारा’

में ’हारा’ प्रत्यय नहीं है।)

ता

पाँयता, रायता इत्यादि।

तना

इतना, उतना, जितना, कितना इत्यादि।

(यह, वह, जो, और कौन के परे परिमाण के 

अर्थ में)

कार

चित्रकार, पत्रकार, साहित्यकार, स्वर्णकार

इत्यादि

अरबी–फ़ारसी प्रत्यय

प्रत्यय

मूल शब्द

तद्धितान्त

 

 

 

गर

कार (काम)

कारीगर

जादू

जादूगर

नील

नीलगर

बाज़ी

बाज़ीगर

 

आना

ज़ुर्म

ज़ुर्माना

नज़र

नज़राना

मर्द

मर्दाना

 

 

 

 

 

ख़ोर

जमा

जमाख़ोर

आदम

आदमख़ोर

चुगल

चुगलख़ोर

टुकड़ा

टुक्कड़ख़ोर

मुफ़्त

मुफ़्तख़ोर

रिश्वत

रिश्वतख़ोर

 

 

इस्तान

अफ़गान

अफ़गानिस्तान

क़ब्र

क़ब्रिस्तान

तुर्क

तुर्किस्तान

नख़ल

नख़लिस्तान

 

 

 

 

 

 

गी

ज़िंदा

ज़िंदगी

दीवाना

दीवानगी

पेश

पेशगी

बान

बानगी

मर्दान

मर्दानगी

रवाना

रवानगी

सादा

सादगी

 

 

 

 

कार

काश्त

काश्तकार

पेश

पेशकार

पैर (पैरवी)

पैरोकार

सर

सरोकार

सलाह

सलाहकार

 

अंदाज़

गोल

गोलंदाज़

तीर

तीरंदाज़

 

 

आबाद

अहमद

अहमदाबाद

गाजी

गाजियाबाद

फ़िरोज

फ़िरोजाबाद

 

 

 

 

 

 

गार 

रोज़

रोज़गार

काम

कामगार

ख़िदमत

ख़िदमतगार

गुनाह

गुनाहगार

मदद

मददगार

याद

यादगार

लेकिन सभागार, कारागार, स्नानागार में ‘गार’ प्रत्यय नहीं हैं।

 

 

 

 

ईन

नमक

नमकीन

बेहतर

बेहतरीन

शौक़

शौक़ीन

संग

संगीन

हस

हसीन

 

 

 

ख़राब

ख़राबा

ख़र्च

ख़र्चा

सफ़ेद

सफ़ेदा

हर्ज़

हर्ज़ा

 

 

 

 

ख़ाना

दवा

दवाख़ाना

कार

कारख़ाना

क़ैद

क़ैदख़ाना

पागल

पागलख़ाना

 

 

 

इश

आज़मा

आज़माइश

पैदा

पैदाइश

पैमा

पैमाइश

फ़रमा

फ़रमाइश

 

 

 

आवर

ज़ोर

ज़ोरावर

दस्त

दस्तावर

दिल

दिलावर

बख़्त

बख़्तावर

 

 

इंसान

इंसानी

दुश्मन

दुश्मनी

पाकिस्तान

पाकिस्तानी

 

 

 

इयत

असल

असलियत

आदमी

आदमियत

इंसान

इंसानियत

ख़ास

ख़ासियत

मिल्क

मिल्कियत

 

 

ज़ादा

रईस

रईसज़ादा

शाह

शहज़ादा

हराम

हरामज़ादा

 

 

 

इंदा

कार

कारिंदा

पर

परिंदा

बाश 

बाशिंदा

शर्म

शर्मिंदा

 

 

 

गीर

उठाई

उठाईगीर

जहाँ

जहाँगीर

बगल

बगलगीर

राह

राहगीर

 

 

 

 

 

 

 

 

खादिम

खिदमत

चाह

चाहत

ज़रूर

ज़रूरत

बादशाह

बादशाहत

रहम

रहमत

शरीफ़

शराफ़त

सुल्तान

सल्तनत

हजाम

हजामत

हुकूम

हुकूमत

 

 

 

 

गाह

दर

दरगाह

ईद

ईदगाह

चर

चारागाह

बंदर

बंदरगाह

शिकार

शिकारगाह

एला

सौत

सौतेला

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ची

अफ़ीम

अफ़ीमची

ख़जाना

ख़जानची

तबला

तबलची

तोप

तोपची

देग़

देग़चा/ची

नक़ल

नक़लची

बाग़

बग़ीची

बावर

बावरची

मशाल

मशालची

 

 

चा

 

चम्मच

चमचा

देग़

देग़चा

बाग़

बग़ीचा

 

 

 

 

 

मंद

अक़्ल

अक़्लमंद

गरज़

गरज़मंद

ज़रूरत

ज़रूरतमंद

दौलत

दौलतमंद

फ़ायदा

फ़ायदेमंद

शोहरत

शोहरतमंद

सेहत

सेहतमंद

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

दार

खुशबू

खुशबूदार

चमक

चमकदार

जमा

जमादार

जिम्मा

जिम्मेदार

ज़मीन

ज़मींदार

तहसील

तहसीलदार

थाना

थानेदार

दुकान

दुकानदार

मज़ा

मज़ेदार

माल

मालदार

रिश्ता

रिश्तेदार

समझ

समझदार

हवल

हवलदार

हिस्सा

हिस्सेदार

 

 

 

नामा

बाबर

बाबरनामा

मुख़्तार

मुख़्तारनामा

सुलह

सुलहनामा

हलफ़

हलफ़नामा

 

 

 

पोश

नक़ाब

नक़ाबपोश

पलंग

पलंगपोश

मेज़

मेज़पोश

सफ़ेद

सफ़ेदपोश

 

 

 

 

वर

जान

जानवर

ताक़त

ताक़तवर

दिल

दिलावर

नाम

नामवर

हिम्मत

हिम्मतवर

 

 

वार

 

उम्मीद

उम्मीदवार

माह

माहवार

तारीख़

तारीख़वार

 

 

 

सार

एक

इकसार

ख़ाक

ख़ाकसार

मिलन

मिलनसार

शर्म

शर्मसार

 

 

 

नवीस

अर्ज़ी

अर्ज़ीनवीस

ख़बर

ख़बरनवीस

नक़्शा

नक़्शानवीस

फड़

फड़नवीस

 

 

नशीन

गद्दी

गद्दीनशीन

तख़्त

तख़्तनशीन

परदा

परदानशीन

 

 

 

नाक

ख़तरा

ख़तरनाक

ख़ौफ़

ख़ौफ़नाक

दर्द

दर्दनाक

शर्म

शर्मनाक

 

 

 

 

बंद

क़लम

क़लमबंद

बख़्तर

बख़्तरबंद

बाजू 

बाजूबंद

बिस्तर

बिस्तरबंद

मोहर

मोहरबंद

 

 

 

 

 

बाज़

 

अडंगा

अड़ंगेबाज़

कबूतर

कबूतरबाज़

चाल

चालबाज़

दग़ा

दग़ाबाज़

धोखा

धोखेबाज़

नशा

नशेबाज़

नक़्शा

नक़्शेबाज़

 

 

बान

गिरह

गिरहबान

दर

दरबान

मेज

मेजबान

मेहर

मेहरबान

 

 

 

 

 

दान/दानी

इत्र

इत्रदान

पान

पानदान

पीक (थूक)

पीकदान

मच्छर

मच्छरदानी

मसाला

मसालदानी

रोशन

रोशनदान

प्रत्यय के विशेष नियम

यदि किन्ही शब्दों के निर्माण में अ, इ, ई, य, एय, अयन, आयन तथा इक प्रत्यय का योगदान हो तो ये प्रत्यय उन शब्दों के प्रथम स्वर में वृद्धि कर देते हैं।

प्रत्यय

निर्मित शब्द

माधव

दानव

वाल्मीकि

दाशरथि

र्इ

पार्वती

जानकी

माधुर्य

एय

राधेय

अयन

रामायण

नारायण

आयन

कात्यायन

वात्स्यायन

इक

आधुनिक

आनुवंशिक

 

प्रत्यय

मूल शब्द

निर्मित शब्द

 

 

 

 

 

यदि किसी शब्द के प्रारम्भ में आने वाला स्वर 'अ' हो तो 'अ' का 'आ' हो जाता है। (मूल शब्द के अंत का 'उ', 'व्' में बदल जाता तथा 'अ' प्रत्यय लगने पर वह पूरा 'व' बन जाता है।)

रघु

मनु

मधु

यदु

लघु

मगध

भगीरथ

वसुदेव

वत्स्य

वल्मीक

दशरथ

अदिति

जनक

पर्वत

मधुर

स्वस्थ

समाज

शरीर

व्यवसाय

गंगा

अंजनि

राघव

मानव

माधव

यादव

लाघव

मागध

भागीरथ

वासुदेव

वात्स्यायन

वाल्मीकि

दाशरथि

आदित्य

जानकी

पार्वती

माधुर्य

स्वास्थ्य

सामाजिक

शारीरिक

व्यावसायिक

गांगेय

आंजनेय

यदि किसी शब्द के 

प्रारम्भ में आने वाले स्वर 'इ/ई/ए' हो तो इनका 'ऐ' हो जाता है। 

इंद्र

विष्णु

शिव

विदेह

 विज्ञान

निरन्तर

ईश्वर

नीति

एक

वेद

सेना

देव

वेतन

ऐंद्री

वैष्णव

शैव

वैदेही

वैज्ञानिक

नैरन्तर्य

ऐश्वर्य

नैतिक

ऐक्य

वैदिक

सैनिक

दैविक

वैतनिक

 

 

यदि किसी शब्द के प्रारम्भ में आने वाले स्वर 'उ /ऊ / ओ' हो तो उनका 'औ' हो जाता है।

उद्योग

उपचार

उपनिषद्

उपन्यास

कुट

कुशल

कुमार

उदार

कुंती

सुन्दर

भूत

मूल

 लोक 

योग

 उपनिवेश

मुख

भूगोल

भूमि

औद्योगिक

औपचारिक

औपनिषदिक

औपन्यासिक

कौटुंबिक

कौशल

कौमार्य

औदार्य

कौंतेय

सौन्दर्य

भौतिक

मौलिक

 लौकिक

यौगिक

औपनिवेशिक

मौखिक

भौगोलिक

भौमिक

 

यदि किसी शब्द के अंत में 'व' हो और उत्पन्न होने या उससे जुड़े होने का बोध कराएँ, तो वहाँ 'अ' प्रत्यय होता है; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

निर्मित शब्द

 

विभु

वैभव

रघु

राघव

शिव

शैव

दनु

दानव

 

यदि किसी शब्द के अंत में 'य' हो और उससे पहले आधा वर्ण हो तो वहाँ 'य' प्रत्यय होता है; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

निर्मित शब्द

 

 

एक

ऐक्य

दिति

दैत्य

अदिति

आदित्य

पृथक्

पार्थक्य

स्वस्थ

स्वास्थ्य

 

यदि किसी शब्द के अंत में 'य' हो और उससे (य) पहले आधा वर्ण नहीं हो तो 'य' से तुरंत पहले आने वाले स्वर को मिलाकर प्रत्यय बना दिया जाता है; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

निर्मित शब्द

एय

राधा

राधेय

कुंती

कौंतेय

ईय

शासक

शासकीय

नरक

नारकीय

 

विशेष– यदि किसी शब्द के अंत में 'य' हो और उससे पहले आधा वर्ण हो या नहीं हो लेकिन 'तव्य' या 'अनीय' की ध्वनि आ रही हो तो वहाँ 'य' या 'ईय' प्रत्यय न होकर 'तव्य' या 'अनीय' प्रत्यय होता है; जैसे–

प्रत्यय

मूल शब्द

निर्मित शब्द

तव्य

कृ/कर

कर्तव्य

इसी प्रकार अन्य शब्द– ज्ञातव्य, ध्यातव्य, दातव्य, भवितव्य, वक्तव्य, द्रष्टव्य इत्यादि।

अनीय

वंद

वंदनीय

इसी प्रकार अन्य शब्द– दर्शनीय, स्मरणीय, आदरणीय, करणीय, माननीय, अभिनंदनीय, शोचनीय इत्यादि।

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