● 23 अप्रैल, 1951 को राजस्थान राज्य वन्य जीव-पक्षी संरक्षण अधिनियम, 1951 लागू किया गया।
● वर्ष 1955 में राज्य में वन्य जीव बोर्ड का गठन किया गया।
● राजस्थान में टाइगर प्रोजेक्ट वर्ष 1973 में प्रारम्भ किया गया।
● राजस्थान की पहली लैपर्ड सवारी झालाना (जयपुर) में है, आमागढ़ (जयपुर) में भी लैपर्ड सवारी है।
● भारतीय जैव विविधता संरक्षण अधिनियम, 2002 के तहत राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड 5 फरवरी, 2003 को बनाया गया।
● राज्य जैव विविधता बोर्ड 14 सितम्बर, 2010 को बनाया गया।
● मार्च, 2016 में राजस्थान में वन्य जीव संरक्षण हेतु विभिन्न जिलों में वन्य जीव व पक्षी घोषित किए गए–
क्र.सं. | जिला | वन्य जीव |
1. | श्रीगंगानगर | चिंकारा |
2. | बीकानेर | बटवड़ (भट्टतीतर/रेत का तीतर) |
3. | जैसलमेर | गोड़ावण |
4. | बाड़मेर | मरु लोमड़ी |
5. | जालोर | भालू |
6. | सिरोही | जंगली मुर्गे |
7. | उदयपुर | कब्र बिज्जु |
8. | डूँगरपुर | जंगली धोक |
9. | बाँसवाड़ा | जलपीपी |
10. | प्रतापगढ़ | उड़न गिलहरी |
11. | चित्तौड़गढ़ | चौसिंगा/घंटेल |
12. | भीलवाड़ा | मोर |
13. | झालावाड़ | गागरोनी तोता |
14. | बाराँ | मगर |
15. | कोटा | उदबिलाव |
16. | सवाई माधोपुर | बाघ |
17. | करौली | घड़ियाल |
18. | धौलपुर | पंछीड़ा |
19. | भरतपुर | सारस |
20. | अलवर | सांभर |
21. | जयपुर | चीतल |
22. | सीकर | शाहीन |
23. | झुंझुनूँ | काला तीतर |
24. | चूरू | कृष्ण मृग |
25. | हनुमानगढ़ | छोटा किलकिल |
26. | नागौर | राजहंस |
27. | जोधपुर | कुरजां |
28. | पाली | पैंथर |
29. | राजसमंद | भेड़िया |
30. | अजमेर | खड़मोर |
31. | टोंक | हंस |
32. | दौसा | खरगोश |
33. | बूँदी | सुर्खाब |
राजस्थान में बाघ परियोजना :-
● टाइगर मैन ऑफ इंडिया डॉ. कैलाश साँखला (जोधपुर) कोकहा जाता है।
● भारत में पहली बाघ परियोजना जिम कॉर्बेट (उत्तराखण्ड) में बनाई गई।
● राजस्थान में पाँच बाघ परियोजनाएँ हैं।
● राजस्थान में बाघ परियोजना का प्रारम्भ वर्ष 1973-74 में किया गया।
● राजस्थान की पहली बाघ परियोजना रणथम्भौर टाइगर प्रोजेक्ट (सवाई माधोपुर, करौली, टोंक, बूँदी) है जिसे देश में बाघों का घर कहते हैं।
● रणथम्भौर बाघ परियोजना को 1973-74 में दर्जा दिया गया है।
● यहाँ पर राजस्थान की पहली टाइगर ‘सफारी’ शुरू की गई।
● राज्य की दूसरी बाघ परियोजना सरिस्का (अलवर, जयपुर ग्रामीण, कोटपूतली-बहरोड़) में है जिसे वर्ष 1978-79 में ‘टाइगरप्रोजेक्ट’ का दर्जा दिया गया।
● राजस्थान की तीसरी बाघ परियोजना मुकुन्दरा हिल्स (कोटा-चित्तौड़गढ़-बूँदी-झालावाड़) में है जिसे अप्रैल, 2013 को टाइगर प्रोजेक्ट का दर्जा दिया गया।
● राजस्थान की चौथी बाघ परियोजना रामगढ़ विषधारी अभयारण्य (बूँदी, कोटा) में है।
● राजस्थान की पाँचवीं बाघ परियोजना धौलपुर-करौली अभयारण्य (धौलपुर-करौली) है।
रामसर साइट :-
● आर्द्र भूमि क्षेत्र, नम भूमि क्षेत्र या वेटलैण्ड जॉन क्षेत्र को रामसर साइट के नाम से जाना जाता है।
● वर्तमान में राजस्थान में दो रामसर साइट हैं-
1. केवलादेव घना पक्षी विहार (भरतपुर)
2. सांभर झील (जयपुर)
राष्ट्रीय उद्यान :-
● रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान – सवाई माधोपुर। यह राजस्थान का पहला राष्ट्रीय उद्यान है।
● केवलादेव घाना पक्षी विहार राष्ट्रीय उद्यान – भरतपुर। रामसर साइट का दर्जा वर्ष 1981 । यूनेस्को की प्राकृतिक विश्व धरोहर में सूचीबद्ध वर्ष 1985
● मुकुन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान– कोटा-चित्तौड़गढ़
वन्य-जीव अभ्यारण्य :-
● राष्ट्रीय मरु उद्यान (जैसलमेर-बाड़मेर) – यह गोड़ावण की आश्रय स्थली है।
● माउण्ट आबू अभयारण्य (सिरोही) – यह जंगली मुर्गों के लिए प्रसिद्ध हैं।
● तालछापर अभयारण्य (चूरू) – यह कृष्ण मृग के लिए प्रसिद्ध है।
· सरिस्का अभयारण्य – अलवर
● दर्रा अभयारण्य – कोटा, झालावाड़
● सीतामाता अभयारण्य (चित्तौड़गढ़-सलूम्बर-प्रतापगढ़) – यह अभयारण्य चीतल की मातृभूमि व उड़न गिलहरी के लिए प्रसिद्ध है।
● चम्बल अभयारण्य (कोटा, बूँदी, सवाई माधोपुर, करौली एवं धौलपुर) – ये अभयारण्य घड़ियाल तथा मगरमच्छ के लिए प्रसिद्ध है।
● जवाहर सागर अभयारण्य – कोटा-चित्तौड़गढ़-बूँदी।
● कुम्भलगढ़ अभयारण्य (राजसमंद-पाली-उदयपुर) – यह जंगली भेड़ियों व उनकी प्रजनन स्थली के लिए प्रसिद्ध हैं।
● रामगढ़ विषधारी अभयारण्य (बूँदी) – इसे वर्ष 1982 में वन्य जीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया जो भारत का 52वाँ टाइगर रिज़र्व है।
● फुलवारी की नाल अभयारण्य- जयसमंद अभयारण्य-सज्जनगढ़ अभयारण्य – उदयपुर
● रावली टॉडगढ़ अभयारण्य – ब्यावर-पाली-राजसमंद
● जमुवा-रामगढ़ अभयारण्य – जयपुर ग्रामीण
● नाहरगढ़ अभयारण्य – जयपुर, जयपुर ग्रामीण
● शेरगढ़ अभयारण्य – बाराँ
● बंध बरेठा अभयारण्य – भरतपुर
● बस्सी अभयारण्य (चित्तौड़गढ़) – यहाँ पर बाघ, बघेरा, सांभर और चीतल जीवों की प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं।
● सवाई मानसिंह अभयारण्य – सवाई माधोपुर
● भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य (चित्तौड़गढ़) – यहाँ चूलिया जल-प्रपात तथा मानदेसरा का पठार स्थित है।
● रामसागर अभयारण्य- वन विहार अभयारण्य- केसरबागअभयारण्य – धौलपुर
● कैलादेवी अभयारण्य – करौली-सवाई माधोपुर
राजस्थान में संरक्षित क्षेत्र :-
1. बीसलपुर संरक्षित क्षेत्र (केकड़ी)
2. जोहड़बीड़ – गाडेवाला संरक्षित क्षेत्र (बीकानेर)
3. सुंधा माता संरक्षित क्षेत्र (जालोर-सिरोही)
4. गुढ़ा विश्नोइयाँ संरक्षित क्षेत्र (जोधपुर)
5. शाकम्भरी संरक्षित क्षेत्र (सीकर-नीम-का-थाना)
6. गोगेलाव संरक्षित क्षेत्र (नागौर)
7. बीड़ संरक्षित क्षेत्र (झुंझुनूँ)
8. रोटू संरक्षित क्षेत्र (नागौर)
9. उम्मेदगंज पक्षी विहार संरक्षित क्षेत्र (कोटा)
10. जवाई बाँध लैपर्ड संरक्षित क्षेत्र (पाली)
11. बांसियाल-खेतड़ी संरक्षित क्षेत्र (नीम-का-थाना)
12. बांसियाल खेतड़ी-बागौर संरक्षित क्षेत्र (नीम-का-थाना)
13. जवाई बाँध लैपर्ड -II संरक्षित क्षेत्र (पाली)
14. मनसा माता संरक्षित क्षेत्र (नीम-का-थाना, झुंझुनूँ)
15. रणखार संरक्षित क्षेत्र (सांचौर)
16. शाहबाद संरक्षित क्षेत्र (बाराँ)
17. शाहबाद तलहटी संरक्षित क्षेत्र (बाराँ)
18. बीड़ घास फुलियाखुर्द संरक्षित क्षेत्र (शाहपुरा)
19. बाघदर्रा मगरमच्छ संरक्षित क्षेत्र (उदयपुर)
20. वाड़ाखेड़ा संरक्षित क्षेत्र (सिरोही)
21. झालाना – आमागढ़ संरक्षित क्षेत्र (जयपुर)
22. बांझआमली संरक्षित क्षेत्र (बाराँ)
23. हमीरगढ़ संरक्षित क्षेत्र (भीलवाड़ा)
24. खरमोर संरक्षित क्षेत्र (केकड़ी)
25. कुरजां संरक्षित क्षेत्र (फलोदी)
26. रामगढ़ संरक्षित क्षेत्र (बाराँ)
27. सोरसेन-I संरक्षित क्षेत्र (बाराँ)
28. सोरसेन-II संरक्षित क्षेत्र (बाराँ)
29. सोरसेन-III संरक्षित क्षेत्र (बाराँ)
30. महशीर संरक्षित क्षेत्र (उदयपुर)
31. बीड़ फतेहपुर संरक्षित क्षेत्र (सीकर)
32. गंगा भैरव घाटी संरक्षित क्षेत्र (अजमेर)
33. बीड़ मुहाना-I संरक्षित क्षेत्र (जयपुर)
34. बीड़ मुहाना-II संरक्षित क्षेत्र (जयपुर)
35. बालेश्वर संरक्षित क्षेत्र (नीम-का-थाना, सीकर)
36. अमरख महोदव संरक्षित क्षेत्र (उदयपुर)
राजस्थान के मृगवन :-
1. अशोक विहार, संजय उद्यान (जयपुर)
2. माचिया सफारी (जोधपुर)
3. अमृतादेवी विश्नोई (खेजड़ली-जोधपुर)
4. पंचकुण्ड (पुष्कर-अजमेर)
5. चित्तौड़गढ़ मृगवन (चित्तौड़गढ़)
6. सज्जनगढ़ (उदयपुर)
राजस्थान में जैविक उद्यान :-
● नाहरगढ़ (जयपुर) – (उद्घाटन – जनू, 2016)
● सज्जनगढ़ (उदयपुर) – (उद्घाटन – अप्रैल, 2015)
● माचिया सफारी (जोधपुर) (उद्घाटन – जनवरी, 2016)
● अभेड़ा (कोटा) – (उद्घाटन – दिसम्बर, 2021)
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य :-
● राजस्थान 18 फरवरी, 2010 को वन एवं पर्यावरण नीति घोषित करने वाला भारत का पहला राज्य है।
● राजस्थान में इमारती लकड़ी के लिए प्रसिद्ध सागवान वन सर्वाधिक बाँसवाड़ा जिले में पाए जाते हैं।
● राजस्थान के खेजड़ली ग्राम (जोधपुर) में प्रतिवर्ष 12 सितम्बर को वृक्ष महोत्सव मनाया जाता है।
जैव विविधता एवं संरक्षण :-
● सामान्यत: रूप से जैव विविधता से अभिप्राय जीव मण्डल में पाए जाने वाले जीवों की विभिन्न जातियों की विविधता से हैं।
● यह विविधता आनुवंशिक जाति एवं पारिस्थितिकी तंत्र प्रकार की होती है, जो पर्यावरण संतुलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
● राज्य की प्राकृतिक विशिष्टताओं ने यहाँ पेड़-पौधे एवं जीव जन्तुओं को अनूठापन दिया है तथा ये राजस्थान का जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध प्रान्त है।
● जैव विविधता की दृष्टि से राज्य को चार विशिष्ट जैवविविधता क्षेत्रों में विभाजित किया गया है –
1. मरु अथवा मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र
2. अरावली पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र
3. पूर्वी मैदानी पारिस्थितिकी तंत्र
4. दक्षिण-पूर्वी पठारी पारिस्थितिकी तंत्र
1. मरु अथवा मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र–
● राजस्थान का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र मरुस्थली तथा अर्द्ध-मरुस्थली प्रदेश है।
● यहाँ की विशेषता न्यून वर्षा तथा उच्च तापमान है।
● इस पारिस्थितिकी क्षेत्र में काँटेदार वृक्ष, कँटीली झाड़ियाँ, घास आदि की बहुलता है, जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है।
2. अरावली पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र–
● राज्य के दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर फैली अरावली पर्वत शृंखला न केवल एक विशिष्ट भू-रूप हैं, जो जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध तथा विशिष्ट प्रदेश है।
● इस पारिस्थितिकी तंत्र के दक्षिण में वनों का विस्तार है, जहाँ बहुतायत वनस्पति पाई जाती है।
● इस क्षेत्र में सागवान के जंगल और अन्य सदाबहार वृक्ष बहुतायत पाए जाते हैं।
● इस क्षेत्र में धोंक, केर, आम, महुआ, चुरैल, सालर, बाँस आदि वनस्पतियाँ तथा बघेरा, रीछ, जरख, चौंसिगा काला हरिण, चीतल, सांभर, जंगली सूअर, भेड़िया, उड़न गिलहरी, लोमड़ी, आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
● इस क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों के संरक्षण के लिए इस क्षेत्र में कुम्भलगढ़, जयसमंद तथा माउंट आबू अभयारण्य, रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान, सरिस्का अभयारण्य, कैलादेवी अभयारण्य इसी क्षेत्र में स्थित है।
3. पूर्वी मैदानी पारिस्थितिकी तंत्र–
● यह अरावली पर्वतमाला के पूर्वी भाग में स्थित गंगा यमुना के मैदान का भाग है।
● इस क्षेत्र में पक्षियों की संख्या सर्वाधिक पाई जाती है।
● केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान इसी क्षेत्र के अंतर्गत हैं, जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर घोषित किया गया है।
4. दक्षिण-पूर्वी पठारी पारिस्थितिकी तंत्र–
● यह क्षेत्र हाड़ौती के पठार के नाम से जाना जाता है।
● इस क्षेत्र में जलीय जैव-विविधता सर्वाधिक पाई जाती है।
● चम्बल क्षेत्र में मगरमच्छ, घड़ियाल, डॉल्फिन, कछुए विविध प्रकार की मछलियाँ, केकड़े आदि पाए जाते हैं।
● मुकुन्दरा राष्ट्रीय उद्यान में वन्य जीवों के अतिरिक्त अनेक पादपीय विविधता है।
● इस क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण हेतु रामगढ़ अभयारण्य, शेरगढ़ अभयारण्य, बस्सी अभयारण्य तथा राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य बनाए गए हैं।
जैव विविधता का संरक्षण :-
● जैव विविधता वर्तमान समय में संकट ग्रस्त है, इसके निरंतर विलुप्त होने अथवा इसमें कमी के प्रमुख कारण हैं –
(i) प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना अथवा कम होना।
(ii) कीटनाशकों का अतिशय प्रयोग।
(iii) शिकार, अंधविश्वास एवं अज्ञानता।
(iv) जलवायु प्रदूषण।
(v) पर्यावरण प्रदूषण।
(vi) प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन।
(vii) विदेशी प्रजातीय का आक्रमण।
● जीव एवं वनस्पति संरक्षण दो प्रकार से किया जा सकता है–
1. स्व: स्थाने संरक्षण–
● संकटकालीन प्रजाति को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षण प्रदान करना।
(i) जैव मण्डल रिज़र्व
(ii) संरक्षण रिज़र्व
(iii) राष्ट्रीय उद्यान
(iv) वन्य जीव अभयारण्य
2. बहि: स्थाने संरक्षण–
● इस विधि में संकट ग्रस्त पादप व जंतु प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास से बाहर कृत्रिम आवास में संरक्षण प्रदान किया जाता है।
(i) बॉटेनिकल उद्यान
(ii) बीज बैंक
(iii) टिश्यू कल्चर लैब
(iv) चिड़िया घर
(v) जीन बैंक
जैव-विविधता संरक्षण के प्रयास :-
राजस्थान स्तर पर–
● राजस्थान में 14 सितम्बर, 2010 को ‘राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड’ की स्थापना की गई।
● राजस्थान में जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में चयनित स्थल–
1. आकल गाँव जीवाश्म पार्क (जैसलमेर)
2. नाग पहाड़ (अजमेर)
3. केवड़ा-की-नाल (उदयपुर)
4. राम-कुण्डा (उदयपुर)
5. छापोली-मनसा माता (झुंझुनूँ)
● राजस्थान में जैव विविधता पार्क- ‘गमधर वन क्षेत्र’ (उदयपुर) में स्थित है।
● जैव विविधता विरासत स्थलों के रूप में अधिसूचना के लिए पाँच स्थल प्रस्तावित है–
1. रामदेवरा (जैसलमेर)
2. संवता (जैसलमेर)
3. ऊनरोड़ (बाड़मेर)
4. मुंगेरिया (बाड़मेर)
5. लोहार्गल (झुंझुनूँ)
जैव विविधता को तीन स्तरों पर समझा जा सकता है :-
1. आनुवंशिक जैव विविधता–
● जीवन निर्माण के लिए जीन एक मूलभूत इकाई है।
● किसी प्रजाति में जीन को विविधता की आनुवंशिक जैव-विविधता है।
● समान भौतिक लक्षणों वाले जिलों के समूह को प्रजाति कहते हैं।
● मानव आंशिक रूप से ‘होमोसेपिन’ प्रजाति से संबंधित है, जिससे कद, रंग और अलग दिखावट जैसे शारीरिक लक्षणों में भिन्नता है। इसका मुख्य कारण आनुवंशिक जैव विविधता है।
2. प्रजातीय जैव विविधता–
● यह प्रजातियों की अनेक रूपता को बताती है।
● यह किसी निर्धारित क्षेत्र में प्रजातियों की संख्या से संबंधित है।
● प्रजातियों की विविधता, उनकी समृद्धि, प्रकार तथा बहुलता से आंकी जाती है। जिन क्षेत्रो में प्रजातीय विविधता अधिक होती है उन क्षेत्रों को जैव विविधता हॉट-स्पॉट कहते हैं।
3. पारितंत्रीय जैव विविधता–
● परितंत्रों में होने वाली पारितंत्रीय प्रक्रियाएँ तथा आवास स्थानों की भिन्नता ही पारितंत्रीय विविधता बनाते हैं।
जैव विविधता का महत्त्व :-
● जैव विविधता ने मानव संस्कृति के विकास में बहुत योगदान दिया है।
● जैव विविधता की पारिस्थितिकी, आर्थिक और वैज्ञानिक भूमिकाएँ प्रमुख है।
(i) जैव-विविधता की पारिस्थितिकी भूमिका-
● पारितंत्र में कोई भी प्रजाति बिना कारण न तो विकसित हो सकती है और न ही बनी रह सकती है अर्थात् प्रत्येक जीव अपनी जरूरत पूरा करने के लिए साथ-साथ दूसरे जीवों के पनपने में सहायक होता है।
● जीव व प्रजातियाँ ऊर्जा ग्रहण कर उसका संग्रहण करती है। कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न एवं विघटित करती है और पारितंत्र में जल व पोषक तत्त्वों के चक्र को बनाए रखने में सहायक होती है।
(ii) जैव विविधता की आर्थिक भूमिका-
● सभी मनुष्यों के लिए जैव विविधता एक संसाधन है।
● खाद्य फसलें, पशु, वन संसाधन, मत्स्य और दवा संसाधन आदि प्रमुख आर्थिक महत्त्व के संसाधन हैं।
(iii) जैव विविधता की वैज्ञानिक भूमिका-
● जैव विविधता का स्तर अन्य जीवित प्रजातियों के साथ हमारे संबंध का एक अच्छा पैमाना है।
● वास्तव में जैव-विविधता की अवधारणा कई मानव संस्कृतियों के अभिन्न अंग है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य :-
1. अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है।
2. वर्ष 2011-2020 तक UNO द्वारा जैव विविधता दशक घोषित किया गया।
3. वर्ष 2010 को जैव विविधता को अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है।
4. भारत का पहला जैव मण्डल – नीलगिरि (1986) है।
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