विशेषण
विशेषण शब्द ‘वि + शिष् + अन’ से बना है, जिसका अर्थ होता है– विशेषता बताना।
विशेषण– संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं; जैसे– लाल मिर्च, हरा धनिया, नीला गगन,ईमानदार आदमी। यहाँ रेखांकित पद विशेषण हैं।
विशेषण की उपयोगिता – संज्ञा अथवा सर्वनाम के अर्थ को सीमित करने में है।
विशेष्य– विशेषण के द्वारा जिस (संज्ञा या सर्वनाम) विशेषता बताई जाती है, विशेष्य कहलाता है; जैसे– मिर्च, धनिया, गगन और आदमी की विशेषता बताई गई है; इसलिए ये शब्द विशेष्य कहलाते हैं।
वाक्य विशेषण विशेष्य
- वह एक होनहार लड़का है। होनहार लड़का
- अच्छा व्यक्ति सभी जगह आदर अच्छा व्यक्ति
प्राप्त करता है।
इस प्रकार विशेषण की व्याकरण सम्मत परिभाषा यह है कि जिस विकारी शब्द से संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित/संयमित/ संकुचित होती है, उसे विशेषण कहते हैं। विशेषण के द्वारा जिस संज्ञा पद की व्याप्ति मर्यादित होती है, उसे व्याकरण में विशेष्य कहते हैं। (व्याप्ति मर्यादित होने से आशय है कि जितने अर्थ की व्यापकता अकेले संज्ञा शब्द से होती है, अर्थ की उतनी व्यापकता विशेषणयुक्त संज्ञा से नहीं होती है; जैसे– ‘घोड़ा’ संज्ञा पद से संसार के समस्त घोड़ों का बोध होता है; परन्तु यदि हम विशेषणसहित ‘काला घोड़ा’ शब्द लिखते हैं, तो केवल ‘काले घोड़ों’ का ही बोध होता है न कि सफेद, भूरे या लाल घोड़ों का। इस प्रकार ‘काला’ विशेषण शब्द ने ‘घोड़ा’ संज्ञा शब्द की व्याप्ति को मर्यादित कर दिया।)
प्रविशेषण– विशेषण की भी विशेषता बताने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं; जैसे–
वाक्य | प्रविशेषण | विशेषण | विशेष्य |
अत्यंतकमजोर बच्चा | अत्यंत | कमजोर | बच्चा |
बहुत मोटाआदमी | बहुत | मोटा | आदमी |
थोड़ा मीठादूध | थोड़ा | मीठा | दूध |
कम नीलाआकाश | कम | नीला | आकाश |
रमा अत्यंतप्रभावशाली | अत्यंत | प्रभावशाली | रमा |
अंजलीबहुत सुन्दर है। | बहुत | सुन्दर | अंजली |
विशेषण के अंग
विशेषण के 2 अंग होते हैं–
1. विशेष्य/उद्देश्य विशेषण– वे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के पूर्व प्रयुक्त होकर विशेषता का बोध कराते हैं, विशेष्य विशेषण कहलाते हैं; जैसे–
- चतुर बालक अपना काम कर लेते हैं।
विशेष्य विशेषण– चतुर
- मुझे खट्टी चटनी पसंद है।
विशेष्य विशेषण– खट्टी
2. विधेय विशेषण– वे विशेषण शब्द जो विशेष्य (संज्ञा या सर्वनाम) शब्दों के बाद प्रयुक्त होकर विशेषता का बोध कराते हैं, विधेय विशेषण कहलाते है; जैसे–
वाक्य विधेय विशेषण
- फल मीठा है। मीठा
- लड़की चतुर है। चतुर
- कमीज सुंदर है। सुंदर
- मनोज होशियार है। होशियार
विशेषण के भेद
विशेषण के 4 भेद हैं–
5. व्यक्तिवाचक विशेषण (हिंदी व्याकरण एवं रचना प्रबोध के अनुसार)
गुणवाचक विशेषण
वे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के रूप, रंग, आकार, स्वभाव, दशा, दिशा, गुण, दोष इत्यादि का बोध कराते हैं, गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे–
सुंदर बच्चा, हरी चूड़ियाँ, गोल कमरा, दयालु औरत, गरीबआदमी, पश्चिमी मकान, ईमानदार लड़की, मूर्ख लोग इत्यादि।
दिशा बोधक – पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, दक्षिणी, पश्चिमोत्तरी, पौर्वात्य, पाश्चात्य इत्यादि।
गुण बोधक – अच्छा, भला, सुंदर, श्रेष्ठ, सच्चा, सच्चरित्र, शांत, उदार, सुशील, सीधा, सरल, परिश्रमी, ईमानदार, सज्जन, दयालु, वीर, धीर इत्यादि।
दोष बोधक – बुरा, खराब, उद्दण्ड, जहरीला, झूठा, पापी, कंजूस दुराचारी, दुष्ट, बेईमान, अपराधी, कायर इत्यादि।
रंग बोधक – काला, गोरा, पीला, नीला, हरा, साँवला, सुनहरा, आसमानी, चमकीला, धुंधला इत्यादि।
काल या समय
बोधक – पुराना, प्राचीन, नवीन, क्षणिक, क्षणभंगुर, ऐतिहासिक, प्रागैतिहासिक, साप्ताहिक, मासिक, नया, पुराना, ताज़ा इत्यादि।
स्थान बोधक – चीनी, मद्रासी, बिहारी, पंजाबी, विदेशी, देशी, वन्य, पहाड़ी, मैदानी इत्यादि।
द्रवावस्था बोधक – गीला, सूखा, जला इत्यादि।
दशा बोधक – अस्वस्थ, रोगी, भला, चंगा, स्वस्थ, अमीर, गरीब, सुखी, दु:खी, दुबला, पतला, मोटा, भारी, गाढ़ा, गीला, सूखा, पालतू, फटा हुआ इत्यादि।
अवस्था बोधक – युवा, बूढ़ा, तरुण, प्रौढ़, अधेड़, जवान, कमज़ोर इत्यादि।
आकार बोधक – मोटा, छोटा, बड़ा, लंबा, चौड़ा, ऊँचा, तिकोना, चौकोर, पतला, सुडौल, टेढ़ा, नुकीला इत्यादि।
स्पर्श बोधक – कठोर, कोमल, मखमली, खुरदरा, नरम, स्निग्ध, चिकना, मुलायम इत्यादि।
स्वाद बोधक – खट्टा, मीठा, कसैला, नमकीन, कडुआ, मधुर, तिक्त, तीखा, चटपटा, फीका, सुगंधित, बदबूदार, ख़ुशबूदार, गंधहीन, स्वादहीन इत्यादि।
गुणवाचक एवं संख्यावाचक विशेषणों की पहचान
किसी भी संज्ञा का कोई गुण, संख्या या मात्रा होती है अत: गुण की पहचान के लिए ‘कैसा’ से प्रश्न करें और जो उत्तर प्राप्त होगा वह गुण होगा।
संख्या की पहचान के लिए ‘कितना’ से प्रश्न करें और जो उत्तर प्राप्त होगा वह संख्या होगी।
इस प्रकार गुणवाचक, संख्यावाचक तथा परिमाणवाचक विशेषणों की पहचान के लिए ‘कैसा/कितना’ प्रश्नों से कर सकते हैं।
संख्यावाचक विशेषण
वे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की निश्चित या अनिश्चित संख्या का बोध कराते हैं, संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे– एक लड़का, दो लड़कियाँ, तीन मोर, चारबकरियाँ, कुछ पुस्तकें, बहुत कुर्सियाँ, कम पेन, ज्यादा पेंसिलें, कुछ केले, बहुत सेब इत्यादि।
(i) उस मैदान में सात व्यक्ति बैठे हैं।
(ii) इस दुकान में बहुत ग्राहक आते हैं।
संख्यावाचक विशेषण के भेद
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं–
(1) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(2) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(1) निश्चित संख्यावाचक विशेषण– वे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे– दो कुत्ते, तीनगायें, चार पुस्तकें, दो दर्जन चूड़ियाँ, पचास बकरियाँ, एक दर्जन केले इत्यादि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के उपभेद– 5
(i) गणनावाचक– वे संख्यावाचक विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की गणना (गिनती) का ज्ञान कराते है; वे गणनावाचक विशेषण कहलाते हैं।
गणनावाचक विशेषण के उपभेद– 2
(अ) पूर्णांक बोधक गणनावाचक विशेषण– वे संख्यावाचक विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की संख्या के पूर्ण अंक का ज्ञान कराते हैं, उन्हें पूर्णांक बोधक गणनावाचक विशेषण कहते हैं; जैसे– एक, दो, तीन, चार, बीस, पचास, सौ, लाख, करोड़ इत्यादि।
- उसकी उम्र बयालीस वर्ष है।
- सुरेन्द्र दस पूरी तथा दस रसगुल्ले खा गया।
पूर्णांक बोधक विशेषणों के मानक रूप
एक | छब्बीस | इक्यावन | छिहत्तर |
दो | सत्ताईस | बावन | सतहत्तर |
तीन | अट्ठाईस | तिरपन | अठहत्तर |
चार | उनतीस | चौपन | उनासी |
पाँच | तीस | पचपन | अस्सी |
छह/छ: | इकतीस | छप्पन | इक्यासी |
सात | बत्तीस | सत्तावन | बयासी |
आठ | तैंतीस | अट्ठावन | तिरासी |
नौ | चौंतीस | उनसठ | चौरासी |
दस | पैंतीस | साठ | पिच्यासी |
ग्यारह | छत्तीस | इकसठ | छियासी |
बारह | सैंतीस | बासठ | सत्तासी |
तेरह | अड़तीस | तिरसठ | अट्ठासी |
चौदह | उनचालीस | चौंसठ | नवासी |
पन्द्रह | चालीस | पैंसठ | नब्बे |
सोलह | इकतालीस | छाछठ/छियासठ | इक्यानवे |
सत्रह | बयालीस | सड़सठ | बानवे |
अठ्ठारह | तैंतालीस | अड़सठ | तिरानवे |
उन्नीस | चौवालीस | उनसित्तर | चौरानवे |
बीस | पैंतालीस | सित्तर | पंचानवे |
इक्कीस | छियालीस | इकहत्तर | छियानवे |
बाईस | सैंतालीस | बहत्तर | सत्तानवे |
तेईस | अड़तालीस | तिहत्तर | अट्ठानवे |
चौबीस | उनचास | चौहत्तर | निन्यानवे |
पच्चीस | पचास | पचहत्तर | सौ |
(i) यदि वाक्य में पूर्णांकबोधक विशेषणों के साथ ‘एक’ शब्द का प्रयोग करे दें तो पूर्णांक बोधक विशेषण अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण बन जाते है; जैसे–
- आज सभा में तीस एक लोग थे।
- आज विद्यालय में दस एक अध्यापक थे।
(ii) यदि वाक्य में दो अलग-अलग पूर्णांकबोधक विशेषणों का प्रयोग किया गया हो तो वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण बन जाते हैं; जैसे–
- ऑफिस के बाहर चार-पाँच लोग खड़े हैं।
- मोहन सात-आठ दिनों से अवकाश पर हैं।
(iii) यदि वाक्य में पूर्णांकबोधक विशेषणों (सैंकड़ा, पचास, हज़ार, बीस, लाख, करोड़ इत्यादि।) में ‘ओं’ प्रत्यय जुड़ा हो तो वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण बन जाते हैं; जैसे–
- लाखों लोग धरने पर बैठे हैं।
- बीसों लोग जा रहे हैं।
(iv) कभी-कभी वाक्य में पूर्णांकबोधक संख्यावाचक विशेषणों का प्रयोग संख्यावाचक विशेषण के रूप में करकर किसी विशेष अर्थ को अभिव्यक्त करने के लिए भी किया जाता है; जैसे–
- नौ-दो ग्यारह होना।
- सुरेन्द्र नरेन्द्र से इक्कीस ही है।
(ब) अपूर्णांक बोधक गणनावाचक विशेषण– वे संख्यावाचक विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की संख्या के अपूर्ण अंक का ज्ञान कराते हैं उन्हें अपूर्णांक बोधक गणनावाचक विशेषण कहते हैं; जैसे– पाव (पावल),आधा (अर्द्ध), पौन (पादोन), सवा (सपाद), डेढ़ (सार्द्ध एक), ढाई(सार्द्ध द्वि) इत्यादि।
- नरेन्द्र ढाई रोटियाँ खाता हैं।
- सवा तीन रूपये में रूमाल ख़रीदा।
(ii) कर्मवाचक विशेषण – वे संख्यावाचक विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की क्रम के अनुसार गणना का ज्ञान कराते हैं, उन्हें क्रमवाचक विशेषण कहते हैं।
क्रमवाचक विशेषण, पूर्णांक बोधक विशेषणों से बनते हैं; जैसे– पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा, पाँचवाँ, छठा, सातवाँ, आठवाँ, दसवाँ, हजारवाँ, लाखवाँ, करोड़वाँ इत्यादि।
- प्रथमा/द्वितीया/पंचमी/दशमी/ षष्ठी, प्रथम/द्वितीय/पंचम/दशम/ षष्ठ, एकम/ दूज/ तीज/ चौथ इत्यादि।
- सुरेन्द्र सातवीं कक्षा में पहले स्थान पर रहा।
(iii) आवृत्तिवाचक विशेषण– वे संख्यावाचक विशेषण जो यह बताते है कि विशेष्य का वाच्य कितना गुना है; जैसे – दुगुना, तिगुना, चौगुना, पंचगुना, ग्यारहगुना इत्यादि।
(iv) समुदायवाचक विशेषण– वे संख्यावाचक विशेषण जो विशेष्य की समुदाय संबंधित विशेषता प्रकट करते हैं; जैसे– दोनों, चारों, पाँचों, आठों, दहाई, कौड़ी, बीसी, चालीसा, सैंकड़ा, दर्जन, पंचक, चौका, छक्का, अष्टक, बत्तीसा, बत्तीसी, पच्चीसी, चालीसा, शतक, दशक, दशाब्दी, सतसई, गुरुस(12 दर्जनों का समूह) इत्यादि।
- दोनों कुत्ते भौंक रहे हैं।
- दस की दस लड़कियाँ कहाँ हैं?
(v) प्रत्येकवाचक विशेषण– वे संख्यावाचक विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की संख्या के एक–एक या भिन्न–भिन्न होने का बोध कराते हैं, उन्हें प्रत्येकवाचक विशेषण कहा जाता हैं; जैसे– हर-एक, प्रत्येक, एक-एक, दो-दो, तीन-तीन, चार-चार, पाँच-पाँच इत्यादि।
- प्रत्येक छात्र दो-दो पेन लेकर आए।
(2) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण– वे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की निश्चित संख्या का बोध नहीं करा पाते हैं अर्थात् वे विशेषण शब्द जो किसी अनिश्चित संख्या के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं, अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे– सब, कुल, समस्त, अधिक, थोडे़, बहुत, कम, ज्यादा, अनेक, कई, कुछ, सारा, पूरा, नाना, समूचा, अमुक, फलाना इत्यादि। (‘आदि’ मूलत: अनिश्चित विशेषण है; परंतु इसका प्रयोग यदि प्रथम के अर्थ में हो, तब वह निश्चित विशेषण होता है; जैसे– तुलसीदास आदि कवि थे।)
- बाहर बहुत लड़के खड़े थे।
- देश में कम लड़कियाँ है।
- घर में ज्यादा पशु है।
- बाहर कुछ लोग लड़ रहे हैं।
- मुझे हजार-दो हजार रुपये दे दो।
- सालों बाद वह गाँव लौटा है।
परिमाणवाचक विशेषण
वे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के निश्चित या अनिश्चित माप-तौल या मात्रा संबंधित विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं; जैसे– दो मीटर रस्सी, तीन लीटर पानी, चार किलो बादाम, थोड़ा तार, कम पानी, ज्यादा घी, थोड़े चावल इत्यादि।
परिमाणवाचक विशेषण के भेद
परिमाणवाचक विशेषण दो भेद होते हैं–
(i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण– वे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा एवं सर्वनाम शब्दों की माप-तौल या मात्रा संबंधित विशेषता की निश्चितता का बोध कराते हैं, निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे– एक मीटर कपड़ा, दोलीटर दूध, पाँच लीटर तेल, दस किलो चीनी, बीस किलो चावल, पचास किलो आटा, एक मण गेहूँ, एक सेर आम इत्यादि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषणों का प्रयोग जब अगणनीय या द्रव्यवाचक संज्ञाओं के साथ (मापन इकाईयाँ साथ में हो तो ही) किया जाएगा तो ये विशेषण ही निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
- मुझे पचास किलो आटा चाहिए।
- गाड़ी में पाँच लीटर पेट्रोल डलवाया।
(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण– वे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा एवं सर्वनाम शब्दों की माप-तौल या मात्रा संबंधित विशेषता की अनिश्चितता का बोध कराते हैं अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे– थोड़ा, बहुत, कम, ज्यादा, ज़रा-सा, कुछ ज़्यादा, किचिंत्, अल्प, ढेर सारी, घड़ों इत्यादि।
थोड़ा पानी, बहुत घी, ज़्यादा दूध, थोड़ा कपड़ा, कम चीनी, जरा-सा नमक, सारा देश, बड़ा मैदान इत्यादि। (‘तनिक एवं ज़रा’ यह दोनों सदैव परिमाणवाचक विशेषण होते है ये किसी भी परिस्थिति में संख्यावाचक विशेषण नहीं बनते हैं।)
- चुल्लू भर पानी में डूब मरो।
- शहर में बारिश से छाती भर पानी हो गया।
विशेष– संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग गणनीय संज्ञाओं के साथ होने पर वे संख्यावाचक विशेषण तथा अगणनीय या द्रव्यवाचक संज्ञाओं के साथ होने पर परिमाणवाचक विशेषण बन जाते हैं।
परिमाणवाचक विशेषणों के विशेष्य के रूप में द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग किया जाता है; क्योंकि द्रव्यवाचक संज्ञाएँ अगणनीय व माप-तौल के रूप में पाई जाती हैं।
संख्यावाचक में संख्या के बाद कोई संज्ञा या सर्वनाम शब्द होता है जबकि परिमाणवाचक में संख्या के बाद नाप, माप, तौल की इकाई होती है और उसके बाद पदार्थ (जातिवाचक संज्ञा) होता है।
यदि इन मापन इकाइयों (एक ग्राम, एक किलो, एक मण, एक क्विंटल, एक लीटर, एक सेर, एक मीटर इत्यादि) का प्रयोग नहीं किया गया हो तो द्रव्यवाचक संज्ञा होते हुए भी वह संख्यावाचक विशेषण कहलाती हैं; जैसे–
- पाँच आम (संख्यावाचक)
- पाँच किलो आम (परिमाणवाचक)
- दस टमाटर (संख्यावाचक)
- दस किलो टमाटर (परिमाणवाचक)
अनिश्चित परिमाणवाचक तथा अनिश्चित संख्यावाचक विशेषणों में अंतर–
अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण में विशेष्य अगणनीय होते है, जबकि अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण में विशेष्य गणनीय होते हैं–
● सब्जी में थोड़ी सी मिर्च डालिए (अनिश्चित परिमाणवाचक)
● मुझे थोड़े से पैसे चाहिए (अनिश्चित संख्यावाचक)
सार्वनामिक विशेषण
सर्वनाम शब्द जब संज्ञा सहित (संज्ञा के साथ) वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तब उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहा जाता हैं।; जैसे–
- यह घड़ी मेरी है।
- यह पुस्तक मेरी है।
- इस पंखे को बंद करो।
- इस गेंद से खेलो।
- वह लड़का बहुत ईमानदार है।
- कौन लड़का आया था?
- कोई लड़का उसे पीट रहा था।
- वह कुत्ता वफादार है।
विशेष– पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनामों को छोड़कर शेष सभी सर्वनामों का प्रयोग सार्वनामिक विशेषण के रूप में किया जाता है।
सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर
यदि कोई शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हो, तो वह शब्द सर्वनाम कहलाता है; लेकिन जब वही शब्द संज्ञा के तुरन्त पहले प्रयुक्त हो और उस संज्ञा की विशेषता बतलाए, तो वह सार्वनामिक विशेषण कहलाता है; जैसे–
सर्वनाम सार्वनामिक विशेषण
- यह मेरा है। यह पेन मेरा है।
- इसे बुलाओ।इस लड़के को बुलाओ।
- यह कौन है? यह लड़का कौन है?
व्यक्तिवाचक विशेषण
● (माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की हिंदी व्याकरण के अनुसार)– वे विशेषण, जो व्यक्तिवाचक संज्ञाओं से बनकर अन्य संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते हैं; जैसे– जोधपुरी जूती, बनारसी साड़ी, कश्मीरीसेब, बीकानेरी भुजिए, भारतीय सैनिक, चीनी खिलौने इत्यादि।
- इन वाक्यों में जोधपुरी, बनारसी, कश्मीरी, बीकानेरी, भारतीय, चीनी शब्द व्यक्तिवाचक विशेषण हैं।
विशेषण की अवस्थाएँ
विशेषण की तुलनात्मक स्थिति को विशेषण की अवस्था कहते हैं। (संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता या तुलना करने की स्थिति को विशेषण की अवस्थाएँ कहा जाता हैं।)
- नरेन्द्र अच्छा लड़का है। (इसमें 'अच्छा' विशेषण का प्रयोग सिर्फ 'नरेन्द्र' की विशेषता का बोध कराने के लिए किया गया है, इसमें 'नरेन्द्र' नामक संज्ञा की किसी अन्य संज्ञा से तुलना नहीं हो रही है।)
- नरेन्द्र सुरेन्द्र से अच्छा लड़का है। (इसमें 'अच्छा' विशेषण द्वारा नरेन्द्र की सुरेन्द्र से तुलना की गई है।)
- नरेन्द्र पुरे गाँव में सबसे अच्छा लड़का है।( इसमें 'अच्छा' विशेषण द्वारा नरेन्द्र की तुलना पुरे गाँव से की गई हैं।)
विशेषण की 3 अवस्थाएँ होती हैं–
1. मूलावस्था/सामान्यावस्था– जब एक ही व्यक्ति, वस्तु या स्थान की विशेषता बतलाई जाती है, तो वहाँ विशेषण की मूलावस्था होती है। (इस अवस्था में किसी संज्ञा या सर्वनाम की अन्य संज्ञा या सर्वनाम के साथ तुलना नहीं होती है।)
- राधिका सुंदर लड़की है।
- मनीष होशियार है।
- विजय अच्छा खेलता है।
2. तुलना/मध्यमा/उत्तरावस्था– जब दो व्यक्तियों, वस्तुओं या स्थानों में से किसी एक को अच्छा या बुरा बतलाया जाता है तो वहाँ विशेषण की तुलना/मध्यमा/उत्तरावस्था होती है। (उत्तरावस्था वाले विशेषण शब्दों से पहले 'से, से अधिक, से बढ़कर, उससे, की तुलना, के मुकाबले, की अपेक्षा, के बजाए' इत्यादि में से कोई एक जुड़ा रहता हैं।)
- राधिका सीमा से सुंदर लड़की है।
- मनीष रमेश से होशियार हैं।
- विजय अजय से अच्छा क्रिकेटर है।
3. उत्तमावस्था– जब दो से अधिक व्यक्तियों/वस्तुओं या स्थानों के बीच तुलना की जाती है और किसी एक को श्रेष्ठ या निम्न बताया जाता है तो वहाँ विशेषण की उत्तमावस्था होती है।
उत्तमावस्था वाले विशेषण शब्दों से पहले 'सबसे, सबमें, सर्वाधिक, सभी में, सभी की अपेक्षा, सबसे अधिक' इत्यादि तुलनावाचक शब्दों में से कोई एक जुड़ा रहता हैं।
- राधिका घर में सबसे सुंदर लड़की है।
- मनीष कक्षा में सबसे होशियार है।
- विजय टीम में सबसे अच्छा क्रिकेटर है।
फ़ारसी का 'ईन' प्रत्यय जोड़कर भी विशेषण की उत्तमावस्था प्रदर्शित की जा सकती है; जैसे–
- जोधपुर बेहतरीन शहर है।
अवस्था परिवर्तन
मूलावस्था के शब्दों में 'तर' तथा ‘तम’ प्रत्यय लगा कर या शब्द के पूर्व 'से अधिक’ या ‘सबसे अधिक’ शब्दों का प्रयोग कर क्रमश: उत्तरावस्था एवं उत्तमावस्था में परिवर्तन किया जाता है; जैसे–
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
उच्च | उच्चतर | उच्चतम |
तीव्र | तीव्रतर | तीव्रतम |
गुरु | गुरुतर | गुरुतम |
उत्कृष्ट | उत्कृष्टतर | उत्कृष्टतम |
दृढ | दृढतर | दृढतम |
दीर्घ | दीर्घतर | दीर्घतम |
दारुण | दारुणतर | दारुणतम |
निकट | निकटतर | निकटतम |
प्रिय | प्रियतर | प्रियतम |
पवित्र | पवित्रतर | पवित्रतम |
पावन | पावनतर | पावनतम |
मधुर | मधुरतर | मधुरतम |
सुंदर | सुंदरतर | सुंदरतम |
स्थूल | स्थूलतर | स्थूलतम |
शिष्ट | शिष्टतर | शिष्टतम |
कृश | कृशतर | कृशतम |
शून्य | शून्यतर | शून्यतम |
महत् | महत्तर | महत्तम |
अधिक | अधिकतर | अधिकतम |
अधुना | अधुनातर | अधुनातम |
निम्न | निम्नतर | निम्नतम |
वृहत् | वृहत्तर | वृहत्तम |
तीव्र | तीव्रतर | तीव्रतम |
शीघ्र | शीघ्रतर | शीघ्रतम |
नीच | नीचतर | नीचतम |
कोमल | कोमलतर | कोमलतम |
समीप | समीपतर | समीपतम |
मृदु | मृदुतर | मृदुतम |
लघु | लघुतर | लघुतम |
अच्छा | से अच्छा | सबसे अच्छा |
ऊँचा | से अधिक ऊँचा | सबसे ऊँचा |
विशेषण शब्दों की रचना
संज्ञा से विशेषण का निर्माण
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
अंक | अंकित | अलंकार | अलंकारिक |
अर्थ | आर्थिक | अग्नि | आग्नेय |
अंचल | आंचलिक | अपेक्षा | अपेक्षित |
अनुशासन | अनुशासित | अपमान | अपमानित |
अंश | आंशिक | अधिकार | अधिकारी |
अभ्यास | अभ्यस्त | आदर | आदरणीय |
आदि | आदिम | आधार | आधारित, आधृत |
आत्मा | आत्मिक | इच्छा | ऐच्छिक |
इतिहास | ऐतिहासिक | ईश्वर | ईश्वरीय/ऐश्वर्य |
उपेक्षा | उपेक्षित | उत्कर्ष | उत्कृष्ट |
उद्योग | औद्योगिक | उपनिषद् | औपनिषदिक |
उपन्यास | औपन्यासिक | उपार्जन | उपार्जित |
उपदेश | उपदेशात्मक/उपदिष्ट | उपनिवेश | औपनिवेशिक |
उन्नति | उन्नतिशील | ऋण | ऋणी |
कल्पना | कल्पित | काम | काम्य |
केन्द्र | केन्द्रीय | कृपा | कृपालु |
कपट | कपटी | कुल | कुलीन |
कुसुम | कुसुमित | गंगा | गांगेय |
कागज | कागजी | ग्राम | ग्रामीण/ग्राम्य |
घर | घरेलू | घृणा | घृणित |
चर्चा | चर्चित | चरित्र | चारित्रिक |
चक्षु | चाक्षुष | चाचा | चचेरा |
चमक | चमकीला | चाय | चायवाला |
छल | छलिया | जाति | जातीय |
तर्क | तार्किक | तत्त्व | तात्त्विक |
तंत्र | तांत्रिक | तिरस्कार | तिरस्कृत |
तरंग | तरंगित | दर्शन | दर्शनीय |
दान | दानी | देश | देशीय/देशी |
देव | दिव्य/दैविक | देह | दैहिक |
दया | दयालु | धर्म | धार्मिक |
धन | धनी | ध्वनि | ध्वनित |
नगर | नागरिक | निशा | नैश |
निषेध | निषिद्ध | नरक | नारकीय |
न्याय | न्यायिक | नमक | नमकीन |
नील | नीला | पशु | पाशविक |
परीक्षा | परीक्षित | प्रमाण | प्रामाणिक |
पाप | पापी | पिता | पैतृक |
परिचय | परिचित | पल्लव | पल्लवित |
प्राची | प्राच्य | प्रणाम | प्रणम्य |
पुष्टि | पौष्टिक | पुराण | पौराणिक |
पक्ष | पाक्षिक | पुष्प | पुष्पित |
पूजा | पूज्य | पुत्र | पुत्रवती |
प्यास | प्यासा | फेन | फेनिल |
बुद्ध | बौद्ध | बल | बली |
भारत | भारतीय | भाव | भावुक |
भूगोल | भौगोलिक | भोजन | भोज्य |
भोग | भोगी | मन | मनस्वी |
मानस | मानसिक | माता | मातृक |
मंगल | मांगलिक | मामा | ममेरा |
मेधा | मेधावी | मर्म | मार्मिक |
मास | मासिक | यश | यशस्वी |
योग | यौगिक | राज | राजकीय |
रंग | रंगीन/रंगीला | राष्ट्र | राष्ट्रीय |
रस | रसीला/रसिक | रोम | रोमिल |
रूप | रूपवान/रूपवती | रोग | रोगी |
लक्षण | लाक्षणिक | लेख | लिखित |
वेद | वैदिक | विशेष | विशिष्ट |
विकल्प | वैकल्पिक | विवाह | वैवाहिक |
विज्ञान | वैज्ञानिक | विश्वास | विश्वसनीय |
वर्ग | वर्गीय | व्यक्ति | वैयक्तिक |
व्यापार | व्यापारिक | विपत्ति | विपन्न |
वाद | वादी | समय | सामयिक |
साहित्य | साहित्यिक | जापान | जापानी |
समुदाय | सामुदायिक | सिद्धांत | सैद्धान्तिक |
स्त्री | स्त्रैण | सुख | सुखी |
श्री | श्रीमान् | संस्कृत | सांस्कृतिक |
श्री | श्रीमती | स्वर्ण | स्वर्णिम |
शक्ति | शाक्त | शिक्षा | शैक्षिक |
शास्त्र | शास्त्रीय | शंका | शंकित |
शिव | शैव | शोषण | शोषित |
शासन | शासित | हृदय | हार्दिक |
हवा | हवाई | हँसी | हँसोड़ा |
हिंसा | हिंसक | श्रद्धा | श्रद्धालु |
ज्ञान | ज्ञानी | विरोध | विरोधी |
क्षेत्र | क्षेत्रीय | क्षण | क्षणिक |
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
प्यार | प्यारा | समाज | सामाजिक |
जयपुर | जयपुरी | विष | विषैला |
बुद्धि | बुद्धिमान् | गुण | गुणवान् |
दूर | दूरस्थ | शहर | शहरी |
क्रोध | क्रोधी | शरीर | शारीरिक |
शक्ति | शक्तिमान् | रूप | रूपवान् |
सृजन | सृजनहार | पालन | पालनहार |
रथ | रथवाला | दूध | दूधवाला |
भूख | भूखा | स्वर्ग | स्वर्गीय |
चमक | चमकीला | नोक | नुकीला |
धन | धनहीन | तेज | तेजहीन |
दया | दयाहीन | शोभा | शोभित |
अभिषेक | अभिषिक्त | अनुराग | अनुरागी |
अन्याय | अन्यायी | आश्रय | आश्रित |
अनुमोदन | अनुमोदित | ईसा | ईस्वी |
उन्नति | उन्नत | अनुभव | अनुभवी |
अन्तर | आन्तरिक | अंकन | अंकित |
आसक्ति | आसक्त | अणु | आणविक |
अपराध | अपराधी | ईर्ष्या | ईर्ष्यालु |
उपयोग | उपयुक्त | ऋषि | आर्ष |
ओष्ठ | ओष्ठ्य | कांटा | कंटीला |
कमाई | कमाऊ | क्रय | क्रीत |
कलंक | कलंकित | खून | खूनी |
खेल | खिलाड़ी | खान | खनिज |
गर्व | गर्वीला | गर्मी | गर्म |
गुलाब | गुलाबी | घनिष्ठता | घनिष्ठ |
घाव | घायल | जटा | जटिल |
दु:ख | दु:खी | जहर | जहरीला |
जागरण | जाग्रत | जंगल | जंगली |
त्याग | त्याज्य | तन्त्र | तान्त्रिक |
देश | देशी | दम्पति | दाम्पत्य |
दगा | दगाबाज | धर्म | धार्मिक |
नाटक | नाटकीय | निन्दा | निन्द्य/निन्दनीय |
नाव | नाविक | निषेध | निषिद्ध |
पुस्तक | पुस्तकीय | पराजय | पराजित |
परिचय | परिचित | पृथ्वी | पार्थिक |
कुटुम्ब | कौटुम्बिक | किताब | किताबी |
काल | कालीन | क्लेश | क्लिष्ट |
करुणा | कारुणिक | खर्च | खर्चीला |
खाना | खाऊ | ख्याति | ख्यात |
गृहस्थ | गार्हस्थ्य | गाँव | गँवार |
गेरु | गेरुआ | घमण्ड | घमण्डी |
घात | घातक | चर्चा | चर्चित |
चिन्ता | चिन्त्य | चरित्र | चारित्रिक |
जवाब | जवाबी | जाति | जातीय |
ताप | तप्त | दन्त | दन्त्य |
दिन | दैनिक | नियम | नियमित |
पत्थर | पथरीला | पुरुष | पौरुषेय |
प्रान्त | प्रान्तीय | प्रदेश | प्रादेशिक |
पाठक | पाठकीय | पश्चिम | पाश्चात्य |
प्रशंसा | प्रशंसनीय | परिवार | पारिवारिक |
फल | फलित | भूत | भौतिक |
भाषा | भाषिक | भय | भयानक |
मोह | मोहक/मोहित | मिथिला | मैथिल |
जोश | जोशीला | मुख | मौखिक |
मूल | मौलिक | यज्ञ | याज्ञिक |
यदु | यादव | रसीद | रसीदी |
राष्ट्र | राष्ट्रीय | राह | राही |
लज्जा | लज्जित | लोभ | लोभी |
लाभ | लब्ध | विरह | विरही |
विकार | विकृत | वन्दना | वन्द्य/वन्दनीय |
वियोग | वियोगी | संसार | सांसारिक |
स्वभाव | स्वाभाविक | पानी | पानीय/पेय |
पुष्टि | पौष्टिक | प्रसंग | प्रासंगिक |
बल | बलिष्ठ | भ्रम | भ्रामक/भ्रमित |
भूषण | भूषित | भूख | भूखा |
माधुर्य | मधुर | मूर्च्छा | मूर्च्छित |
मनु | मानव | मर्म | मार्मिक |
मांस | मांसल | मृत्यु | मर्त्य |
योग | योगी | यश | यशस्वी |
रुद्र | रौद्र | राक्षस | राक्षसी |
रोमांच | रोमांचित | लाठी | लठैत |
लोहा | लौह | विस्मय | विस्मित |
मिठास | मीठा | व्यवसाय | व्यावसायिक |
विजय | विजयी | विवेक | विवेकी |
विधान | वैधानिक | वेतन | वैतनिक |
विषय | विषयी | वास्तव | वास्तविक |
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
सुंगध | सुगंधित | स्वप्न | स्वप्निल |
स्मृति | स्मार्त | संकेत | सांकेतिक |
शिव | शैव | शास्त्र | शास्त्रीय |
हिंसा | हिंसक | सम्बन्ध | सम्बन्धी |
विदेश | विदेशी/वैदेशिक | शरद् | शारदीय |
देहली | देहलवी | बरेली | बरेलवी |
मुरादाबाद | मुरादाबादी | सूर्य | सौर |
समास | सामासिक | सन्देह | संदिग्ध |
सिन्धु | सैन्धव | सोना | सुनहरा |
शौक | शौकीन | शास्त्र | शास्त्रीय |
क्षमा | क्षम्य | विष्णु | वैष्णव |
स्तुति | स्तुत्य | स्वदेश | स्वदेशी |
नीति | नैतिक | संयोग | संयुक्त |
लखनऊ | लखनवी | पहाड़ | पहाड़ी |
माया | मायावी | लोक | लौकिक |
शब्द | शाब्दिक | वर्ष | वार्षिक |
परलोक | पारलौकिक | सप्ताह | साप्ताहिक |
श्रम | श्रमिक | जीव | जैविक |
संप्रदाय | सांप्रदायिक | अध्यात्म | आध्यात्मिक |
पिशाच | पैशाचिक | संस्कृति | सांस्कृतिक |
सत्त्व | सात्त्विक | साहस | साहसिक |
व्यवहार | व्यावहारिक | विचार | वैचारिक |
काया | कायिक | बाधा | बाधित |
पीड़ा | पीड़ित | क्षुधा | क्षुधित |
उत्कंठा | उत्कंठित | सम्मान | सम्मानित |
लक्ष्य | लक्षित | संकोच | संकुचित |
द्रव | द्रवित | संचय | संचित |
सुगंध | सुगंधित | नियंत्रण | नियंत्रित |
प्रत्याशा | प्रत्याशित | भार | भारी |
आलस | आलसी | दोष | दोषी |
पंजाब | पंजाबी | प्रेम | प्रेमी |
लालच | लालची | ओज | ओजस्वी |
ध्यान | ध्यानी | मद्रास | मद्रासी |
पराक्रम | पराक्रमी | शासक | शासकीय |
यूरोप | यूरोपीय | चिन्तन | चिन्तनीय |
स्थान | स्थानीय | कथन | कथनीय |
तट | तटीय | पर्वत | पर्वतीय |
दानव | दानवीय | रेत | रेतीला |
शर्म | शर्मीला | हठ | हठीला |
सभा | सभ्य | ठंड | ठंडा |
बाजार | बाजारू | मौसा | मौसेरा |
लूट | लुटेरा | धूम | धूमिल |
सत्य | सत्यनिष्ठ | घड़ी | घड़ीवाला |
रक्त | रक्तिम | वन | वन्य |
अव्यय से विशेषण का निर्माण
अव्यय | विशेषण | अव्यय | विशेषण |
बाहर | बाहरी | आगे | अगला |
भीतर | भीतरी | पीछे | पिछला |
ऊपर | ऊपरी | सतह | सतही |
नीचे | निचला | आगे | अगला |
सर्वनाम से विशेषण का निर्माण
सर्वनाम | विशेषण | सर्वनाम | विशेषण |
यह | ऐसा | जो | जैसा |
वह | वैसा | सो | तैसा |
कौन | कैसा | तुम | तुमसा/तुम्हारा |
आप | आपसा | मैं | मुझ-सा |
क्रिया से विशेषण का निर्माण
क्रिया | विशेषण | क्रिया | विशेषण |
पढ़ना | पढ़ाकू | देखना | दिखावटी |
लड़ना | लड़ाकू | बेचना | बिकाऊ |
घूमना | घूमक्कड़ | बनाना | बनावटी |
पीना | पियक्कड़ | बहना | बहती |
हँसना | हँसोड़ा | भागना | भगोड़ा |
झगड़ना | झगड़ालू | कमाना | कमाऊ |
मिलना | मिलावटी | उड़ाना | उड़ाऊ |
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