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धातु, अधातु एवं प्रमुख यौगिक

धातु, अधातु एवं प्रमुख यौगिक

तत्त्वों को धातुअधातु एवं उपधातु में बाँटा जा सकता है :-

(I) धातु :-

- ऐसे तत्त्व जो इलेक्ट्रॉन को त्याग कर धनायन का निर्माण करते हैं, धातु कहलाते हैं। 

- धातुएँ आघातवर्धनीय होती हैं अर्थात् इनको पीटकर चद्दर (परत) के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। सोना तथा चाँदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य होते हैं।

- धातु में विशेष चमक होती है जो मुक्त इलेक्ट्रॉन के कारण पाई जाती है।

- धातु में तन्यता का गुण पाया जाता है।

- धातुएँ ताप और विद्युत की सुचालक होती हैं।

- धातुएँ विभिन्न प्रकार के अधातुओं; जैसे – ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, क्लोरीन, सल्फर आदि से प्रतिक्रिया कर यौगिक का निर्माण करती हैं।

- अधिक अभिक्रियाशील धातुएँ साधारण ताप पर जल से अभिक्रिया करती हैं।

निम्नलिखित धातुएँ इस प्रकार हैं–

1. मैग्नीशियम-

- मैग्नीशियम सल्फेट के रूप में, मैग्नीशियम झरने में तथा मैग्नीशियम क्लोराइड के रूप में समुद्री जल में पाया जाता है।

- क्लोरोफिल में मैग्नीशियम उपस्थित होता है।

- मैग्नीशियम चाँदी की तरह उजली एवं चमकीली धातु होती है।

- यह मुलायम धातु होती है।

- तनु अम्लों के साथ यह प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाती है। यह क्षार से अभिक्रिया नहीं करती है। 

- तनु नाइट्रिक अम्ल के साथ यह मैग्नीशियम नाइट्रेट एवं अमोनियम नाइट्रेट बनाती है।

- मैग्नीशियम फ्लेश लाइट के रिबन बनाने, फोटोग्राफी तथा आतिशबाजी में काम आता है।

- मैग्नीशियम ऑक्साइड को मैग्नीशिया कहा जाता है। यह प्रतिदीप्तिशील प्रकाश उत्पन्न करता है।

- मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड को मिल्क ऑफ मैग्नीशिया कहा जाता है।

- इसका उपयोग पेट की अम्लीयता को दूर करने में किया जाता है।

2.  सोडियम-

- सोडियम एक अत्यन्त क्रियाशील तत्त्व होने के कारण मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। संयुक्त अवस्था में यह नाइट्रेट, कार्बोनेट एवं सल्फेट के रूप में पाया जाता है। 

- सोडियम मुलायम धातु होती है। इसे चाकू से आसानी से काटा जा सकता है।

- सोडियम सक्रिय धातु है। ये वायु (O2) से अभिक्रिया कर आग पकड़ लेती है इसलिए इन्हें सुरक्षित रखने तथा आकस्मिक आग को रोकने के लिए केरोसिन तेल में डूबोकर रखा जाता है।

- सोडियम हाइड्रोक्साइड को कास्टिक सोडा कहा जाता है।

- सोडियम कार्बोनेट को वॉशिंग सोडा कहा जाता है।

- सोडियम बाई कार्बोनेट को खाने वाला सोडा या बेकिंग सोडा कहा जाता है।

3.  एल्युमिनियम-

- प्रकृति में एल्युमिनियम स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाया जाता है परन्तु इसके यौगिक काफी मात्रा में मिलते हैं।

- यह बॉक्साइट, कोरन्डम, फेल्सपार तथा क्रायोलाइट के रूप में मिलता है। बॉक्साइट, एल्युमिनियम का मुख्य अयस्क है।

- एल्युमिनियम चाँदी के समान चमकीली धातु है।

- एल्युमिनियम तथा इसकी मिश्र धातु वायुयान, मोटर आदि बनाने में प्रयुक्त की जाती है। यह घरेलू बर्तन बनाने में भी प्रयुक्त की जाती है।

- इसके तार विद्युत संचालन में प्रयुक्त होते हैं।

4.  कैल्सियम-

- कैल्सियम प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है।

- यह कार्बोनेट, सल्फेट तथा सिलिकेट के रूप में पाया जाता है।

- कैल्सियम हड्डियों, अण्डे के छिलके एवं मोलस्का समुदाय के प्राणियों का मुख्य अवयव होता है।

- कैल्सियम अम्लों से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है।

- कैल्सियम ऑक्साइड को क्विक लाइम कहा जाता है।

- कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड को बुझा हुआ चूना कहते हैं।

- कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड को विरंजक चूर्ण कहा जाता है।

- कैल्सियम सल्फेट को जिप्सम कहा जाता है। अर्द्धजलयोजित कैल्सियम सल्फेट को सामान्यत: 'प्लास्टर ऑफ पेरिस' कहा जाता है।

5.  मैंगनीज-

- इसका निष्कर्षण मुख्यत: पाइरोलूसाइट नामक अयस्क से किया जाता है।

- पोटैशियम परमैंग्नेट को लाल दवा के नाम से जाना जाता है।

- मैंगनीज डाईऑक्साइड शुष्क सेलों में उपयोग में लिए जाते हैं।

6.  ताँबा-

- प्रकृति में यह मुक्त एवं संयुक्त अवस्था में पाया जाता है। संयुक्त अवस्था में यह सल्फाइड ऑक्साइड एवं कार्बोनेट अयस्कों के रूप में पाया जाता है।

- ताँबे का निष्कर्षण कॉपर पाइराइट्स अयस्क से किया जाता है।

- आर्द्र हवा के कारण कॉपर का रंग हरा हो जाता है।

- ताँबे का उपयोग विद्युत तार एवं विद्युत उपकरण के निर्माण में किया जाता है। विद्युत मुद्रण तथा विद्युत लेपन में किया जाता है।

- रोल्ड गोल्ड, ताँबे की एक मिश्र धातु है जिसका उपयोग सस्ते आभूषणों के निर्माण में होता है।

7.  लोहा-

- लोहा एक संक्रमण धातु है। हरी सब्जियों में यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रक्त में हिमोग्लोबिन में उपस्थित होता है।

- लोहा साधारण ताप पर शुष्क हवा से कोई प्रतिक्रिया नहीं करता परंतु आर्द्र हवा के सम्पर्क में आने पर इस पर जंग लग जाता है।

- फेरस सल्फेट को हरा कसीस कहा जाता है।

धातुओं के कुछ गुण इस प्रकार हैं –

- धातुएँ ठोस अवस्था में होती हैं (मर्करी कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होती है।)

- ऑसमियम (Os) धातु का घनत्व सर्वाधिक होता है।

- धातु अम्ल जैसे- HCl, H2SO4 के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस विस्थापित करते हैं (Ag, Au, Pt) अम्लों से क्रिया नहीं करते हैं।

- HNO(नाइट्रिक अम्ल) धातुओं के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस विस्थापित नहीं करता।

- लीथियम को मोम में रखा जाता है।

- धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर ऑक्साइड बनाते हैं।

- एल्युमिनियम तथा जिंक की सतह पर ऑक्साइड परत बन जाती है जिसे एनोडीकरण करते हैं।

- मानव द्वारा सर्वप्रथम उपयोग में ली गयी धातु ताँबा थी।

- मानव द्वारा सर्वाधिक उपयोग में ली जाने वाली धातु लोहा है।

- पृथ्वी पर सर्वाधिक पायी जाने वाली धातु एल्युमिनियम है।

- टाइटेनियम को भविष्य की धातु कहा जाता है।

- घरेलू बल्ब का तंतु टंगस्टन का बना होता है।

- सबसे हल्की धातु लीथियम होती है।

धातु

मुख्य अयस्क

एल्युमिनियम

बॉक्साइड, डायस्पोर

ताँबा

पाइराइट

लोहा

हैमेटाइट, मैग्नेटाइट

मैंगनीज

पाइरोलुसाइट

टिन

कैसिटेराइट

निकल

पैरलैडाइट

जिंक

जिंक ब्लैन्ड, कैलामिन

सीसा

गैलेना, जैमसोनाइट

पारा

सिनेबार

कैल्सियम

लाइमस्टोन

(II) अधातु तत्त्व :-

- वे तत्त्व जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं तथा ऋणायन बनाते हैं, अधातु कहलाते हैं।

- अधातु विद्युतऋणी तत्त्व होते हैं।

- अधातुओं में चमक नहीं होती है।

- इनमें तन्यता का गुण नहीं पाया जाता है।

- यह आघातवर्धनीय नहीं होते हैं।

- अधातुएँ अधिकतर कुचालक प्रवृत्ति की होती हैं।

अधातुओं की अवस्थाएँ–

- आयोडीन, फॉस्फोरस, सल्फर आदि ठोस अवस्था में पाए जाते हैं।

- ब्रोमीन द्रव अवस्था में पाया जाता है।

- हाइड्रोजन, क्लोरीन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा अक्रिय गैसें, गैस अवस्था में पाई जाती हैं।

(III) उपधातु अवस्था :-

- वे तत्त्व जिनके गुण धातु तथा अधातु के मध्य होते हैं, उपधातु कहलाते हैं; उदाहरण – बोरोन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एन्टीमनी, टेलूरियम आदि।

मिश्र धातु के उदाहरण –

1. जंगरोधी इस्पात (स्टेनलैस स्टील)- आयरन (Fe)+ क्रोमियम (Cr) + निकल (Ni)

2. फ्यूज तार- सीसा (Pb)+ टीन (Sn)

3. घण्टी/घण्टा धातु (Bell Metal)- कॉपर (Cu)+ टिन (Sn)

4. रेल की पटरियाँ- आयरन (Fe)+ मैंगनीज (Mn)

5. रोल्ड गोल्ड- Cu+ Al

नोट : रोल्ड गोल्ड में गोल्ड अनुपस्थित होता है। 

6. बुलेट प्रूफ जैकेट कैवलार से बनाते हैं।

7. मूर्खों का सोना (Fools gold)- आयरन पाइराइट (FeS2

नोट :

1. सबसे हल्का तत्त्व/गैस/अधातु- हाइड्रोजन (H)

2. सबसे भारी धातु/तत्त्व- ओसमीयम Os/ इरीडियम (Ir) 

3. सबसे हल्की धातु/कम घनत्व वाली धातु= लीथियम (Li)

4. कठोर धातु- प्लैटिनम (Pt)

5. उत्कृष्ट धातु (Noble Metal)- Gold (Au), प्लैटिनम (Pt) 

6. एक मात्र द्रव अधातु (Non Metal)- ब्रोमीन (Br)

7. द्रव धातु (Liquid Metal)- पारा/Hg 

 (कमरे के ताप (25°C/298 k) पर द्रव)

8. भविष्य की धातु- टाइटेनियम (Ti)

9. Stranger gas= जीनॉन (Xe)

10. Quick Silver- Hg/पारा/मर्करी

11. आशा धातु (Hope Metal)- यूरेनियम (U)

12.  भय धातु (Fear Metal)- Pu/ प्लूटोनियम

सामान्य मिश्रधातुएँ, उनके घटक तथा उपयोग 

मिश्रधातु

अवयव घटक

उपयोग

पीतल (Brass)

Cu+Zn (70% + 30%)

बर्तन बनाने में।

कांसा (Bronze)

Cu+Sn (90% + 10%)

सिक्का एवं बर्तन बनाने में।

जर्मन सिल्वर

(German Silver)

Cu+Zn+Ni 

(60% + 20% + 20%)

बर्तन बनाने में।

गन मेटल

(Gun Metal)

Cu+Zn+Sn 

(90% + 2% + 8%)

तोप, गेयर बनाने में।

टाँका (Solder)

Sn+Pb (67% + 33%)

जोड़ों में टाँका लगाने में

ड्यूरेलुमिन (Duralumin)

 Al+Cu+Mg+Mn (95% + 4% + 0.5% + 0.5%)

प्रेशर कुकर, हवाई जहाज का ढाँचा बनाने में।

नोट : Cu (ताँबा), Sn (टिन), Ni (निकल), Pb (सीसा)

यौगिक

- दो या अधिक तत्त्वों को निश्चित अनुपात में मिलाने से यौगिक बनते हैं। जैसे – जल/H2O (हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन को 2:1 में मिलाने से जल बनता है।)

यौगिकों को पुनदो भागों में बाँटा जा सकता है :-

(i)  कार्बनिक यौगिक – ऐसे यौगिक जिनमें कार्बन अनिवार्यत: होता है, कार्बनिक यौगिक कहलाते हैं। जैसे – प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा

(ii) अकार्बनिक यौगिक – ऐसे यौगिक जिनमें कार्बन नहीं पाया जाता है, अकार्बनिक यौगिक कहलाते हैं। जैसे – NaCl, Na2CO3

यौगिकों के उदाहरण :-

1.  सोडियम सल्फेट:– Na2SO4

2.  मैग्नीशियम क्लोराइड:- MgCl2

 3.  कैल्सियम फॉस्फेट:- Ca3 (PO4)2

4.  फैरिक ऑक्साइड:- Fe2O3

5.  क्यूप्रस ऑक्साइड:- Cu2O

6.  कॉपर सल्फेट:- CuSO4

7.  कैल्सियम आयोडाइड:- CaI2

यौगिक का सूत्र निर्माण :-

- यौगिकों के रासायनिक सूत्र लिखने के लिए तत्त्वों के प्रतीकों, उनकी संयोजन क्षमताओं तथा आयनों की संयोजकताओं का ज्ञात होना आवश्यक हैं।

- परमाणु या परमाणुओं का समूह जिस पर आवेश होता है उसे मूलक या आयन कहते हैं। जैसे –

 ऑक्सीजन का परमाणु = O

 ऑक्सीजन का मूलक   = O-2

- वे मूलक जिन पर धनावेश होता है, वे क्षारीय मूलक या भास्मिक मूलक कहलाते हैं। जैसे- Na+

- वे मूलक जिन पर ऋणावेश होता है उन्हें अम्लीय मूलक कहते हैं। ये मूलक पानी में घुलने के बाद अम्ल का निर्माण करते हैं। जैसे – Cl-,\(SO_4^{-2}\)

क्षारीय मूलक 

 क्षारीय मूलक का नाम वही होगा जो उसके तत्त्व/परमाणु का नाम होगा। जैसे-

अम्लीय मूलक

 अम्लीय मूलक के नाम के अंत में ‘आइड’ आता है, जैसे– 

 Br   ® ब्रोमिन

 Br–  ® ब्रोमाइड

नोट : जिस अम्लीय मूलक (ऋणायनमें-

- ऑक्सीजन अनुपस्थित है या सबसे कम है उस अम्लीय मूलक के नाम के अंत में आइड (ide) आता है। जैसे- S-2 सल्फाइड

- यदि ऑक्सीजन अधिक है, उस ऋणायन के नाम के अंत में आइट (ite) आता है। जैसे- SO3-2 (सल्फाइट)

जिस अम्लीय मूलक में ऑक्सीजन सर्वाधिक है उस ऋणायन के नाम के अंत में ’एट’ (ate) आता है, जैसे – SO4-2(सल्फेट)

अन्य उदाहरण– 

 N-3  ® नाइट्राइड

 NO2-1® नाइट्राइट

 NO3-1® नाइट्रेट

 P-3 ® फोस्फाइड

 PO4-3 ® फॉस्फेट

 HCO3-1 ® बाईकार्बोनेट

 C2O4-2 ® ऑक्सिलेट

 MnO4-1 ® परमेग्नेट

 MnO4-2 ® मेग्नेट

 Cr2O7-2 ® डाईक्रोमेट

 CrO4-2 ® क्रोमेट

 [Fe(CN6)]-4 ® फैरोसायनाइड

 [Fe(CN6)]-3 ® फेरिसायनाइड

 CH3OO-1 ® एसिटेट

- यौगिकों के रासायनिक सूत्र लिखते समय पहले हम संघटक तत्त्वों के प्रतीक लिखकर उनकी संयोजकताएँ लिखते हैं। जैसा कि निम्न उदाहरण में दर्शाया गया है–

उदाहरण-

उदाहरण-

 

दैनिक जीवन में उपयोगी यौगिक :-

1. NaCl (Sodium Chloride) :-

-  इसे साधारण नमक भी कहते हैं। यह प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार का लवण होता है तथा इसके pH का मान 7 होता है। NaCl को व्यापारिक तौर पर समुद्र के जल या खानों को सूखाकर प्राप्त किया जाता है।

-  NaCl श्वेत ठोस पदार्थ है जो जल में अत्यधिक विलेय है। NaCl का गलनांक उच्च (1081k) होता है अत: यह जल में आयनित हो जाता है।

-  उपयोग-

  (i) इसका उपयोग साधारण नमक के रूप में भोजन में किया जाता है।

  (ii) खाद्य परिरक्षण में।

  (iii) हिम मिश्रण बनाया जाता है।

  (iv) NaOH, Na2CO3, NaHCO3, विरंजक चूर्ण बनाने में।

2. सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) :- 

-  इसे कॉस्टिक सोडा भी कहते हैं। औद्योगिक स्तर पर NaOH का उत्पादन NaCl के विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है।

 2NaCl(aq) + 2H2\(\rightarrow\) 2NaOH(aq) + Cl2(g) + H2(g)

- NaOH श्वेत चिकना पदार्थ है तथा इनका गलनांक 591k है।

-  NaOH भी जल में विलय हो जाता है।

-  NaOH एक प्रबल क्षार है। अत: यह एक प्रबल विद्युत अपघट्य भी है।

-  NaOH का उपयोग-

  (i) इसका उपयोग साबुन, कागज तथा सिल्क उद्योग में किया जाता है।

  (ii) बॉक्साइट के धातुकर्म में।

  (ii) पेट्रोलियम के शोधन में।

  (ii) वसा व तेलों के निर्माण में।

  (ii) प्रयोगशाला अभिकर्मक में।

3. विरंजक चूर्ण [CaOCl2 (कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड)] :-

-  CaOCl2 को शुष्क बुझे हुए चूने पर Clगैस प्रवाहित करके प्राप्त किया जाता है।

  Ca (OH)2 + Cl2 \(\rightarrow\) CaOCl2+H2O

-  विरंजक चूर्ण पीला तीक्ष्ण गंध वाला ठोस पदार्थ है जो कि ठंडे जल में विलेय है।

-  उपयोग-

  (i) वस्त्र उद्योग में विरंजक के रूप में

  (ii) कागज उद्योग में विरंजक के रूप में 

  (iii) पेयजल को शुद्ध करने में

  (iv) रोगाणुनाशक एवं ऑक्सीकारक के रूप में

4. बैकिंग सोडा (NaHCO3) :-

-  इसे खाने का सोडा भी कहते हैं तथा इसका रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट होता है।

-  NaHCO3 को खाद्य पदार्थों में मिलाकर गर्म करने पर यह बुलबुलों के रूप में बाहर निकल जाता है।

-  NaCl का उपयोग करके बैकिंग सोडा बनाया जाता है।  

-  Na2CO3 (सोडियम कार्बोनेट) के विलयन में CO2 गैस प्रवाहित करके NaHCOबनाया जाता है।

-  Na2CO3 + CO2 + H2\(\rightarrow\) 2NaHCO3

-  बैकिंग सोडा श्वेत क्रिस्टलीय ठोस है तथा यह जल में अल्प विलेय है।

-  जल में इसका विलयन क्षारीय होता है, इसे गर्म करने पर CO2 गैस निकलती है।

  2NaHCO3 \(\rightarrow\) Na2CO3+H2O+CO2

-  उपयोग-

  (i) खाद्य पदार्थों में बैकिंग पाउडर के रूप में।

  (ii) सोडा वॉटर तथा सोडायुक्त शीतल पेय बनाने में।

  (iii) पेट की अम्लता को दूर करने में।

  (iv) मंद पूर्तिरोधी के रूप में।

  (v) अग्निशामक यंत्रों में।

  (vi) प्रयोगशाला अभिकर्मक में

5. धावन सोडा (Na2CO3.10H2O) :-

-  इसे कपड़े धोने का सोडा भी कहते हैं, इसका रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट है।

-  यह सफेद क्रिस्टलीय ठोस है तथा जल में विलेय है इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।

-  इसे गर्म करने पर क्रिस्टलन जल त्यागकर सोडा-ऐश बनाता है।

  Na2CO3 + 10H2\(\rightarrow\) Na2CO3.10H2O

-  उपयोग-

  (i) धुलाई व सफाई में।

  (ii) कॉस्टिक सोडा, बैकिंग पाउडर, काँच, साबुन, बोरेक्स के निर्माण में।

  (iii) कागज व पेन्ट तथा वस्त्र उद्योग में।

  (iv) प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।

6. प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO4. \(\rightarrow\)H2O) :-

-  इसका रासायनिक नाम कैल्सियम सल्फेट का अर्द्ध हाइड्रेट है।

-  सर्वप्रथम प्लास्टर ऑफ पेरिस को फ्रांस की राजधानी पेरिस में जिप्सम को गर्म करके बनाया था।

  2CaSO4.2H2\(\rightarrow\) 2CaSO H2O +  H2O

-  यह श्वेत ठोस चिकना पदार्थ है।

-  इसमें जल मिलाने पर 15-20 मिनट में जमकर ठोस और कठोर हो जाता है।

-  उपयोग-

  (i) भवन निर्माण में।

  (ii) दंतचिकित्सा में।

  (iii) मूर्तियाँ आदि सजावटी सामानों को बनाने में।

  (iv) अग्निसह पदार्थ के रूप में।

दैनिक जीवन में कुछ उपयोगी यौगिक

क्र. सं.

रसायन कासामान्य नाम

रासायनिक नाम

रासायनिक सूत्र

1.

नमक

सोडियम क्लोराइड

NaCl

2.

कॉस्टिक सोडा

सोडियम हाइड्रॉक्साइड

NaOH

3.

विरंजक चूर्ण

कैल्सियम ऑक्सी क्लोराइड

CaOCl2

4.

बैकिंग सोडा

(खाने का सोडा)

सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट

NaHCO3

5.

धावन/कपड़े धोने का सोडा

सोडियम कार्बोनेट

Na2CO3.10H2O

6.

प्लास्टर ऑफ पेरिस (P.O.P)

कैल्सियम सल्फेट का अर्द्धहाइड्रेट

CaSO4 H2O

7.

जिप्सम

कैल्सियम सल्फेट

CaSO4.2H2O

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